अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की सीरो प्रवलेंस स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बच्चे भी प्रभावित हुए। लेकिन उनमें लक्षण काफी कम दिखाई दिये। शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि संभावित तीसरी लहर में भी बच्चों पर अधिक असर नहीं देखा जाएगा। सीरो सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार पहली और दूसरी लहर में सभी लोग समान रूप से प्रभावित हुए हैं। इसलिए संभावित तीसरी लहर में यह कहना गलत होगा कि यह सिर्फ बच्चों को प्रभावित करेगा।
लेकिन केन्द्र सरकार कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए सभी तैयारियां कर रही है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया कि एम्स के सीरो सर्वे के अनुसार 18 साल से कम और अधिक उम्र में कोरोना संक्रमण की दर लगभग एक समान है। 18 साल से कम उम्र वाले लोगों में संक्रमण दर 59 प्रतिशत और 18 साल से ज्यादा उम्र वाले में 69 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्र में दोनों उम्र की श्रेणी में संक्रमित लोगों का प्रतिशत 78 और 79 प्रतिशत है।
वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में 18 साल से कम उम्र में 56 प्रतिशत संक्रमित लोग थे, जबकि 18 साल से अधिक उम्र वाले वर्ग में यह 63 प्रतिशत है। इससे यह पता चलता है कि कोरोना लहर में बच्चे भी संक्रमित हुए, लेकिन उनमें लक्षण बेहद कम रहे।
इसी तरह संभावित तीसरी लहर में भी संक्रमण का यही ट्रेंड रह सकता है। टीका लगवाने वाले संक्रमित लोगों में अस्पताल जाने की संभावना 75-80 प्रतिशत कम। नीति आयोग के सदस्य ने बताया कि टीका लगवाने वाले लोगों में कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 75-80 प्रतिशत कम होती है। इसके साथ सिर्फ आठ प्रतिशत लोगों को ही ऑक्सीजन की आवश्यकता देखी गई है। छह प्रतिशत लोगों को आईसीयू में भर्ती कराने की जरूरत होती है।