हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष रमेश सिंह ने उप-मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि बोर्ड परीक्षा को निरस्त कर दिए जाने के बाद परीक्षार्थियों का परीक्षा शुल्क वापस न किए जाने का कोई कारण नहीं दिखाई देता। जब परीक्षाओ के आयोजन पर होने वाले अधिकांश व्यय बच गये हों तो निश्चित रूप से परीक्षार्थियों का शुल्क उनके बैंक खातों में बोर्ड द्वारा अंतरित किया जाना चाहिए।
मंगलवार को प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ क कार्यकारी अध्यक्ष रमेश सिंह ने कहा कि परीक्षा शुल्क किसी भी दशा में एकमुश्त विद्यालयों को न दिया जाये। क्योंकि इससे उस धनराशि के दुरुपयोग होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। चूंकि छात्रवृत्ति हेतु अधिकांश परीक्षार्थियों के बैंक खाते खुले हुए हैं। जिसका पूरा लेखा-जोखा न केवल विद्यालय बल्कि विभाग के पास उपलब्ध है। इसलिए सम्बन्धित परीक्षार्थियों के खातों में शुल्क वापस करने में कोई कठिनाई भी नहीं है।
जिन परीक्षार्थियों के बैंक खाते उपलब्ध न हों, सम्बन्धित विद्यालयों के माध्यम से उनका बैंक खाता खुलवाते हुए उनका परीक्षा शुल्क वापस करने की व्यवस्था की जाय।उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ का यह स्पष्ट मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन हेतु की गयी तैयारियों पर हो चुके छोटे-मोटे व्यय काटकर शेष परीक्षा शुल्क वापस पाना परीक्षार्थियों का मौलिक अधिकार है और बोर्ड द्वारा उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। यदि परीक्षा शुल्क वापस करने में किसी तरह की आनाकानी बोर्ड या विभाग द्वारा की जाती है तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ सड़क से लेकर न्यायालय तक इस लड़ाई को लड़ने के लिए विवश होगा जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व बोर्डध् विभाग एवं सरकार पर होगा।