रविवार, 3 जनवरी 2021

देश की शान व खाद सुरक्षा का आधार है किसान

हरिओम उपाध्याय  
नई दिल्ली। यह प्रमाणित हो गया है। कि पिछले ३८ दिनों से दिल्ली की सीमा पर जुटे किसान देश सबसे संपन्न किसान हैं| वे लंबे समय से देश की शान और इसकी खाद्य सुरक्षा के आधार रहे हैं। इसके साथ ही वे देश के अन्य किसानों की भांति प्रकृति के सबसे नजदीक होने से अन्य शहरियों के मुकाबले ज्यादा सम्पन्न हैं। सबके पेट भरने वाले किसान और किसानी की सूरत बदलने के लिए कुछ तथ्य और कथ्य ।
वर्ष १९५१ में रोजाना अन्न और दाल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता क्रमशः ३३४.७ और ६०.७ ग्राम थी। अब यह आंकड़ा क्रमशः ४५१,७ और ५४.४ ग्राम है। साल २००१ में तो दालों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता मात्र २९.१ ग्राम रह गयी थी| इससे इंगित होता है कि हमारे देश के किसान ने कितना परिश्रम किया है और हमारी राष्ट्रीय खाद्य नीति एक दिशा विशेष में चली है। इस प्राथमिकता का सबसे बड़ा उत्प्रेरक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की नीति रही है। हालांकि एमएसपी के तहत २३ चीजें सूचीबद्ध हैं। पर व्यवहार में यह मुख्य रूप से धान और गेहूं के लिए है। ऐसे मूल्य दलहन और तिलहन के लिए हमेशा नहीं दिये जाते जिनके कारोबार में भारतीय आयातक विदेशी विक्रेताओं व उत्पादकों के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं।
सबको यह मालूम होना चाहिए कि गेहूं व धान के अलावा अन्य अनाजों और कपास के लिए कोई समर्थन मूल्य नहीं है, केवल बातें होती हैं। एमएसपी कई तरह से भारत की खाद्यान्न प्रणाली की जड़ प्रकृति को प्रतिबिंबित करता है। जिसमें खरीद सबसे अधिक दाम पर होती है। और उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत सबसे काम दाम पर बेचा जाता है। पीडीएस के अंतर्गत ८०.९ करोड़ भारतीय लाभार्थी हैं। यह संख्या कुल अनुमानित आबादी का ५९ प्रतिशत है। इसके बावजूद १० करोड़ से अधिक लोग इससे वंचित हैं। जिन्हें यह लाभ मिलना चाहिए| यह पूर्ति तभी हो सकती है। जब किसान संतुष्ट हो 
अभी तो एमएसपी मूल्य समुचित दाम पाने का अंतिम विकल्प होने की जगह पहला विकल्प है। इसका यह असर हुआ कि पंजाब, हरियाणा, उत्तरी तेलंगाना और तटीय आंध्र प्रदेश जैसे कुछ क्षेत्रों में अनाज का बहुत अधिक उत्पादन होने लगा और इस उत्पादन का बड़ा हिस्सा एमएसपी के तहत खरीदा जाने लगा इस साल पंजाब और अन्य राज्यों में बहुत अच्छी पैदावार होने से यह समस्या और भी बढ़ गयी
बहुत कम चावल खानेवाले राज्य पंजाब में इस साल धान का कुल उत्पादन पिछले साल की तुलना में लगभग ४० लाख मीट्रिक टन बढ़कर २१० लाख मीट्रिक टन से अधिक सम्भावित है|पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश आदि अनेक राज्यों में एमएसपी पर खरीद २३ प्रतिशत से अधिक बढ़ गयी है। इसबार केंद्र ने दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक ४११.५ लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है
देशभर में हुई इस खरीद में से अकेले पंजाब से ४९.३३ प्रतिशत यानी २०२,७७ लाख मीट्रिक टन की खरीद ३० नवंबर तक हुई है| सरकारी गोदामों में अनाज रखने की जगह नहीं है, पंजाब के लगभग ९५ प्रतिशत किसान एमएसपी प्रणाली के दायरे में हैं| इस कारण औसत पंजाबी किसान परिवार देश में सबसे धनी है| एक आम भारतीय किसान परिवार की सालाना आमदनी ७७,१२४ रुपये है, जबकि पंजाब में यह २,१६, ७०८ रुपये है।
उत्पादकता और सिंचाई की अच्छी व्यवस्था के साथ यह तथ्य भी अहम है कि पंजाब और हरियाणा में खेती की जमीन का औसत आकार क्रमशः ३.६२ और २.२२ हेक्टेयर है।| इसके मुकाबले भारत का राष्ट्रीय औसत १.०८ हेक्टेयर है।.हालांकि देश की ५५ प्रतिशत आबादी अभी भी खेती पर निर्भर है, लेकिन सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में इसका हिस्सा घटकर केवल १३ प्रतिशत रह गया है। और इसमें लगातार गिरावट आ रही है|
किसानों की आत्महत्या भारतीय किसान की स्थिति का परिचायक बन चुका है आबादी में ६० प्रतिशत किसान हैं, पर कुल आत्महत्याओं में उनका अनुपात मात्र १५.७ प्रतिशत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कृषि अर्थव्यवस्था के देश भारत में एक लाख आबादी में १३ आत्महत्याओं का अनुपात है, जो औद्योगिक धनी देशों के समान या उनसे कम है|भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गरीब राज्यों में आत्महत्या की दर कम है। जबकि अपेक्षाकृत धनी राज्यों, जैसे- गुजरात और पश्चिम बंगाल, में यह दर अधिक है। इससे स्पष्ट है। कि आत्महत्या और आमदनी का कोई संबंध नहीं है। कृषि में सरकारी आवंटन का बड़ा हिस्सा अनुदानों में जाता है। जो आज वृद्धि में बहुत मामूली योगदान देते हैं।उनसे सर्वाधिक लाभ धनी किसानों को होता है।

कोवैक्सीन-कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल को मंजूरी

डीजीसीआई का बड़ा ऐलान, कोवैक्सीन और कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल को मंजूरी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक की स्वदेश निर्मित कोरोना वैक्सीन‘ कोवैक्सीन’ और पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित कोविशील्ड के भारत में आपात इस्तेमाल पर आज अपनी मुहर लगा दी।
डीसीजीआई डॉ. वेणुगोपाल जी सोमानी ने रविवार को नेशनल मीडिया सेंटर में संवाददताओं को यह जानकारी दी कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएससीओ) ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है।
कोविशील्ड वास्तव में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित है और एसआईआई ने एक समझौते के तहत भारत में इसका दूसरे और तीसरे चरण का मानव परीक्षण किया है और साथ ही इसे यहां तैयार भी किया है। देश में कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर बनायी गयी सीडीएससीओ की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने शुक्रवार और शनिवार को बैठक की थी। इस समिति ने बैठक में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल को लेकर अपनी सिफारिशें डीसीजीआई के समक्ष पेश किया
समिति ने साथ ही दवा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर के तीसरे चरण के मानव परीक्षण को लेकर भी सिफारिश की। भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित किया है। भारत बायोटेक ने शनिवार को यह जानकारी दी कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के मानव परीक्षण में शामिल वालंटियर की संख्या जल्द ही उसके लक्ष्य के मुताबिक 26,000 हो जायेगी।
कोरोना वैक्सीन 110 प्रतिशत सुरक्षित: डीसीजीआई
भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ वेणुगोपाल जी सोमानी ने कहा कि देश में जिन दो कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी गयी है, वे 110 प्रतिशत सुरक्षित हैं। डॉ सोमानी ने आज पत्रकाराें से कहा कि अगर किसी वैक्सीन के विषय में सुरक्षा संबंधित कोई भी चिंता होगी, तो उसे कभी भी अनुमोदित नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट बिल्कुल अन्य वैक्सीन के समान हैं। इससे हल्का बुखार होना, हल्का दर्द होना और एलर्जी होना सामान्य बात है। डीसीजीआई ने कहा कि कोरोना वैक्सीन से नपुंसक होने की बात बिल्कुल ही बकवास है।

आफत: बरसात ने किसानों की मुश्किलें बढ़ाई

दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की बारिश ने बढ़ाईं मुश्किलें
अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे तथा दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की मुश्किलें रातभर हुई बारिश ने बढ़ा दीं। लगातार बारिश होने से आंदोलन स्थलों पर जलजमाव हो गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने रविवार को कहा कि किसान जिन तंबूओं में रह रहे हैं। वह वॉटरप्रूफ हैं। लेकिन ये ठंड और जलभराव से उनका बचाव नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से प्रदर्शन स्थलों पर हालात बहुत खराब हैं।.यहां जलभराव हो गया है। बारिश के बाद ठंड बहुत बढ़ गई है। लेकिन सरकार को किसानों की पीड़ा नजर नहीं आ रही।
सिंघु बॉर्डर पर डटे गुरविंदर सिंह ने कहा कि कुछ स्थानों में पानी भर गया है। और समुचित जन सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अनेक समस्याओं के बावजूद भी हम यहां से तब तक नहीं हिलने वाले जब तक कि हमारी मांगे पूरी नहीं हो जातीं। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में भारी बारिश हुई तथा बादल छाए रहने और पूर्वी हवाओं के चलते न्यूनतम तापमान में वृद्धि हुई है।
विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सफदरजंग वेधशाला में न्यूनतम तापमान 9.9 डिग्री सेल्सियस तथा 25 मिमी बारिश दर्ज की गई। पालम वेधशाला में न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री तथा 18 मिमी बरसात दर्ज की गई। छह जनवरी तक बारिश के साथ ओले गिरने का अनुमान है।

हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी

चंडीगढ़। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन एक महीने से अधिक समय से जारी है। प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। जींद जिले के ईटल कलाँ गावं से 38 दिनों से लगातार किसानों के लिए संघर्ष कर रहे किसान जगबीर की मौत हुई। इसके साथ ही कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आए दो और किसानों की मौत हो गई है और एक किसान की हालत काफी गंभीर। पुलिस की शुरूआती जांच में पता चला है कि किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आए दोनों किसान बलवीर सिंह गोहाना क्षेत्र व किसान निर्भय सिंह पंजाब के गांव लिदवा के रहने वाले हैं। रविवार सुबह को गोहाना के गांव गंगाना के रहने वाले किसान बलवीर सिंह की मौत की सूचना आई। मृत किसान के साथ मौजूद अन्य किसानों ने बताया कि शनिवार रात तक स्वस्थ्य थे, केवल थोड़ी थकान महसूस कर रहे थे।

हर किसान अपना हक लेकर रहेगा: राहुल

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन की तुलना अंग्रेजों के शासन में हुए चंपारण आंदोलन से की और कहा कि आंदोलन में भाग ले रहा हरेक किसान एवं श्रमिक सत्याग्रही है, जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘देश एक बार फिर चंपारण जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है। तब अंग्रेज ‘कम्पनी बहादुर’ था, अब मोदी-मित्र ‘कम्पनी बहादुर’ हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आंदोलन में भाग ले रहा हर एक किसान-मजदूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।

महात्मा गांधी ने 1917 में चंपारण सत्याग्रह का नेतृत्व किया था और इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक आंदोलन माना जाता है। तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रही कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इससे खेती और किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। किसानों ने ब्रिटिश शासनकाल में नील की खेती करने संबंधी आदेश और इसके लिए कम भुगतान के विरोध में बिहार के चंपारण में यह आंदोलन किया था। उल्लेखनीय है कि गत बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के बाद सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच बिजली के दामों में बढ़ोतरी एवं पराली जलाने पर जुर्माने के मुद्दों पर सहमति बनी थी, लेकिन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर गतिरोध बना हुआ है। हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद एक महीने से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

हरियाणा: 10वीं-12वीं के बोर्ड की परीक्षाएं मई में होगी

चंडीगढ़। प्रदेश सरकार 10वीं और 12वीं के बोर्ड के विद्यार्थियों की परीक्षा मई में करवाने की योजना बना रही है। दरअसलल कोरोना के चलते हुए बच्चों की पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए सरकार इस बार वार्षिक परीक्षाओं में गेप लेकर चलेगी। इसी के चलते इन दोनों कक्षाएं के फाइनल एग्जाम मई में करवाए जा सकते हैं। इस बारे में फैसला 4 जनवरी यानी सोमवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में होगा। बैठक में शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के अलावा विभाग के आला अफसर मौजूद रहेंगे। शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा इस बार 10वीं और 12वीं के फाइनल एग्जाम मई में करवाने की कोशिश है। सीबीएसई पहले ही यह निर्णय कर चुका है।


आंदोलन: शहीद किसान को भावभीनी श्रद्धांजलि

नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश द्वारा बाबा कश्मीर सिंह को दी गई श्रद्धांजलि
गदरपुर। केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर बॉर्डर में किसान आंदोलन में प्रतिभाग करने गए सीमावर्ती रामपुर जिले  के बिलासपुर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम पछिया पुर निवासी बाबा कश्मीर सिंह द्वारा किसानों के आंदोलन के प्रति केंद्र सरकार द्वारा दिखाई जा रही उदासीनता को लेकर की गई आत्महत्या की जानकारी होने पर नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश द्वारा ग्राम पछियापुर पहुंचकर दिवंगत बाबा कश्मीर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। रविवार को नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर  इंदिरा हृदयेश वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेंद्र पाल सिंह राजू के साथ ग्रामपछियापुर पहुंची जहां उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर में किसान आंदोलन के दौरान आत्महत्या कर अपनी शहादत देने वाले बाबा कश्मीर सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए शोक श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन मैं अपने प्राणों की आहुति देने बाबा देने वाले बाबा कश्मीर सिंह की शहादत को क्षेत्रीय जनता और किसान कभी नहीं भुला पाएंगे।  उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा किसान आंदोलन के दौरान शहीद होने वाले किसानों की शहादत को व्यर्थ ना जाने देने की बात कही और कहा कि कांग्रेस संगठन हमेशा किसानों की आवाज को बुलंद रखेगी और जब तक किसानों की मांगों को माना नहीं जाएगा तब तक किसान संगठनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया जाएगा। दोपहर बाद गमगीन माहौल में बाबा कश्मीर सिंह के पार्थिव शरीर का ग्राम पछियापुर स्थित श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख द्वारा भी ग्राम पछिया पुर पहुंचकर दिवंगत बाबा कश्मीर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।  इस दौरान एआईसीसी मेंबर राजेंद्र पाल सिंह राजू कांग्रेस कमेटी उत्तराखंड के प्रदेश सचिव सरदार इंद्रपाल सिंह संधू ग्राम प्रधान संघ गदरपुर के ब्लॉकध्यक्ष गुरविंदर सिंह विर्क  सरदार अपार सिंह शराफत अली मंसूरी  काबुल सिंह विर्क सरदार  गुरबाज सिंह विर्क महेंद्र सिंह डूमरा  अनिल सिंह बलविंदर सिंह बिल्ला आरिफ हुसैन हिकमत अली  अजय गाबा  राजकुमार बठलाए जरनैल सिंह काली गुरबचन सिंहए गुरविंदर सिंह ज्ञान सिंह धर्म सिंहए सुच्चा सिंह अमरजीत सिंहए अल्ताफ हुसैनए किशोर सामंत राजेंद्र सिंह शमशेर सिंह गुरदीप सिंह एवं विपिन बठला सहित सैकड़ों की संख्या में किसान एवं ग्रामवासी मौजूद थे।
अंतिम संस्कार के दौरान जिला प्रशासन द्वारा किए गए सुरक्षा के कड़े इंतजाम
गाजीपुर बॉर्डर में किसान आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले ग्राम पछिया पुर निवासी किसान बाबा कश्मीर सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान रामपुर जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। बाबा कश्मीर सिंह के अंतिम संस्कार में  सैकड़ों की संख्या में किसान और क्षेत्र की जनता  उमड़ पड़ी। एहतियात के तौर पर रामपुर के एडीएम जगदंबा प्रसाद गुप्ताए अपर पुलिस अधीक्षक रामपुर अरुण कुमार सिंहए  उप जिलाधिकारी डॉ राजेश कुमारए सीओ बिलासपुर धर्म सिंह एवं सतीश कुमार भारी पुलिस फोर्स के साथ ग्राम पछियापुर में डटे रहे।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...