शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

एटा: पत्रकारों ने भाजपा कार्यालय पर सौंपा ज्ञापन

एटा में पत्रकार हित की मागों को लेकर सौपा ज्ञापन

एटा। देश में पत्रकारों की तरह तरह से हो रही अनदेखी, उत्पीड़न और फर्जी मुकदमों को लेकर शनिवार को एटा के पत्रकारों ने बबलू चक्रबर्ती के नेतृत्व में देश के प्रधानमंत्री के नाम प्रभारी मंत्री अतुल गर्ग को एटा भाजपा कार्यालय पर ज्ञापन सौपा। ज्ञापन देने वाले पत्रकारों में दैनिक जागरण से प्रवेश दीक्षित, सूरज सक्सेना, शहीदी दरिया से दिनेश चंद्र शर्मा, अमर उजाला से विपिन यादव, राहुल वर्मा, सोनी प्रतिहार, पीएस राजपूत और इसत्याक अहमद थे। 
नीरज जैन

अमेरिकी नागरिकों को म्यांमार नहीं जाने की सलाह

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका ने सैन्य तख्तापलट और कोरोना वायरस की स्थिति के मद्देनजर अपने नागरिकों को म्यांमार जाने से बचने की सलाह दी है। अमेरिका के विदेश विभाग ने यह परामर्श जारी किया है। विदेश विभाग ने जारी बयान में कहा, “विदेश विभाग ने अमेरिकी नागरिकों को म्यांमार की यात्रा नहीं करने की सलाह देते हुये 12 फरवरी 2021 को यात्रा परामर्श जारी किया है।” विभाग ने बताया कि रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्रों ने म्यांमार में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ने को लेकर सतर्क किया है। विभाग ने म्यांमार में राजनीतिक अशांति के बारे में नागरिकों को सतर्क करते हुये कहा, “म्यांमार की सेना ने निर्वाचित अधिकारियों को हिरासत में ले लिया है और तख्तापलट कर दिया है। म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए उम्मीदवारी घोषित

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मूल की एक महिला ने वैश्विक संगठन का अगला महासचिव बनने के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) में लेखा परीक्षा समन्वयक के तौर पर कार्यरत आकांक्षा अरोड़ा मौजूदा महासचिव एंतोनियो गुतारेस के खिलाफ उम्मीदवारी की घोषणा करने वाली पहली शख्स हैं। गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल के लिए उम्मीदवारी पेश की है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख का कार्यकाल 5 साल का होता है।आकांक्षा (34) ने कहा कि वह दुनिया के शीर्ष राजनयिक के पद के लिए चुनाव में खड़ी होंगी। उन्होंने अपनी ‘अरोड़ाफॉरएसजी’ मुहिम इस महीने आरंभ की। आकांक्षा ने ऑनलाइन जारी किए गए गई ढाई मिनट के अपने वीडियो में कहा, ”मेरे पद के लोगों से प्रभार संभाल रहे लोगों के खिलाफ खड़े होने की अपेक्षा नहीं की जाती। हमसे अपेक्षा की जाती है कि हम अपनी बारी का इंतजार करें, पुरानी प्रक्रिया के अनुसार काम करते रहें, काम पर जाएं, अपने सिर झुकाकर रखें और दुनिया जैसी है, उसे वैसा ही स्वीकार कर लें।” आकांक्षा ने कहा कि उनसे पहले आए लोग संयुक्त राष्ट्र को जवाबदेह बनाने में नाकाम रहे हैं और इसी लिए वह संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद के चुनाव में खड़ी हो रही हैं। गुतारेस (71) ने पिछले महीने पुष्टि की थी कि वह संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद के तौर पर दूसरे कार्यकाल के लिए भी चुनाव में खड़े होंगे। गुतारेस का पहला कार्यकाल इस साल 31 दिसंबर को समाप्त होगा। वह संयुक्त राष्ट्र के नौवें महासचिव हैं और संयुक्त राष्ट्र के 75 साल के इतिहास में कोई भी महिला इसकी महासचिव नहीं बनी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर के प्रवक्ता ब्रेंडन वर्मा से संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया कि क्या आकांक्षा ने अपनी उम्मीदवारी के संबंध में अध्यक्ष से कोई औपचारिक संवाद किया है। इसके जवाब में वर्मा ने कहा कि अध्यक्ष के कार्यालय को अभी तक कोई औपचारिक पत्र नहीं मिला है।

प्रदर्शन का अधिकार कहीं भी, नहीं हो सकता: एससी

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि प्रदर्शन करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता और इसने पिछले वर्ष पारित अपने आदेश की समीक्षा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। पिछले वर्ष फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक रास्ते पर कब्जा जमाना स्वीकार्य नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कुछ अचानक प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक असहमति या प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता है जिससे दूसरे लोगों के अधिकार प्रभावित हों। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, ”हमने समीक्षा याचिका और सिविल अपील पर गौर किया है और आश्वस्त हैं कि जिस आदेश की समीक्षा करने की मांग की गई है उसमें पुनर्विचार किए जाने की जरूरत नहीं है।” पीठ ने हाल में फैसला पारित करते हुए कहा कि इसने पहले के न्यायिक फैसलों पर विचार किया और गौर किया कि ”प्रदर्शन करने और असहमति व्यक्त करने का संवैधानिक अधिकार है लेकिन उसमें कुछ कर्तव्य भी हैं।” पीठ ने शाहीन बाग निवासी कनीज फातिमा और अन्य की याचिका को खारिज करते हुए कहा, ”प्रदर्शन करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता है। कुछ अचानक प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन लंबी समय तक असहमति या प्रदर्शन के मामले में सार्वजनिक स्थानों पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता है जिससे दूसरों के अधिकार प्रभावित हों।”

गतिरोध के बीच समिति करेगी एलएसी का दौरा

नई दिल्ली/ बीजिंग। संसद में रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य गतिरोध के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गलवान घाटी और पैंगांग झील सहित टकराव वाले सभी चार पांच बिन्दुओं का दौरा करने का प्रस्ताव किया है। रक्षा संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष जुएल ओरांव ने यहां संसद भवन परिसर में संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रक्षा संबंधी स्थायी समिति की 9 फरवरी को हुई बैठक में कुछ सदस्यों ने प्रस्ताव किया कि समिति को लद्दाख में एलएसी का दौरा करना चाहिए। इस पर सभी सदस्यों ने सहमति व्यक्त की। ओरांव ने बताया कि इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष को प्रस्ताव भेजा गया है और रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति के बाद 15 मई के बाद समिति वहां जाएगी। जुएल ओरांव ने कहा कि समिति के सदस्य गलवान घाटी, देप्सांग, पैंगांग झील लुब्रा घाटी आदि चार पांच बिन्दुओं का दौरा करेगी जहां हमारी सेना और चीन की सेना आमने सामने है। उन्होंने बताया कि समिति अपने दौरे में एलएसी पर सेना की तैयारियों, आधारभूत ढांचे की स्थिति तथा सीमा की सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों की बारीकी से समीक्षा करेगी और एक रिपोर्ट तैयार करेगी।

शाहीन बाग मामले में याचिका खारिज की: एससी

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। सर्वोच्च अदालत  ने पिछले साल अक्टूबर के महीने में दिए शाहीन बाग फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धरना प्रदर्शन लोग अपनी मर्जी से और किसी भी जगह नहीं कर सकते। धरना प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन उसकी एक सीमा है।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि धरना प्रदर्शन के लिए जगह चिन्हित होनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति या समूह इससे बाहर धरना प्रदर्शन करता है तो नियम के मुताबिक उन्हें हटाने का अधिकार पुलिस के पास है। धरना प्रदर्शन से आम लोगों पर कोई असर नहीं होना चाहिए। धरने के लिए सार्वजनिक स्थान पर कब्जा नहीं किया जा सकता।
इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के सी.ए.ए प्रोटेस्ट को गैर कानूनी बताया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार करने के लिए चुनौती दी गाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। तीन न्यायाधीशों एसके कॉल, अनीरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी ने याचिका खारिज की है।

एक बार फिर लोकसभा सदन में गरजें सांसद अजय

नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल उधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट एक बार फिर से लोकसभा में गरजते हुए दिखाई दिए इस बार उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा और सीधे चुनौती दी कि वह कहीं भी सार्वजनिक स्तर पर उनसे आमने-सामने की बहस कर सकते हैं। इसके अलावा सदन में 4 मिनट के समय में सांसद अजय भट्ट ने आपदा में क्विक एक्शन के लिए केंद्र सरकार का धन्यवाद अदा किया साथ ही कई महत्वपूर्ण मांग भी राज्य के हित के लिए की। सांसद अजय भट्ट ने लोकसभा सदन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट को गरीब मजदूर असहाय व्यापारी किसान सभी वर्गों का विशेष ध्यान देने वाला बजट बताया, साथ ही कहा कि आज किसानों के लिए केंद्र सरकार दर्जनों योजनाएं चला रही हैं। सदन में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देते हुए सांसद अजय भट्ट ने उत्तराखंड में आई आपदा का भी जिक्र किया उन्होंने कहा कि 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली में जो भीषण आपदा आई उस आपदा की जानकारी जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगी तो उन्होंने तत्काल न सिर्फ क्विक एक्शन लिया। बल्कि पूरी सरकारी मशीनरी को एक्टिव करते हुए तत्काल मदद पहुंचाने का काम किया।

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...