सोमवार, 7 जून 2021

साध्वी ने 'मस्जिद' में हवन करने का ऐलान किया

सुनील चौबे   
अलीगढ़। विवादित टिप्पड़ियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाली वीएचपी नेता साध्वी प्राची ने एक बार फिर से कुछ ऐसा कह दिया है, जिसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है। अलीगढ़ के टप्पल से हिंदू परिवारों के पलायन के बीच साध्वी प्राची ने मस्जिद में हवन किए जाने की बात कही है। उनके इस ऐलान के बाद गांव में हड़कंप मचा हुआ है। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि गांव में पुलिस फोर्स की तैनाती करनी पड़ी है। साध्वी प्राची के हवन की बात सुनकर गांव का माहौल काफी खराब हो गया है।
बतादें कि मुस्लिमों द्वारा दलितों की बारात पर हमला किए जाने की खबर के बाद साध्वी प्राची ने गांव की मस्जिद में हवन का ऐलान कर दिया था। रविवार को साध्वी प्राची खुद तो टप्पल के नूरपुर गांव नहीं पहुंची लेकिन भगवा दलों के कई कार्यकर्ताओं ने गांव के भीतर घुसने की कोशिश की थी। लेकिन पुलिस ने उन्हें भीतर जाने से रोक दिया। इस दौरान उनकी पुलिस के साथ तीखी बहस भी हो गई। हालांकि सभी को गांव में नहीं घुसने दिया गया। साध्वी प्राची का दौरा अब तक कैंसिल नहीं हुआ है इसीलिए मामला अब भी संजीदा बना हुआ है।
बारात पर मस्जिद के सामने हुआ था हमला
खबर के मुताबिक 26 मई को नूरपुर गांव में एक हिंदू की बारात मस्जिद के सामने से होकर गुजर रही थी तभी बारात पर लाठी-डंडों से हमला किया गया था। मजिस्द के सामने गाना बजाए जाने को लेकर मुस्लिमों ने आपत्ति जताई थी। बारात पर हुए हमले में कई लोग घायल भी हो गए थे। इस घटना से डरे लोगों ने गांव छोड़ने के लिए घर के आगे मकान बिकाऊ है के पोस्टर्स लगा दिए थे।
दोषियों की सजा दूसरों के लिए बनेगी मिसाल’
जब इस घटना का वीडियो वायरल हुआ तो अलीगढ़ के बीजेपी सांसद सतीश गौतम और विधायक अनूप प्रधान गांव पहुंचे थे। सांसद ने पीड़ितों को भरोसा देते हुए कहा था कि सीएम योगी के राज में किसी को भी पलायन करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। उन्होंने कहा था कि दोषियों को ऐसी सजा मिलेगी जो दूसरों के लिए मिसाल बनेगी। वहीं आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। उन्हें गिरफ्तार करने की लगातार कोशिश की जा रही है।

कोरोना टीकों का बच्चों पर परीक्षण शुरू किया गया

 अविनाश श्रीवास्तव   

पटना। कोरोना वायरस संक्रमण से बच्चों के बचाव की तैयारी की जा रही है। स्वदेश निर्मित कोवैक्सीन के टीके के बच्चों में परीक्षण के लिए, यहां के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सोमवार से दो वर्ष के बच्चे से 18 साल तक के किशोर की जांच शुरू हो गई।

पटना स्थित एम्स में बच्चों में यह पता लगाने के लिए परीक्षण शुरू हो गया है कि क्या भारत बायोटेक के टीके बच्चों के लिए ठीक हैं ? जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बच्चों को टीके लगाए जाएंगे। यह परीक्षण 525 स्वस्थ बच्चों पर किया जाएगा जिसके तहत बच्चों को टीके की दो खुराकें दी जाएगीं। इनमें से पहली खुराक के 28वें दिन दूसरी खुराक दी जाएगी। एम्स के ‘सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन’ के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा, ‘‘कोवैक्सीन के परीक्षण के लिए बच्चों की जांच शुरू कर दी गई है और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बच्चों को टीके की खुराक दी जाएगी।’’ भारत के दवा नियामक ने कोवैक्सीन का दो साल के बच्चे से ले कर 18 साल की उम्र के किशोरों पर परीक्षण करने की मंजूरी 12 मई को दे दी थी। देश में टीकाकरण अभियान में वयस्कों को कोवैक्सीन के टीके लगाए जा रहे हैं।

सरकार ने पिछले सप्ताह आगाह किया कि कोरोना वायरस संक्रमण का अभी तक भले ही बच्चों में गंभीर प्रभाव नहीं हुआ है, लेकिन वायरस के व्यवहार में परिवर्तन होने पर उनमें इसका प्रभाव बढ़ सकता है । इसके साथ ही सरकार ने कहा कि इस तरह की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी जारी है। निति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि बच्चों में संक्रमण की समीक्षा करने और इससे नई तैयारियों के साथ निपटने के लिए एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस समूह को ऐसे लक्षणों की जांच की है, जो चार-पांच माह पहले नहीं थे। इस दल ने मौजूद आंकड़े, बीमारी के आयाम, वायरस की प्रकृति सहित तमाम चीजों पर गौर किया है और इसके आधार पर नए दिशा निर्देश बने हैं जो शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

पॉल से पूछा गया कि अगर फाइजर का टीका भारत आ जाता है तो क्या 12 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों को इसे लगाया जा सकता है, जैसा कि ब्रिटेन में हो रहा है ? इस पर पॉल ने कहा था कि देश के पास अपने टीके हैं और उन्हें ही बच्चों के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा,‘‘बच्चों की आबादी कोई कम नहीं है। मेरे अनुमान के मुताबिक, 12 से 18 वर्ष के बीच आयु वर्ग के बच्चों की संख्या 13 से 14 करोड़ है और इसके लिए हमें टीके की 25-26 करोड़ खुराकें चाहिए होंगी।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जायडस कैडिला के टीकों का बच्चों पर परीक्षण शुरू हो चुका है।

कोविड के बाद ब्लैक फंगस का अटैक जारी, बचाव

अकांशु उपाध्याय            
नई दिल्ली। कोविड के बाद ब्लैक फंगस का अटैक जिस तरह से बढ़ा है। उसमें बार-बार यह बात कही जा रही है कि जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर हुई है। ब्लैक फंगस उन पर अटैक कर रहा है। साथ ही यह भी कि स्टेरॉयड लेने की वजह से इम्युनिटी कमजोर होती है और इसके गलत इस्तेमाल की वजह से दिक्कत बढ़ रही है।
इस सवाल पर फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में जॉइंट रिप्लेसमेंट डायरेक्टर और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने कहा कि स्टेरॉयड एक तरह का केमिकल है। जो बॉडी में खुद ही हॉर्मोन की तरह बनता है। जब भी किसी को इमरजेंसी होती है उस वक्त ये लाइव सेविंग हार्मोन की तरह काम करता है। जैसे अगर आप सड़क पार कर रहे हैं और अचानक आपके सामने एक गाड़ी आ जाए और एक्सिटेंड होते होते बचे। उस वक्त दिल की धड़कन तेज हो जाती है और तुरंत एक्शन करके आप खुद को बचाने की कोशिश करते हैं।
यह रेस्पॉन्स बॉडी के अंदर स्टेरॉयड के निकलने से होता है जो एड्रीनल ग्लैंड से निकलता है। जब स्टेरॉयड को बाहर से दिया जाता है तो एड्रीनल ग्लैंड अपना काम करना बंद कर देती है और बॉडी के अंदर से बनने वाला स्टेरॉयड नहीं बनता है। बाहर से दिए गए स्टेरॉयड के असर की वजह से इंफ्लेमेशन बहुत कम हो जाता है। इसी वजह से इम्युनिटी कम होती है क्योंकि इम्युनिटी एक तरह का इंफ्लेमेशन ही होता है।
धर्मशिला सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. अंशुमान कुमार ने कहा कि अगर शरीर में कहीं इंफ्लामेशन हो रहा है तो स्टेरॉयड उसे कम करने का काम करता है। तो पहले यह समझा जाए कि ये इंफ्लामेशन क्या होता है? डॉ. अंशुमान ने बताया कि जब भी कोई एंटीजन यानी कि बाहरी एलिमेट बॉडी में आता है, जैसे कोरोना वायरस तो इसमें तीन तरह की संभावना रहती है। पहली ये कि कुछ नहीं होगा यानी कोई लक्षण नहीं होंगे इसका मतलब है कि बॉडी में एंटीबॉडी बहुत कम मात्रा में बन रही है और एंटीजन के साथ कोई लड़ाई नहीं हुई है बल्कि बॉडी ने उस वायरस को स्वीकार किया है और धीरे धीरे एंटीबॉडी बना रहा है।
दूसरी आशंका होती है कि हल्की सर्दी खांसी या बुखार हो। यानी हल्का इंफ्लामेटरी रिस्पॉन्स आया। मतलब यह कि बॉडी ने एंटीबॉडी बनाया और वायरस के साथ लड़ाई हुई और बॉडी को उसका अहसास भी हुआ। तीसरी संभावना होती है गंभीर केस। यानी कि वायरस और एंटीबॉडी के बीच लड़ाई इतना ज्यादा हो गई कि उससे शरीर के दूसरे हिस्सों में भी डैमेज होने लगा। जब यह इंफ्लेमेटरी रिस्पॉन्स बहुत ज्यादा हो जाता है तो लंग्स में भी इंजरी होती है। ऐसे में स्टेरॉयड मदद करता है। स्टेरॉयडी एंटी इंफ्लामेटरी काम करता है। 
इंफ्लामेटरी का मतलब यह कि एंटीजन और एंटीबॉडी के बीच जो लड़ाई हो रही है और इसमें प्रतिरोधक क्षमता बनने की प्रक्रिया में शरीर में जो चेंज होने लगते हैं। यह कम भी हो सकते हैं और ज्यादा भी। डॉ. अंशुमान कुमार कहते हैं कि स्टेरॉयड की यह प्रॉपर्टी होती है कि अगर बिना जरूरत के स्टेरॉयड दिया तो वह इम्यून सिस्टम पर काम करने लगता है। जब लोग बिना जरूरत के, लंबे वक्त तक या फिर गलत तरीके से स्टेरॉयड लेते हैं तो यह इम्यून सिस्टम को दबाने लगता है। अगर डॉक्टर की देखरेख में स्टेरॉयड लेंगे तो वह घातक नहीं होगा क्योंकि डॉक्टर तभी स्टेरॉयड देंगे जब बॉडी का इंफ्लामेटरी रिस्पॉन्स ज्यादा होगा। ऐसे में स्टेरॉटड इंफ्लामेटरी रिस्पॉन्स को कम करने में ही खप जाता है और इम्युनिटी पर गलत असर नहीं डालता। हालांकि स्टेरॉयड ब्लड शुगर भी बढ़ाता है। ऐसे में डॉक्टर की निगरानी में स्टेरॉयड लिया जाए तो ब्लड शुगर भी मॉनिटर होती है।
डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने कहा कि जब कम वक्त के लिए मरीज को स्टेरॉयड देने से उसकी बॉडी की रिकवरी तेज होने लगती है और शरीर का दर्द कम होता है। फिर मरीज इसे बिना डॉक्टर की सलाह के भी खाने लगता है जिसकी वजह से उसके साइड इफेक्ट होते हैं। इम्युनिटी कम हो जाना, शरीर में सूजन आ जाना, बॉडी में पानी भर जाना इसके साइडइफेक्ट हैं। 
कभी कभी डॉक्टर एनाबोलिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं जिसका मतलब है कि बॉडी के मेटाबॉलिजम को बेहतर करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसका कई लोग बॉडी बिल्डिंग में गलत इस्तेमाल करते हैं। एथलीट में स्टेरॉयड का गलत इस्तेमाल न हो इसलिए नैशनल- इंटरनैशनल गेम्स में डोप टेस्ट का प्रावधान है।
कुछ बीमारियों में स्टेरॉयड का इस्तेमाल लंबे वक्त तक किया जाता है। जैसे गठिया (रियुमेटॉइड आर्थराइटिस), ऑटो इम्यून डिसऑर्डर। कभी कभी कुछ बीमारियों में जब बॉडी में स्टेरॉयड बनना कम होता है तो थोड़ी मात्रा में डॉक्टर की सलाह पर स्टेरॉयड लेने से बॉडी नॉर्मल काम करती है। जब एक्सिडेंट के बाद मरीज शॉक में जाता है तब भी हम स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर मरीज की जान बचाते हैं। 
उन्होंने कहा कि जब किसी भी बीमारी की वजह से या किसी और वजह से शरीर में स्टेरॉयड कम हो जाता है तो इसे हम दवा की तरह देते हैं। इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल गर्भ निरोधक गोलियों में होता है। इन गोलियों में भी स्टेरॉयड होता है। किसी को अगर गंभीर कोरोना हुआ है और स्टेरॉयड से इलाज किया गया है तो फिर इम्युनिटी ठीक होने में कितना वक्त लगता है? डॉक्टर्स के मुताबिक आम तौर पर हम चार हफ्ते का वक्त रखते हैं। कोविड से रिकवरी हो गई है तो 4 हफ्तों तक सावधानी बरतते हैं। स्टेरॉयड लिया है तो दो हफ्तों तक इम्युनिटी कम होगी और उसके बाद दो हफ्ते रिकवरी में लगते हैं। इसलिए हम चार हफ्ते एहतियात बरतने को कहते हैं। लेकिन अगर किसी की डायबिटीज अनकंट्रोल्ड है तो उसे लंबा वक्त भी लग सकता है। वैसे 4 हफ्ते बाद सामान्य तौर पर इम्युनिटी सिस्टम नॉर्मल काम करने लगता है।
इम्युनिटी का ऐसे कोई अलग टेस्ट नहीं होता। 
डॉक्टर्स के मुताबिक शरीर में सेल्स और एंटीबॉडी होती है। खून में वाइट ब्लड सेल्स होते हैं और उसमें फिर पांच टाइप के सेल होते हैं। वाइट ब्लड सेल्स की सामान्य संख्या प्रति क्यूबिक मिलीमीटर खून में 4 हजार से 11 हजार तक होती है। इसके अलावा शरीर में पांच टाइप के एंटीबॉडी होते हैं। इनका अलग टेस्ट होता है। यह भी हो सकता है कि वाइट ब्लट सेल की संख्या ठीक हो लेकिन फिर भी इम्युनिटी कम हो। हो सकता है कि एंटीबॉडी नहीं हो। इन सबकी मात्रा हर मरीज पर टेस्ट नहीं कर सकते हैं। इसलिए हम ये मान सकते हैं कि जिनको गंभीर तौर पर कोविड हुआ है तो उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर डायबिटीज के मरीज, कैंसर के मरीज या फिर ऐसे किसी शख्स को कोविड हुआ है जिसका कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है या वो इम्युनोसप्रेसिव ड्रग्स (इम्यून को दबाने वाली दवाई) ले रहा तो इसमें इम्युनिटी में गड़बड़ी देखने को मिलती है। ऐसे मरीजों को ज्यादा ऐहतियात बरतना होता है।
डॉ. अंशुमान के मुताबिक इम्युनिटी की ऑटोरिकवरी होती है। 
मतलब जैसे ही बॉडी की वायरस से लड़ाई खत्म हुई एंटीबॉडी बनता है। बोन मैरो, थाइमस सहित शरीर के कई अंगों में इम्युनटी के सेल्स बनते हैं और सर्कुलेटिंग एंटीबॉडी बनता है। अगर इन सारे अंग के फंक्शन सही हैं तो दो हफ्ते बाद अपने आप इम्युनिटी ठीक हो जाती है। इसे सपोर्ट के लिए प्रोटीन की मात्रा अच्छी खानी चाहिए क्योंकि एंटीबॉडी बनता ही प्रोटीन से है। कोई अगर प्रोटीन ना ले तो बोन मैरो काम भी कर रहा होगा तो वह एंटीबॉडी नहीं बना पाएगा। विटामिन सी एंटीबॉडी बनाने में काम करता है। 
आयरन इसमें सपोर्ट करता है। इसलिए इन सबकी कमी नहीं होनी चाहिए। खाने में यह लेना चाहिए और इम्युनिटी की ऑटोरिकवरी हो जाती है। डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने कहा कि संतुलित आहार लेने से सभी की इम्युनिटी नॉर्मल रही है। जब शरीर में किसी भी चीज के कमी होती है तो उसे सप्लिमेंट के तौर पर दिया जाता है। जैसे विटामिन सी, जिंक, विटामिन डी और दूसरे सप्लिमेंट। कई ऐसे मैसेज सर्कुलेट हो रहे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि वैक्सीन लगाने के कुछ वक्त बाद तक इम्युनटी कम रहती है। क्या यह सही है? डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने कहा कि किसी भी वैक्सीन के देने से बॉडी की इम्युनिटी पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। बल्कि वैक्सीन इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए ही दी जाती है। बच्चों में तो एक साथ कई वैक्सीन दी जाती हैं।

उम्र के हिसाब से बढ़ती-घटती इम्युनिटी...

डॉ. अंशुमान कहते हैं कि कम उम्र में इम्यून सबसे तेज होता है। लेकिन एक साल से छोटे बच्चे में इम्युनिटी विकसित नहीं होती है। 60 साल से ज्यादा उम्र में भी इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। जिस तेजी से युवाओं में इम्यून सिस्टम काम करेगा उतना 60 साल से ज्यादा उम्र में रिस्पॉन्स नहीं करेगा। इम्यून सिस्टम बॉडी के सिगनल पर काम करता है। अगर बॉडी में कोई वायरस (एंटीजन) आया तो उस मैसेज को अंगों तक पहुंचाने का बॉडी का सिगनल कमजोर पड़ता है और ज्यादा उम्र में प्रोटीन की मात्रा भी कम होती है। इसलिए इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। अगर खानपान सही हो और स्वस्थ हो तो बच्चों से लेकर अडल्ट तक यानी 18 साल तक सबसे अच्छा इम्यून सिस्टम होता है।

बस स्टैंड पर आतंकियों का ग्रेनेड से हमला, घायल

पुलवामा। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल इलाके में स्थित बस स्टैंड पर आतंकियों ने रविवार शाम को ग्रेनेड से हमला कर दिया। इस हमले में वहां तैनात सीआरपीएफ जवानों को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन राह चलते सात लोगों को मामूली चोटे आईं हैं। सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उधर, आतंकी हमला कर मौके से भाग निकले। सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर आतंकियों की धर-पकड़ के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। खबर लिखने तक तलाशी अभियान जारी था तथा किसी भी आतंकी के पकड़े या मारे जाने की कोई सूचना नहीं थी।

दिल्ली-नोएडा के बीच आज से चलनी शुरू होगीं मेट्रो

विजय भाटी                  
गौतमबुद्ध नगर। ग्रेटर नोएडा के बीच मेट्रो बुधवार से चलेगी। वहीं दूसरी ओर दिल्ली-नोएडा के बीच मेट्रो सोमवार से चलनी शुरू होगी।
दिल्ली-नोएडा के बीच चलने वाली मेट्रो का संचालन डीएमआरसी करता है। जबकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच मेट्रो चलाने का जिम्मा नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एनएमआरसी) के पास है। 
डीएमआरसी सोमवार से मेट्रो चलानी शुरू कर देगी। ऐसे में दिल्ली के द्वारका से सेक्टर-62 इलेक्ट्रॉनिक सिटी और जनकपुरी से सेक्टर-38 बॉटनकिल गार्डन तक मेट्रो चल सकेगी। इससे दिल्ली-एनसीआर आने-जाने वाले नोएडा वासियों का सफर आसान हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर एनएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच मेट्रो सोमवार से नहीं बल्कि बुधवार से चलेगी। कोरोना से बचाव को देखते हुए सभी एतिहयात बरतते हुए मेट्रो चलाई जाएगी।

यूपी: 24 घंटे में संक्रमित संख्या 1 हजार से भी कम

हरिओम उपाध्याय            
लखनऊ। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की रणनीति के चलते उत्तर प्रदेश को कोरोना से राहत मिलने लगी है। यहां किसी भी जिले में बीते 24 घंटे में मिलने वाले कोरोना मरीजों की संख्या 100 से भी कम दर्ज हुई है। वहीं, पूरे प्रदेश में यह संख्या एक हजार से भी कम है। जबकि रिकवरी रेट 97.8 प्रतिशत दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह जानकारी सोमवार  कोविड-19 प्रबंधन की समीक्षा बैठक में को टीम-09 ने दी। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में बीते 24 घंटे में कोरोना के कुल 727 नए केस सामने आए हैं। इसके विपरीत, 02 हजार 860 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। इस समय प्रदेश में कुल एक्टिव केसों की संख्या 15 हजार, 681 हैं। इस बीच रविवार को 3.88 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई। वहीं, 3 लाख 09 हजार 674 टेस्ट किए गये। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में कुल 05 करोड़, 13 लाख, 42 ​हजार 537 टेस्ट किये जा चुके हैं। 
अधिकारियों ने बताया कि दो जनपदों में कोरोना का कोई भी केस नहीं है। प्रदेश के 47 जनपदों में इकाई में कोरोना मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, 26 जनपद ऐसे हैं, जहां संक्रमित केस दहाई में हैं। उन्होंने कहा कि एक भी ऐसा जनपद नहीं है, जहां 100 से अधिक कोरोना मामले हैं।  
 प्रदेश के 02 करोड़, 02 लाख, 54 हजार नागरिकों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि अब केवल तीन जनपद मेरठ, लखनऊ और गोरखपुर में 600 से ज्यादा सक्रिय मामले हैं। यहां क्रमश: 898, 777 और 623 कोरोना के मामले हैं। इनके अलावा अन्य सभी जिले कोरोना कर्फ्यू से मुक्त हो गए हैं। घरों में एकांतवास करने वाले मरीजों की संख्या 9 हजार, 286  है। अधिकारियों ने बताया कि कल प्रदेश में 324 मीट्रिक टन ऑक्सीजन वितरित की गई।

सीजी: ब्लैक फंगस का आंकड़ा बढ़कर 259 हुआ

दुष्यंत टीकम                  
रायपुर। प्रदेश में ब्लैक फंगस तेजी से पांव पसारता दिख रहा है। 5 मई को जो आंकड़ा 229 था वह 6 मई को बढ़कर 259 पहुंच गया है। बता दें कि एम्स में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या रविवार को 152 पहुंच गई। इनमें से 73 मरीजों का आपरेशन हुआ है। सेक्टर-9 भिलाई में 17 और मेकाहारा में अब तक 25 का आपरेशन हो चुका है। 
सर्वाधिक आंकड़े दुर्ग से  दुर्ग में अब तक 67 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं राजधानी रायपुर में 48, बिलासपुर में 33, रायगढ़ में 21, राजनांदगांव में 16 और जांजगीर-चांपा में 14 मरीजों की पुष्टि हुई है।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...