सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

रणनीति: गाजीपुर बॉर्डर 1 किले में तब्दील हुआ

अश्वनी उपाध्याय   

गाजियाबाद। दिल्ली-उत्तर प्रदेश के बीच स्थित गाजीपुर बॉर्डर सोमवार को एक किले में तब्दील हो गया। जहां हजारों किसान नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन स्थल पर कई स्तरों पर बैरिकेड लगाए गए हैं और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है। प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारतीय किसान यूनियन के सदस्य और इसके नेता राकेश टिकैत यूपी गेट पर नवंबर से डटे हुए हैं। प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) और त्वरित कार्य बल (आरएएफ) सहित सैकड़ों सुरक्षा कर्मियों को सतर्क रखा गया है। स्थिति पर नजर रखने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है और वाहनों की जांच की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से और अधिक किसान प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। पैदल जाने वाले लोगों को रोकने के लिए बैरिकेड के अलावा कंटीले तार लगाए गए हैं। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ”गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने दिल्ली-यूपी सीमा पर जारी किसान आंदोलन के बीच गाजीपुर, सीमापुरी और दिलशाद गार्डन इलाकों का दौरा किया और जमीनी हालात की समीक्षा की। बयान में कहा गया कि पांडे और नैथानी ने दिल्ली पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति पर चर्चा की और तैयारियों की समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया कि महानिरीक्षक (मेरठ रेंज) प्रवीण कुमार ने गाजियाबाद का दौरा किया। जहां उन्होंने यूपी गेट पर विरोध स्थल और कौशाम्बी पुलिस स्टेशन का दौरा किया। एक अधिकारी ने कहा, “आईजी ने स्थानीय पुलिस और विरोध स्थल पर तैनात पुलिस अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।” वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए फ्लाईओवर से सटे मार्गों पर सड़क पर भारी बैरिकेड लगाए गए हैं। कंटीले तार भी लगाए गए हैं। गौरतलब है, कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। शाहदरा जिले के दिल्ली पुलिस के कर्मियों को खुद को धारदार हथियार के हमले से बचाने के लिए लोहे के छड़ दिये गए हैं। पुलिस ने बताया कि शाहदरा जिले के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी 11 पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों (एसएचओ) द्वारा यह पहल की गई है। पुलिस ने बताया कि प्रत्येक पुलिस थाने ने अपने कर्मियों को लगभग 12 लोहे के छड़ वितरित किये गए हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”इसका उद्देश्य किसी भी तलवार या धारदार हथियार के हमलों से हमारे कर्मियों को बचाना है। यह उनकी आत्मरक्षा के लिए है। यह पहल शाहदरा जिले के संबंधित पुलिस थानों के एसएचओ ने की थी।” केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद यह कदम उठाया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी और पंजाब सरकार के कई मंत्रियों ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की तथा 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के बाद से ‘लापता’ लोगों की सूची सार्वजनिक करने का आग्रह किया। तिवारी के मुताबिक, उन्होंने और पंजाब सरकार के मंत्रियों सुखजिंदर रंधावा, सुख सरकारिया और राजकुमार छबेवाल ने बजट पेश होने के बाद शाह से मुलाकात की। उन्होंने ट्वीट किया, ”बजट के बाद अमित शाह से मुलाकात की। हमने उनसे आग्रह किया कि किसानों के प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए और गिरफ्तार किए गए लोगों की सूची सार्वजनिक की जाए ताकि उन्हें कानूनी कदम उठाने का मौका मिले।”



किम जोंग-उन की पत्नी 1 साल से लापता बताई

प्योंगयांग। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन की पत्नी पिछले एक साल से लापता बताई जा रही हैं। उन्हें आखिरी बार सार्वजानिक रूप से 25 जनवरी 2020 को देखा गया था। री सोल जू के इतने लंबे समय से गायब रहने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रहीं हैं। यह आशंका भी जताई जा रही है कि किम ने ही अपनी पत्नी को गायब करवा दिया है। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी की वजह से री सोल जू ने खुद को अलग-थलग कर लिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किम जोंग उन की पत्नी री सोल जू को आखिरी बार 25 जनवरी 2020 को देखा गया था। इस दौरान वह राजधानी प्योंगयांग में लूनर न्यू ईयर परफॉर्मेंस के दौरान अपने पति के साथ बैठी हुईं थीं। तभी से उन्हें किसी भी राष्ट्रीय कार्यक्रम में नहीं देखा गया। उन्होंने तानाशाह से 2009 में शादी की थी और 2012 में स्टेट मीडिया ने उन्हें किम जोंग उन की पत्नी के तौर पर संबोधित किया था। कहा जाता है कि री सोल जू को कहीं भी अपनी मर्जी से जाने की इजाजत नहीं है। उन्हें हमेशा पति किम जोंग उन के साथ ही देखा जाता है। 10 अक्टूबर 2020 को प्योंगयांग में मिलिट्री परेड का आयोजन किया गया था, इस दौरान भी वह कहीं नजर नहीं आईं। जबकि री सोल जू हर साल अपने पति के साथ इस कार्यक्रम में शरीक होती थीं।इसके बाद से उन्हें लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। कई लोग आशंका जता रहे हैं कि किम जोंग उन ने उन्हें गायब करवा दिया होगा। ऐसा भी कहा जा रहा है कि कोरोना महामारी के खौफ की वजह से किम की पत्नी ने कहीं भी आना-जाना बंद कर दिया है। वैसे, तानाशाह का जिस तरह का इतिहास रहा है। उसे देखते हुए इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि वो अपनी पत्नी को गायब करा सकता है। किम जोंग उन पर अपने चाचा की हत्या का भी आरोप है। इसके अलावा, वो अपने कई अधिकारियों को भी मौत के घाट उतरवा चुके हैं। बता दें कि किम ने 2011 में अपने पिता की मौत के बाद उत्तर कोरिया की सत्ता संभाली थी।

रिलीज: अभिनेता आमिर ने फोन उठाना बंद किया

मनोज सिंह ठाकुर    

मुंबई। आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ जल्द रिलीज होने वाली है। लेकिन इसकी रिलीज से पहले आमिर ने चौंकाने वाला ऐलान किया है। आमिर खान हमेशा कुछ हटके करते हैं और इस बार भी उन्होंने ऐसा किया है। एक्टर ने ‘लाल सिंह चड्ढा’ की रिलीज तक अपना मोबाइल फोन बंद करने का फैसला किया है।आज कल लोग अपना फोन बंद करना तो दूर कुछ घंटों के लिए भी फोन से दूर नहीं रह पाते। ऐसे में आमिर ने कई दिनों तक फोन से दूर रहने की बात कही है। अभिनेता ने अपने फोन से दूरी बनाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि यह लगातार उनके काम में अड़चन पैदा कर रहा है।हालांकि, ये सब जानते ही हैं कि आमिर खान अपने किरदार में पूरी तरह से ढल जाने के लिए जाने जाते हैं। आखिर वे मिस्टर परफेक्शनिस्ट जो हैं। ये आमिर की आदत रही है कि वे अपने प्रोजेक्ट्स को बहुत ध्यान से करते हैं। ऐसे में आमिर खान नहीं चाहते कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ के दरमियान भी उनका फोन बाधा बने। इसलिए अभिनेता ने यह कदम उठाया है। आमिर खान की इस फिल्म का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। आमिर की ये फिल्म इस बार भी परंपरा को जारी रखते हुए क्रिसमस पर रिलीज हो। ‘लाल सिंह चड्ढा’ में आमिर के साथ करीना कपूर नजर आने वाली हैं। इससे पहले दोनों ‘3 इडियट्स’ में साथ नजर आए थे। हमेशा की तरह ही ये उम्मीद की जा रही है कि आमिर की फिल्म इस बार भी बॉक्स ऑफिस पर कमाल करेंगे। पीके, दंगल, धूम 3, तारे जमीन पर या फिर गजनी सभी एक से बढ़ कर एक हिट रही हैं।

उत्तराखंड में बारिश और हिमपात की संभावना जारी

उत्तराखंड। प्रदेश में बारिश और हिमपात की संभावना, पढ़िए कैसा रहेगा मौसम
पंकज कपूर  
देहरादून। उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड से जल्द निजात मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। मौसम विज्ञान की माने तो उत्तराखंड में जल्द ही मौसम करवट बदल सकता है। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार से प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में बारिश और बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। यह क्रम गुरुवार को भी बना रह सकता है। लिहाजा अगले कुछ और दिन कड़ाके की ठंड में इजाफा होने की संभावना है।
रविवार को जोशीमठ, अल्मोड़ा, मुक्तेश्वर और चम्पावत में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया। प्रदेश में चम्पावत सबसे ठंडा रहा। यहां न्यूनतम तापमान शून्य से तीन डिग्री सेल्सियस नीचे रिकॉर्ड किया गया।
इस बार शीतकाल में प्रदेश में बारिश बेहद कम हुई है। पांच वर्ष में पहली बार अक्टूबर से जनवरी तक बारिश का आंकड़ा सामान्य से 71 फीसद कम रहा है। उच्च हिमालय को छोड़ दें तो प्रदेश में पांच जनवरी के बाद से हिमपात भी नहीं हुआ है। ऐसे में लोग बारिश और बर्फबारी की उम्मीद लगाए हुए हैं।
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि दो जनवरी को प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है। ऐसे में मौसम में बदलाव संभव है। पहाड़ से लेकर मैदान तक सुबह और शाम भले ही सर्द हो, लेकिन दोपहर में धूप गरमाहट का एहसास करा रही है। दून में भी दिन के समय पारा सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस अधिक बना हुआ है। हालांकि, रात को पारे में तेजी से गिरावट आ रही है। इधर मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा छाया हुआ है।
मौसम विभाग ने ठंड से बचाव के साथ ही कोहरे में वाहन चलाते समय एतिहात बरतने की सलाह दी है।

शादी-समारोह में बीजेपी-जेजेपी को न्योता नहीं

बीजेपी-जेजेपी नेताओं का बहिष्कार, शादी व समारोह में नहीं देंगे न्योता, 19 खापों की महापंचायत में हुआ फैसला

जींद। जिले के खटकड़ टोल प्लाजा पर शनिवार को जिले की विभिन्न खापों की महापंचायत हुई। इसमें सैकड़ों पुरुष व महिलाओं ने हिस्सा लिया। महापंचायत की अध्यक्षता सर्वजातीय खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान बरसोला ने की। इसमें 19 खाप प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। महापंचायत शुरू होते ही किसान आंदोलन में जो किसान शहीद हुए हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद विभिन्न खापों के प्रतिनिधियों ने टोल पर ही करीब दो घंटे तक अलग से बैठक की। इस दौरान फैसला लिया गया कि आने वाले दिनों में बीजेपी-जेजेपी नेताओं का बहिष्कार रहेगा। कोई भी व्यक्ति बीजेपी-जेजेपी के नेताओं को किसी शादी समारोह या कार्यक्रम में नहीं बुलाएगा। इसके अलावा फैसला लिया गया कि 7 फरवरी से खटकड़ टोल प्लाजा से जिले के किसान दिल्ली के टिकरी बॉर्डर के लिए पैदल कूच करेंगे। महापंचायत के फैसले का उपस्थित लोगों ने हाथ उठाकर समर्थन किया। महापंचायत में यह भी फैसला लिया गया कि यदि सरकार ने जल्द ही इंटरनेट सेवा बहाल नहीं की तो इसके विरोध में खाप पंचायत फिर से एकत्र होकर कोई कड़ा फैसला लेगी। क्योंकि इंटरनेट सेवा के बंद होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। पहले कोरोना के चलते लंबे समय तक बच्चे स्कूल नहीं जा सके। जीन्द जिले में बीजेपी-जेजेपी नेताओं को कोई भी व्यक्ति विवाह-शादियों या किसी अन्य कार्यक्रम का न्योता नहीं देगा। यदि कोई ऐसा करता है। तो संबंधित खाप इस पर फैसला लेगी। भाजपा-जजपा नेताओं का हर स्तर पर विरोध करेंगे। इसके साथ ही 7 फरवरी से जिले से किसान सर्वखाप पंचायत के बैनर के साथ दिल्ली के टिकरी बॉर्डर के लिए पैदल कूच करेंगे। कोई भी व्यक्ति घरों पर किसी पार्टी का झंडा नहीं लगाएगा। सभी अपने घरों पर तिरंगा और किसानों से संबंधित यूनियनों के झंडे लगाएंगे। सभी खाप अपने स्तर पर गांवों में कमेटी बनाकर आंदोलन के लिए चंदा एकत्र करे। हरियाणा के कुछ जिलों में बंद इंटरनेट सेवा पर कहा कि सरकार जल्द इंटरनेट सेवा बहाल करे, नहीं तो फिर खाप रोड जाम करने तक के कड़े फैसले ले सकती है। महापंचायत में एक ही बात पर जोर रहा कि दिल्ली में टिकरी बॉर्डर पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में किसान पहुंचे। इसके लिए संबंधित खाप अपने स्तर पर रणनीति तैयार करे। बॉर्डर पर जितने किसान बॉर्डर से वापस आएं, उतनी ही संख्या में किसान उसी दिन बॉर्डर पर पहुंचे। खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि पूरा हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरा देश किसान नेता राकेश टिकैत के साथ है। केंद्र व यूपी सरकार राकेश टिकैत को अकेला न समझ इस मौके पर बिनैन खाप के प्रधान नफे सिंह नैन, सर्व जातीय दाड़न खाप चबूतरा पालवां प्रधान दलबीर खेड़ी मंसानिया, चहल खाप प्रधान सुरजीत बड़ौदा, कंडेला खाप से राममेहर, ईश्वर कंडेला, कालवन तपा से फकीरचंद नैन, बराह खाप से कुलदीप, माजरा खाप से बिजेंद्र फौजी, देशवाल खाप से रामफल देशवाल, उझाना खाप से चंद्र सिंह, सिक्किम सफा खेड़ी, राकेश खटकड़, ईश्वर फौजी आदि मौजूद रहे।

मृत कर्मचारी की पत्नी अपराधी, पेंशन की हकदार

मृत कर्मचारी की पत्नी अपराधी तो भी फैमिली पेंशन की हकदार- हाईकोर्ट
राणा ओबराय  
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सरकारी कर्मचारी की विधवा यदि हत्यारिन है, तो भी उसे फैमिली पेंशन देने से इनकार नहीं किया जा सकता। मामला अंबाला निवासी बलजीत कौर की फैमिली पेंशन रोकने के मामले से जुड़ा हुआ है। बलजीत कौर के पति तरसेम सिंह हरियाणा सरकार के कर्मचारी थे। और उनकी 2008 में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद 2009 में उनकी पत्नी पर हत्या का एक मामला दर्ज हुआ था। उनकी पत्नी बलजिंदर कौर को 2011 में दोषी करार दिया गया था। 2011 में उसे दोषी करार देने के बाद हरियाणा सरकार ने उसको दिए जाने वाले वित्तीय लाभ रोक दिए थे। नियम के अनुसार सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तिथि तक वित्तीय लाभ जारी किए जाते हैं। सेवानिवृत्ति की आयु पूरी होने के बाद पत्नी फैमिली पेंशन की हकदार होती है। हरियाणा सरकार ने यह कहते हुए वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन से इनकार कर दिया था। कि पत्नी का आचरण सही नहीं है। और वह दोषी करार दी जा चुकी है।
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि यह आदेश नियमों के विपरीत है। यदि कर्मचारी का आचरण सही नहीं है। या फिर उसे गंभीर अपराध में दंड मिला है तो उसे सजा के तौर पर पेंशन या अन्य लाभ से महरूम रखा जा सकता है। यदि पत्नी का आचरण सही नहीं है या फिर वह गंभीर मामले में दोषी करार दी जा चुकी है। तो भी वह फैमिली पेंशन व वित्तीय लाभ की हकदार है। हाईकोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार ने आदेश जारी करते हुए गलती की है। यदि कर्मचारी की हत्या उसकी पत्नी करती है। तभी उसे वित्तीय लाभ से वंचित रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सोने की अंडे देने वाली मुर्गी को कोई नहीं काटता। कोई पत्नी केवल वित्तीय लाभ के लिए कर्मचारी की हत्या न कर दे इसलिए नियम बनाया गया था।
फैमिली पेंशन एक कल्याणकारी नियम है। जिसे कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाया गया है। ऐसे में पत्नी किसी अपराधिक मामले की दोषी होकर भी फैमिली पेंशन की हकदार है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को दो माह के भीतर याचिकाकर्ता को लंबित वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन जारी करने का आदेश जारी किया है।

2 साल की उम्र में गई आंखों की रोशनी,आईएएस

2 साल की उम्र में चली गई आंखों की रोशनी, पहली बार में यूपीएसी परीक्षा पास कर हरियाणा का राकेश बना आईएएस अधिकारी
राणा ओबराय  
चंडीगढ़। कहते है, कि अगर दिल में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो और मजबूत हौसला हो तो उसकी कभी भी हार नहीं होती। दूनियां में ऐसे बहुत से लोग हैं। जिसको इस समाज ने नकारा समझा था। और उन लोगों ने कामयाबी हासिल करके उनको गलत साबित कर दिया। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं। क्यों कि उन लोगों को कही से प्रेरणा जरूर मिली हैं। सफलता की कई कहानियां न सिर्फ आपको आकर्षित करती हैं। बल्कि भीतर से जज्बे और जुनून से भर देती हैं। ऐसी ही एक कहानी है। दृष्टिबाधित आईएएस राकेश शर्मा की जिन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी पास कर न सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया। बल्कि यह भी दिखा दिया कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। राकेश को देखकर कभी लोगों ने उनके परिवार से कहा था। कि इनको अनाथ आश्रम छोड़ दो। लेकिन लोगों की बातों से बिना इत्तेफाक रखे परिवार ने बेटे का पूरा साथ दिया और इस मुकाम तक पहुंचने में मदद की। राकेश हरियाणा के भिवानी जिले में स्थित एक छोटे से गांव सांवड़ के रहने वाले हैं। राकेश की दो साल की उम्र में ही आंखों की रोशनी चले गई। लेकिन परिवार का धैर्य और आत्मविश्वास कभी नहीं टूटा। परिवार के साथ ही राकेश ने भी कभी हार नहीं मानी। लोगों ने उनकी स्थिति देखकर परिवार से कहा कि उन्हें आश्रम में डाल दें ताकि ठीक से परवरिश हो सके। लेकिन परिवार ने राकेश को आम बच्चे की तरह पाला और हमेशा उनकी हिम्मत बढ़ाई। राकेश ने अपनी आंखें दवा के रिएक्शन की वजह से खोई थी। परिजनों ने राकेश का इलाज भी करवाया पर कुछ फायदा नहीं हुआ और उनका विजन पूरी तरह से चला गया। राकेश को उनकी स्थिति देखकर सामान्य स्कूल में दाखिला नहीं मिला। जिसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई स्पेशल स्कूल में की। बारहवीं स्पेशल स्कूल से पास करने के बाद राकेश ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। जहां से उनके आत्मविश्वास को काफी मजबूती मिली। उनका कहना है। कि दिल्ली विश्वविद्यालय में होने वाली एक्टिविटीज और शिक्षक व साथियों के प्रोत्साहन से वे न केवल जीवन के तमाम पहलुओं से वाकिफ हुए, बल्कि उनके भीतर कुछ बड़ा करने की इच्छा ने भी जन्म लिया। दिल्ली नॉलेज ट्रैक से बातचीत करते हुए राकेश ने कई बातें साझा की हैं। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा तैयारी से लेकर अपने जीवन के पहलुओं पर खुलकर बताया। राकेश ने साल 2018 में पहले ही प्रयास में युपीएसी की परीक्षा में सफलता पाई और आईएएस बने। वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए और सोशल वर्क में मास्टर्स करने के बाद उन्होंने आईएएस बनकर देश सेवा की ठानी। उन्होंने समाज में बदलाव के लिए आईएएस बनने का सपना देखा जो कि पूरा हुआ। अपनी मेहनत के बदौलत वह पहले ही प्रयास में 608 रैंक हासिल कर आईएएस बन गए। राकेश कहते हैं। कि माता-पिता की कृपा की वजह से ही वह यहां पहुंचे हैं। उनको शिक्षकों का भी भरपूर सहयोग मिला। दिन-रात की मेहनत ने यूपीएससी में सफलता दिलाई।

27 वर्ष बाद दुष्कर्मी को 10 साल की सजा

27 वर्ष बाद दुष्कर्मी को 10 साल की सजा  गणेश साहू  कौशाम्बी। सैनी कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में खेत से लौट रही बालिका के साथ 27 वर्ष पहले स...