मंगलवार, 29 दिसंबर 2020
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15 साल के गठबंधन में ऐसा कभी नहीं हुआ
आईटीआर: फॉर्म-16 नहीं तो धबराने की जरूरत नहीं
नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करते वक्त सबसे अहम दस्तावेज होता है फॉर्म-16, जिसके बिना आईटीआर भरना नामुमकिन सा लगता है। इसी से पता चलाता है कि आपकी ग्रॉस सैलरी क्या है। कोरोना संकट के बीच अगर आपकी नौकरी चली गई या कंपनी ने अपना कारोबार समेट लिया जिसके चलते आपको फॉर्म-16 नहीं मिला तो धबराने की जरूरत नहीं है। हम आपको बता रहे हैं कि आप इसके बिना भी कैसे आसानी से अपना रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
अपनी सभी आय की गणना करें
आप जिस वित्त वर्ष का रिटर्न भरने जा रहे हैं उस अवधि में हुए सभी आय की गणना करें। आप नौकरीपेशा हैं तो वर्ष के सारे पे स्लिप जमा कर लें क्योंकि आपके पे स्लिप में सैलरी से संबंधित जरूरी डीटेल होती हैं। इसके साथ मकान का रेंट, बैंक में जमा पर ब्याज आदि की गणना करें। अगर आपने बीच में नौकरी बदली है तो दोनों कंपनियों के पे स्लिप डीटेल्स भरें। वेतन गणना करते वक्त ध्यान रखें कि आपको को जो वेतन मिलती है वो आपका पीएफ टीडीएस, प्रोफेशन टैक्स काटकर दी जाती है।
टीडीएस की गणना करें
अपनी सैलरी पर हुए टीडीएस गणना के लिए फॉर्म 26एएस देखें, जिसमें आपकी सैलरी पर लगे टीडीएस की जानकारी होती है। यह सुनिश्चित कर लें कि जितना कर आपकी सैलरी स्लिप मंब है और जितना फॉर्म-26एएस में दिख रहा है वह समान है। आंकड़े अगर एक समान ना आएं तो एक बार पुरानी कंपनी से मदद ली जा सकती है, ताकि ये पता चल सके कि सैलरी में और फॉर्म-26एएस में अलग-अलग टैक्स क्यों दिख रहा है।
टैक्स छूट और कटौती का दावा करें
आपको मिलने वाले तमाम भत्ते को सैलरी से कम करें। इसके अलावा सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का दावा करें। सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स छूट क्लेम करें। इसके अलावा और भी जो निवेश किया हो या खर्चा किया हो, जिस पर टैक्स छूट मिल सकती है, वह सब दावा करें।
अंत में क्या करें
ये सब करने के बाद आपके सामने टैक्सेबल इनकम आ जाएगी। आप इस पर टैक्स की गणना कर के भरें दें। अगर पहले ही अधिक टैक्स भर दिया है तो वह आईटीआर भरने के बाद वापस आ जाएगा। कितना टैक्स देना है, इसकी गणना अपने आप ही आईटीआर फॉर्म में दिखने लगेगा। ध्यान रहे आईटीआर भरने के बाद ई-वेरिफिकेशन जरूर कराएं। इन सभी शर्तों को पूरा कर लेने के बाद आप फार्म-16 के बगैर भी इनकम टैक्स फाइल कर सकते हैं।
कच्ची उम्र में हुई शादी, 1500 बच्चों की मां
एक ऐसी महिला है जो 1500 बच्चों की मां है। जी हां, हम बात कर रहे है सिंधुताई सपकाल की। अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए उन्होंने सड़कों पर भीख तक मांगी। आपको यह जानकर हैरान होगी सिंधुताई की जिन्दगी एक ऐसे बच्चे के तौर पर शुरू हुई थी, जिसकी किसी को जरूरत नहीं थी। सिंधुताई को महाराष्ट्र की मदर टेरेसा भी कहा जाता है।
सिंधुताई ने 10 साल की उम्र में 20 साल के व्यक्ति से शादी की। शादी के कुछ महीनों बाद वह गर्भवती हो गई। लेकिन नौ महीने की गर्भवती को मरने के लिए छोड़ दिया। पति ने नौवें महीने पेट में लात मारी, बेहोशी की हालत में गायों के बीच एक बेटी को जन्म दिया। बेघर होने के बाद अपना पेट भरने के लिए ट्रेन में भीख मांगी। इतना ही नहीं कभी रोटी खाती और कभी श्मशान घाट से चिता की रोटी खाती।
हाथ से काटी बेटी की नाल : कच्ची उम्र में ही उनकी शादी कर दी गई। 10 साल की उम्र में वो 30 साल के आदमी की घरवाली थीं। उनके पति ने उन्हें दुख देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और हालात इतने बुरे हो गए कि उन्हें गौशाला में अपनी बच्ची को जन्म देना पड़ा। वो बताती हैं कि उन्होंने अपने हाथ से अपनी नाल काटी। इन सब बातों ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। उन्होंने आत्महत्या करने की भी बात भी सोची।
1500 से अधिक अनाथ बच्चों की मां : एक महिला सशक्तीकरण पर आयोजित शक्ति कार्यक्रम में पूना की 70 वर्षीय सिंधुताई ने कहा, मुझे पढ़ाई का बहुत शौक था लेकिन मेरी मां ने मुझे पढ़ाई करने की अनुमति नहीं दी। बचपन में ही शादी हो गई। गर्भवती हालत में पति ने घर से निकाल दिया।
उन्होंने कई कठिनाइयों को सहन किया और फिर अनाथ बच्चों की सेवा करने का फैसला किया। वर्तमान में मैं 1500 से अधिक अनाथ बच्चों की मां हूं। आपको यह जानकर हैरान कि जिनमें से कुछ डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और वकील बन गए हैं।
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