शनिवार, 30 जनवरी 2021

कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया ने फैसला लिया

नई दिल्ली। बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया ने एक बड़ा फैसला लिया है। 87 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा। जब फर्स्ट क्लास घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का आयोजन नहीं हो सकेगा। सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट के बाद बीसीसीआई ने विजय हजारे ट्रॉफी को कराने का फैसला किया है। इस साल रणजी ट्रॉफी नहीं कराने का फैसला किया है। बता दें कि कुछ समय पहले भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और घरेलू दिग्गज वसीम जाफर ने कहा था। कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विजय हजारे, दलीप और देवधर ट्रॉफी को इस सत्र में रद्द कर दिया जाना चाहिए और इसके बजाय उस समय का उपयोग रणजी ट्रॉफी का आयोजन किया जाना चाहिए. लेकिन अब बीसीसीआई ने फैसला किया है। कि इस सत्र में विजय हजारे ट्रॉफी को ही कराया जाएगा।
विजय हजारे ट्रॉफी के अलावा बीसीसीआई महिला सीनियर वनडे ट्रॉफी और अंडर-19 क्रिकेट में वीनू मांकड़ वनडे ट्रॉफी का आयोजन भी कराएगा। बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने राज्य संघों को भेजे अपने पत्र में लिखा है। कि यह फैसला राज्य संघों से मिले फीडबैक और कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए यह फैसला किया है।
इस मुद्दे पर पीटीआई से बात करते हुए शाह ने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है। कि हम विजय हजारे ट्रॉफी के साथ-साथ सीनियर महिला एक दिवसीय टूर्नामेंट का संचालन करने जा रहे हैं। और इसके बाद वीनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर -19 का आयोजन होगा। यह घरेलू सीजन 2020-21 पर आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद तय किया गया है। शाह ने राज्य इकाइयों को एक पत्र लिखा जिसके बाद यह फैसला किया गया है।
बता दें कि कोरोना वायरस के खतरे के बीच भारत में पहली बार इंटरनेशनल सीरीज फरवरी में खेला जाएगा। भारत और इंग्लैंड के बीच 4 टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच 5 फरवरी को चेन्नई में खेला जाएगा। वहीं, घरेलू टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली का बीसीसीआई ने सफल आयोजन किया है।

मुरादाबाद: कंटेनर में भिड़ंत में 10 की मौत, 25 घायल

मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद के कुंदरकी क्षेत्र के आगरा स्टेट हाइवे पर शनिवार को घने कोहरे के बीच कैंटर और बस के बीच भिड़ंत हो गई। जिससे कम से कम दस यात्रियों की मौत हो गई जबकि 25 गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि तड़के लगभग आठ बजे मुरादाबाद-आगरा हाईवे स्थित बिलारी सर्किल में हुसैनपुर पुलिया नानपुर के पास यह हादसा उस समय हुआ जब मुरादाबाद की ओर से यात्रियों से भरी एक प्राईवेट बस को ओवरटेक करने के प्रयास में कैंटर टकरा गया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बस की चालक साईड पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।

स्पोर्ट्स पर फिल्म में काम करेंगे एक्ट्रेस आमिर

मुंबई। बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट अभिनेता आमिर खान स्पोर्ट्स पर आधारित फिल्म में काम करते नजर आ सकते हैं। आमिर खान इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म लाला सिंह चड्डा में व्यस्त हैं। चर्चा है कि निर्देशक आरएस प्रसन्ना, आमिर खान से एक फिल्म पर बात कर रहे हैं, जो स्पोर्ट्स बैकग्राउंड पर आधरित होगी। आमिर इस फिल्म के लिये दिलचस्पी दिखा रहे हैं। यह फिल्म स्पोर्ट्स की पृष्ठभूमि पर आधारित होगी, जिसमें ह्यूमर भी काफी होगा। हालांकि यह पूरी तरह से स्पोटर्स पर आधारित फिल्म नहीं होगी लेकिन इसकी पृष्ठभूमि उसी पर आधारित होगा। इस फिल्म का स्क्रीनप्ले एक स्पैनिश फिल्म से लिया गया है। आमिर इस फिल्म को लेकर ‘लाल सिंह चड्ढा’ की शूटिंग के बाद ही अंतिम फैसला लेंगे। यदि आमिर यह फिल्म साइन कर लेते हैं तो उन्हें स्पोर्ट्स की बैकग्राउंड की फिल्म में देखना काफी दिलचस्प होगा।

पंजाब: अमरिंदर ने सरकार को आगाह किया

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन का फायदा उठाकर पाकिस्तान सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार को पाकिस्तानी साजिशों को लेकर आगाह किया है। सीएम अमरिंदर सिंह ने दावा किया है कि किसान आंदोलन के शरुआत से ही पाकिस्तान पंजाब में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है और साथ में बड़े पैमाने पर ड्रोन के जरिए हथियार भेज रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को अशांत पंजाब सूट करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि पाकिस्तान के स्लीपर सेल हैं जिसे वह ऐक्टिवेट कर सकता है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2020 से किसान आंदोलन जबसे शुरू हुआ है पाकिस्तान पंजाब में हथियारों के साथ-साथ पैसे और हेरोइन भी भेज रहा है।

कृषि कानूनों के खिलाफ हड़ताल करेंगे किसान

अकांशु उपाध्याय    
नई दिल्ली। दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की तरफ से की गई भावुक अपील के बाद किसान आंदोलन एक बार फिर से खड़ा हो गया है। कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब 2 महीनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं और माना जा रहा था कि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की घटनाओं के बाद यह आंदोलन खत्म हो जाएगा। इस बीच किसानों ने आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को ‘सद्भावना दिवस’ के तौर पर मनाने का ऐलान किया है। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान आज एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे।

पीएम-राष्ट्रपति ने राष्ट्रपिता गांधी को दी श्रद्दांजलि

अकांशु उपाध्याय   

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उनका स्मरण किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। उनकी पुण्यतिथि को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, ‘‘आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अमर-बलिदान के दिन कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उनकी पुण्य स्मृति को मैं नमन करता हूं। शांति, अहिंसा, सादगी, साधनों की पवित्रता और विनम्रता के उनके आदर्शों का हमें पालन करना चाहिए। आइए हम उनके द्वारा दिखाए गए सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।’’ मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘महान बापू की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि। उनके आदर्श लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। शहीद दिवस पर हम उन सभी महान महिलाओं और पुरुषों के बलिदान को याद करते हैं, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता और प्रत्येक भारतीय की कुशलता के लिए खुद को समर्पित कर दिया।’’,उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने यहां जारी एक संदेश में कहा कि महात्मा गांधी ने समाज के दुर्बल वर्गों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए। उनके सिद्धांत और जीवन आज भी अखिल विश्व के कल्याण का मार्ग दीप्त करते हैं। उन्हें याद करते हुए, उनका अनुसरण करने का भी संकल्प लेना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा , “राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर उनकी पावन स्मृति में सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘सत्य, अहिंसा, धैर्य, साहस और सत्याग्रह। बड़ी से बड़ी शक्तियों को अप्रभावी करने वाले गांधी जी के ये सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जिनसे अधिकारों की कोई भी लड़ाई जीती जा सकती है। पूज्य बापू जी के स्मृति दिवस पर उन्हें कोटि कोटि नमन।’’

मुसलमान नारों को दरकिनार कर, भीड़ को बढ़ाएं

मोहम्मद जाहिद 

नई दिल्ली। एक होती है बुद्धी और दूसरी होती है "जड़बुद्धी"। जो लोग कह रहे हैं कि किसान आंदोलन में मुसलमानों के शामिल होने से आंदोलन कमज़ोर हो जाएगा। वह पिछले अनुभवों के आधार पर कुछ हद तक तो सही हैं पर ऐसे लोग "जड़बुद्धी" वाले लोग हैं। ऐसे लोग इतिहास के कब्र को सीने में दबाए सोचते रहते हैं। जबकि आज का दौर बदलती परिस्थीति के अनुसार तौर तरीके और रणनीति बदलने की है। जड़बुद्धी अर्थात "बुद्धी का स्थिर होना" अर्थात कोई नयी क्रिएटिवटी ना कर पाने वाला।

मुसलमानों को किसान आंदोलन में बिल्कुल शामिल होना चाहिए, पर वह मंच और जज़बाती तकरीरों और "नारे तकबीर" जैसे इस्लामिक नारों से दूर रहकर सिर्फ़ भीड़ की संख्या बढ़ाएँ। वह किसान आंदोलन के "चेहरे" नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ "सिर" बनें , भीड़ बनें , और किसान आंदोलन को मज़बूती दें। इससे दो फायदे होंगे , एक तो किसान आंदोलन मज़बूत होगा और बढ़ती भीड़ सरकार की चूलें हिलाएँगी और दूसरा मुसलमानों को राजनैतिक आदोलन करने का ढंग भी आएगा।

दरअसल मुसलमान एक जज़बाती कौम है , उसने दाढ़ी टोपी वाले 25-100 लोगों को अपने साथ देखा तो वह अपने आंदोलन का मकसद भूल कर "नारे तकबीर अल्लाह ओ अकबर" का नारा लगाने लगती है। धार्मिक आयोजन में तो यह सब ठीक है पर सरकार से लड़ाई लड़ने के लिए हो रहे किसी राजनैतिक आंदोलन में ऐसे नारे आंदोलन की विफलता का प्रमुख कारक है क्युँकि आपके राजनैतिक आंदोलन में ऐसे नारों के साथ कोई गैरमज़हब का आपका ही साथी आपके साथ खड़ा नहीं होगा। मौजूदा सरकारें भी ऐसे लगे नारों को उछालकर "तालिबान" ब्ला ब्ला का आरोप लगाकर पूरी मुहिम फुस्स कर देगी। और दूसरी कौमें ऐसे नारे सुनकर आपके विरुद्ध हो जाएँगी। जैसे आप हो जाते हैं।

दरअसल इस देश का मुसलमान अपने हक के लिए लड़ाई लड़ने के तौर तरीके आज़ादी के 70 साल बाद भी सीख और समझ नहीं पाया है तो उसके कारण है। उसने सभाओं को केवल धार्मिक जलसों या मुशायरों में ही देखा या सुना है , यह जलसे या तो तबलीगी जलसे रहे हैं या मस्जिद के मिंबर पर से मौलाना की तकरीरें।इसीलिए वह अपने समाज के लोगों की भीड़ देखते ही उसी रंग और जोश में आ जाता है "नारे तकबीर" लगाने लगता है। यह गलत है।

राजनैतिक आंदोलन धार्मिक नारों या उसके कलेवर से दूर रहना चाहिए , ऐसे आंदोलन की सफलता में सबका सहयोग चाहिए होता है , "जैसा देश वैसा भेष" की तर्ज पर ही राजनैतिक आंदोलन चलना चाहिए और सबसे जरूरी है मंच पर बोलने के तौर तरीके सीखना। इसीलिए कहा , एक विद्यार्थी के रूप में सिर्फ गिनती बढ़ाने के लिए मुसलमानों को किसान आंदोलन में शामिल होना चाहिए।

नरेश-राकेश टिकैत को अपनी गलती का एहसास हो गया है , उनका साथ दीजिए और उनसे कुछ सीखिए कि कैसे 12 घंटे पहले की एक काल पर कई लाख लोग "महापंचायत" में आ जाते हैं। किसान आंदोलन में शामिल होईए और पुराना समीकरण बहाल कीजिए , यही आज की रणनीति है यही आज की ज़रूरत है। जाईए और आंदोलन का ढंग सीखिए और मुजफ्फरनगर दंगों के कारण हुए राजनैतिक और सामाजिक विभाजन को खत्म कर दीजिए।

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...