मोदी सरकार का व्हाट्सएप को कड़ा अल्टीमेटम पॉलिसी बदलो या भारत छोड़ो’
आकाश उपाध्याय
नई दिल्ली। व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी नीति को लेकर काफी हो हल्ला मच रहा है। और भारत भी इससे अछूता नहीं है। हाल ही में केंद्र सरकार ने व्हाट्सएप को अपने दिशा निर्देश में एक स्पष्ट चेतावनी दी है।.अलग अलग देशों के लिए अलग अलग नीतियाँ नहीं चलेंगी, और यदि व्हाट्सएप अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो केंद्र सरकार उसका हाल टिक टॉक से भी बुरा कर सकती है। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ने व्हाट्सएप को एक लंबे पत्र में कहा, “विगत है कि व्हाट्सएप की नई पॉलिसी के अनुसार यूजर के चैट का डेटा फ़ेसबुक के बिजनेस अकाउंट के साथ शेयर किया जा सकता है। इसमें हिस्सा न लेने पर यूजर के व्हाट्सएप अकाउंट हटने का भी खतरा है। यदि ऐसा लागू होता है। तो न केवल यूजर की निजता खतरे में आएगी, बल्कि डेटा का दुरुपयोग भी होगा, जिससे राष्ट्र की सुरक्षा भी खतरे में आ सकती है।
इसका अर्थ है। कि व्हाट्सएप यूजर्स का डेटा फ़ेसबुक क्या, भविष्य में किसी के साथ भी शेयर कर सकता है। और यदि यूजर इससे सहमत नहीं, तो उसका अकाउंट निरस्त कर दिया जाएगा। यह न केवल सरासर तानाशाही प्रतीत होता है।.बल्कि ये व्हाट्सएप की संकुचित सोच को भी दर्शाता है। जन विरोध के चलते टेलीग्राम और सिग्नल जैसे एप की लोकप्रियता के बढ़ रही है।.ऐसे में हाल के लिए व्हाट्सएप ने इस नीति को मई तक के लिए स्थगित कर दिया है।
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकती। व्हाट्सएप की नीतियां यूरोप के लिए अलग हैं। और भारत जैसे देशों के लिए अलग। इस पर आक्रामक रुख अपनाते हुए मंत्रालय ने पत्र में आगे कहा यदि इस नीति को आप अपनाने को इतने ही उत्सुक है। तो या तो सबके साथ अपनाइए, या फिर किसी के ऊपर लागू मत कीजिए। यह अलग अलग देशों के लिए अलग अलग नीति नहीं चलेगी”। बता दें कि व्हाट्सएप की नीतियां यूरोप में पर लागू नहीं होंगी।
लेकिन इस पत्र की जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी।वह थी केंद्र सरकार की चेतावनी। उनके अनुसार भारत व्हाट्सएप के लिए सबसे बड़ा यूजर बेस है।.लेकिन जिस प्रकार के पक्षपाती नीतियों को व्हाट्सएप अपना रहा है। उससे स्पष्ट है कि भारतीय नागरिकों के प्रति व्हाट्सएप के मन में कोई सम्मान नहीं है। व्हाट्सएप को स्मरण रहे कि सरकार के पास संवैधानिक रूप से पूर्ण अधिकार है। अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने का, जिससे वह पीछे नहीं हटने वाली।
इसका मतलब स्पष्ट है। यदि व्हाट्सएप अपने पक्षपाती नीतियों से पीछे नहीं हटा, तो केंद्र सरकार उसे टिक टॉक की शैली में समझा सकती है। यानि टिक टॉक का भारत में भारी यूजर बेस होने के बावजूद राष्ट्र हित से समझौता होने के कारण उसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। जिससे टिक टॉक को करोड़ो रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा जिस प्रकार से सिग्नल और टेलीग्राम के लिए भारतीय यूजर्स में उत्सुकता बढ़ रही है। उससे भारत को ऐसा कोई निर्णय लेने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होगी। ऐसे में व्हाट्सएप के लिए भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है। या तो हमारी नीति से चलो,या टिक टॉक की तरह बैन होने के लिए तैयार रहो।