शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021
जीएसटी: आल इंडिया ने भारत बंद का आह्वान किया
किसानों की फसल नष्ट करने पर लगे हैं अधिकारी
कर्मचारी वेतन-पेंशन के हकदार, ब्याज देगी सरकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी वेतन और पेंशन पाने के हकदार हैं और सरकार ने जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी की है। उसके लिए सरकार को उचित ब्याज दर के साथ वेतन और पेंशन का भुगतान करने के लिए निर्देशित किया जाता है। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक पूर्व जिला और सत्र न्यायाधीश द्वारा दायर जनहित याचिका को अनुमति प्रदान की थी और जिसमें मार्च-अप्रैल 2020 के स्थगित वेतन का भुगतान 12% प्रति वर्ष की ब्याज दर से वेतन का भुगतान करने व समान ब्याज दर के साथ मार्च 2020 के महीने के लिए आस्थगित पेंशन का भुगतान करने के लिए कहा गया। शीर्ष अदालत के समक्ष अपील में... राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपनी चुनौती को केवल ब्याज दर के मुद्दे तक सीमित रखा। राज्य ने तर्क दिया कि राज्य ने वेतन और पेंशन के भुगतान को स्थगित करने का निर्णय लिया था क्योंकि राज्य ने स्वंय को महामारी के कारण अनिश्चित वित्तीय स्थिति में पाया था। इसने प्रस्तुत किया कि राज्य ने प्रामाणिक कार्य किया था और इसलिए ब्याज का भुगतान करने के दायित्व के साथ मामला को निपटाना सही नहीं होगा।जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ ने दोनों पक्षों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान दिया और कहा कि, “वेतन और पेंशन के आस्थगित भागों के भुगतान के लिए दिया गया निर्देश अस्पष्ट है। राज्य में सेवा देने के कारण कर्मचारियों को वेतन प्राप्त होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सरकारी कर्मचारी वेतन प्राप्त करने के हकदार हैं और यह कानून के अनुसार देय है। इसी तरह, यह भी तय है कि पेंशन का भुगतान पेंशनरों द्वारा राज्य को प्रदान की गई पिछले कई वर्षों की सेवा के लिए होता है। इसलिए पेंशन प्राप्त करना, राज्य सरकार के कर्मचारियों की सेवा के नियमों और विनियमों द्वारा कर्मचारियों का हक का मामला है।”अदालत ने उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने दो चरणों में बकाया देयकों के भुगतान के लिए न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन किया है। अदालत ने कहा कि 12% प्रति वर्ष की ब्याज दर से बकाया का भुगतान, जो उच्च न्यायालय द्वारा तय किया गया है, उसे उचित रूप से कम किया जाना चाहिए।कोर्ट ने कहा, “उत्तरदाताओं के लिए वकील ने यह माना है कि ब्याज का ऑवर्ड सरकार की कार्रवाई के कारण था, जो कानून के विपरीत था। हमारा विचार है कि ब्याज का भुगतान राज्य सरकार को दंडित करने के साधन के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। इस तथ्य सत्य है कि जिस सरकार ने वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी की है, उसे उचित ब्याज दर पर वेतन और पेंशन का भुगतान करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए।”अपील का निस्तारण करते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि 12% प्रति वर्ष की ब्याज दर के प्रतिस्थापन में... जिसे उच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में कहा गया था। आंध्र प्रदेश सरकार तीस दिनों की अवधि के भीतर वेतन और पेंशन का 6% प्रति वर्ष की दर के हिसाब से साधारण ब्याज का भुगतान करेगी।
5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का हो सकता है ऐलान
राणा ओबराय
नई दिल्ली। आयोग के सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 6 से 8 चरण में चुनाव हो सकते हैं। जबकि असम में तीन चरणों में मतदान करवाया जा सकता है। वहीं केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में एक ही चरण में मतदान कराए जाने की आशंका जताई जा रही है। चारों राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की मतगणना एक ही दिन होगी। एक मई से पहले विधानसभा गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। वहीं हरियाणा में भी दो सीटों पर उपचुनावों को लेकर शुक्रवार को कोई फैसला आ सकता है। जिसको लेकर शुुुक्रवार को एक प्रैस वार्ता का आयोजन किया गया है। दोपहर के बाद पूर्ण रूप से तय होगा कि हरियाणा की इन दो सीटों पर चुनाव कब से होना है। चार मई से बोर्ड की परीक्षाएं होने वाली हैं। इसके मद्देनजर आयोग की योजना एक मई से पहले चुनाव कार्यक्रम संपन्न कराने की है। आयोग ने सबसे ज्यादा दौरे इन पांच राज्यों (पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल) में किए हैं। अभी भी एक टीम पश्चिम बंगाल के दौरे पर है। कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को देखते चुनाव आयोग के सामने तमिलनाडु और केरल में चुनाव करवाना सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि उसने कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए तमाम तरह के उपाय किए गए हैं। सुरक्षाबलों का भी पूरा बंदोबस्त कर लिया गया है। माना जा रहा है कि कोराना के कारण मतदान के समय में इजाफा हो सकता है।
हापुड़ः महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म, जांच
बिहार: पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों का किया विरोध
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम की समधन को किया सस्पेंड
हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट को सस्पेंड कर दिया गया है। उन पर काम में लापरवाही बरतने और अनुशासनहीनता करने का आरोप है। इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं।
पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव की समधन अम्बी बिष्ट लखनऊ नगर निगम में जोनल अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। नगर आयुक्त अजय कुमार त्रिवेदी महानगर में टेक्स और सफाई व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। किसी बात पर नगर आयुक्त और श्रीमती बिष्ट में बहस हो गई। जिस पर नगर आयुक्त ने नाराजगी बताते हुए उनसे तत्काल बैठक से बाहर जाने के आदेश दिए। इसका अम्बी बिष्ट ने कड़ा प्रतिवाद किया। जिस पर उन्होंने सस्पेंड करने के लिए सरकार को चिठ्ठी लिख दी। साथ ही प्रज्ञा सिंह को नया जोनल अधिकारी नियुक्त कर दिया। नगर आयुक्त ने बताया कि अम्बी बिष्ट के जोन में टैक्स वसूली सबसे कम है। कहने पर उनका जवाब भी सही नहीं होता है। कई बार काम के प्रति लापरवाही सामने आ चुकी है, जिसको लेकर उनको नोटिस दिए गए हैं। इसीलिए उनके खिलाफ यह कार्रवाई करने के लिए मजबूर हुए हैं।
अम्बी बिष्ट ने कहा है कि उनके काम में कोई लापरवाही नहीं है।उनके एक बड़े राजनीतिक परिवार से रिश्तेदारी है, उसके तहत यह सब किया जा रहा है। रही बात सस्पेंड करने की तो नगर आयुक्त को इसका अधिकार ही नहीं है। यह कार्रवाई सिर्फ शासन कर सकता है। उन्होंने कहा कि एक अधिकारी को भी यह शोभा नहीं देता कि वह एक महिला को सार्वजनिक मीटिंग में गेट आउट कहें। वह इस हरकत पर चुप नहीं बैठेंगी। ज्ञात रहे कि अम्बी बिष्ट की बेटी अपर्णा की शादी मुलायम सिंह यादव के बेटे से हुई है।
सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया
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