वाशिंगटन डीसी। जो बाइडन के शपथ लेने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने एक आखिरी बार जॉइंट बेस ऐंड्रूज से देश को संबोधित किया था। यूं तो आखिरी होने की वजह से यह भाषण वैसे ही खास होता, ट्रंप ने इसे और भी रोचक बना दिया था। दरअसल, रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उन्होंने अपने स्टाफ के लिखे भाषण का इस्तेमाल नहीं किया। यह इसलिए खास है। क्योंकि उन्होंने जाते-जाते चीन पर भी तंज कसा और आने वाले प्रशासन को नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन का नाम लिए बिना शुभकामनाएं दीं जिससे उनकी टीस साफ झलकती दिखी। यही नहीं, उन्होंने अपने भाषण के आखिर में अपने समर्थकों से यह भी कहा-’ यानी हम वापस आएंगे किसी रूप में। वाइट हाउस से निकलते वक्त ट्रंप ने कहा था कि देश का 45वां राष्ट्रपति बनना उनके लिए सम्मान की बात थी और वह बस अलविदा कहना चाहते हैं। इसके बाद अपने आखिरी भाषण में ‘वी लव यू’ के नारों के बीच ट्रंप ने कहा, ‘ये चार साल अविश्वनीय रहे, हमने साथ मिलकर बहुत कुछ हासिल किया।’ ट्रंप ने कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने में दूसरे देशों को पीछे बताया। उन्होंने कहा, ‘हमें महामारी की बड़ी मार पड़ी, हमने जो किया उसे ‘मेडिकल चमत्कार’ कहते हैं- एक वैक्सीन 9 महीने में तैयार कर ली, न कि 5-10 साल में।’ यही नहीं, अपने कार्यकाल के दौरान चीन पर आक्रामक रहे ट्रंप जाते-जाते भी एक बार फिर निशाना साध गए और कोरोना वायरस को ‘चाइना वायरस’ बताया। इसके बाद आने वाले जो बाइडेन प्रशासन को ट्रंप ने शुभकामनाएं दीं और कहा- ‘कुछ बेहतरीन करने के लिए उनके पास मजबूत नींव है।’ हालांकि, लोगों को यह खटका कि चुनाव हारने के बाद लंबे वक्त तक हार न मानने वाले ट्रंप ने जो बाइडेन का नाम नहीं लिया। इससे पहले शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं होने के उनके फैसले से भी लोगों ने खटास का अंदाजा लगा लिया था। ट्रंप के भाषण के बारे में शायद खास बात यह रही कि उन्होंने न टेलिप्रॉम्पटर का इस्तेमाल किया और न ही लिखी हुई स्पीच का। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप को स्पीच लिखकर दी गई थी जिसमें ज्यादा नम्र भाषा इस्तेमाल की गई थी और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण का वादा भी था लेकिन ट्रंप ने उसका इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया। हालांकि, सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि ट्रंप बाइडेन के लिए एक नोट छोड़कर गए हैं। जिस पर क्या लिखा है, किसी को नहीं पता।