मेरठ। बहुजन मुक्ति पार्टी के पश्चिमांचल महासचिव और मेरठ मंडल अध्यक्ष ने दक्षिण विधानसभा मेरठ के गांवों की ओर चलो अभियान मैं दौरा करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि आज चारों और ब्राह्मणों का जाल पूरे देश में धर्म वाद और हिंदुत्व के नाम पर फैलाया जा रहा है। जिस पर आज तक इंसानियत और मानवता को सबसे बड़ा खतरा है। मानवता और इंसानियत के लिए भारत ही नहीं विश्व प्रसिद्ध डॉक्टर बाबा भीमराव अंबेडकर द्वारा रचित संविधान है। लेकिन ब्राह्मणों के षड्यंत्र के द्वारा भारतीय लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश जोरों पर चल रही है। यदि अंध भक्तों से मुसलमान और पाकिस्तान का नाम ना लेने की बहस में शर्त रखें तो उनके पास कोई मुद्दा नहीं है। आज देश में पूर्णतया बेरोजगारी समानता अशिक्षा लूट मारी हत्याएं, रेप आदि घटनाएं जोरों पर सामने आ रही हैं। किसान क्र्रिश 3 कृषि काले नहीं घोर अंधकार में काले कानून है। जो गरीब मजदूर मजलूम किसान सबके लिए हानिकारक ही सिद्ध होंगे। भारत के टुकड़े करने में ब्राह्मणजाल षड्यंत्र का कार्य था। जिसमें गांधी और जवाहरलाल नेहरू की मुख्य भूमिका थी। मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय बीएल मातंग साहब और बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय वामन मेश्राम साहब की एक अखबार पर यदि अमल किया जाए और सोचा समझा और सुना जाए तो सबको जानकारी और सच्चाई का पता लग सकता है। दुनिया मे सबसे बडी समस्या गुलामी होती है। गुलामी से हजारों समस्याएं निर्माण होती है। जिन लोगों ने भारत पाकिस्तान का बटवारा करवाया, उन लोगों ने विभाजन का ब्लेम मुसलमानों पर लगाया। लखनऊ समझौते के तहत मुसलमानों को 33% रिजर्वेशन था और उस में 22.5% SC ST के लोग मिल जाए तो 55% होता है। डेमोक्रेसी में 55% रूलर होता है। उसमें ओबीसी मिल जाए तो 100% शासन हमारा है। डिवाइड करना जरूरी था। डिवाइड करने के बाद उन्होंने सोचा कि आरोप हमारे ऊपर नहीं लगना चाहिए। मुसलमान देश के बटवारे के लिए जिम्मेदार है। ऐसा निरंतर प्रचार किया और मुसलमानों को उसी समय से दुश्मन बनाना शुरू कर दिया कि देश का दुश्मन/ देश द्रोही मुसलमान है, ऐसी मानसिकता एससी एसटी ओबीसी की बनाई गई। लेकिन अगर भारत पाकिस्तान का विभाजन क्यों हुआ। यह चर्चा का विषय बन गया कि भारत का विभाजन करने वाले कौन हैं ? इस चर्चा को दबाने के लिए उन्होंने गांधी की हत्या की। भारत विभाजन की चर्चा बंद हो गई और नई चर्चा शुरू हो गई कि गांधी की हत्या क्यों हुई ? यह नई चर्चा शुरू हो गई। शायद आपको मालूम नहीं होगा कि गांधी की हत्या से पहले नाथूराम गोडसे का सुन्नत (खतना) हुआ। सोलापुर के मुड़े हॉस्पिटल में सुन्नत करवाया था कि गांधी की हत्या होगी और पब्लिक उसका हुलिया बिगाड़ देगी तो अगर उसकी शिनाख्त होगी तो पता चलेगा कि यह मुसलमान है तो मुसलमानों का कत्लेआम कराना आसान हो जाएगा। ऐसा ही हुआ गांधी जी की हत्या करने के बाद उसकी शिनाख्त करने के बाद पब्लिक में अफवाह फैल गई कि गांधीजी की हत्या किसी मुसलमान ने की और मुसलमानों का कत्लेआम आरएसएस के लोगों ने करवाया। 3 घंटे बाद बीबीसी ने डिक्लेअर किया कि एक मराठी ब्राह्मण ने गांधीजी को मारा तब तक 3 घंटे तक कत्लेआम चलता रहा। भारत विभाजन को दबाने के लिए साढे 3 घंटे कत्लेआम चलता रहा और मुसलमानों में अपराध बोध की भावना निर्माण की गई कि विभाजन का जिम्मेदार मुसलमान है।
विभाजन के वक्त मुसलमानों का क्या हाल किया मैं थोडे आंकड़े बताऊंगा। 7 लाख मुसलमान भारत में अपना घर बार छोड़कर गए। 7 लाख घर खाली कराए गए। इसमें से एक भी घर एससी एसटी ओबीसी को अलॉट नहीं किया और जो भी सिंधी, पंजाबी भारत में आए उनको 7 लाख घर का बटवारा किया। मुसलमानों की प्रॉपर्टी अपर कास्ट के लोगों में बटवारा किया। 70 लाख एकड़ जमीन मुसलमान भारत में छोड़ कर गए थे। उनका अपर कास्ट के लोगों में बटवारा किया, वह जमीन मूल निवासियों को नहीं दिया। जो लोग कहते हैं कि 55 करोड गांधी ने पाकिस्तान को दिया इसलिए गांधी की हत्या हुई। आपको शायद मालूम नहीं है कि जनरल केटेगरी के जो लोग पाकिस्तान से यहां आए सिंधी और पंजाबी लोगों को 91 करोड़ एलॉटेड किया गया। जिसकी आज तक चर्चा नहीं हुई। पाकिस्तान से आने वाले जनरल केटेगरी के 22000 लोगों को भारत सरकार में नौकरियां मिली और मूल निवासी एससी एसटी ओबीसी के आदमी पाकिस्तान से आए। उनमें 204 लोगों को नौकरियां मिली। 60000 लोगों को दिल्ली में बसाया गया। जो सिंधी और पंजाबी थे। बड़े शहरों में डवलपड एरिया में बसाया गया और एससी एसटी ओबीसी।