शनिवार, 5 जून 2021
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कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में हैं: शिवराज
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में है। प्रदेश में कल 81 हजार टेस्ट हुए थे।जिनमें केवल 718 पॉजीटिव प्रकरण आए हैं। पॉजिटिविटी रेट अब घटकर 0.8 प्रतिशत हो गया है।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौहान स्मार्ट सिटी पार्क में वृक्षारोपण के उपरांत मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पाँच जिले ऐसे हैं। जिनमें कल कोरोना का एक भी प्रकरण नहीं आया। हमें आशा है कि प्रदेश के कई जिले अगले कुछ दिनों में पूरी तरह कोरोना मुक्त हो जायेंगे।
उन्होंने कहा कि अभी इंदौर, भोपाल और जबलपुर में कोरोना के प्रकरणों की कुछसंख्या हैं, अभी लगातार सावधानी रखी जा रही है। अगर पाँच प्रतिशत से कम पॉजिटिविटी दर होती है तो कोरोना संक्रमण नियंत्रण में माना जाता है। हम 0.8 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट पर पहुँच चुके। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौहान ने कहा कि अभी भी जनता का सहयोग आवश्यक है। ग्राम, वार्ड, नगर और जिलों की क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियाँ अनलॉक की प्रक्रिया में पूरी सतर्कता बरत रही हैं। हमें कोविड अनुकूल व्यवहार अर्थात मास्क लगाना, दूरी बनाए रखना, बार-बार हाथ साफ करना आदि को अपनी आदत में शामिल करना होगा। दुकानदारों को भी दूरी बनाये रखने, दुकानों पर भीड़ नहीं लगने देने जैसी सावधानियों को अपनाना होगा।
प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना भारतीय लोकाचार
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना भारतीय लोकाचार के केंद्र में रहा है।विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है।
कोविंद ने ट्वीट किया, "प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना और जैव विविधता की रक्षा करना भारतीय लोकाचार और संस्कृति के केंद्र में रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस पर, जब मानवता कोविड-19 के खिलाफ लड़ रही है, हम एक स्थायी भविष्य के लिए वैश्विक समुदाय के साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।"
लीज बढ़ाने से मना किया, वापिस रूस भेजी पनडुब्बी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। रूस से 10 साल की लीज पर ली गई पनडुब्बी आईएनएस चक्र शुक्रवार को वापस चली गई। दरअसल, भारत ने लीज अवधि को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। आईएनएस चक्र भारतीय नौसेना के पास इकलौती ऐसी पनडुब्बी थी, जो परमाणु हमला करने की क्षमता से लैस थी। अब भारत को चार साल बगैर परमाणु पनडुब्बी के गुजारने पड़ेंगे, क्योंकि रूस से 2025 में 10 साल के लिए परमाणु क्षमता से लैस दूसरी पनडुब्बी मिलेगी।
भारत ने 2012 में लगभग 1 बिलियन डॉलर की लागत से परमाणु हमला करने में सक्षम पनडुब्बी आईएनएस चक्र को 10 वर्षों की अवधि के लिए पट्टे पर लिया गया था। अकुला-2 श्रेणी की आईएनएस चक्र को 04 अप्रैल, 2012 को भारतीय नौसेना में शामिल करके विशाखापत्तनम में तैनात किया गया था। इस पनडुब्बी की दस साल की लीज जनवरी, 2022 में समाप्त होने वाली है लेकिन पट्टे की समाप्ति से लगभग दस महीने पहले उसे रूस को लौटा दिया गया है। 8,140 टन की पनडुब्बी वर्तमान में रूस के व्लादिवोस्तोक के रास्ते में है। पनडुब्बी को एक भारतीय दल संचालित कर रहा है। उसके साथ एक रूसी और भारतीय युद्धपोत भी जा रहा है।
भारत के पास इस समय दो परमाणु संचालित पनडुब्बियां थीं, जिसमें से आईएनएस चक्र को लीज खत्म होने से पहले ही रूसी शिपयार्ड में वापस भेज दिया गया है। दरअसल भारत ने पट्टे की अवधि 10 साल से आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। अब भारतीय नौसेना के पास स्वदेश निर्मित परमाणु चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत बची है, जो बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस है। लीज खत्म होने से पहले पनडुब्बी आईएनएस चक्र की वापसी उसके 'अविश्वसनीय पावरप्लांट और रखरखाव के मुद्दों' की वजह से आवश्यक हो गई थी। इसका उपयोग भारतीय नौसेना ने उन्नत परमाणु पनडुब्बियों पर कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए किया था। इसी का नतीजा था कि नौसेना के अधिकारियों को भारत में निर्मित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों, आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट पर कार्य करने की दक्षता हासिल हुई।
भारत ने 2019 में रूस से अकुला श्रेणी की तीसरी परमाणु संचालित हमला पनडुब्बी आईएनएस चक्र-III को पट्टे पर देने के लिए 3.3 बिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत रूस से 2025 तक पनडुब्बी चक्र-II की जगह चक्र-III भारतीय नौसेना को सौंप दिए जाने की संभावना है। रूस से 3.3 बिलियन डॉलर के सौदे में भारतीय संचार और सेंसर सिस्टम के साथ पनडुब्बी का नवीनीकरण, स्पेयर पार्ट सपोर्ट और इसके संचालन के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे का प्रशिक्षण शामिल है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय संधियों के कारण नई पनडुब्बी लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलों से लैस नहीं होगी।
भारतीय नौसेना को इस समय पनडुब्बियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उसने पिछले 15 वर्षों में तीन पनडुब्बियों को सेवा से हटा दिया है। भारतीय नौएना ने आईएनएस वेला को जून 2010 में, आईएनएस वागली को दिसम्बर, 2010 में और आईएनएस सिंधुरक्षक को जून, 2017 में डिकमीशन कर दिया गया था। हिन्द महासागर में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को स्वदेशी प्रोजेक्ट-75आई के तहत छह स्टील्थ पनडुब्बियों का निर्माण करने की मंजूरी 04 जून को ही मिली है। विदेशी सहयोग से घरेलू निर्माण के लिए 14 साल से लंबित 43 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना की पनडुब्बियों को नौसेना के बेड़े में शामिल होने में लगभग एक दशक लगेगा।
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