उन्होंने कहा कि तुरंत ही गलती का एहसास कर लिया गया और अगले दिन ही एक नया पोस्टर जारी किया गया। उन्होंने कहा, ” यह खेदजनक और पूरी तरह से अनजाने में हुई एक चूक थी, किसी ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। हम माफी चाहते हैं।”
शुक्रवार, 15 जनवरी 2021
पोस्टर विवाद, मैडम चीफ मिनिस्टर ने दी सफाई
3 फुट 3 इंच की आईएएस, मुकाम हासिल किया
गाजियाबाद पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा
क्रिकेट के भगवान का बेटा अर्जुन पिच पर उतरा
मुंबई। बायें हाथ के उभरते हुए तेज गेंदबाज अर्जुन तेंदुलकर ने शुक्रवार को यहां हरियाणा के खिलाफ सैयद मुश्ताक अली ट्राफी के एलीट ई लीग ग्रुप मैच में मुंबई की सीनियर टीम के लिये पदार्पण किया। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का 21 साल का बेटा अर्जुन अब इंडियन प्रीमियर लीग की नीलामी के लिये क्वालीफाई कर लेगा क्योंकि उसने मुंबई की टीम के लिये अपना पदार्पण कर लिया है। मुंबई ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। तेंदुलकर जूनियर को एक अन्य तेज गेंदबाज कृतिक हनागावाड़ी के साथ मुंबई की टीम में शामिल किया गया है। जिसका चयन सलिल अंकोला वाली चयन समिति ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के कुल 22 खिलाड़ियों को चुने जाने की अनुमति के बाद किया। अर्जुन मुंबई के लिये विभिन्न उम्र के ग्रुप टूर्नामेंट में खेलते रहे हैं और वह उस टीम का भी हिस्सा थे जो आमंत्रण टूर्नामेंट खेलती है। अर्जुन को भारत की राष्ट्रीय टीम के नेट में भी गेंदबाजी करते हुए देखा गया और उन्होंने 2018 में श्रीलंका का दौरा करने वाली अंडर-19 टीम में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। श्रीराम 'निर्भयपुत्र'
किसान: खेत से सड़क पर आ गए
ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव
पिछले 6 से 7 सप्ताह से चल रहे किसान आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि तीनों कृषि कानून को वापस लो। सरकार भी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर कानून वापसी की बात छोड़कर हर बात मानने तैयार है। लेकिन पेंच फंस गया इसी बात पर । आखिर में सुप्रीमकोर्ट को दखल देना पड़ा,चार सदस्यों की कमेटी को कानून की समीक्षा करने को कहा। इससे किसान भड़क गए एवं वे चार सदस्यों की निष्पक्षता पर ही सवाल उठाने लगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दिल्ली बार्डर में सिर्फ हरियाणा, पंजाब के किसानों की संख्या को देखकर ये अंदाजा न लगाया जाए कि कानून से केवल इन्हें तकलीफ है, जबकि वास्तविकता ये है कि इससे पूरे देश के किसान चिंता जाहिर कर चुके है। अब सरकार को हठ छोड़कर इनकी मांगों पर गंभीरता से विचार कर उनके हक में फैसला देना चाहिए।
बाबा भारती की याद आ गई:- पिछले दिनों बाबा भारती और डाकू खड़कसिंह की याद ताजा हो गई। दरअसल हुआ ये कि लिफ्ट मांग कर दो युवकों ने तीसरे युवक की बाइक और मोबाइल छीन कर भाग गए। ये तो नेकी कर और जूते खा वाली बात हो गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि वो बात अलग थी कि बाबा भारती ने डाकू खड़कसिंह से कहा कि इस घटना की जिक्र कही भी मत करना वर्ना भरोसा उठ जाएगा। यहां बाबा भारती की जगह पुलिस है क्या एक्शन होगा जनता को मालूम है।
बघेल जी को चापड़ा चटनी खिलाया कि नहीं:- पिछले दिनों छग के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि बस्तर में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई है, और कोरोना की रामबाण दवा है चापड़ा चटनी। उन्होंने बताया कि ये कोई जनप्रतिनिधि या मैं नहीं बल्कि उड़ीसा हाई कोर्ट ने कहा है। लखमा ने कहा कि बस्तर में लाल चीटी का चापड़ा चटनी चाव से खाया जाता है। यही वजह है कि बस्तर में कोरोना नहीं फैला। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर दौरे पर थे और लोग जानना चाहते है कि लखमा ने भूपेश बघेल को चापड़ा चटनी खिलाया कि नहीं। लोगों ने यह सुझाव दिया कि छत्तीसगढ़ में चापड़ा चटनी सेंटर भी खोल दिया जाए।
कांग्रेसी जासूसी भी करते हैं :- बात यह है कि भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय 100 क्विंटल धान बेचे हैं, और उनके खाते में एक लाख 86 हजार रुपए आ गए हैं। ऐसी जानकारी कांग्रेस प्रवक्ता ने दी है। कांग्रेसी राजनीति के साथ-साथ अब भाजपाइयों की जासूसी भी करने लग गए हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेसियों की राजनीति नहीं चलने पर कम से कम देश के खुफिया विभाग में सेवा तो ली जा सकती है।
तंज कसना भारी पड़ गया:- पिछले दिनों भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने तंज कसते हुए कहा था कि गोबर को राजकीय चिन्ह बना दिया जाये। अब केंद्र सरकार द्वारा गोबर के पेंट की लांचिंग पर भूपेश बघेल गदगद हैं और विधायक जी को बोल रहे हैं कि गोबर उन्हीं के मुँह पर पड़ा। जनता में खुसुर फुसुर है कि धान से एथेनॉल बनाने का प्रोजेक्ट हो या गोबर खरीदी योजना दोनों छत्तीसगढ़ का प्रोजेक्ट है। ख़ुशी की बात है कि चलिए केंद्र ने यहाँ की योजनाओं का अनुसरण कर छत्तीसगढिय़ो का मान तो बढ़ाया।
छजकां की सत्ता में आदिवासी मुख्यमंत्री:- पिछले दिनों जनता कांग्रेस के मीडिया प्रमुख इकबाल अहमद रिजवी का बयान आया कि छत्तीसगढ़ में जनता कांग्रेस की सत्ता आएगी तो मुख्यमंत्री आदिवासी ही होगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि छजकां अगर सत्ता में आई तो आदिवासी मुख्यमंत्री नकली आदिवासी बनेगा या असली आदिवासी बनेगा, ये भी बताते जाएं। बहरहाल सत्ता तो दूर है कम से कम छजकां के मुख्य पदों पर ही आदिवासियों को बैठाकर शुरूआत तो कीजिए, पूछती है जनता।
लगता है जनता नासमझ है:- कांग्रेसी किसानों के लिए धरना प्रदर्शन कर भाजपा और केंद्र सरकार पर किसानों की हालात को लकेर दोष मढ़ रही है, दूसरी तरफ भाजपाई भी किसानों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। धरना प्रदर्शन कर रहे है। कांग्रेस वाले बोल रहे हैं केंद्र सरकार बारदाना दे ,भाजपाई बोल रहे हैं भूपेश सरकार बारदाना दे , समझ में नहीं आ रहा कि बारदाना आखिर है कहाँ। जनता में खुसुर-फुसर है कि समझ में नहीं आ रहा है कि हो क्या रहा है। लगता है जनता को नेता लोग ना समझ मान लिए है।
तीनों कानूनों को वापस लेना ही होंगा: राहुल-प्रियंका
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ शुक्रवार को यहां प्रदर्शन किया। जिसमें पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कई अन्य नेता शामिल हुए। उप राज्यपाल के निवास के निकट आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में राहुल गांधी ने कहा कि तीनों कानूनों को सरकार को वापस लेना पड़ेगा और जब तक ये वापस नहीं लिए जाते। तब तक कांग्रेस पीछे नहीं हटेगी। उप राज्यपाल के निवास के निकट आयोजित कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में शामिल राहुल गांधी ने कहा, ”कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक के माध्यम से किसानों की जमीन छीनने का प्रयास किया था। कांग्रेस ने उसे रोका। भाजपा एक बार फिर किसानों पर आक्रमण कर रही है।” उन्होंने आरोप लगाया, ”ये तीनों कानून किसानों की मदद करने के लिए नहीं हैं, बल्कि उन्हें खत्म करने के लिए हैं। सरकार कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है।” कांग्रेस नेता ने कहा, ”कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है। सरकार को ये तीनों कानून वापस लेने होंगे। सरकार जब तक ये कानून वापस नहीं लेगी तब तक कांग्रेस पीछे नहीं हटने वाली है।” राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जंतर-मंतर पहुंचकर, पंजाब से पार्टी के उन सांसदों के साथ एकजुटता प्रकट की जो पिछले करीब 40 दिनों से कृषि कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे हैं। पंजाब से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के लोकसभा सदस्य जसबीर गिल, गुरजीत औजला, रवनीत सिंह बिट्टू और कुछ अन्य नेता कृषि कानूनों के खिलाफ खुले आसमान के नीचे धरना दे रहे हैं। उनकी मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की है। राहुल गांधी और प्रियंका कुछ देर तक पार्टी के इन सांसदों के साथ धरना स्थल बैठे और उनके साथ एकजुटता प्रकट की।
नए कृषि कानूनों को लेकर देश में मचा घमासान
वाशिंगटन डीसी/ नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मानना है कि ‘तीनों हालिया कानून’ भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि आईएमएफ ने यह भी जोड़ा कि नयी व्यवस्था को अपनाने की प्रक्रिया के दौरान प्रतिकूल प्रभाव झेलने वाले लोगों के बचाव के लिये सामाजिक सुरक्षा का प्रबंध जरूरी है। आईएमएफ के एक संचार निदेशक (प्रवक्ता) गेरी राइस ने यहां कहा कि नये कानून बिचौलियों की भूमिका को कम करेंगे और दक्षता बढ़ायेंगे। उन्होंने बृहस्पतिवार को वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”हमारा मानना है कि इन तीनों कानूनों में भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाये जाने का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता है।” राइस ने कहा, ”ये कानून किसानों को खरीदारों से प्रत्यक्ष संबंध बनाने का मौका देंगे। इससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी, दक्षता बढ़ेगी, जो किसानों को अपनी उपजी की बेहतर कीमत हासिल करने में मदद करेगा और अंतत: ग्रामीण क्षेत्र की वृद्धि को बल देगा।” उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जिन लोगों की नौकरियां जायेंगी, उनके लिये कुछ ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिये कि वे रोजगार बाजार में समायोजित हो सकें।” राइस ने कहा कि निश्चित रूप से इन सुधारों के लाभ प्रभावशीलता और उनके कार्यान्वयन के समय पर निर्भर होंगे। इसलिये सुधार के साथ इन मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में पारित इन तीनों कानूनों का विरोध में हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले कई सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त कर देंगे और किसानों को कॉरपोरेट खेती की ओर धकेल देंगे। हालांकि सरकार इन कानूनों को बड़े कृषि सुधारों के तौर पर पेश कर रही है।
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