सोमवार, 1 फ़रवरी 2021
सड़क हादसे में 9 की मौत, 25 से अधिक घायल
महिला सिपाही को गोली मार खुद को भी गोली मारी
जातियों में विभक्त करने की साजिश देशद्रोह: मदन
किसान समाज राष्ट्रीय एकता और अखंडता का द्योतक।
रोशन कुमार
गाजियाबाद। किसान आंदोलन को चलते दो महीने से ज्यादा समय बीत गया है। इस बीच आंदोलित किसानों के संबंध में अपनी वैचारिक मानसिकता के अनुसार तरह-तरह टीका टिप्पणीया की जाती रही है। किसान आंदोलन में शरीक एक संप्रदाय और जाति विशेष के लोगों को खालिस्तानी और आतंकी जैसे अभद्र शब्दों से नवाजा गया। कुछ उद्दंड किस्म के लोगों ने इन किसानों को देशद्रोही और आतंकी कहकर राजनीति चमकाने का प्रयास किया। लेकिन जिस तरह गरीब की आह और बद्दुआ किसी को बर्बाद कर सकती है उसी तरह किसान की बद्दुआ और दिल से निकली हुई आह भी गरीब की आह से कम नहीं होती। ध्यान रहे कि ठिठुरन भरी कड़कड़ाती सर्दी में किसान के दिल से निकली हुई आह किसानों के प्रति विद्वेष की भावना रखकर उन्हें आतंकी और देशद्रोही कहने वालों को भी मिट्टी में मिला सकती है। अर्श से फर्श पर ला सकती है। इतिहास गवाह है देश के किसी भी क्षेत्र में जिसने किसान से पंगा लिया है वह कभी सरसब्ज नहीं हो पाया है।
मदन भैया ने कहा कि कड़कड़ाती सर्दी और ऊपर से हुई बरसात में अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलित किसानों द्वारा जुटाई गई तमाम जरूरी सामग्री और सुविधाओं पर कटाक्ष करके निशाना साधा गया। लेकिन कटाक्ष करने वाले लोगों के इन व्यंग्यात्मक बाणो का भी जब आम लोगों पर असर नहीं हुआ और आंदोलन का कारवां बढ़ता गया तब गणतंत्र दिवस पर एक राष्ट्र दोही द्वारा देश को अपमानित और शर्मसार करने वाली घटना की तोहमत भी इन भोले भाले किसानों पर मढने का प्रयास किया गया। लेकिन सत्य की सदा विजय हुई है, सच्चाई देश की जनता के सामने हैं। इस तरह तमाम प्रताड़नाओं संघर्षों के बाद भी सोने की तरह तप कर निकलने वाले किसान आंदोलन में एक नई चमक पैदा हुई है। चमक को पैदा करने के महानायक चौधरी राकेश टिकैत जी का मैं गुर्जर समाज की तरफ से धन्यवाद करता हूं जिन्होंने किसान को एक नई पहचान देने का काम किया है और किसान आंदोलन में नई जान फूंकने का काम किया है। पूर्व विधायक मदन भैया ने कहा कि इस चमक को फीका करने के लिए अभी भी कुछ षड्यंत्रकारी ताकतें किसान समाज को जातियों में बांटने के लिए प्रयासरत है।
मदन भैया ने कहा कि किसान समाज विभिन्न जातियों और संप्रदायों का एक संगठित रूप है। किसान शब्द में देश की विभिन्न जातियां और संप्रदाय समाहित हैं जो देश की एकता और अखंडता का़ द्योतक है। इसलिए किसान समाज को जातियों में विभक्त करने वालों की साजिश देशद्रोह से कम नहीं है। पूर्व विधायक मदन भैया ने कहा कि हमें ऐसे साजिश कर्ता षड्यंत्रकारियो से सावधान रहने की जरूरत है। मदन भैया ने कहा कि निजी स्वार्थपरता और राजनैतिक लालसा के लिए प्रयासरत चंद लोगों के किसी बहकावे में आकर हम किसान समाज में वैमनस्यता के बीज नहीं बोने देंगे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि किसान समाज का अभिन्न अंग गुर्जर समाज ऐसे विघटनकारियों के मंसूबों को पूरा नहीं होने देगा।
चार बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व विधायक मदन भैया ने कहा कि देश का समस्त गुर्जर समाज किसान आंदोलन में किसान समाज के साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़ा है और खड़ा रहेगा। खास तौर पर 26 जनवरी के बाद पैदा हुई विषम परिस्थितियों में धरना स्थल पर बड़ी संख्या में पहुंच कर गुर्जर समाज ने किसान समाज की अगुवाई कर रहे चौधरी राकेश टिकैत को इस बात का खुला संदेश भी दे दिया है कि गुर्जर समाज तन, मन, धन से किसान आंदोलन में किसानों के साथ है। पूर्व विधायक मदन भैया ने कहा कि किसान आंदोलन के घटक जाट और गुर्जर समाज के लोगों में सदैव भाईचारा रहा है। राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए इस भाईचारे को खत्म करने के प्रयास करने वाले चंद लोगों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। बल्कि इस आंदोलन से यह भाईचारा और मजबूत होकर उभरेगा।
मिस्टर एंड मिस आगरा का सेमी फाइनल सम्पन्न
बारात में ट्रैक्टर चलाकर दुल्हन को लेने पहुंचा दूल्हा
काशीपुर। भले ही आपने किसानों के अनेकों प्रदर्शन देखें होंगे लेकिन उधम सिंह नगर में किसान के प्रदर्शन का एक ऐसा रूप सामने आया जो कि चर्चा का विषय बन गया। प्रदर्शन भी ऐसा की किसानों के आंदोलन को समर्पित एक दूल्हा अपनी दुल्हन को ट्रैक्टर पर ही लेने आ गया। देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के आपने कई रूप देखे होंगे लेकिन आज जो किसान आंदोलन का एक रूप हम दिखाने जा रहे हैं वह आपने शायद ही कहीं देखा हो। ट्रैक्टर पर बारात लाया दूल्हा मीडिया की सुर्खियां बन गया। फूलों से सजा ट्रैक्टर, स्टीयरिंग थामे हुये दूल्हा और बगल में बैठी सजी-धजी दुल्हन। पीछे किसान आंदोलन के समर्थन में झंडे लेकर चलते बाराती और शगुन गीतों के साथ किसानों की कामयाबी की दुआएं करतीं महिलाएं। ये नजारा किसानों के समर्थन में निकली किसी रैली का नहीं, बल्कि काशीपुर के सिवलजीत सिंह और बाजपुर की संदीप कोर की बारात का है। जहां नवदंपति ने अपने जीवन के अनमोल पल को किसान आंदोलन को समर्पित कर यादगार बना दिया। बता दे की बाजपुर के ग्राम केशवालाा निवासी तरसेम सिंह ने अपनी बेटी का संदीप कौर का विवाह काशीपुर के टांडा दभौरा निवासी सिवलजीत सिंह से तय की थी। बारात काशीपुर से बाजपुर पहुंची तो रास्ते में लोग अनोखी बारात को देख एक पल को चौंक गये।
विरोध: भाजपा कार्यकर्ताओं का प्रवेश वर्जित किया
तहसील मोदीनगर के गांव खंजरपुर में लगे पोस्टर। बीजेपी कार्यकर्ताओं का गांव में आना सख्त मना है। अंकित गोस्वामी
गाजियाबाद। किसान आंदोलन का असर अब देहात में भी नजर आने लगा है जिसके चलते गाजियाबाद की तहसील मोदीनगर के गांव खंजरपुर में किसान अपने नेता राकेश टिकैत का समर्थन करते हुए नजर आ रहे हैं जिस दिन यूपी गेट बॉर्डर पर राकेश टिकैत की आंखों में किसानों ने आंसू देखे उस दिन से अब गांव के किसान भी पूरी तरह से भाजपा के विरोध में नजर आ रहे हैं ।खंजरपुर के किसानों ने गांव में बाकायदा पोस्टर लगाए हैं। जिसमें लिखा है कि किसी भी बीजेपी कार्यकर्ता का गांव में आना सख्त मना है । यानी कि भाजपा कार्यकर्ताओं का इस गांव में आने पर पुरजोर विरोध किया जाएगा।
मोदीनगर तहसील के भोजपुर ब्लाक के गांव खंजरपुर में रहने वाले किसानों ने दीवारों पर पोस्टर चस्पा किये हैं। इस पोस्टर पर सबसे ऊपर किसान एकता जिंदाबाद लिखा गया है। एक तरफ चौधरी चरण सिंह की फोटो तो दूसरी तरफ किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की फोटो लगी है ।पोस्टर के बीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो लगी है और भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह भी लगा हुआ है। जिस पर लिखा हुआ है रिजेक्ट और सबसे नीचे लिखा हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता का गांव में आना सख्त मना है।
यहां किसानों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने अपने समर्थकों के साथ यूपी गेट बॉर्डर पर बैठे किसानों को भगाने के लिए उनके साथ दुर्व्यवहार किया है। यानी किसानों के आंदोलन को भाजपा को कुचलना चाहती है। इसलिए खंजरपुर के सभी किसान भाजपा के कार्यकर्ताओं के गांव में आने पर उनका बहिष्कार कर रहे हैं ।यदि इसके बावजूद भी कोई बीजेपी कार्यकर्ता गांव के अंदर आता है तो उसके साथ दुर्व्यवहार ही नहीं हाथापाई भी हो सकती है। यहां के किसानों का कहना है कि इसीलिए गांव में पोस्टर लगाए गए हैं।
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