मंगलवार, 15 जून 2021

विश्वविद्यालय में सेमेस्टर परीक्षाओं का मूल्यांकन शुरू

संदीप मिश्र              
बरेली। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में मंगलवार से सेमेस्टर परीक्षाओं का मूल्यांकन शुरू हो जाएगा। सबसे पहले एलएलबी की परीक्षाओं की कापियां जांची जाएंगी। कापियों के मूल्यांकन के लिए 70 शिक्षकों को परीक्षा केंद्र पर बुलाया गया है। पहले दिन कितने शिक्षक आते हैं इसको लेकर संशय बना हुआ है। क्योंकि 15 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश भी चल रहा है।विश्वविद्यालय की एलएलबी, बीए एलएलबी, बीसीए, बीबीए, बीटेक, पैरा मेडिकल समेत अन्य सेमेस्टर पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं मार्च माह में हुई थीं। कोरोना के चलते कुछ पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं नहीं हो सकी थीं। उसके बाद से मूल्यांकन भी अटक गया था। 
करीब दो महीने बाद 15 जून से मूल्यांकन शुरू हो रहा है। मूल्यांकन से कुछ दिनों पहले परीक्षा भवन की सफाई करायी गई थी।परीक्षा केंद्र के समन्वयक प्रो. एके सिंह ने बताया कि मंगलवार से एलएलबी की परीक्षाओं का मूल्यांकन किया जाएगा। मूल्यांकन के लिए 70 शिक्षकों को बुलाया गया है। एलएलबी के प्रथम, तृतीय और पंचम और बीए एलएलबी के प्रथम, तृतीय, पंचम, सप्तम और नवम सेमेस्टर की कापियां जांची जाएंगी। उसके बाद बीबीए, बीसीए, पैरामेडिकल व अन्य परीक्षाओं का मूल्यांकन शुरू होगा।
विधि संकायाध्यक्ष डा. अमित सिंह ने बताया कि कापियों के मूल्यांकन के बाद एलएलबी के षष्टम और बीएएलएलबी के दशम सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करायी जाएंगी। यह परीक्षाएं मुख्य परीक्षाओं के कुछ दिनों बाद शुरू होंगी। जल्द ही इनकी भी तैयारी शुरू कर दी जाएगी। सभी परीक्षाओं के मूल्यांकन के बाद अन्य सेमेस्टर के अंक निर्धारित किए जाएंगे।
इग्नू (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय) ने परीक्षा फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 30 जून तक बढ़ा दी है। इस संबंध में 14 जून को सूचना भी जारी कर दी है। इसके अलावा इग्नू ने ऑनलाइन या भौतिक रूप से असाइनमेंट और प्रोजेक्ट भी जून माह तक जमा करने की तिथि बढ़ा दी है। इससे पहले प्रोजेक्ट जमा करने की अंतिम तिथि 15 जून निर्धारित की गई थी।

गुजरात: लव जिहाद एक्ट, धर्म परिवर्तन अपराध

हरिओम उपाध्याय   
गांधीनगर। अब गुजरात में भी शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन कराना एक बड़ा अपराध होगा। गुजरात में आज से लव जिहाद एक्ट लागू हो गया है। इसे राज्यपाल की मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने इसके क्रियान्वयन की अधिसूचना जारी कर दी है। इसका उल्लंघन करने पर सात साल तक की सजा और तीन लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। 
 दरअसल, गुजरात सरकार ने धर्मांतरण रोकने के लिए बजट सत्र के दौरान विधानसभा में धर्म स्वातंत्र्य (धार्मिक स्वतंत्रता) विधेयक संशोधन-2021 पारित किया था। यह संशोधन गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट-2003 में किया गया है। इस विधेयक को राज्य के गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने गुजरात विधानसभा में पेश किया था। राज्यपाल आचार्य देववर्त की मंजूरी के बाद सरकार ने आज धर्म की स्वतंत्रता सुधार अधिनियम-2021के क्रियान्वयन की अधिसूचना जारी कर दी है।  
गुजरात विधानसभा ने प्रलोभन, जबरदस्ती, गलत बयानी या किसी अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण के मामलों में दंड और दंड का प्रावधान करने के लिए धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2003 में संशोधन किया। इस प्रकार यह पूरा सुधार लव जिहाद की गतिविधि को रोकने के लिए है। इस काूनन के तहत गुजरात में पांच साल तक की सजा और दो लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जबकि नाबालिग के साथ अपराध करने पर सात साल तक और तीन लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए सात साल की सजा का प्रावधान है।
लव जिहाद के मामले में कुछ लोगों को अपराध करने में मदद करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी| कुछ मामलों में यह एक गैर-जमानती अपराध भी बन जाएगा। एक विशेष प्रावधान यह भी किया गया है कि पुलिस उपाधीक्षक के पद से नीचे का अधिकारी इसकी जांच नहीं कर सकता है। नई धारा 4 में किसी व्यक्ति की शादी कराकर उसका धर्म परिवर्तन करने या उसकी शादी कराने में मदद करने के एकमात्र उद्देश्य के संबंध में सजा का प्रावधान है। यदि अपराध विवाह की संस्था और संगठन के लिए किया गया अपराध साबित होता है तो गैर-कानूनी धर्मांतरण एक गैर-जमानती अपराध होगा। इस कानून के तहत पीड़ित का रक्त संबंधी भी पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराने के लिए अधिकृत किया गया है।
 इस संबंध में राज्य के गृह मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने कहा कि लव जिहाद के अलावा क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) बिल को भी मंजूरी मिल गई है। उल्लेखनीय है कि शादी के नाम पर धोखधड़ी कर लोगों के धर्मांतरण करने से रोकने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारें भी इस तरह का लव जिहाद विरोधी कानून बना चुकी हैं।

महाराष्ट्र में पहली कक्षा से बारहवीं तक के स्कूल खुलें

कविता गर्ग                    
मुंबई। महाराष्ट्र में आज से पहली से बारहवीं तक के स्कूल खुल गए हैं। ऑनलाइन विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है। लेकिन किताबों की कमी बनी हुई है। महाराष्ट्र पाठ्यपुस्तक निर्मिति व पाठ्यक्रम संशोधन मंडल (बालभारती) की ओर से अभी किताबों का वितरण होने में विलंब हो रहा है। बालभारती की ओर से बताया गया है कि कोरोना के कारण लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से किताबों के वितरण पर असर पड़ा है। जल्द ही किताबों का वितरण सामान्य हो जाएगा।
 बालभारतीे अनुसार लॉकडाउन के कारण निजी वितरकों की दुकानें बड़े पैमाने पर बंद थीं। इस वजह से पुस्तकों की कमी आई। हालांकि पहली से बारहवीं तक की सभी माध्यम की किताबें पीडीएफ के रूप में ऑनलाइन उपलब्ध कराई गई हैं। अब तक नौंवी से बारहवीं तक की 1करोड़ 32 लाख किताबें छप गई हैं। राज्य के नौ डिपो में किताबें उपलब्ध हैं। मांग के अनुसार कई डिपो में किताबों का वितरण किया जा रहा है। इसीतरह पहली से आठवीं तक की 3 करोड़ 85 लाख पुस्तकें भी छपकर तैयार हैं। अभी डेढ़ करोड़ पुस्तकों की छपाई बाकी है। राज्य के कई स्कूल एक दिन पहले यानी 14 जून से ही खुल गए हैं। कुछ दिनों पहले स्कूली शिक्षा विभाग ने नए शैक्षणिक वर्ष के लिए परिपत्र जारी किया था। उसमें विदर्भ को छोड़कर राज्य के अन्य शहरों के स्कूलों को 14 जून से खोलने का उल्लेख था। इसके बाद इसमें संशोधन करके 15 जून से स्कूल शुरू करने की सूचना दी गई थी। हालांकि कई स्कूलों ने पहली सूचना के आधार पर एक दिन पहले 14 जून से पढ़ाई की शुरुआत कर दी है। इसमें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की संख्या ज्यादा है।
 कोरोना संक्रमण को देखते हुए फिलहाल ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है। अभी तक स्कूल प्रबंधन को पढ़ाई ऑनलाइन या ऑफलाइन कराने के संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई है। पिछले शैक्षणिक वर्ष में विलंब से पढ़ाई शुरू होने के कारण पहली से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम कम कर दिए गए थे। इस शैक्षणिक वर्ष में पढ़ाई का नियोजन किस प्रकार होगा, इसकी प्रतिक्षा स्कूलों को है। अब स्कूलों को शिक्षा विभाग के टाइम टेबल का इंतजार है। टाइम टेबल मिलते ही स्कूलों के कामकाज का नियमित शुरू हो जाएगा।

3 आरोपियों को जमानत देने का आदेश दिया: एचसी

अकांशु उपाध्याय            

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में यूएपीए के तहत जेल में बंद आसिफ इकबाल तान्हा, देवांगन कलीता और नताशा नरवाल को नियमित जमानत दे दी है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अजय जयराम भांभानी की बेंच ने नियमित जमानत देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस मामले में 740 गवाह हैं। इन गवाहों में स्वतंत्र गवाहों के अलावा सुरक्षित गवाह, पुलिस गवाह इत्यादि शामिल हैं। ऐसे में इन आरोपितों को इन 740 गवाहों की गवाही खत्म होने तक जेल के अंदर नहीं रखा जा सकता है। कोरोना के वर्तमान समय में जब कोर्ट का प्रभावी काम बिल्कुल ठप हो गया है। कोर्ट क्या उस समय तक का इंतजार करे जब तक कि आरोपितों के मामले का जल्दी ट्रायल पूरा नहीं हो जाता है।

कोर्ट ने तीनों आरोपितों को पचास-पचास हजार रुपये के निजी और दो स्थानीय जमानतियों के आधार पर जमानत देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने तीनों को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि तीनों आरोपित वैसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे केस प्रभावित हो। आसिफ इकबाल तान्हा जामिया यूनिवर्सिटी का छात्र है। उसे मई 2020 में दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था। नताशा नरवाल और देवांगन कलीता पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य हैं। दोनों को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। तीनों पर दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप है।

दंगों में साजिश रचने के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब तक 18 लोगों को आरोपित बनाया है। जिन लोगों को आरोपित बनाया गया है उनमें ताहिर हुसैन, सफूरा जरगर, उमर खालिदखालिद सैफीइशरत जहांमीरान हैदरगुलफिशाशफा उर रहमानआसिफ इकबाल तान्हाशादाब अहमदतसलीम अहमदसलीम मलिकमोहम्मद सलीम खानअतहर खानशरजील इमामफैजान खाननताशा नरवाल और देवांगन कलीता शामिल हैं। सफूरा जरगर को पहले ही मानवीय आधार पर जमानत मिल चुकी है।

अनियमितता के मामले की जांच कराये जाने की मांग

नरेश राघानी             

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार से अयोध्या में कथित राममंदिर जमीन खरीद में अनियमितता के मामले की जांच कराये जाने की मांग की हैं। गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिए यह मांग करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को अविलंब इस मामले की जांच करानी चाहिए जिससे लोगों की आस्था एवं विश्वास बना रहे एवं देशवासियों की आस्था के साथ खिलवाड़ के दोषियों को सजा मिल सके। उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता ने आस्था के साथ राम मंदिर निर्माण में देशभर में सर्वाधिक योगदान दिया था। लेकिन निर्माण कार्य की शुरुआत में ही चन्दे के गबन की खबरों से आमजन की आस्था डिग गई है। कोई विश्वास नहीं कर पा रहा है कि मिनटों में कैसे जमीन का दाम दो करोड़ रुपये से 18 करोड़ रुपये हो गया।

संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए तैयारी शुरू की

हरिओम उपाध्याय               

लखनऊ। बच्चों के लिये खतरनाक मानी जा रही कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने एहतियात के तौर पर अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को दवा किट के वाहनो को सभी 75 जिलों के लिये रवाना किया। दवा किट शून्य से एक साल, एक से पांच साल और छह से 12 साल के बच्चों के लिये अलग अलग है। जिसमें बुखार के लिये पैरासिटामाल सिरप अथवा गोलियां, मल्टीविटामिन सिरप अथवा गोली और ओआरएस वगैरह शामिल है। छह से 12 साल के बच्चों को संक्रमण की दशा में एविरवैक्टिम टैबलेट छह मिग्री की गोलियाें को दवा किट में शामिल किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग ने इस बारे में पैम्पलेट भी वितरित किये है। जिसमें संक्रमण के लक्षणों की पहचान के बारे में लिखा है। जैसे बच्चे का लगातार रोना, खाने पीने से मना करना, 100 डिग्री सेल्सियस से अधिक बुखार आना, दस्त लगना आदि शामिल है। सरकार ने संक्रमण के संभावित खतरे से निपटने के लिये हर जिले में बच्चों के लिये अलग से वार्ड और आईसीयू की भी व्यवस्था की है। सरकार ने 75 जिलों में कुल 50 लाख किट भेजी जायेंगी। अभी 17 लाख किट जिलों को भेजी गई हैं जबकि बाद में 33 लाख दवाओं की किट और भेजी जाएंगी। मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखा कर दवा किट के वाहनो को रवाना किया। उन्होने कहा कि बेहतर टीम प्रबंधन की बदौलत सरकार कोरोना की पहली और दूसरी लहर से निपटने में सफल रही है। अब सरकार की तैयारी संभावित तीसरी लहर से लड़ने की है। इसके लिये हर मेडिकल कॉलेज तथा जिला अस्पतालों में बच्चों के आइसीयू (पीकू) वार्ड तेजी से स्थापित हो रहे हैं।

उन्होने आगाह किया कि दूसरी लहर का प्रकोप राज्य में कम हुआ है, मगर वायरस अभी गया नहीं है। इस लिये लोगों को सामाजिक दूरी बनाये रखने के साथ साथ मास्क का प्रयोग करना अनिवार्य है और बार बार हाथ धोना चाहिये। उन्होने कहा कि संक्रमण की रोकथाम में निगरानी समितियाें का काम सराहनीय रहा है वहीं आंगनबाड़ी और आशाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को वैक्सीनेशन के लिये जागरूक करने की दिशा में अच्छा काम किया है। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह के अलावा मुख्य सचिव आरके तिवारी तथा अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद मौजूद थे।

शरणार्थियों को नागरिकता, याचिका पर सुनवाई टली

अकांशु उपाध्याय           
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ़्ते के लिए टाल दी है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के वकील ने केंद्र के हलफनामे पर जवाब देने के लिए और समय देने की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। याचिका में केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है।
जिसमें सरकार ने पांच राज्यों के कुछ जिलों में शरणार्थियों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की इजाजत दी है। केंद्र सरकार का कहना है कि नागरिकता 1955 के क़ानून के आधार पर दी जा रही है। इसका नागरिकता संशोधन कानून से कोई संबंध नहीं है।
 केन्द्र के 28 मई को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब के 13 जिलों के कलेक्टर को गैर मुस्लिम शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई शामिल) को नागरिकता के लिए अर्जी स्वीकारने की इजाज़त दी थी। 2016 में 16 जिलों में ये इजाज़त दी गई थी।

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जनपद के टाउन हॉल में मंगलवार को सामाजिक न्याय क्रांति मोर्चा ...