नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा मामले से जुड़े 7 नए वीडियो सामने आएं है। हिंसा के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा था। इकबाल सिंह नाम के व्यक्ति ने फेसबुक के वीडियो जरिए लोगों को भड़कता हुआ दिखाई दे रहा है। इकबाल सिंह पर 50 हजार का इनाम भी रखा गया है। बता दें कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है।
शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021
बाकी किसान रहेगा... 'संपादकीय'
बाकी किसान रहेंगे... 'संपादकीय'
मंदिर में घंटा, मस्जिद में अजान रहेंगे।
खून चूसने वाले खटमल-पिस्सु महान रहेंगे।
कारवां गुजर गया, अब तेरे भी दौर से।
कोई नहीं बचा 'सनकी', बाकी निशान रहेंगे।
भारत है किसानों का, बाकी किसान रहेंगे.....
किसान आंदोलन से सरकार की जड़े हिल चुकी है। सरकार की छवि के साथ-साथ विश्व स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी इंगित किया गया है। आंदोलन की गूंज धरती के कोने-कोने तक सुनी जा सकती है। जिसके कारण सरकार से प्रभावित हस्तियां भी खुले मंच पर उद्घोष करने से गुरेज नहीं कर रही है। इसका अर्थ यह है कि आंदोलन अपने निर्धारित लक्ष्य को भेदने के काफी करीब है। संभवतः कुनीतियों का समर्थन करने वाली सरकार आंदोलन को कुचलने या मसलने के कई आयामों पर विचार-विमर्श कर रही हो? किसी ऐसी रणनीति पर कार्य किया जा रहा हो। जो आंदोलन में स्थिरता ला सके या आंदोलन को दो फाड़ कर सके। इसमें हैरान होने की कोई बात नहीं है। ऐसा बिल्कुल किया जा सकता है। सरकार की मंशा किसी से छिपी नहीं है। ऐसा अनुमान लगाना भी व्यर्थ ही है कि सरकार कृषि कानूनों को रद्द कर देगी। इसलिए आंदोलन में रचनात्मक बदलाव का अभाव प्रतीत किया जा रहा है। यदि स्थिति के अनुसार प्रयोगात्मक परिवर्तन किए गए तो यह आंदोलन देखते ही देखते जन आंदोलन बन जाएगा। वर्तमान शासकीय प्रणाली में स्थाई परिवर्तन की संभावना प्रबल हो जाएगी।
आंदोलन के 72वें दिन कई उतार-चढ़ाव के बाद, किसानों के द्वारा एनसीआर में आज 3 घंटे का चक्का जाम सरकार को सीधा संदेश है। लेकिन सरकार विभिन्न योजनाओं में व्यस्त है। जो इस सीधे संदेश का रूपांतर नहीं करेगी। यह सरकार और सरकारी तंत्र के लिए कैंसर के जैसा होगा।
अनियंत्रित गति से बढ़ती हुई महंगाई की मार झेलने वाला मध्य वर्ग, आरक्षण से प्रभावित वर्ग, कोरोना काल से प्रभावित वर्ग और समूचा विपक्ष सरकार के सामने अलग-अलग स्थिति में कार्यरत है, और अलग-अलग मोर्चा संभाले हुए हैं। सरकार की खिलाफत हवा में घुल-मिल गई है। भाजपा का झंडा उठाने वाले ज्यादातर लोग उन्हें छोड़ चुके हैं या बदल चुके हैं। सरकार को और भी ऐसे कई पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की सख्त आवश्यकता है। लेकिन सरकार वह देखना ही नहीं चाहती है जो प्राथमिकता के आधार पर उसे देखने की जरूरत है।
राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'
काली के दरबार में नींबू की माला-अनार चढ़ाते हैं भक्त
रायपुर। चोरी मंडी स्थित मां काली दरबार के बारे में स्थानीय लोगों की माने तो मंदिर कभी गांव के पूर्वी छोर पर हुआ करता था। एक दिन ग्रामीणों ने देखा की मंदिर की मूर्ति अपने आप उत्तर दिशा की और झुकी हुई है तो भक्तों एवं विद्वानों से परामर्श के बाद यह निर्णय लिया गया की माँ गांव से उत्तर दिशा में जाने का निर्देश दे रही हैं। इसके बाद ग्रामीण मूर्ति को उठाकर उत्तर की ओर लेकर चले तो एक स्थान पर आकर मूर्ति का वजन अचानक बढ़ गया और मां के विग्रह को वही पर स्थान देना पड़ा। क्योंकि मां का स्वरूप एक पडी आकार में था। उसके बाद मां की मूर्ति की स्थापना कराई गई। नींबू की माला व अनार अर्पण के माध्यम से अपनी प्रार्थना लगाने वाले भक्तों पर मां काली की कृपा अवश्य होती है। चतुर्दशी पर यहां हर बार मेले जैसा आयोजन होता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मन्नत मानते हैं। यमुना किनारे चोरी मंडी में मां काली का दरबार सनातन धर्म प्रेमियों की आस्था का प्रतीक है।
इंटरनेट बहाल हो, लोगों को असुविधा: किसान नेता
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। किसान आंदोलन के मद्देनजर दिल्ली की तीनों सीमाओं और आसपास के जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाने पर किसान नेताओं का कहना है कि इंटरनेट सेवाएं तत्काल बहाल की जानी चाहिए। उनका कहना है कि इंटरनेट सेवाएं बंद होने से आम लोगों को असुविधा हो रही है। आम लोगों की सुविधाओं की बात करने वाले किसान नेताओं को शायद इस बात का ख्याल नहीं आया कि 2 माह से लगातार बॉर्डर पर जाम लगाने से आम आदमी को आवाजाही में कितने दिक्कत हो रही है। लगातार जारी किसान आंदोलन के चलते रोजमर्रा की जिंदगी कितनी बाधित हो गई है। ड्यूटी पर जाने वाले लोगों को कितनी असुविधा हो रही है। इस बात का ख्याल शायद इंटरनेट सेवा बहाल करने वाले लोग चक्का जाम करते समय बिल्कुल नहीं करते।
बंगाल में चुनाव कभी भी हो सकतें है: ममता
कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कहा कि बंगाल में कभी भी चुनाव हो सकते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोपों की बौछार कर दी। ममता ने कहा कि वे स्ट्रीट फाइटर है। किसी से डरने वाली नहीं है और उनके खिलाफ जितना भी हमले होंगे वह से लड़ने को तैयार है। आज अचानक बंगाल में चुनाव होने के बाद कहकर ममता बनर्जी ने सनसनी फैला दी है।
महिला ने लगाया शारीरिक संबंध बनाने का आरोप
बीजेपी विधायक के खिलाफ आईजी से शिकायत महिला ने लगाया फ्लैट में कई बार शारीरिक संबंध बनाने का आरोप
उदयपुर। मेवाड़ के उदयपुर जिले के गोगुंदा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक प्रतापलाल भील पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगे है। एक महिला ने उन पर शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। महिला ने उदयपुर रेंज के आईजी सत्यवीर सिंह के सामने पेश होकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के बाद इस इस मामले में गोगुंदा थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। लेकिन मामला विधायक से जुड़ा होने के चलते प्रदेश मुख्यालय के मार्फत जांच को सीआईडी सीबी को भेजा जाएगा। वहीं, विधायक का कहना है। कि उन्हें ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है। उदयपुर पुलिस अधीक्षक डॉ. राजीव पचार ने बताया कि पीड़िता मूलतया मध्य प्रदेश के नीमच इलाके की रहने वाली हैं। पीड़िता ने बताया कि करीब 3 साल पहले विधायक प्रतापलाल भील से उनकी मुलाकात एक सामाजिक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। महिला ने बताया कि पहले विधायक ने मेलजोल बढ़ाया। उसके बाद शादी करने का झांसा देकर उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाये। महिला के अनुसार, विधायक प्रताप भील ने उदयपुर के सुखेर स्थित एक फ्लैट में और नीमच में संबंध बनाए थे। पीड़िता का आरोप है। कि विधायक अब शादी मामले की गंभीरता को देखते हुए उदयपुर पुलिस ने विधायक प्रतापलाल भील के खिलाफ महिला की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली है। मामले को जांच के लिये सीआईडी सीबी को भेजा जाएगा। सीआईडी सीबी मामले की जांच करेगी। उससे पहले पुलिस ने महिला का मेडिकल भी करवा लिया है। दूसरी ओर विधायक प्रतापलाल भील ने ऐसा कोई भी मामला दर्ज होने की जानकारी से इनकार किया है। प्रताप भील गोगुंदा से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। वे पहले सरपंच रह चुके हैं।
कृषि कानूनों में आखिर ‘काला’ क्या है: कृषि मंत्री
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सरकार के कृषि सुधार कानूनों को क्रांतिकारी कदम बताते हुए राज्यसभा में शुक्रवार को कहा कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी और उनके जीवन में खुशहाली आएगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष कृषि सुधार कानूनों को काला कानून बता रहा है और ऐसा कहने का अधिकार भी उसे है। उन्होंने कहा किसान यूनियनों से कानून में काला क्या है, इसे बताने को कहा था ताकि सरकार उसे ठीक कर सके लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) के बाहर किसानों के उत्पादों को बेचने का कानून में प्रावधान किया है जिसमें कोई कर नहीं देना पड़ेगा जबकि राज्यों के एपीएमसी कानून में फसलों की खरीद बिक्री पर कर का प्रावधान है। उन्होंने मोदी सरकार को किसानों के प्रति समर्पित बताते हुए कहा कि आन्दोलनकारी किसानों को सम्मान देते हुए संवेदनशीलता से 12 बार उनकी मांगों पर चर्चा की गयी। सरकार ने किसानों को कानून में संशोधन का भी प्रस्ताव दिया और वह इसके लिए तैयार है।
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