शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

लॉकडाउन लगाने का फैसला कलेक्टर खुद लें: सीएम

रायपुर। लॉकडाउन को लेकर छत्‍तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने बड़ा फैसला ल‍िया है। बघेल सरकार ने कलेक्टरों को अधिकार द‍िया है क‍ि लॉकडाउन लगाने का फैसला वह खुद लें और स्थानीय पर‍िस्‍थ‍ित‍ियों के अनुरूप कलेक्टर निर्णय ले सकेंगे। स्वास्थ्य मंत्री के परामर्श पर यह निर्देश जारी क‍िया गया है और मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव के माध्यम से कलेक्टरों को यह निर्देश द‍िया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरोना संक्रमण के प्रसार की रोकथाम के लिए स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार लॉकडाउन के संबंध में निर्णय लेने के लिए कलेक्टरों को मुख्य सचिव के माध्यम से निर्देशित किया हैं। उन्होंने यह निर्देश स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंह देव के परामर्श पर दिया। स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्यमंत्री से फोन पर लॉकडाउन करने का अनुरोध किया था, इस पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कलेक्टर को निर्णय लेने हेतु अधिकृत करने का निर्देश दिया और मुख्य सचिव ने कलेक्टर वीसी में निर्देश दिए।
मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम और टीकाकरण के संबंध में ली गई वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान सभी जिला कलेक्टरों को मुख्यमंत्री के निर्देशों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार जिला कलेक्टर समस्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित करते हुए आवश्यक निर्णय लें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में कोरोना संक्रमण के प्रसार की रोकथाम के लिए सभी उपाय करने के साथ साथ टीकाकरण को एक जनांदोलन का रूप दिया जाए, जिससे अधिक से अधिक लोग टीकाकरण के लिए प्रेरित हों। उन्होंने कहा कि इसके लिए विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं और प्रतिष्ठित व्यक्तियों का भी सहयोग लिया जाए।

रेल में मिलें 52 लाख, 2 हजार-5 सौ की गड्डियां

हरिओम उपाध्याय      
कानपुर। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस की पैंट्रीकार में मिले 1.40 करोड़ रुपये से भरे बैग की तफ्तीश चल ही रही थी कि गुरुवार को चौरीचौरा एक्सप्रेस से शहर आए फतेहपुर के खागा के एक व्यापारी के झोले से 52 लाख रुपये बरामद हुए हैं। इनकम टैक्स विभाग व्यापारी से पूछताछ कर रहा है।
सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर गुरुवार को ट्रेन आई तो खागा का व्यापारी विकास गुप्ता प्लेटफार्म नंबर दस की ओर से रेल लाइन पार करके घंटाघर जाने लगा। पटरियां पार करते देख आरपीएफ के एसआई राहुल यादव और सिपाही कारेलाल शर्मा ने उसे पकड़ लिया। तलाशी के दौरान व्यापारी के पास मिले झोले में नोटों की गड्डियां देख दोनों जवान हैरान हो गए।
व्यापारी को जीआरपी को सौंप दिया गया। जीआरपी सीओ की मौजूदगी में रुपये गिने गए तो 52,36,720 रुपये मिले। विकास गुप्ता ने बताया कि वह खागा में साबुन, अगरबत्ती और पान मसाले का व्यापार करता है।

के व्यापारियों से माल खरीदता है उसी का पैसा देने आया था। किस व्यापारी को कितना पैसा देना है इसके बाबत वह पूरी जानकारी नहीं दे सका। जीआरपी ने रकम जब्त कर इनकम टैक्स विभाग को सूचना दी। देर शाम विभाग की टीम ने व्यापारी से पूछताछ भी की।
झोले में थीं ये गड्डियां।
कहीं पंचायत चुनाव में तो रकम नहीं खपानी थी
आरपीएफ ने जब व्यापारी को पकड़ा तो उसने बताया कि वह कानपुर के भूसाटोली में अपने एक रिश्तेदार के यहां आ रहा था। जीआरपी उस रिश्तेदार के बारे में पता कर रही है। वहीं अधिकारी अनुमान लगा रहे हैं कि रुपयों का इस्तेमाल कहीं पंचायत चुनाव में तो नहीं होने वाला था। आतंकी गतिविधियों, फिरौती या किसी अन्य आपराधिक गतिविधियों में धन के इस्तेमाल तो होने वाला था।
 

वोटिंग मशीन ही शक के दायरे में, बचा क्या: प्रियंका

हरिओम उपाध्याय   

दिसपुर। असम में दूसरे चरण के मतदान के खत्म होते ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर छा गया। जिसमें पथरकंडी से बीजेपी उम्मीदवार की कार में कथित रूप से ईवीएम मशीनें देखी जा रही हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है और प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के नेताओं ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाकर वीडियो की जांच कराने की मांग की है। यह वीडियो असम के स्थानीय पत्रकार अतानु भूयन ने अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा पथरकंडी से बीजेपी उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल की कार से ईवीएम मिलने के बाद स्थिति तनावपूर्ण है। देखते ही देखते कई कांग्रेस नेताओं ने इसे शेयर करके बीजेपी पर निशाना साधा। हालांकि अभी बीजेपी या चुनाव आयोग की तरफ से कई पर कोई बयान नहीं आया है।वायरल वीडियो में क्या दिख रहा है?

वीडियो में दिख रहा है कि सफेद रंग की जीप (जिसका नंबर AS 10B 0022 है) के अंगर ईवीएम देखी जा रही है। वीडियो में लोग यह कहते सुने जा रहे हैं कि जीप कृष्णेंदु पॉल की है। इसके बाद कांग्रेस सांसद प्रद्युत बोरोदलई से लेकर गौरव गोगोई ने इस पर ट्वीट किया और बीजेपी ने ईवीएम लूटने का आरोप लगाया।

हर बार सामने आते हैं ऐसे वीडियो: प्रियंका गांधी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, 'हर बार ऐसे वीडियो सामने आते हैं जिनमें प्राइवेट गाड़ियों में ईवीएम ले जाते हुए पकड़े जाते हैं। अप्रत्याशित रूप से उनमें कुछ चीजें कॉमन होती है- गाड़ियां बीजेपी उम्मीदवार या उनके साथियों से जुड़ी होती हैं। वीडियो एक घटना के रूप में सामने आते हैं और फिर झूठ बताकर खारिज कर दिया जाता है।'

वीडियो एक्सपोज करने वालों को ही आरोपी बना देती है बीजेपी'

प्रियंका ने आगे लिखा, 'बीजेपी अपनी मीडिया मशीनरी का इस्तेमाल करके उन्हें ही आरोपी ठहरा देती है जिन्होंने वीडियो एक्सपोज किए। फैक्ट यह है कि ऐसे कई सारी घटनाएं रिपोर्ट की जा रही हैं लेकिन इन पर कुछ नहीं किया जा रहा है। चुनाव आयोग को इन शिकायतों पर निर्णायक रूप से कार्रवाई शुरू करने की आवश्यकता है और सभी राष्ट्रीय दलों को ईवीएम के इस्तेमाल की जरूरतों पर एक गंभीर पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए।'

ईवीएम पर ही शक हो जाए तो बचा क्या?'

शशि थरूर ने ट्वीट किया, 'यह काफी चौंकाने वाला है। भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति में आलोचकों का भी मानना है कि कम से कम चुनाव मुक्त और निष्पक्ष हों लेकिन हम चुनावी निरंकुश बन चुके हैं। अगर ईवीएम ही संदिग्ध हो जाए तो बचा क्या? चुनाव आयोग को इस पर तुरंत सार्वजनिक जांच करानी चाहिए।'

सिर्फ ईवीएम लूटकर ही जीत सकती है बीजेपी'

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ट्वीट किया, 'सिर्फ इसी रास्ते से बीजेपी असम जीत सकती है- ईवीएम लूटकर। ईवीएम कैप्चरिंग, जैसे बूथ कैप्चरिंग हुआ करती थी। यह सब चुनाव आयोग की नाक के नीचे हो रहा है। लोकतंत्र के लिए दुखद दिन।'

असम आपको कभी माफ नहीं करेगा'

असम से कांग्रेस सांसद प्रद्युत बोरदलोई ने ट्वीट किया, 'बीजेपी अनुशासित रूप से यह स्वीकार क्यों नहीं कर पा रही है कि वे असम चुनाव हार रहे हैं। ईवीएम चोरी करना और रिजल्ट में हेराफेरी आपके लिए अच्छा नहीं है। अगर चुनाव आयोग ने आपको माफ कर भी दिया तो भी असम कभी इसके लिए क्षमा नहीं करेगा।

ननों को रेल से उतारने का मामला, 2 नेता गिरफ्तार

हरिओम उपाध्याय       
झांसी। उत्कल एक्सप्रेस से ननों को उतारे जाने के मामले में दिल्ली से कार्यवाही का आदेश आते ही जीआरपी ने इस मामले में दो हिंदूवादी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में जांच रिपोर्ट पूरी कर लखनऊ भेजी जा चुकी है।
19 मार्च को उत्कल एक्सप्रेस से उतारी गई नन व किशोरियों के मामले में खूब हल्ला मचा। इस मामले में लीविया थोमस, हेमलता (ईसाई धर्म की नन), श्वेता और बीतरंग के बयान मोबाइल से दर्ज होने के बाद प्रभारी एसपी सौमित्र यादव ने जांच पूरी कर रिपोर्ट लखनऊ सौप दी है। 
जांच पूरी होने के बाद गुरुवार को दिल्ली से आदेश आते ही जीआरपी कारवाही के लिए जुट गई। जीआरपी प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार सिंह को सूचना मिलने के बाद गुरुवार रात स्टेशन के पास से हिंदूवादी नेता अंचल व पुरुकेश अमरया को गिरफ्तार कर लिया गया। सीओ नईम मंसूरी ने पुष्टि की है।
अब एफआईआर कर दोनों को जेल भेजा जाएगा।
नौ दिन, 20 लोगों के बयान, दबिश और सीधे गिरफ्तारी
झांसी। उत्कल एक्सप्रेस से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं की सूचना पर ईसाई धर्म की दो नन और दो किशोरियों को उतारने के मामले ने उड़ीसा से लेकर दिल्ली व लखनऊ तक हल्ला मचा रहा।
24 मार्च से शुरू हुई जांच के दौरान अधिकारियों समेत बीस पुलिसवालों के बयान हुए। बृहस्पतिवार रात गृह मंत्रालय से कार्रवाई का आदेश आने के बाद जीआरपी ने आनन-फानन दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
धर्मांतरण की सूचना के बाद उत्कल एक्सप्रेस से नन व किशोरियों को जीआरपी लाया गया था। जांच दौरान नन व किशोरियों के सुबूत दिखाने के बाद चारों को छोड़ दिया गया था। राउरकेला पहुंचने के बाद पूरी जानकारी हुई थी। केरल के मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री अमित शाह के सामने पूरा मामला रखा था। अमित शाह के जांच का आदेश मिलने के बाद खलबली मच गई थी। गृह मंत्रालय ने पूरे मामले में जानकारी मांगी थी।
19 मार्च को हुई घटना के बाद पांच दिन बाद 24 मार्च को लखनऊ के प्रभारी एसपी सौमित्र यादव को पूरे प्रकरण की जांच के लिए झांसी भेजा गया। एसपी ने जीआरपी सीओ, जीआरपी इंस्पेक्टर, चार जीआरपी सिपाही, चार आरपीएफ कर्मी, चारों नन व किशोरियों समेत बीस लोगों के बयान दर्ज किए गए। ननों को जांच के लिए झांसी बुलाया गया था, लेकिन चारों ने झांसी आने से मना कर दिया था। इसके बाद मोबाइल से ही व्हाट्सएप के जरिए चारों के बयान दर्ज किए गए थे।
जीआरपी के साथ-साथ रेलवे व जांच एजेंसियां भी अपने स्तर से जांच में जुट गई थीं। गृह मंत्रालय से लगातार इनपुट लेने के चलते सभी पर प्रेशर बढ़ गया था। एसपी ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर लखनऊ भेज दी थी। लखनऊ से जांच रिपोर्ट सीधे गृह मंत्रालय भेजी गई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर बृहस्पतिवार रात कार्रवाई का आदेश आते ही गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई।

भारत के लंगड़े आम का 300 साल पुराना इतिहास

लंगड़ा आम सबसे मीठा माना जाता है बता दे कि गर्मियों में आम खाने के जबरदस्त फायदे तो हैं ही जबकि आपको स्वाद में भी काफी शानदार लगता है। ज्यादातर लोगों की सबसे ज्यादा पसंद आम होता है। भारत की बात करें तो यहां 2000 किस्मो का उत्पादन किया जाता है।

आम की किस्म की बात करें तो दशहरी,हापुस, चौसा ,केसर तोता, परी सफेदा,सिंदूरी नीलम और लंगड़ा जैसे आमो को खाने का मजा चखा होगा,इनमें से लंगड़ा आम फेमस होने के पीछे 300 साल पुरानी घटना हैं।

आम खाने में मीठा और मुलायम होता है यह हरियाणा,हिमाचल प्रदेश, झारखंड मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल, राजस्थान में बहुत ज्यादा उगाया जाता हैं।

लंगड़ा आम बोलने की कहानी बनारस से चालू हुई बता दे कि तकरीबन 300 साल पहले एक व्यक्ति ने आम खाकर उसका बीज अपने घर के आंगन में लगा दिया, कुछ दिनों के बाद में आम का मीठा फल आया, यह व्यक्ति लंगड़ाकर चलता था इसीलिए इस गांव के लोगों ने लंगड़ा आम कहना चालू कर दिया धीरे धीरे यह आम लंगड़ा आम के नाम से फेमस हुआ।

सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू

चेन्नई। गुरुवार से देश में 1 जनवरी, 1977 तक पैदा हुए सभी लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो गया है। देश में बुधवार तक कुल 6.4 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज पड़ चुकी थी। लेकिन, ये वो लोग थे। जो हेल्थ वर्कर हैं या फिर जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा है। या फिर 45 साल से 60 साल के बीच के उन लोगों को टीका लगाया गया है, जो किसी न किसी रोग से पीड़ित हैं। लेकिन, गुरुवार से 45 साल ऊपर के हर नागरिक को टीका पड़ने का रास्ता साफ हो जाने के बाद, कई लोगों के मन में यह सवाल ज्यादा उठ रहे हैं कि वैक्सीन के बाद उन्हें खाने-पीने में किन चीजों से परहेज करनी पड़ सकती है। मसलन, जो शराब पीते हैं या स्मोकिंग करते हैं या फिर नॉन-वेज खानों के शौकीन हैं, उन्हें कुछ दिनों तक इन सब चीजों से परहेज तो नहीं करना पड़ेगा ?

बिना वैज्ञानिक आधार पर किए जा रहे हैं दावे

एक रिपोर्ट आई है, जिसमें वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में उठ रहे इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की गई है। क्योंकि, इसको लेकर कुछ लोगों के मन में गलतफहमियां भी देखी गई हैं। मसलन, तमिलनाडु के चेंगालपट्टु के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में टीके का पहला डोज लगवाने वाले 60 वर्षीय किसान राजेंद्रण ने कहा कि उन्हें सेंटर पर सलाह दी गई कि दूसरी डोज से एक हफ्ते पहले शराब ना पीएं। उन्होंने कहा कि,'मुझसे कहा गया कि अगर मैं शराब पीऊंगा तो वैक्सीन काम नहीं करेगी।' इसी तरह चेन्नई के कल्याण में एक पत्रकार ने दावा किया कि नर्स ने उससे कहा कि वैक्सीन लगवाने के बाद 48 घंटे तक उन्हें शराब पीने, स्मोकिंग करने या मीट खाने से बचना चाहिए। जबकि, एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में उनके दोस्त को सलाह दी गई कि उन्हे एक हफ्ते तक शराब या 'नॉन-वेज खाने' से बचना चाहिए। सवाल है कि क्या ये दावे तथ्यों और किसी शोध पर आधारित हैं ?

सरकार की ओर से नहीं दी गई है ऐसी कोई सलाह

सबसे बड़ी बात है कि वैक्सीन को लेकर सरकार की ओर से अभी तक खाने-पीने पर किसी तरह की पाबंदी की सलाह नहीं दी गई है। तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन के मुताबिक, 'ऐसा कोई प्रमाणिक वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है, जिसमें बताया गया हो कि नॉन-वेज खाना वैक्सीन को बेअसर बना देता है। इसलिए लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए मीट खाना छोड़ने की जरूरत नहीं है।' इसी तरह से ऐसा कोई वैज्ञानिक अध्ययन उपलब्ध नहीं है कि शराब पीने या स्मोकिंग से वैक्सीनेशन पर कोई असर पड़ता है।

डॉक्टर क्या दे रहे हैं सलाह ?

हालांकि, इसका मतलब ये भी नहीं है कि लोगों को कोरोना का टीका लगवाने के बाद उसकी खुशी में शराब के जाम छलकाने की सलाह दी जाए। इसकी वजह ये है कि टीकाकरण के बाद अक्सर लोगों को नॉर्मल फ्लू या बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देने की आशंका रहती है। ऐसे में शराब पीने पर तबीयत ज्यादा बिगड़ सकती है। सीनियर एपिडमियोलॉजिस्ट और कोविड-19 के खिलाफ प्रदेश के स्पेशल टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर पी कुगानांथम के मुताबिक, 'शराब से शरीर के इम्यून सिस्टम पर विपरीत असर पड़ता है और ज्यादा शराब पीने से हो सकता है कि वैक्सीन उतनी अच्छी तरह से काम ना करे।' उन्होंने सलाह दी है कि 'अगर कोई व्यक्ति वैक्सीन लगवाने से एक हफ्ते पहले और बाद में ड्रिंकिंग और स्मोकिंग ना करे तो वह ज्यादा अच्छा महसूस कर सकता है।'

इन बातों का एहतियात रखना बहुत जरूरी

स्मोकिंग के साथ भी वही बात है। इससे इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है और इसीलिए यह वैक्सीन के प्रभाव को घटा सकता है। हालांकि, इसको लेकर कोई वैज्ञानिक रिसर्च उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह भी कहा जाता रहा है कि स्मोकिंग करने वालों के लिए कोविड-19 का संक्रमण ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है। डॉक्टर कुगानांथम के मुताबिक वैज्ञानिक तौर पर वैक्सीन लेने से पहले और बाद में कुछ एहतियात जरूर लेनी चाहिए। उनका कहना है कि , 'जो लोग स्टेरॉयड और ब्लड थिनर पर हैं, उन्हें ज्यादा साइड-इफेक्ट से बचने के लिए टीका लगाने से दो दिन पहले और बाद में ऐसी दवाइयां लेने से बचना चाहिए। किसी को अगर वैक्सीन से पहले ज्यादा आघात पहुंच चुका है तो उन्हें डॉक्टरों को यह बात बता देनी चाहिए और ज्यादा सावधान रहना चाहिए।' उन्होंने कहा है कि वैक्सीन लगाने के बाद सबसे ज्यादा जरूरी ये है कि मास्क पहनते रहिए, सोशल डिस्टेंसिंग का पहले की तरह पालन कीजिए,सतहों को छूने से बचिए और हैंड हाइजीन का ख्याल रखिए।

दूसरे बच्चें का जन्म, परवरिश पर डालेगा असर

अकाशुं उपाध्याय       
नई दिल्ली। जब पहली बार माता-पिता बनने का एहसास होता है। उसे शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल होता है। पहले बच्चे के जन्म के दौरान माता-पिता जरुरत से ज्यादा ख्याल रखते हैं। लेकिन, दूसरे बच्चे के जन्म पर पर थोड़े लापरवाहबच्चा पहला हो या दूसरा, उसे प्लान करते समय माता-पिता को अहम बातों का ध्यान रखना पड़ता है। माता-पिता की जरा सी लापरवाही, आपके बच्चे को आपसे दूर कर सकती है। दूसरे बच्चे के आने के बाद पहला बच्चा खुद को अकेला महसूस करने लगता है। हो जाते हैं।अगर आप दूसरे बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो सबसे पहले अपने बड़े बच्चे की उम्र को जरूर ध्यान में रखें। पहले बच्चे के पैदा होते ही तुरंत दूसरा बच्चा पैदा करना दोनों की परवरिश में खलल डाल सकता है।

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...