अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल में बीते वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बैंकों के डिविडेंड भुगतान को सीमित करने का निर्देश दिया है। इसके पहले आरबीआई ने उसके पिछले वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान भी बैंकों को डिविडेंड का भुगतान करने से रोक दिया था। बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का बैंकों के वित्तीय सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंकाओं को देखते हुए ये रोक लगाई गई है। रिजर्व बैंक की ओर इस संबंध में जारी किए गए दिशानिर्देश में कहा गया है कि अगर बैंक चाहें तो 31 मार्च 2021 को खत्म हुए वित्त वर्ष के लिए अंश धारकों को डिविडेंड का भुगतान कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए शर्त ये है कि ये डिविडेंड पे-आउट रेशियो के 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि बैंकों के डिविडेंड भुगतान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने 4 मई 2004 को एक समान नियमों की घोषणा की थी। इसके तहत सभी बैंकों के लिए कुछ मानक तय किए गए थे, जिनको पूरा करने के बाद ही बैंक डिविडेंड का भुगतान कर सकते हैं। इन मानकों के तहत अंश धारकों को डिविडेंड का भुगतान करने के लिए बीते दो वित्त वर्षों में बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो) 9 फीसदी से अधिक होना चाहिए, ताकि उनके पास डिविडेंड के भुगतान के बाद भी पर्याप्त पूंजी बनी रहे। इसके साथ ही बैंकों का नेट एनपीए भी 8 फीसदी से कम होना चाहिए।
आरबीआई की ओर से डिविडेंड भुगतान को लेकर जारी दिशानिर्देश में कहा गया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर जिस गति से बढ़ रही है, उससे आर्थिक अनिश्चितता जैसे हालात बनने का खतरा बन गया है। ऐसी स्थिति में बैंकों का मजबूत बने रहना काफी अहम है। इसलिए उन्हें पहले ही जरूरी कदम उठाते हुए अपनी पूंजी की सुरक्षा करनी चाहिए। साथ ही पूंजी में कमी आने की किसी भी आशंका या नुकसान के डर को न्यूनतम कर देना चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों की वजह से बैंकों ने पिछले साल तो डिविडेंड का भुगतान नहीं ही किया था, इस साल भी नए गाइडलाइन के कारण डिविडेंड के भुगतान की संभावना काफी कम हो गई है। सरकारी बैंकों की तर्ज पर वित्त वर्ष 2020-21 का डिविडेंड देने में निजी बैंक भी कंजूसी कर सकते हैं। इस क्रम में आमतौर पर डिविडेंड देने में आगे रहने वाला एचडीफएसी बैंक भी पहले ही साफ कर चुका है कि वो इस साल डिविडेंड का भुगतान नहीं करेगा।