इससे पहले अक्टूबर 2020 में यह राशि 105155 करोड़ रुपये रही थी। इससे पहले अप्रैल 2019 में अब तक का सबसे अधिक 113866 करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रहित हुआ था।
शुक्रवार, 1 जनवरी 2021
जीएसटी संग्रहित राजस्व ने सारे रिकॉर्ड तोड़े
यूपी: तापमान में तेजी से गिरावट, आर्द्रता बढ़ीं
सेवानिवृत पुलिसकर्मियों की ससम्मान विदाई की
विकास के नाम पर धन का किया गया बंदरबांट
सीतापुर। ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है।ग्राम प्रधान रमेश राजवंशी व सिकरेटरी के द्वारा विकास के नाम पर सरकारी धन को लूट दोनों हाथों से लूटने का काम जारी है। ताजा मामला है, कि विकासखंड एलिया की ग्राम पंचायत खगेसियामऊ का जहां पर सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन की तहत बनाए जाने वाला शौचालय जो मानक के अनुसार न बनकर किसी भी तरह सही नही है। जो एक जांच का विषय हैं। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत खगेसियमऊ की ग्राम प्रधान रमेश व सिकरेट्री द्वारा ग्राम पंचायत में बनाये गए सार्वजनिक शौचालय में ढांचा खड़ा करने में मानक विहीन ईंट का प्रयोग किया गया है।जबकि निर्माण में नंबर एक की ईंट प्रयोग करना चाहिए तथा अंदर के पार्टीशन हेतु कड़ा पीला का प्रयोग किया गया है। जो चुनाई से लेकर प्लास्टर तक मैं मानक के अनुसार मसाले का प्रयोग नहीं किया गया छत जो पड़ी हैं। वो देखते ही मामला समझा जा सकता है इसके अतिरिक्त लोगो के शौचालय में टैंक खुद प्रार्थी ने बनवाया पूरा पैसा प्रधान ने निकाल लिया। विजय शुक्ल के मकान से जिया लाल के मकान तक खड़ंजे का निर्माण पुरानी इंटों द्वारा करवाया जा रहा है। गांव वालों का आरोप है। पात्रो के आवास कटवा कर अन्य लोगो के आवास बनवा कर वसूली की गई प्रधान की लापरवाही के कारण इस ठंडक के मौसम में बुद्धि,इंद्र पाल गुप्ता,सोनू राजवंशी आदि लोग पल्ली या तिरपाल डाल कर रह रहे हो जो कि योगी सरकार की योजनाओं में पलीता लगाने के समान है। इन पांच वर्षों में प्रधान की आय से अधिक संपत्ति का केस खुला बन रहा है इन वर्षों में खुली लूट किया है इन पांच सालों में प्रधान ने अकूत संपति खुले हांथो से बनाई है जो एक जांच का विषय हैं।
रायबरेली: अवैध स्मैक के साथ 1 अभियुक्त गिरफ्तार
कोरबा स्थित विद्युत ताप संयंत्र का सूरज अस्त हुआ
रायपुर। नए साल के उदय के साथ ही प्रदेश के कोरबा स्थित विद्युत ताप संयंत्र का सूरज अस्त हो गया। 2021 के आगाज के साथ ही गुरूवार रात 12 बजे से प्लांट को बंद कर दिया गया। इसकी वजह रही प्लांट से हो रहे प्रदुषण। इसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी राज्य सरकार से इसे बंद करने की सिफारिश की थी।प्लांट के 50-50 मेगावाट की 4 यूनिट को 2 साल पहले ही बंद किया जा चुका है। वहीं अब 120-120 मेगावाट की युनिट पर भी ताला जड़ दिया गया है। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के सहयोग से 1976 और 1981 में कोरबा में विद्युत ताप संयंत्र की 120-120 मेगावाट की दो इकाइयों स्थापित की गई थीं। इसके बाद ही कोरबा को ऊर्जा नगरी के रूप में पहचान मिली। अपने 45 साल के इस सफर में प्लांट ने न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों को भी सेवाएं दी। अब दोनों इकाइयों से औसतन 90-90 मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो रहा था।
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यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें
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