मंगलवार, 18 मई 2021

ओली ने शपथ में ईश्वर शब्द को छोड़ा, विवाद बड़ा

 हरिओम उपाध्याय   
काठमांडू। नेपाल के उच्चतम न्यायालय में सोमवार को चार रिट याचिकाएं दायर की गईं जिसमें प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को फिर से शपथ दिलाने का अनुरोध किया गया है। याचिकाओं में कहा गया है कि ओली ने शपथग्रहण समारोह के दौरान बोले गए सभी शब्दों को नहीं दोहरा कर राष्ट्रपति के पद का अपमान किया है। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में आयोजित एक समारोह में ओली को प्रधानमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी थी। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान, जब राष्ट्रपति ने शब्द ”शपथ के अलावा “भगवान के नाम पर” बोला तो कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल (यूएमएल) के 69 वर्षीय अध्यक्ष ओली ने उन शब्दों को छोड़ दिया। राष्ट्रपति भंडारी ने जब ”ईश्वर, देश और लोगों का उल्लेख किया तो तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनने वाले ओली ने कहा, ”मैं देश और लोगों के नाम पर शपथ लूंगा।” काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सभी चार रिट याचिकाकर्ताओं में अनुरोध किया गया है कि ओली एक बार फिर पद और गोपनीयता की शपथ लें क्योंकि शुक्रवार को ली गई शपथ अवैध थी।वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रकांता ग्यावली और अधिवक्ता लोकेंद्र ओली और केशर जंग केसी ने एक संयुक्त रिट याचिका दायर की है जबकि अधिवक्ता राज कुमार सुवाल, संतोष भंडारी और नवराज़ अधिकारी ने इसी मुद्दे पर अलग-अलग रिट याचिका दायर की हैं। खबर के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह ओली से फिर से शपथ लेने का निर्देश दे और उनके फिर से शपथ लेने तक उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोके।

इजराइल व फिलिस्तीन के बीच हवाई हमले जारी

गाजा। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच हवाई हमले दूसरे हफ्ते भी जारी हैं। इजरायल ने मंगलवार को गाजा पर किए हवाई हमले में एक छह मंजिला इमारत को गिरा दिया तो वहीं फिलिस्तीन आतंकियों की ओर से भी लगातार दर्जनों हमले किए गए हैं। इजरायल के हमले में काहिल नाम की इमारत क्षतिग्रस्त हुई। इस इमारत में लाइब्रेरी और इस्लामिक यूनिवर्सिटी से जुड़े एजुकेशनल सेंटर थे। हालांकि, रात भर चले हवाई हमलों में मरने वालों की संख्या का अभी तक पता नहीं लगा है। दूसरी तरफ, इजरायल ने यह दावा किया है कि उसने मंगलवार को जॉर्डन से सटी सीमा के पास एक यूएवी को गिराया है। हालांकि, अभी तक यह नहीं बताया गया कि यह यूएवी किस देश का था। बता दें कि इजरायल और गाजा के बीत 10 मई से ही हवाई हमले जारी हैं। इजरायली पुलिस ने अल अक्सा मस्जिद में बड़ी संख्या में लोगों को जुटने से रोकने के लिए 12 अप्रैल को बैरिकेड्स लगा दिए थे। रमजान के महीने में फिलीस्तीनी मुस्लिम यहां बड़ी संख्या में जुटते हैं। कुछ दिनों बाद ही इजरायल ने अल-अक्सा मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए लोगों की संख्या सीमित कर दी। वहीं, हजारों की संख्या में आए फलीस्तीनियों को वापस भेज दिया गया। इसके बाद से इजरायल और फिलीस्तीन के चरमपंथी समूह हमास के बीच संघर्ष तेज हो गया।इजरायली सेना ने मंगलवार को बताया कि उसने अब तक हमास 65 ठिकानों पर 100 से ज्यादा हथियार दागे हैं, इनमें रॉकेट लॉन्चर भी शामिल हैं। इजरायली सेना ने बताया कि अभी तक अभियान में 60 से ज्यादा लड़ाकू विमान शामिल किए गए हैं। सेना ने यह भी बताया कि फिलिस्तीन की ओर से 90 रॉकेट दागे गए, जिनमें से 20 गाजा में ही गिर गए।गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक,  बीते हफ्ते हुए हवाई हमलों में 212 फिलिस्तीनियों की जान गई है। इसमें 61 बच्चे और 36 महिलाएं भी शामिल हैं। वहीं, हमलों में 1400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। दूसरी तरफ, इजरायल में 10 लोगों की जान गई है, जिनमें 5 साल के लड़के के साथ ही एक सैनिक भी शामिल है।

गाजा पर बनी सुरंगें हमास के लिए अहम हथियार

विकास कुमार   

नई दिल्‍ली। गाजा पर बनाई गई सुरंगें (टनल) हमास के लिए बेहद अहम हथियार हैं। 2014 में इजरायल के साथ जंग के बाद से लड़ाके इन्हें हथियार लाने-ले जाने, दुश्मन देश में दाखिल होकर सैनिकों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं। गाजा का ऐसा ही टनल नेटवर्क मिस्र की ओर भी था। 2009 में यहां से आवाजाही रोकने के लिए अंडरग्राउंड बैरियर लगाए गए। हालांकि, 2011 में मिस्त्र ने पाबंदियों पर ढील देते हुए आवाजाही की छूट दे दी। इसके बाद फलस्तीनियों को बार्डर पार करने की आजादी मिल गई, लेकिन फिर 2013-2014 में मिस्त्र की सेना ने करीब 1,200 सुरंगे नष्ट कर दी थीं।
वर्ष 2007 में बनी थी पहल टनल
गाजा पट्टी और मिस्र के बीच पहली टनल 2007 में बनाई गई थी और इसका इस्तेमाल तस्करी के लिए किया जाता था। इससे पहले भी इस तरह के ढांचों से काम लिया जाता था। बाद में इन्हें इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने लगा।
जमीन के ऊपर से पता करना मुश्किल
इन सुरंगों का जमीन के ऊपर से पता लगाना मुश्किल है। इनकी छत कंक्रीट से बनी हैं। इन्हें बनाने में तीन से नौ करोड़ डॉलर की लागत आई है। इसका इस्तेमाल हमास के अलावा फलस्तीन में इस्लामिक जिहाद मूवमेंट भी करता है।
इजरायली सैनिक का किया था अपहरण
इन्हीं टनल का प्रयोग करके हमास ने 2006 में इजरायली सैनिक जिलाद शालित का अपहरण किया था और पांच साल तक बंदी बनाकर रखा था। इजरायल इन्हें खत्म करने की कोशिश लंबे वक्त से करता रहा, लेकिन पूरी तरह कामयाबी नहीं मिली है।
यह रहा है इतिहास

  • वर्ष 2014 में हुए युद्ध के दौरान इजरायल ने 30 सुरंगों को नष्ट कर दिया था।
  • वर्ष 2007 के बाद से हमास ने 1300 टनल बनाई हैं। इन पर करीब सवा अरब डालर का खर्च आया है।
  • वर्ष 2014 में गाजा युद्ध के दौरान हमास ने सुरंग में चलते सैनिकों का वीडियो जारी किया था।
  • एक दौर में करीब 22 हजार फलस्तीनी 2500 टनल के जरिये दोनों देशों के बीच अपना काम करते थे।

तेल भी किया जाता था आयात
इन टनल्स से तेल का आयात भी होता है। गाजा के अकेले पावर प्लांट को चलाने के लिए आयात कर लाए गए तेल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। 2013 में जब मिस्त्र ने सैकड़ों की संख्या में टनल खत्म कर दीं तो तेल की कमी के चलते गाजा का ये अकेला पावर प्लांट भी बंद हो गया था।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

1. अंक-276 (साल-02)
2. बुधवार, मई 19, 2021
3. शक-1984, बैसाख, शुक्ल-पक्ष, तिथि- अष्टमी, विक्रमी सवंत-2078।
4. सूर्योदय प्रातः 06:00, सूर्यास्त 07:07।
5. न्‍यूनतम तापमान -11 डी.सै., अधिकतम-36+ डी.सै.। तेज हवाओं के साथ बरसात की संभावना बनी रहेगी।
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सोमवार, 17 मई 2021

इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष, साझा बयान पर रोक

वाशिंगटन डीसी/ जेरूसलम। अमेरिका ने एक हफ्ते में तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर साझा बयान जारी करने से रोक दिया है। इजरायली मीडिया ने मामले से जुड़े राजनयिकों के हवाले से ये रिपोर्ट छापी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रविवार को हुई आपात बैठक के बाद नॉर्वे, ट्यूनीशिया और चीन ने बयान पेश किया जिसमें दोनों पक्षों से सीजफायर की मांग की गई थी। लेकिन अमेरिका ने इसे जारी नहीं होने दिया। हालांकि, अमेरिकी दूतावास की तरफ से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं आई है। 

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने दलील दी कि अमेरिका कूटनीतिक चैनलों के जरिए इस संघर्ष को खत्म करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि हैदी आमर शुक्रवार को तेल अवीव पहुंचे हैं और सीजफायर कराने के लिए इजरायली-फिलिस्तीनियों के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं।

यूके: सरकार ने कोविड कर्फ्यू को 25 मई तक बढ़ाया

पंकज कपूर              

देहरादून। सोमवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति पर विचार के बाद ये फैसला लिया गया। जिसके बाद प्रदेश में अब कोविड कर्फ्यू को 25 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल के अनुसार कुछ नए प्रतिबंधों के साथ कफ्र्यू को आगे बढाया गया है। कर्फ्यू के दौरान परचून की दुकानें अब 21 मई को सुबह सात से 10 बजे तक खुलेंगी। इसके अलावा नई गाइडलाइन में विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य की गई है। बैंक अब सुबह 10 से दो बजे तक खुलेंगे। इसके अलावा अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए ई-पास अनिवार्य किया गया है।

'राष्ट्रपति' ने विमान हादसे के लिए माफी मांगी

'राष्ट्रपति' ने विमान हादसे के लिए माफी मांगी  अखिलेश पांडेय  मॉस्को। कजाकिस्तान विमान हादसे के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुति...