गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021
सावधान: कुवैत ने विदेशी लोगों पर लगाया प्रतिबंध
मुखिया कुख्यात हक्कानी नेटवर्क के साथ संबंध
वाशिंगटन डीसी। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस की ओर से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकवादी संगठन आईएसआईएल-के का नया नेता शिहाब अल-मुहाजिर भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका में आतंकवादी गतिविधियों के अभियानों का प्रमुख है और बताया जाता है कि उसका जुड़ाव पहले कुख्यात हक्कानी नेटवर्क के साथ रहा है।
इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवांत- खोरासान (आईएसआईएल-के) को लेकर महासचिव की 12वीं रिपोर्ट में बताया गया है कि आईएसआईएल-के के पास अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों में 1,000 से 2,200 लड़ाके हैं। यह संगठन आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) और दइश के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआईएल-के अफगानिस्तान के नंगरहार और कुनार समेत अन्य प्रांतों में हमले जारी रखे हुए है। रिपोर्ट में कहा गया कि आईएसआईएल-के को इन प्रांतों के बड़े इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश में चुनौतियां तो मिल रही हैं लेकिन इस संगठन ने यहां कई हमलों की जम्मेदारी ली है।
संगठन ने मई में काबुल के प्रसूति अस्पताल, अगस्त में जलालाबाद शहर के जेल पर हमले, नवंबर में काबुल विश्वविद्यालय पर हमले और दिसंबर में नंगरहार प्रांत में एक महिला पत्रकार की हत्या समेत कई हमलों की जिम्मेदारी ली है। रिपोर्ट में कहा गया कि आईएसआईएल-के के पास अभी अफगानिस्तान के कई प्रांतों में 1,000-2,200 के बीच लड़ाके होने का आकलन किया गया है और संगठन द्वारा काबुल और अन्य प्रांतों की राजधानियों में हमले करने की आशंका है।
शिहाब अल-मुहाजिर को जून 2020 में इस समूह का नया नेता बनाया गया और वह कथित तौर पर अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका, मध्य एशिया के देशों में आतंकी अभियानों का नेतृत्व करता है। ऐसा कहा गया है कि इससे पहले वह हक्कानी नेटवर्क से जुड़ा था। वाशिंगटन के ‘इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर के अनुसार हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठानों में से कुछ लोगों का समर्थन हासिल है और यह अफगानिस्तान में लंबे समय से आतंकवादी संगठन के रूप में काम करता रहा है।
आतंकवादियों के चंगुल से छुड़ाए अपने सैनिक
इस्लामाबाद/ तेहरान। पाकिस्तान पर एक और सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया है। इस बार ईरान ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकियों को मारा है और अपने दो सैनिकों को मुक्त करा लिया। इसके साथ ही ईरान तीसरा देश बन गया है। जिसने पाकिस्तान की सीमा के अंदर जाकर आतंकियों को मारा है। इससे पहले अमेरिका और भारत ने ऐसा किया है। सर्जिकल स्ट्राइक को मंगलवार रात अंजाम दिया गया। सूत्रों ने बताया कि इस ऑपरेशन में कई पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए हैं, जो आतंकवादियों को कवर फायर दे रहे थे।ईरान की रेवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) ने खुफिया जानकारी के आधार पर पाकिस्तान के काफी अंदर जाकर ऑपरेशन को अंजाम दिया है। इसमें उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे से अपने दो सैनिकों को भी छुड़ा लिया है। IRGC से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ईरान के सैनिकों ने पाकिस्तान के अवैध रूप से कब्जाए गए बलोचिस्तान में घुसकर जैश अल-अदल के कब्जे से अपने सैनिकों को मुक्त कराया है। रेवोल्यूशनरी गार्ड्स की ओर से जारी आधिकारिक बयान में भी इसकी पुष्टि कर दी गई है और कहा गया है कि खुफिया जानकारी के आधार पर पाकिस्तान के अंदर जाकर अपने सैनिकों को आजाद करा लिया है। बयान में कहा गया है, ”आतंकी समूह की ओर से अगवा किए गए दो बॉर्डर गार्ड्स को मुक्त कराने के लिए मंगलवार को सफलतापूर्वक इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है।” जैश उल-अदल या जैश अल-अदल एक सलाफी जिहादी आतंकी संगठन है जो मुख्यतौर पर दक्षिणी-पूर्वी ईरान में सक्रिय है। यह आतंकवादी संगठन ईरान में नागरिक और सैन्य ठिकानों पर कई हमले कर चुका है। बलूचिस्तान में निर्दोष लोगों के नरसंहार के लिए इस आतंकी संगठन को पाकिस्तानी सेना से पूरा समर्थन मिलता है। IRGC के सूत्रों ने बताया कि मुक्त कराए गए ईरानी बॉर्डर गार्ड्स के जवानों को 2018 में अगवा किया गया था और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह ने पाकिस्तान में तब से बंधक बना रखा था। अब सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए उन्हें छुड़ा लिया गया है।
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पीलीभीत: 2 बाइकों की भिड़ंत में 3 की मौत, 3 घायल
गजरौला(पीलीभीत)। दो बाइकों में आमने-सामने जोरदार भिड़ंत में एक बच्चे सहित तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। कस्बा पूरनपुर के मोहल्ला कायस्थान निवासी 30 वर्षीय रविन्द्र सक्सेना पुत्र अशोक कुमार सक्सेना मोहल्ले के ही 18 वर्षीय ओम शर्मा पुत्र वीरेंद्र शर्मा के साथ अपनी बुआ रूद्रपुर निवासी मुन्नी देवी के यहां गया था। बुआ के घर से वह रूद्रपुर के ग्राम लालपुर पहुंचा। लालपुर में उसके चाचा प्रदीप रहते हैं। चचेरे भाई सात वर्षीय शरद ने साथ चलने की जिद की तो उसे भी बाइक पर बैठाकर पूरनपुर रवाना हुआ।
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