अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। करीब डेढ़ माह से चल रहे किसान आंदोलन के बीच से अब रिश्वत लेकर आंदोलन करने और राज्य सरकारों को गिराने की साजिश रचने जैसे आरोप सामने आ रहे हैं। किसान आंदोलन के दौरान पहली बार संयुक्त मोर्चा की बैठक में किसानों के बीच आपसी फूट नजर आई है। किसान नेता गुरनाम चढूनी पर 10 करोड़ रूपये रिश्वत लेने का अरोप लगा है। रविवार को मोर्चा की बैठक के दौरान हरियाणा भाकियू के अध्यक्ष गुरनाम चढूनी पर आंदोलन को राजनीति का अड्डा बनाने, कांग्रेस समेत दूसरे राज नेताओं को बुलाने और दिल्ली में सक्रिय हरियाणा के एक कांग्रेस नेता से आंदोलन के नाम पर करीब 10 करोड़ रुपए लेने के गंभीर आरोप लगे। गुरनाम सिंह के ऊपर यह आरोप भी लगा है कि वह कांग्रेसी टिकट के बदले हरियाणा सरकार को गिराने की डील भी कर रहे हैं।
हालांकि गुरनाम सिंह चढू़नी ने ऐसे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। हालांकि गुरनाम सिंह ने संयुक्त किसान मोर्चा से अलग विभिन्न दलों के नेताओं के साथ मिलकर ‘किसान संसद’ के नाम पर नई पहल शुरू कर दी है। पूर्व निर्धारित नीति से अलग अब आने वाले दिनों में ‘किसान संसद’ के आयोजन के लिए वामपंथी दलों सहित सभी विपक्षी पार्टियों को जोड़ा जा रहा है।
10 करोड़ के रिश्वत मामले में किसान मोर्चा के सदस्य गुरनाम सिंह को मोर्चे से बाहर का रास्ता दिखाना चाहते थे। लेकिन बैठक की अध्यक्षता कर रहे किसान नेता शिव कुमार कक्का ने बताया कि बैठक में मोर्चा के सदस्य उन्हें तुरंत मोर्चे से निकालना चाहते थे। लेकिन आरोपों की जांच के लिए हमने 5 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है, जो इस मामले में 20 जनवरी को अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के आधार पर ही आगे का फैसला लिया जाएगा। बता दें कि रविवार को जिस समय किसान मोर्चे की बैठक सिंघु बॉर्डर पर चल रही थी। उस समय गुरनाम सिंह दिल्ली में दूसरे ग्रुप की बैठक में हिस्सेदारी कर रहे थे।
किस पर है राहु और केतु की टेढ़ी नजर?
खास बात है कि संयुक्त किसान मोर्चा अब तक अपनी इस लड़ाई से विपक्षी राजनीतिक दलों व नेताओं से गुरेज करता रहा है। लेकिन अब उसी संयुक्त किसान मोर्चा की रविवार को हुई रणनीतिक बैठक से भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी गायब रहे। वह कांस्टीट्यूशन क्लब में ‘किसान संसद’ के नए राग के लिए साज तैयार कर रहे थे। चढ़ूनी ही इस किसान, मजदूर, बेरोजगार, कर्जदार समर्थक जनप्रतिनिधि संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष हैं।
निशाने पर पश्चिम बंगाल
पूर्व घोषित रणनीति के तहत 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद बोस की जयंती पर उनकी याद में संयुक्त किसान मोर्चा ने देश में आजाद हिंद किसान फौज बनाने का एलान कर रखा है। पश्चिम बंगाल में इस फौज को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी है। दिल्ली-एनसीआर बॉर्डर के सभी आंदोलन स्थलों पर इस दिन को यादगार बनाने के लिए संपर्क जारी है।
‘किसान संसद’ के आयोजन की तैयारी
जन प्रतिनिधि संघर्ष मोर्चा ने अचानक 23-24 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर ‘किसान संसद’ के आयोजन की तैयारी शुरू कर दी है। रविवार को कांस्टीट्यूशन क्लब के एनेक्सी हॉल में किसान संसद की तैयारी को लेकर पहली बैठक हुई। इसमें कांग्रेस, माकपा, इनेलो, एनसीपी, जनअधिकार पार्टी, आप, अकाली दल आदि के कई नेताओं-प्रतिनिधियों ने हिस्सेदारी की। उम्मीद की जा रही है कि सपा, तृणमूल कांग्रेस सहित कई और दल इस किसान संसद में शामिल हो सकते हैं।
19 जनवरी को हो सकती है घोषणा
किसान संगठनों के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से अलग इस ‘किसान संसद’ के आयोजन की घोषणा 19 जनवरी को नई दिल्ली के प्रेस क्लब में की जा सकती है। खास बात यह है कि उसी दिन आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की दसवें दौर की वार्ता के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के पैनल की पहली बैठक भी प्रस्तावित है। इस किसान संसद के आयोजक मंडल में जस्टिस गोपाल गौडा, जस्टिस कोसले पाटिल, एडमिरल रामदास, अरुणा राय, पी साईंनाथ, यशवंत सिन्हा, मेधा पाटकर, संत गोपालदास, मोहम्मद अदीब, जगमोहन सिंह, सोमपाल शास्त्री, प्रशांत भूषण आदि के नाम शामिल हैं। ऐसे में नया ‘राग’ सुनने के लिए सरकार के ‘कान’ खड़े हैं और ‘आंखें’ भी टिकी हैं।
प्रशांत भूषण की पहल पर बन रहा समानांतर मोर्चा
क्रांतिकारी किसान यूनियन के डॉ. दर्शनपाल ने कहा है कि किसान संसद और इसमें विभिन्न विपक्षी दलों की भागीदारी की पहल मशहूर वकील प्रशांत भूषण की ओर से की गई है। हालांकि किसाना मोर्चा में शामिल किसान नेता इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं बोल पा रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों द्वारा किसान मोर्चा के सहयोग के लिए ‘किसान संसद’ के नाम पर समानांतर रूप से बी टीम तयारी की जा रही है।