नई दिल्ली। देश में करोड़ों किलोमीटर सड़कें हैं। अधिकाँश सड़कें टूटी हैं, डैमेज हैं, पुरानी हैं, बदहाल हैं। अधिकांश सडकों में गड्ढे हैं। अधिकाँश सड़कों के साथ पैदल वालों हेतु पटरी नहीं हैं। अधिकाँश सड़कों पर डिवाइडर, ज़ेबरा मार्किंग, बोर्ड, मार्किंग, स्टॉप लाइन मार्क नहीं है। अधिकाँश सड़कों पर सिग्नल नहीं हैं।
राष्ट्रपति पद के दावेदार रह चुके जीवन कुमार मित्तल कह रहे है अधिकाँश सड़कों पर आगामी मोड़ का पता ही नहीं चलता और मोड़ पर टक्कर हो जाती है। अधिकांश सड़कों पर रॉंग साइड सामान्य है। अधिकांश सड़कों पर पार्किंग है, वाहन खड़े हैं जिससे ड्राइव वे कम हो जाता है। अधिकाँश सड़कों पर अतिक्रमण है, रेहड़ी हैं, व्यापार है। सड़कों पर हर साल लाखों मौत हो रही हैं। सड़क टूटी होने से गुजरने वाला हर वाहन शोर करता है। उन्होंने भारतीय व्यवस्था के सभी अंगों को इस गंभीर समस्या पर कटघरे में लेते हुए कहा, पर इस दुर्दशा पर कार्यपालिका के, न्यायपालिका के, विधायिका के कान बंद रहते हैं। हरेक का नारा: बुरा मत देखो, बुरा मत कहो, हमें बुरा मत बताओ।” हर वाहन चालक हमेशा हॉर्न बजा कर नॉन स्टॉप जाना चाहता है और राहगीरों को गँवार, देहाती, मूर्ख, लोफर आदि समझता है।
सड़क पार करना हर नागरिक का अधिकार है, जरुरत है पर यह सहज नहीं है। सड़क पार करने हेतु लाखों जगह 2 या अधिक किलोमीटर चलना पड़ता है। पद यात्री की कहीं कोई कद्र नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार सहित राज्य सरकारों को भी आईना दिखाते हुए समाधान भी देते हुए कहा है कि हर राज्य के हर जिले के हर नगर के हर क्षेत्र की हर सड़क के हर मोड़ पर 15 सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी होना चाहिए जिससे वाहन चालकों को मोड़ का पता चल सके। पद यात्री उस पट्टी के पास से सड़क पार कर सकें। सड़कों की दुर्दशा पर सुधार हेतु पोर्टल होना चाहिए जहाँ कोई किसी डैमेज सड़क की सूचना दे सके।