अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकायुक्त के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया है। जिसमें 2018 की योजना के तहत वृद्धावस्था पेंशन जारी करने से सरकारी खजाने को हुए कथित नुकसान पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम की एक पार्षद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात कही गई थी। लोकायुक्त ने जनवरी, 2020 में पारित आदेश में पार्षद के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और जांच करने का आदेश दिया था।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने 24 मार्च को पारित आदेश में कहा है कि एफआईआर दर्ज करने के आदेश के संबंध में चल रही किसी जांच या सुनवाई को रोकने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने कहा है कि आरोपों की प्रकृति को देखते हुए मुकदमा दर्ज करने और सुनवाई तथा जांच रोकने संबंधी अंतरिम याचिका खारिज की जाती है। हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि आर्थिक नुकसान की वसूली के लिए कोई कदम उठाए गए हैं तो याचिकाकर्ता (पार्षद) को अदालत से अर्जी दाखिल करने की अनुमति दे दी है।
हाईकोर्ट ने ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अगर ऐसा कोई आवेदन दिया जाता है तो अदालत इस बात पर विचार कर सकती है कि कोई अंतरिम संरक्षण देना है या नहीं और यदि देना है तो किन शर्तों पर। अदालत ने इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय और दिल्ली सरकार को भी नोटिस जारी कर पार्षद भूमि चतर सिंह रछोया की याचिका पर उनका रुख पूछा है और मामले में सुनवाई की अगली तारीख 21 अगस्त तय की है।