गुरुवार, 3 जून 2021

बिलों के भुगतान का विवरण सार्वजनिक करने की मांग

हरिओम उपाध्याय              

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार से प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना का इलाज कराने वाले मरीजों के बिलों के भुगतान का विवरण सार्वजनिक करने की मांग की है। अखिलेश यादव ने गुरूवार को ट्वीट किया "उप्र की भाजपा सरकार ने बड़े जोर शोर से प्रचारित किया था कि वो कोरोना के प्राइवेट इलाज का खर्चा देगी। अब भाजपा सरकार बताए कि अभी तक जनता के कितने बिलों का भुगतान किया है। भाजपा सरकार जनता के सामने आँकड़े रखे।" सपा अध्यक्ष ने सरकार से ब्लैक फंगस के भी मुफ्त इलाज कराने की घोषणा करने की मांग की। उन्होने लिखा "साथ ही सरकार 'ब्लैक फंगस' के भी मुफ़्त इलाज की तत्काल घोषणा करे।"

विंडोज का नया वर्जन जल्द पेश करेगा 'माइक्रोसॉफ्ट'

वाशिंगटन डीसी। माइक्रोसॉफ्ट कार्प आगामी 24 जून को विंडोज साॅफ्टवेयर का नया वर्जन पेश करेगा।माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्या नडेला ने यह जानकारी दी। उन्हाेंने बताया कि अपडेट सॉफ्टवेयर में डिज़ाइन में बदलाव समेत क्रियेटर्स एवं डेवलपर्स के लिए ऐप स्टोर और अन्य फीचर्स के जरिए अतिरिक्त सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सत्या नडेला पहले ही कह चुके हैं कि नया सॉफ्टवेयर अपडेट को इस दशक के ऑपरेटिंग सिस्टम में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव करार दे चुके हैं।

टीकाकरण नीति: पीएम को चौपट राजा करार दिया

अकांशु उपाध्याय               

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक बार फिर से केंद्र की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाते हुए कुछ आंकड़े जारी किए हैं और केंद्र सरकार की टीकाकरण नीति को अंधेर वैक्सीन नीति और प्रधानमंत्री को चौपट राजा करार दिया है। बृहस्पतिवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि मई में वैक्सीन उत्पादन क्षमता 8.5 करोड़ जबकि वैक्सीन का उत्पादन 7.94 करोड़ और लोगों को वैक्सीन लगी 6.1 करोड़। इसके बावजूद जून में सरकारी दावा 12 करोड़ वैक्सीन आएगी? 

प्रियंका ने पूछा है आखिर यह आएगी कहां से? क्या देश में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर रही दोनों कंपनियों की उत्पादन क्षमता में एकाएक 40 प्रतिशत का इजाफा हो गया है? उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा है कि वैक्सीन के लिए बजट में निर्धारित किए गए 35000 करोड रुपए कहां खर्च किए गए हैं? उन्होंने केंद्र की वैक्सीन नीति को अंधेर वैक्सीन नीति और चौपट राजा करार दिया है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से निपटने के मामले में मोदी सरकार वैक्सीनेशन नीति को लेकर चारों तरफ से बुरी घिरी हुई है। विपक्ष के लगातार करारे प्रहार झेल रही केंद्र सरकार को देश की सुप्रीम कोर्ट ने भी जमकर फटकार लगाई है। 

उच्चतम न्यायालय ने कोरोना संक्रमण से बचाव की 18 से 44 साल की उम्र के लिए लागू मौजूदा वैक्सीन नीति को तर्कहीन और मनमाना करार दिया है। उधर सरकार का दावा है कि समूचे देश में अभी तक 22 करोड़ से अधिक कोरोना वैक्सीन की डोज लोगों को लगाई जा चुकी है। कोरोना वैक्सीनेशन को आगे बढ़ाने की केंद्र की नीति इस समय चैतरफा से सवालों से घिरी हुई है। कई राज्य सरकारों ने दावा किया है कि उनके पास वैक्सीन की कमी के चलते उनके राज्य में लोगों का कोरोना टीका करण फिलहाल रोक दिया गया है।

एससी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया ?

अकांशु उपाध्याय          

नई दिल्ली। कोरोना की पहली लहर से हम गुजर जाए। उसके बाद दूसरी लहर से भी अब धीरे-धीरे उभरते जा रहे है। अब कोरोना की लहर के प्रकोप से बचने के लिए देश में वैक्सीनेशन का काम जारी है। अब तक 22 करोड से अधिक व्यक्तियों की वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है। मगर जिस तरह से वैक्सीन की नीतियों को आगे बढ़ाया जाना है। 

उस पर गंभीर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया। अब केंद्र की वैक्सीन का पूरा हिसाब मांग लिया है। 18 से 44 वर्ष के लिए मौजूदा नीति को सुप्रीम कोर्ट ने मनमाना बताया है। केंद्र सरकार अब वैक्सीन नीति को लेकर चारों तरफ घिरती नजर आ रही है। केंद्र सरकार ने 18 से 44 वर्ष उम्र के लिए वैक्सीन का खर्च राज्य सरकार को उठाने के लिए कहा है। इसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट भी सख्त हो गया है।

डीएम ने किया सीएचसी केंद्र का औचक निरीक्षण

अतुल त्यागी, मुकेश सैनी         
हापुड़। जनपद में जिलाधिकारी अनुज सिंह ने दिनेश नगर पिलखुवा सीएचसी केंद्र का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सीएचसी केंद्र पर टीकाकरण हो रहा था। जिलाधिकारी अनुज सिंह के द्वारा सीएचसी केंद्र पर बन रहे ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण की गुणवत्ता का भी जायजा लिया। उन्होंने निर्माणाधीन ऑक्सीजन प्लांट का कार्य जल्द से जल्द पूरा करने हेतु संबंधित को निर्देश दिए। इस अवसर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी रेखा शर्मा उनके साथ उपस्थित रही।

त्रासदी में सरकार का दोष नहीं, बताने का प्रयास

वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी के माध्यम से ये बताया जा रहा है कि ये वैश्विक महामारी है और हर देश प्रभावित है, इसलिए मोदी जी बेचारे क्या कर सकते हैं। इस नरेटिव से सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने का प्रयास जारी है, जबकि सच्चाई यह है कि दुनिया में कोविड के दूसरे लहर का सबसे ज़्यादा असर भारत पर ही पड़ा है। जिस देश का जन स्वास्थ्य तंत्र सुदृढ़ है, वहां इसका असर अपेक्षाकृत कम हुआ।

कोरोना वायरस महामारी के काल में भले ही सभी विश्वविद्यालय बंद हैं, लेकिन वॉटसऐप यूनिवर्सिटी की सक्रियता बदस्तूर जारी है। लोग भले ही महामारी से निपटने में सरकार की विफलता और लापरवाही पर सवाल खड़े कर रहे हों लेकिन वॉटसऐप यूनिवर्सिटी का रिसर्च एक अलग ही नरेटिव खड़ा करने की कोशिश में है। पहला नरेटिव लोगों को सकारात्मक बने रहने की सीख देना है। यह सच है कि इस आपदा का एक मनोवैज्ञानिक पहलू भी है, लेकिन इस मनोवैज्ञानिक पक्ष को सरकार को बचाने के लिए किया जा रहा है।

इस अभियान में आरएसएस प्रमुख से लेकर तमाम स्वयंभू बाबाओं को लगा दिया गया है। सकारात्मकता के इस अभियान का मक़सद लोगों में यह धारणा उत्पन्न करना है कि कोरोना महामारी का समाधान स्प्रिचुअल यानी आध्यात्मिक है और जब समाधान आध्यात्मिक है तो सरकार से क्यों सवाल जवाब करना? वैक्सीन और ऑक्सीजन को निर्यात कर क्यों विदेश भेजा गया? ‘विश्वगुरु’ किस प्रकार कोरोना से अपने नागरिकों को बचा रहा? क्यों महामारी के बचाव से संबंधित उपकरणों (वेंटिलेटर, टेस्ट किट, पीपीई, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर) आदि पर जीएसटी लगाया जा रहा है? क्यों नहीं इस महामारी में इन उत्पादों को मुफ्त या बिल्कुल न्यूनतम दरों पर उपलब्ध कराया जा रहा? पीएम केयर्स फंड के पैसे किस मद में खर्च किए गए?

ऐसे तमाम सवाल लोग फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया साइट्स पर सरकार से पूछ रहे हैं। वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी को यह उम्मीद है कि पाज़िटिव अनलिमिटेड जैसे प्रोग्राम के तहत को अधिक से अधिक संदेश फॉर्वर्ड कर ऐसे सवालों से बचा जा सकता है। दूसरा नरेटिव ये बताने का है ये वैश्विक महामारी है और हर देश प्रभावित है इसलिए मोदी जी बेचारे क्या कर सकते हैं। इस नरेटिव से सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने का हरसंभव प्रयास जारी है। जबकि सच्चाई यह है कि दुनिया में कोविड के दूसरे लहर का सबसे ज़्यादा असर भारत पर ही पड़ा है।

इसके साफ़ मायने हैं कि जिस देश का जन स्वास्थ्य तंत्र सुदृढ़ है, वहां इस वायरस का असर अपेक्षाकृत कम हुआ। जिन देशों ने समय रहते अपने नागरिकों को वैक्सीन लगवा दिया, वहां समस्या गंभीर नहीं हुई। दूसरी तरफ़ भारत में मौत और संक्रमण के आंकड़े को ही छिपाने का सरकारी प्रयास जारी है। मिडिया के अनुसार, कोविड-19 की दूसरी लहर से भारत में 42 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और 70 करोड़ लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। देश-दुनिया की मीडिया प्रधानमंत्री मोदी की असफलता और लापरवाही पर सवाल खड़ा कर रहा है। विभिन्न उच्च न्यायालयों ने मोदी सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल भी उठाया है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2020 के आखिरी हफ़्ते में जब निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव के लिए तारीख़ों का ऐलान किया, तब पश्चिम बंगाल में कोरोना के रोज़ाना 200 से कम पॉज़िटिव केस आ रहे थे, लेकिन आख़िरी चरण तक आते-आते यह आंकड़ा प्रतिदिन क़रीब 900 प्रतिशत बढ़कर 17,500 के ऊपर पहुंच गया। पश्चिम बंगाल में 2 मार्च तक एक भी व्यक्ति की मौत इस वायरस के कारण नहीं हुई थी, लेकिन 2 मई यानी मतगणना के दिन यह आंकड़ा 100 के पार चला गया। डब्ल्यू  तो बड़े धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों को कोरोना फैलाने वाला सुपरस्प्रेडर आयोजन की संज्ञा तक दे दी। इतना ही नहीं अनगिनत तैरती लाशों ने गंगा को शववाहिनी गंगा में तब्दील कर दिया।

तीसरा नरेटिव यह कि केंद्र सरकार की कोई गलती नहीं, सारा दोष राज्य सरकारों का है, जबकि सच्चाई यह है कि महामारी अधिनियम के तहत राज्य सरकार का कार्य लागू करना है। सरकार द्वारा शक्ति का केंद्रीकरण और राज्यों को दोष देना एक साथ नहीं चल सकता। एक तरफ़ तो केंद्र सरकार वैक्सीन प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगा रही है, वहीं दूसरी तरफ़ वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए राज्यों को खुले बाज़ारों के हवाले कर दिया है।

चौथे नरेटिव का प्रोपेगेंडा यह है कि यह दूसरी लहर है ही नहीं, ये तो भारत पर जैविक हमला है, जबकि सच्चाई बिल्कुल भिन्न है। भारत सरकार ने किसी भी स्तर पर ऐसे किसी भी जैविक हमले की बात नहीं की है। रॉ और इंटेलिजेंस ब्यूरो समेत किसी भी सरकारी संस्था ने अब तक ऐसे किसी भी जैविक हमले की आशंका तक ज़ाहिर नहीं की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत समेत दुनिया के हेल्थ एक्सपर्ट ने भी जैविक हमले की संभावना से इनकार किया है। इन सारे झूठे और मनगढ़ंत प्रोपेगेंडा के अतिरिक्त लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ट्विटर पर टूलकिट का सहारा भी लिया गया। एक टूलकिट से यह बताने असफल प्रयास किया गया कि कैसे कांग्रेस पार्टी भाजपा और मोदी सरकार को बदनाम कर रही है।

जब ट्विटर ने भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के टूलकिट वाले ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग दे दिया यानी जान-बूझकर भ्रामक ट्वीट की श्रेणी में रख दिया तो मोदी सरकार ने ट्विटर को ही धमकाते हुए उसके कार्यालय में छापा तक मार दिया। इन सबसे भी पब्लिक ओपिनियन बदलता न देख एक नया शिगूफ़ा छोड़ते हुए आयुर्वेद बनाम एलोपैथी का बहस देश में खड़ा कर दिया गया है और इस कार्य में रामदेव को लगा दिया गया।

जहां आरोप यह लग रहा था कि लोग बिना इलाज के मर रहे हैं, वहीं अब बहस यह खड़ा करने की कोशिश है कि लोग तो एलोपैथी इलाज के कारण मर रहे। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि इस आपदा में जहां सैकड़ों डॉक्टर ने अपनी जान गंवाई आज उन्हीं डॉक्टरो को विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं विभिन्न चिकित्सा पद्धति को अलग-अलग धर्मों से जोड़कर दिखाया जा रहा है जिससे कि इस महामारी में भी सांप्रदायिक राजनीति की जा सके। इस आपदा में केंद्र की मोदी सरकार को अपने नागरिकों के सवाल का जवाब देना चाहिए था। स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार इन सब के बजाय किसी भी क़ीमत पर अपनी छवि बचाने के काम में अधिक गंभीर जान पड़ती है। सवाल यह है कि क्या इस भीषण त्रासदी के बाद भी जनता समझ पाएगी कि उसकी जान की क़ीमत वोट से अधिक कुछ भी नहीं।

यूपी में आज से ओपीडी सेवा शुरू, आदेश जारी

चार से शुरू होगी ओपीडी सेवा, आदेश भी जारी
संदीप मिश्र  
लखनऊ। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण की सेकेंड स्ट्रेन की रफ्तार मंद पडऩे के बाद अब योगी आदित्यनाथ सरकार चार जून से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा भी शुरू कर देगी। सूबे में नॉन कोविड मरीजों की परेशानी देख सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह फैसला लिया और इसका आदेश भी जारी हो गया है।उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों के साथ मेडिकल कॉलेज में भी चार जून से ओपीडी सेवा शुरू कर दी जाएगी। 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद अब मेडिकल कॉलेजों तथा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में सीमित संख्या के साथ जनरल ओपीडी सेवा चार जून से प्रारम्भ की जाएगी। इस दौरान ओपीडी में अधिक लोग एकत्रित न हों, इसके लिए मरीजों की संख्या सीमित रखी जाए। रोगियों को पूर्व निर्धारित समय पर ओपीडी में बुलाया जाएगा।अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि निर्देश है कि मेडिकल कॉलेजों तथा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में ओपीडी में आने वाले मरीजों के बैठने की समुचित व्यवस्था भी होनी चाहिए। इस दौरान अस्पतालों में मेडिकल इमरजेंसी सेवाएं निरन्तर जारी रखी जाएं। 
मेडिकल कॉलेजों तथा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी पूरा पालन सुनिश्चित कराया जाए।अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 3,31,511 कोविड टेस्ट किए गए हैं। प्रदेश में अब तक पांच करोड़ से अधिक कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं। पांच करोड़ से अधिक टेस्ट करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। प्रदेश में 30 अप्रैल, 2021 को संक्रमण के अब तक के सर्वाधिक एक्टिव मामले 3,10,783 थे। वर्तमान में संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 28,694 हो गई है। 30 अप्रैल के सापेक्ष एक्टिव मामलों की संख्या में 2,82,089 की कमी आई है।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...