मंगलवार, 29 दिसंबर 2020
हापुड: विभाग की लापरवाही से हो सकता है हादसा
यूपी: सभी धार्मिक स्थलों का होगा रजिस्ट्रेशन
संदीप मिश्र
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन, रख-रखाव और संचालन के संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अहम बैठक लखनऊ में करने जा रहे हैं। शाम 6.30 बजे होने वाली इस बैठक में सीएम योगी धार्मिक स्थल रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन अध्यादेश-2020 का प्रस्तुतीकरण देखेंगे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपर मुख्य सचिव धर्मार्थ कार्य धार्मिक स्थल रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन अध्यादेश 2020 का प्रस्तुतीकरण देंगे। मुख्यमंत्री आवास 5 कालिदास मार्ग पर होने वाली इस बैठक के दौरान प्रेजेंटेशन में उत्तर प्रदेश के तमाम धार्मिक स्थलों के संचालन और रख-रखाव के लिए बनने वाली गाइडलाइंस पर बात होगी। दरअसल यूपी सरकार मंदिरों, मस्जिदों और दूसरे धार्मिक स्थलों के संचालन के लिए नियम-कायदे तय करने की कवायद कर रही है। उसी सिलसिले मे गाइडलाइंस बनाने का काम चल रहा है।
निदेशालय गठन का प्रस्ताव हो चुका है मंजूर
दरअसल पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में सीएम योगी की अध्यक्षता में निदेशालय गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन के लिए सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी में है। कैबिनेट बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि बीते साढ़े 3 साल में प्रदेश सरकार ने धार्मिक स्थलों को विशेष पहचान दिलाने के साथ-साथ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बहुत कार्य किए गए हैं। काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, विंध्याचल धाम के साथ ही प्रदेश के अन्य तीर्थ स्थानों पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए कार्य किए जा रहे हैं।
निदेशालय की ये होगी व्यवस्था
अब प्रदेश में धार्मिक गतिविधियों के सहज एवं सुचारू संचालन के लिए विभाग में निदेशालय गठित किया जा रहा है। निदेशालय का मुख्यालय वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद की ओर से उपलब्ध कराए गए भवन में होगा, जबकि उप कार्यालय गाजियाबाद स्थित कैलास मानसरोवर भवन में होगा।
निदेशालय में एक निदेशक, दो संयुक्त निदेशक, एक लेखाधिकारी, दो कार्यालय अधीक्षक, तीन आशुलिपिक, दो स्थापना सहायक, दो कम्प्यूटर सहायक, तीन ड्राइवर और तीन अनुसेवक के पद सृजित किए जाएंगे।
बता दें धर्मार्थ संस्थाओं व मंदिरों की व्यवस्थाओं के लिए 1985 में प्रदेश में धर्मार्थ कार्य विभाग का गठन किया गया था। विभागीय मंत्री के अलावा इसका सिर्फ एक अनुभाग अपर मुख्य सचिव के नेतृत्व में शासन स्तर पर संचालित है। विभाग में निदेशालय की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
दूसरे राज्यों के कानूनों और प्रस्तावों का अध्ययन
सरकार अध्यादेश लाने से पहले इस संबंध में दूसरे राज्यों के कानूनों और प्रस्तावों का अध्ययन कर रही है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने श्रद्धालुओं की सुविधा और धर्म स्थलों के रखरखाव आदि की व्यवस्था के लिए निर्देश दिए थे। सरकार पूरी कवायद को यही आधार मान रही है।
38 भाषाओं में बातें, टीचर ने बनाया रोबोट शालू
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। आम तौर पर मशीनों से बात करना एक सपने जैसा लगता है और यह सपना सच हो जाए तो क्या कहने। कुछ ऐसा ही हुआ है आईआईटी बॉम्बे के परिसर में मौजूद केंद्रीय विद्यालय में। केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक दिनेश पटेल ने एक ऐसा humanoid तैयार किया है जो लोगों से बात कर पाने में सक्षम है। यह रोबोट बिल्कुल इंसानों की तरह बात करता है। इस रोबोट का नाम शालू रखा गया है।
यह रोबोट हिंदी, इंग्लिश, भोजपुरी, मराठी सहित कई भाषाओं में बात कर सकता है। इसे बनाने में लगे प्रोडक्ट लोकल मार्केट से ही सामान खरीदे गए हैं। खास बात यह है कि शालू देश की 9 और 38 विदेशी भाषा मे बात करने में सक्षम। रोबोट को बनाने वाले दिनेश पटेल ने बताया कि इसे बनाने में उन्हें करीब 3 सालों के वक़्त लगा है और उन्होंने इसे लोकल सामानों से जोड़कर बनाया है। रोबोट शालू ने देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का नाम बखूबी बताया। इतना ही नही, मुम्बई सहित कई अन्य राज्यों का नाम कैसा है और कौन सी जगहें प्रसिद्ध हैं, उसका भी जवाब बेहद ही आसानी से दिया।
मिडिया के अनुसार शालू रोबोट को बनाने वाले शिक्षक दिनेश पटेल ने बताया कि अभी तो यह प्रोटोटाइप के रूप में है, लेकिन आगे चलकर और भी विकसित होने के बाद शालू रोबोट के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। पटेल के मुताबिक जल्द ही इसके वर्जन 2 को बनाना शुरू करेंगे, लेकिन सामान महंगे होने की वजह से उन्हें दिक्कतें आ रही हैं। शालू को बनाने वाले अध्यापक दिनेश पटेल की इच्छा है कि वह उसे स्कूल में डिप्लॉय करें ताकि बच्चे पढ़ भी सकें और उनका एंटरटेन्मेंट हो सके।
आंदोलन: सातवें दौर की वार्ता, किसानों को उम्मीद
अश्वनी उपाध्याय
गाज़ियाबाद। जनपद के यूपी गेट पर कड़ाके की ठंड के बीच पिछले करीब एक महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस ले और एमएसपी की गारंटी को लेकर कानून बनाएं। जब तक केंद्र सरकार मांगों को नहीं मानती है, तब तक दिल्ली से वापस नहीं लौटेंगे। वहीं, सातवें दौर की वार्ता से किसानों को उम्मीद जरूर है। केंद्र सरकार के निमंत्रण पर कल 30 दिसंबर को आंदोलनकारी किसानों के बीच सातवें दौर की वार्ता होनी है। इससे पहले छह दौर की वार्ता बेनतीजा निकलीं हैं। वहीं, सातवें दौर की वार्ता से किसानों को कुछ उम्मीद जरूर बंधी है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय महासचिव राजपाल शर्मा ने कहा कि 30 दिसंबर को केंद्र सरकार और किसानों के बीच होने वाली वार्ता से काफी उम्मीद है। निराशावादी व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता। सातवें दौर की वार्ता में किसानों की समस्याओं का हल निकल सकता है।
किसान नेता बलराम सिंह ने कहा कि बुधवार को होने वाली वार्ता से किसानों को काफी उम्मीदें हैं। किसान करीब 32 दिन से खुले आसमान के नीचे कड़ाके की सर्दी में रात गुजार रहे हैं। 30 दिसंबर को होने वाली वार्ता में सरकार किसानों की मांगों को मान लेती है, तो आंदोलन खत्म होगा और किसान गांवों को लौट जाएंगे।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के गाज़ियाबाद जिला प्रभारी जय कुमार मलिक ने कहा कि लंबे संघर्ष को देखकर सरकार को किसानों की ताकत एहसास हुआ है। उम्मीद है कि बुधवार को होने वाली वार्ता में सरकार किसानों की मांगो को समझेगी और हल निकालेगी। कृषि कानून वापस होंगे और एमएसपी की गारंटी को लेकर सरकार कानून बनाएगी।
नाटक मंडली ने यूपी गेट पर नाटक मंचन किया
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। नए कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में 34 वें दिन मंगलवार की सुबह दिल्ली के निशांत नाट्य मंच ने एक नाटक का मंचन किया गया। दिल्ली से आई नाट्य मंडली ने “पूंजी पतियों के शिकंजे में है मोदी” इस विषय पर एक नाटक का मंचन किया। साथ ही इस दौरन किसान आंदोलन के मंच से कलाकारों ने मेरा रंग दे बसंती के गीत से धरने पर बैठे किसानों का उत्साह वर्धन किया गया। साथ ही धरना स्थल पर आने वाले किसानों के लिए हेल्प डेस्क बनाई गई है। हेल्प डेस्क के माध्यम से सभी किसानों को अपना रजिस्ट्रेशन करने की अपील की गई है। दूसरी ओर किसान आंदोलन में भीड़ कम होने की अपेक्षा लगातार बढ़ती जा रही है।
किसान आंदोलन में बने मंच से वक्ताओं का गुस्सा प्रधानमंत्री और सरकार की अपेक्षा अडानी और अंबानी पर उतर रहा है पर ज्यादा उतर रहा है। वक्ताओं का कहना कि अडानी और अम्बानी किसी भी क्षेत्र को नही छोड़ना चाहता है। वह कृषि से लेकर खेल और सभी क्षेत्रों से मोटी रकम कमान चाहता है। वक्ताओं का कहना था कि अभी तक आइपीएल क्रिकेट प्रतियोगिताओं में केवल आठ टीमें थी। लेकिन अब एक टीम ओर बढ़ा दी गई है। ये टीम गुजरात से होगी जोकि अडानी की टीम होगी।
चौकी प्रभारी, दरोगा व कांस्टेबल निलंबित किए
वहीं घटना के संबंध में क्षेत्राधिकारी लोनी की जांच उपरांत चौकी प्रभारी शशिपाल भारद्वाज, दरोगा अंकित कुमार तथा हेड कांस्टेबल धीरज चतुर्वेदी को पूर्व से ही मामला संज्ञान में होने के बावजूद कोई भी प्रभावी वैधानिक व उचित कार्रवाई न करने, लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
एसएसपी कलानिधि नैथानी ने मंगलवार को बताया कि गोविंद ने पुलिस को बताया है कि महाकाल मंदिर के बाहर उसकी फूलों व पूजा सामग्री की दुकान है, जबकि मंदिर के अंदर फूलों एवं पूजा सामग्री की अजय की दुकान है। अजय उसको परेशान करता था और उसे मंदिर के बाहर दुकान नहीं लगाने देता था। इसको लेकर उससे उसकी दुश्मनी हो गई। इसी के चलते उसने 28 दिसम्बर को डीएलएफ पुस्ता रोड पर अपने साथी अमित के साथ मिलकर लोहे की रॉड से हमला कर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
गाजियाबाद: विकलांग काट रहे चक्कर, डॉक्टर गायब
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण के चलते दिव्यांग जनों को प्रमाण पत्र बनवाने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लगभग छह महीने तक प्रमाण पत्र बनाने का कार्य जिले में बंद रहने के बाद अब फिर से शुरू किया गया है, लेकिन डॉक्टर्स की लेट लतीफी के कारण आवेदकों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। सोमवार को केवल आर्थोपेडिक सर्जन ही शिविर में मौजूद रहे। जिले में विकलांग प्रमाण पत्र के लिए गठित किया गया बोर्ड पूर्व में संयुक्त अस्पताल में बैठता था। कोरोना संक्रमण काल के दौरानसंयुक्त अस्पताल में एल-2 अस्पताल बना दिया गया ,जिसके चलते जिला एमएमजी अस्पताल में बोर्ड के बैठने की व्यवस्था की गई है।
सोमवार को शिविर लगने के चलते जिला एमएमजी अस्पताल में खासी भीड़ जमा हो गई थी। दोपहर में डेढ़ बजे से बोर्ड में शामिल डॉक्टर्स आवेदकों की जांच करते हैं, लेकिन सोमवार को तीन बजे तक भी बोर्ड का कोई डॉक्टर शिविर में नहीं पहुंचा था। जिसके चलते सैकड़ों आवेदकों को घंटों इंतजार करना पड़ा। सबसे ज्यादा परेशानी मूक और बधिर लोगों को उठानी पड़ी।
शिविर में डॉक्टर से जांच करवाने के बाद उन्हें एक और जांच करवानी होती है जो मेरठ में होती है। उसके बाद उन्हें फिर से शिविर में आना होता, जिसके बाद उनका प्रमाणपत्र बन पाता है। आर्थोपेडिक सर्जन सोमवार को ऑपरेशन कर रहे थे, जिसके बाद लगभग तीन बजे शिविर में पहुंच सके। बोर्ड के अन्य डॉक्टर्स शिविर में पहुंचे ही नहीं। एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. अनुराग भार्गव ने बताया कि बोर्ड में शामिल सभी डॉक्टर्स ओपीडी और ओटी भी करते हैं। ओपीडी और ओटी के बाद ही डॉक्टर्स विकलांग शिविर में पहुंच पाते हैं।
आवेदक झेल रहे हैं तमाम परेशानी
विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने वालों की परेशानी सुनने वाला कोई नहीं हैं। लोनी की रहने वाली नेहा का कहना है कि सप्ताह में एक ही दिन शिविर लगता है और उस दिन भी डॉक्टर्स समय से नहीं आते। कई बार तो लोगों को बिना जांच के लौटना पड़ता है। इससे खासी परेशानी होती है। मोदीनगर के रहने वाले सुरेश का कहना है कि मेरे एक हाथ की तीन उंगलियां हादसे में कट गई थीं, अब मुझे विकलांग प्रमाण पत्र की जरूरत है। लॉक डाउन के बाद अब शिविर लगना शुरू हुआ है। हम सुबह से आए हुए हैं, लेकिन डॉक्टर्स के नहीं आने से अब दोबारा आना होगा।
जबकि मसूरी की रहने वाली आरती बताती है कि मेरे कानों में परेशानी है और मैं दूसरी बार शिविर में आई हूं। पिछले हफ्ते डॉक्टर के नहीं आने के चलते चेकअप नहीं हो सका था। इस बार भी डॉक्टर नहीं आए। विभाग को इसके लिए कोई बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए।
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