सोमवार, 11 जनवरी 2021
टीकाकरण: आधार से मोबाइल लिंक होना अनिवार्य
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारत में 16 जनवरी से कोरोना का टीकाकरण शुरू हो रहा है। इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दे दिया गया है। टीकाकरण के लिए सरकार ने को-वि (Co-win) ऐप और प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। इसी प्लेटफॉर्म के जरिए टीकाकरण होगा और इसी पर टीकाकरण से संबंधित सभी तरह की जानकारी डाली जाएगी। हालांकि, को-विन ऐप को अभी प्ले-स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया है। टीकाकरण के लिए पूरी तैयार कर ली गई है और सबसे जरूरी बात कि इसके लिए आधार नंबर से मोबाइल नंबर लिंक करवाना अनिवार्य होगा।
यदि आप कोरोना का टीका लगवाना चाहते हैं तो आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना चाहिए। हालांकि अभी इस बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गई है कि लोगों को खुद अपना मोबाइल नंबर आधार से लिंक करवाना होगा या सरकार कैंप लगवाकर यह काम करेगी। नोटिफिकेशन में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वे लोगों के आधार नंबर को मोबाइल नंबर से लिंक करें ताकि टीकाकरण के लिए एसएमएस भेजने में सुविधा हो।बता दें कि आप खुद से मोबाइल नंबर को आधार से लिंक नहीं कर सकते। इसके लिए आप अपने आधार कार्ड को लेकर अपने मोबाइल नंबर प्रोवाइडर कंपनी के नजदीकी स्टोर पर जाएं और आधार को मोबाइल नंबर से लिंक करने को कहें, हालांकि यह काम सभी स्टोर पर नहीं हो सकेगा। आधार को मोबाइल से लिंक करने का काम उसी स्टोर से हो सकेगा जो प्वाइंट ऑफ सेल (POS) ऑथराइज्ड हैं। साल 2018 में लाखों लोगों ने सरकार के आदेश के बाद अपने मोबाइल नंबर को आधार से लिंक कराया था। यदि आपका मोबाइल नंबर पहले वाला ही है तो अब आपको अपने नंबर को आधार से लिंक कराने की जरूरत नहीं है। आप में से कई लोग ऐसे होंगे जिन्होंने पहले आधार को मोबाइल नंबर से लिंक भी करा लिया होगा।
आपका नंबर लिंक है या नहीं ऐसे जानें – अगर आपको जानना है कि आपका नंबर वाकई में आधार से लिंक हुआ है या नहीं तो इसके लिए आप आधार की वेबसाइट वेरिफाई मोबाइल नंबर में जाकर चेक कर सकते हैं कि आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक हुआ है या नहीं। इसके लिए इन स्टेप को फॉलो करें My Aadhaar> Aadhaar Services >Verify Email/Mobile Number. इस तरह आप मोबाइल नंबर की लिंकिंग चेक कर सकते हैं।
आंदोलन में शामिल 1 और किसान की मौत
बहादुरगढ़। कृषि कानूनों को लेकर चल रहा किसान आंदोलन लगातार किसानों की मौत की वजह बन रहा है। बताना लाजमी है कि लगातार किसानों की हो रही मौत का अकड़ा अब 56 तक पहुंच गया है। धीरे -धीरे ये आकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ किसान अपनी मांगो को पूरी करवाने और कानून को वापस लेने की मांग कर रहे है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। बतादें कि कृषि कानूनों को रद करवाने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में टीकरी बॉर्डर पर सोमवार यानि आज एक और मौत हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार, तबीयत बिगड़ने पर जगदीश को घर लाया गया था। परिजनों ने इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां इलाज के दौरान किसान ने दम तोड़ दिया। बता दें कि किसान आंदोलन में शामिल अब तक 56 किसानों की मौत हो चुकी है। वहीं अकेले टिकरी बॉर्डर पर 15 किसानों जान गई है। गौरतलब है कि कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में मौतों की सिलसिला नहीं रुक रहा है। एक और किसान की मौत होने की बात सामने आ रही है। हरियाणा के बहादुरगढ़ जिले में टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। मृतक की पहचान 60 वर्षीय जगदीश के रुप में हुई है। वह पंजाब के मुक्तसर साहिब के लुडेवाला गांव का रहने वाला था। वह बहादुरगढ बाइपास पर गांव वालों के साथ ट्रॉली में रह रहा था।
धन्यवाद यात्रा, हार का फैक्टर समझने की कोशिश
मेरठ: फंदे पर लटकी मिलीं रेप पीड़िता की लाश
मेरठ। दुष्कर्म पीडि़ता का शव रविवार सुबह फंदे से लटका मिला। दो माह से वह नौचंदी क्षेत्र में किराये पर रह रही थी। मकान मालिक और स्वजन ने कमरे का दरवाजा तोड़कर शव को उतारा। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पीड़िता का तीन साल पहले तलाक भी हो गया था। सिविल लाइन थाना क्षेत्र निवासी युवती ने करीब आठ साल पहले मोदीनगर निवासी युवक से प्रेम विवाह किया था। विवाद के चलते तीन साल पहले तलाक हो गया था। मकान मालकिन बिजली का बिल लेने के लिए तीसरी मंजिल पर गई थी, लेकिन महिला ने कमरा नहीं खोला। कुछ देर बाद महिला की बहन भी पहुंच गई। पुलिस के अनुसार जांच में पता चला कि महिला गत वर्ष मेडिकल क्षेत्र में किराये पर रहती थी। इस दौरान उसने एक युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। कोर्ट के आदेश पर थाने में रिपोर्ट दर्ज हो गई थी। इस मामले की जांच सीओ सिविल लाइन कर रहे थे। वहीं, सीओ सिविल लाइन देवेश कुमार ने बताया कि कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। मामले की जांच की जा रही है। मकान मालिक और पड़ोसियों ने बताया कि महिला छत पर घूमते हुए या फिर कपड़े सुखाते हुए दिखाई दे जाती थी, लेकिन तीन-चार दिन से दिखाई नहीं दे रही थी। मृतका की बहन ने बताया कि वह भी दो-तीन दिन से फोन कर रही थी। उसका भी जवाब नहीं आ रहा था। रात भी फोन किया था, इसलिए सुबह मिलने आ गई। युवती तीन महीने पहले एक मामले में पुलिस पर खुद की पिटाई का आरोप भी ला चुकी है। जिसके बाद मामले में हंगामा भी हुआ था। हालाकि इस बारे में अधिकारी से जानकारी करने पर यह मामला गलत बताया गया है। पुलिस महिला के आत्महत्या मामले की जांच करेगी।
गणतंत्र दिवस पर बैरिकेड तोड़ एंट्री करेगें 'किसान'
सोनीपत। कृषि कानून को लेकर सरकार और किसान आमने सामने है। और ये टकराव दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। एक तरफ सरकार नई -नई तरकीबे सोच रही है। किसानों को मनाने के लिए तो वहीं दूसरी तरफ किसान भी सरकार को अपनी ताकत दिखाने के लिए नई -नई योजनाएं बना रहे है। बताना लाजमी है कि सरकार को दिखा देना चाहते है कि वो अपनी मांगो के लिए कुछ भी कर सकते है। गौरतलब है कि हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर करीब डेढ़ महीने से आंदोलनरत किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की मांग को लेकर धरने पर डटे हुए हैं। इतने दिन बीतने के बाद भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल रहा। सरकार के साथ हो चुकी आठ दौर की वार्ता के बाद भी किसानों की मांगों का कोई समाधान नहीं निकल सका है। सातवें दौर की वार्ता तक किसानों को आस थी कि सरकार उनकी मांगे पूरी करेगी, लेकिन आठवें दौर की वार्ता के बाद से किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। किसानों को जिस तरह से सरकार ने साफ कहा है कि कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जा सकता है, उससे किसान अब अपनी ताकत सरकार को दिखाना चाहते है। जिसके लिए सरकार के हर अभियान व कार्यक्रम को किसान रोकना चाहते है। यही कारण है कि अब सरकार के साथ टकराव के हालात पैदा हो रहे हैं। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर कुंडली बॉर्डर पर 46 दिनों से आंदोलनरत किसानों ने अब आंदोलन को तेज करने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। सरकार के साथ आठ दौर की वार्ता के बाद भी आंदोलन का कोई समाधान न निकलने से किसानों में नाराजगी बढ़ रही है। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार के रुख को देखते हुए लगता है कि सरकार समस्या का समाधान करने के पक्ष में ही नहीं है। जिसके बाद अब टकराव के आसार बढ़ते जा रहे हैं। किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि जिस तरह से हर बाधा को पार करते हुए वे दिल्ली की दहलीज तक पहुंच गए हैं। इसी प्रकार गणतंत्र दिवस की परेड के लिए भी बैरिकेट तोड़ते हुए दिल्ली के अंदर तक घुसेंगे। किसानों के इस ऐलान के बाद सरकार की परेशानी भी बढ़ने लगी है। अब देखना ये होगा कि गणतंत्र दिवस से पहले किसानों की मांग पूरी होती है या नहीं ?
बिहार में दाखिल खारिज का काम ठप हुआ
साल 2019-20 में जब व्यवस्था पूरी तरह ऑनलाइन हो गई तो याचिकाओं की संख्या 20 लाख 25 हजार 391 हो गई। पिछले साल 1 दिसम्बर 2020 तक याचिकाओं की संख्या 40 लाख 71 हजार 908 हो गई। इनमें निष्पादन 76.64 फीसदी आवेदनों का हो गया। लेकिन अधिसंख्य आवेदन का निपटारा तय समय के बाद हुआ।
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