देश के प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेकानेक योजनाओं पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए किसानों से सीधे संवाद भी किया और राष्ट्र के नाम संबोधन में किसानों को देश का अन्नदाता तथा देश के विकास का प्रमुख स्रोत बताते हुए किसानों का आभार व्यक्त किया। लगभग 2 घंटे के आसपास चले प्रधानमंत्री के संबोधन को राज्य मंत्री सुरेश पासी सहित आम किसानों ने सुना।इस दौरान उप जिला अधिकारी मुसाफिरखाना रामशंकर, खंड विकास अधिकारी राजीव गुप्ता, भाजपा जिला उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र शुक्ला, व्यापार प्रकोष्ठ संयोजक पंडित राम उंजेरे शुक्ला, पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं मंडल महामंत्री दिनेश कौशल, मंडल अध्यक्ष शंकर बक्स सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ ओंकार नाथ सिंह, पूर्व मंडल महामंत्री महेंद्र कुमार शुक्ला, भाजपा नेता विनय चौरसिया, प्रधान शिव नायक सिंह ,प्रधान उदय नारायण मिश्रा, पूर्व प्रमुख प्रत्याशी भूपेंद्र विक्रम सिंह उर्फ सोनू सिंह, ग्राम विकास अधिकारी मनोज मिश्रा, ग्राम विकास अधिकारी राम मिलन यादव, एडीओ पंचायत विजय यादव, कृषि रक्षा इकाई सचिव चंद्रशेखर सहित हजारों किसान एवं प्रबुद्ध जन मौजूद रहे।
शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020
9 करोड़ किसानों के खातों में 18 हजार करोड़
अमेठी। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित अटल बिहारी वाजपेई के जन्मोत्सव को भाजपा सरकार किसान दिवस सुशासन दिवस के रूप में मनाते हुए शुकुल बाजार विकास खंड कार्यालय के प्रांगण में किसान दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें कृषि विभाग द्वारा विभिन्न प्रदर्शनी लगाकर किसानों को जागरूक करते हुए विभिन्न प्रकार के पौधे और बीजों का वितरण किया। बतौर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक एवं उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री सुरेश पासी ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी बाजपेई के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्वलित कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 करोड़ किसान परिवारों को 18 हजार करोड़ रुपए का हस्तांतरण सीधे उनके बैंक खातों में किया उन्होंने कहा किसान हित ही सर्वोपरि हैं।केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी सिंहपुर ब्लाक मुख्यालय पर किसानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जा रही। विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए किसानों को विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान उनके साथ उनके निजी सचिव विजय गुप्ता, भाजपा जिला अध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी, और जिला प्रवक्ता चंद्रमौली मौजूद रहे। वहीं शुकुल बाजार विकासखंड पर राज्य मंत्री सुरेश पासी ने अमेठी के विकास कार्यों की विकास पुस्तिका का भी विमोचन किया। जिसमें अमेठी प्रशासन द्वारा किए गए विभिन्न विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी मौजूद है। विकासखंड के प्रांगण में हजारों किसानों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाइव टेलीकास्ट सुना प्रधानमंत्री के उद्बोधन में इतना आकर्षण था कि 12 बजे से शुरू हुए उनके उद्बोधन को जनता सुनती रही।
सरकार कृषि कानूनों में संशोधन को तैयार: सिंह
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। आंदोलनकारी किसानों से कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए आगे आने की अपील करते हुए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि यदि किसानों को कानून लाभकारी नहीं लगते तो सरकार उनमें संशोधन करेगी। आंदोलनकारी किसानों को अपने ही लोग बताते हुए सिंह ने कहा, ”धरने पर बैठे लोग किसान हैं और किसान परिवारों में जन्मे हैं। हम उनके प्रति बहुत सम्मान रखते हैं।”
4 करोड़ छात्रों के बैंक खातों में आएगी छात्रवृत्ति
स्टूडेंट्स के लिए खुशखबरी 4 करोड़ छात्रों के बैंक अकाउंट में आएंगे इतने पैसे
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति के छात्रों को दी जाने वाली केंद्रीय छात्रवृत्ति नियमों में बदलाव किया है। दरअसल सरकार ने मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना में यह बदलाव इसलिए किया है। ताकि इससे से ज्यादा से ज्यादा छात्र इससे जुड़ सकें। इस योजना से अनुसूचित जाति के छात्रों को कक्षा 11वीं से शुरू होने वाले मैट्रिक के बाद किसी भी पाठ्यक्रम को जारी रखने में मदद मिली है।
कैबिनेट बैठक में 59,048 करोड़ रुपये के कुल निवेश का अनुमोदन प्रदान हुआ है। इसमें से 60 फीसदी रकम यानी 35,534 करोड़ रुपये केंद्र सरकार खर्च करेगी. शेष राशि राज्य सरकारों द्वारा खर्च की जाएगी। बतादें कि इस योजना के तहत सरकार गरीब छात्रों को नॉमिनेट करने समय पर पेमेंट करने से लेकर व्यापक जवाबदेही और पारदर्शिता पर जोर देती है।
अब इसके तहत गरीब से गरीब छात्रों को 10वीं पास करने के बाद अपनी इच्छानुसार उच्चतर शिक्षा पाठ्यक्रमों में नॉमिनेट करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। अनुमान है। कि 1.36 करोड़ ऐसे छात्र हैं। जो वर्तमान में 10वीं पास करने के बाद अपनी शिक्षा को जारी नहीं रख सकते हैं। इन्हें अगले 5 साल में इस योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। गौरतलब है। कि अगले 5 साल में अनुसूचित जाति के चार करोड़ से ज्यादा छात्रों को इसके तहत कुल 59 हजार करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी।
इस योजना के तहत छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की कुल रकम में 60 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार और 40 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार देगी। एक अनुमान के अनुसार, केंद्र सरकार इस 59 हजार करोड़ रुपये में से 35,500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बाकी खर्च राज्य सरकारों द्वारा उठाया जाएगा। सरकार यह भी दावा कर रही है। कि इस योजना की मदद से अगले 5 साल में करीब 1 करोड़ 36 लाख अनुसूचित जाति के छात्रों को दोबारा शिक्षा प्रणाली से जोड़ने में मदद मिलेगी।
ये छात्र गरीबी व अन्य कारणों से शिक्षा से महरूम रह जाते थे। इस स्कीम को सुरक्षा उपायों के साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए शुरू किया जाएगा ताकि पारदर्शिता, जवाबदेही भी तय की जा सके। पोर्टल पर ही राज्य पात्रता, जातिगत स्थिति, आधार पहचान तथा बैंक अकांउट के ब्योरे की जांच की जाएगी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए ही छात्रों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए जाएंगे।
क्रिसमस विशेष: जीसस के खोए हुए वर्ष
क्रिसमस विशेष जीसस के खोए हुए वर्ष !
ध्रुव गुप्त
विश्व इतिहास के महानतम व्यक्तित्वों में एक जीसस या ईसा के जीवन का एक बड़ा कालखंड ऐसा है। जिसके बारे में बाइबिल सहित किसी प्राचीन ग्रन्थ में कोई ज़िक्र नहीं है। 12 वर्ष की आयु तक उनकी गतिविधियों का उल्लेख बाइबिल में मिलता है। उन्हें यरुशलम में पूजास्थलों में उपदेशकों के बीच में बैठे उनकी सुनते और उनसे प्रश्न करते हुए पाया गया। उनकी अनंत जिज्ञासाओं से वहां पुजारी भी अचंभित हुए थे। उनकी दिव्यता और नए विचारों में की चर्चा तेजी से फैली तो रूढ़िवादियों की नज़र उनपर गड़ने लगी। उनकी जान को खतरा देख उनके पिता जोसेफ उन्हें अपने साथ नाजरथ ले गए जहां जीसस ने पिता के बढ़ईगिरी के काम में कुछ अरसे तक हाथ बंटाया। इसके बाद तेरह से उनतीस साल के जीसस के जीवन के बारे में कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता।
जीसस के जीवन के इन रहस्यमय वर्षों को ईसाई जगत में साइलेंट इयर्स, लॉस्ट इयर्स या मिसिंग इयर्स कहा जाता है। उसके बाद जीसस ने सीधे तीस वर्ष की उम्र में येरुशलम लौटकर यूहन्ना से दीक्षा ली और चालीस दिनों के उपवास के बाद लोगों को धार्मिक शिक्षा देने लगे। उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है। प्रेमरूप है। वे स्वयं ईश्वर के पुत्र और स्वर्ग और मुक्ति का मार्ग हैं। कर्मकांडी और बलिप्रेमी यहूदियों को उनकी लीक से हटकर शिक्षायें रास नहीं आईं और उन्होंने जीसस को तैतीस साल की उम्र में क्रूस पर लटका दिया।
जीसस के लॉस्ट इयर्स की खोज पहली बार1887 ई में एक रुसी खोजकर्ता नोटोविच ने की। प्रमाणों के साथ उन्होंने और इस रहस्यमय कालखंड में जीसस के भारत में रहने का रहस्योद्घाटन किया। कश्मीर भ्रमण के दौरान जोजीला दर्रे के समीप एक बौद्धमठ में नोटोविच की मुलाक़ात एक बौद्ध भिक्षु से हुई थी जिसने उन्हें बोधिसत्व प्राप्त एक ऐसे संत के बारे में बताया जिसका नाम ईसा था। भिक्षु से हासिल विस्तृत जानकारी के बाद नोटोविच ने ईसा और जीसस के जीवन में कई समानताएं रेखांकित की। उसने लद्दाख के लेह मार्ग पर स्थित प्राचीन हेमिस बौद्घ आश्रम में रखी कई पुस्तकों के अध्ययन के बाद 'द लाइफ ऑफ संत ईसा' नामक पुस्तक एक लिखी।
इस चर्चित किताब के अनुसार इस्राएल के राजा सुलेमान के समय से ही भारत और इजराइल के बीच घनिष्ठ व्यापार-संबंध थे। भारत से लौटने वाले व्यापारियों ने भारत के ज्ञान की प्रसिद्धि के किस्से दूर-दूर तक फैलाए थे। इन किस्सों से प्रभावित होकर जीसस ज्ञान प्राप्त करने के उद्धेश्य से बिना किसी को बताये सिल्क रूट से भारत आए और सिल्क रूट पर स्थित इस आश्रम में तेरह से उनतीस वर्ष की उम्र तक रहकर बौद्घ धर्म, वेदों तथा संस्कृत और पाली भाषाओं की शिक्षा ली। उन्होंने संस्कृत में अपना नाम ईशा रख लिया था जो यजुर्वेद के मंत्र 40:1 में ईश्वर का प्रतीक शब्द है। यहां से शिक्षा लेकर वे येरूसलम लौट गए थे।
जीसस के भारत आने का एक प्रमाण हिन्दू धर्मग्रन्थ 'भविष्य पुराण' में भी मिलता है। जिसमें ज़िक्र है। कि कुषाण राजा शालिवाहन की मुलाकात हिमालय क्षेत्र में सुनहरे बालों वाले एक ऐसे ऋषि से होती है जो अपना नाम ईसा और अपना जन्म एक कुंवारी मां के गर्भ से बताता है। लद्दाख की कई जनश्रुतियों में भी ईसा के बौद्ध मठ में रहने के उल्लेख मिलते हैं। विश्वप्रसिद्ध स्वामी परमहंस योगानंद की किताब द सेकंड कमिंग ऑफ क्राइस्ट: द रिसरेक्शन ऑफ क्राइस्ट विदिन यू' में यह दावा किया गया है। कि ईसा ने भारत में कई वर्ष रहकर भारतीय ज्ञान दर्शन और योग का गहन अध्ययन और अभ्यास किया था। स्वामी जी के इस शोध पर 'लॉस एंजिल्स टाइम्स' और द गार्जियन ने लंबी रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसकी चर्चा दुनिया भर में हुई। इयान कोल्डवेल की एक किताब फिफ्त गॉस्पल' जीसस की जिन्दगी के रहस्यमय पहलुओं की खोज करती है। इस किताब का भी यही मानना है। कि तेरह से उनतीस वर्ष की उम्र तक ईसा भारत में रहे।
शोधकर्ताओं ने इस आधार पर भी ईसा के लंबे अरसे तक भारत में रहने को विश्वसनीय माना है कि जीसस और बुद्ध की शिक्षाओं में काफी हद तक समानता देखने को मिलती है। अहिंसा, प्रेम, त्याग, सेवा और क्षमा हिन्दू-बौद्ध दर्शन के मूल तत्व थे। जो समकालीन दूसरे धर्मों में देखने को नहीं मिलते।.जीसस में सबसे बड़ी बात उनकी पवित्र आत्मा की अवधारणा है। जीवात्मा का सिद्धांत भारतीय दर्शन का हिस्सा है। ईसा से पहले आत्मा की अवधारणा पश्चिम में नहीं थी। ईसा ने इसे परमेश्वर के अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार किया, जिसे चित्रों में सफ़ेद कबूतर के रूप में दर्शाया जाता है।
क्या केवल बड़े किसानों को एमएसपी का फायदा
क्या केवल अमीर और बड़े किसानों को एमएसपी का फायदा
अंकुर मौर्य
नई दिल्ली। मौजूदा कृषि कानूनों को लेकर बहुत कन्फ्यूज़न ही कन्फ्यूज़न है। ये तो रीती है। आजतक जितने भी कानून बनें सबने किसान, गरीब, मज़दूर का विकास नहीं किया केवल उद्योगपतियों ने ही कानूनों से खेला है। जिसका नतीज़ा यही होता है। कि गरीब और गरीब बनता जा रहा है। और अमीर और अमीर बनता जा रहा है। वहीं मीडल क्लास आदमी आदमी नहीं चू**या रहता है। खेर ये तो बातें है। पर अभी जो हो रहा उसपर गौर किया जाए तो कुछ ऐसे तथ्य जिन्हें सत्य मान लिया गया है। वो पुरानी कहावत है। ना कि एक झूठ को सौ बार बोला जाए तो वह सच लगने लगता है। ठीक वैसा ही कुछ हो रहा है। मौजूदा विवादित कानून की चर्चाओं में जब तथ्य रखे जाते हैं। इसमें कुछ चीज़े ऐसी है। जो आपको बार-बार सुनने को मिलेंगी मुझे भी मिलती है। तो सोचा इसके ऊपर कुछ लिखा जाए, इसी पर द हिंदू अख़बार ने एक बहुत बढ़िया रिसर्च्ड आर्टिकल छापा था। कुछ दिन फहले।
इस आर्टिकल के सहारे उन तथ्यों को में बताना चाहता हूं जिन्हें पूरी तरह से सच मान लिया गया है। जिसमें एक बड़ा फंडा है। एम एस पी का यानी ‘’न्यूनतम समर्थन एम एस पी का मूल्य जिसका जिक्र कानूनों में नहीं है। पर जब इस पर बात होती है। तो अकसर ये कहा जाता है।कि एमएसपी का फायदा केवल बड़े किसानों को मिलत है। जो 6% है। सर्वे के अनुसार.. और केवल पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों को ही का फायदा मिलता है। पूरे देश को नहीं यानी सीधे-सीधे ये कहा जाता है। कि केवल अमीर किसान ही एमएसपी का फायदा उठा रहे हैं। बाकी पूरे देश के अन्य राज्यों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है।
लेकिन अगर हम देखें तो एमएसपी का फायदा तमाम राज्यों को मिलता है। और जो जानकारी फैलाई जा रही है। वो गलत है।इसको समझने के लिए समझते है। विकेन्द्रीकृत खरीद योजना। यानी ये भारत सरकार 1997-98 के बीच में लायी थी। जिसका मकसद था। कि एमएसपी को सही तरीके से तमाम राज्यों तक पंहुचाया जा सके और उन्हें लाभ मिल सके और इसमें सरकार को बहुत हद सफल भी रही है । इस योजना को कांग्रेस ने लंबे समय तक चलाया अब मौजूदा सरकार इसे कितना चलाएगी ये देखने वाली बात होगी खेर इस मामले में एफसीआई का डाटा कहता है। कि 15 राज्यों ने इस योजना को अपनाया , हालांकि ये बात सही है। एमएसपी लंबे समय से पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में काफी अच्छी स्टेबल है। लेकिन इस योजना के बाद लगभग सन 2001 के बाद स्थिति बदली है।
वो ऐसे की 2001 से पहले 90% गेंहू और चावल की बिक्री सरकार पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों से खरीदती थी। और केवल 10% अन्य राज्यों से लेकिन 2001 के बाद इसकी तस्वीर बदली इसमें छत्तीसगढ़ और उड़ीसा ने जमकर तरक्की की है। वो ऐसे की इन दोनों राज्य से पूरे देश से सरकार एमएसपी के अंडर जो चावल खरीदती है। वो 10%-10% इन दोनों राज्यों से लिए है।वहीं अगर गेंहू की बात की जाए तो मध्यप्रदेश से 20% गेंहू लिया गया है। इतना ही नहीं साल 2020-21 की बात की जाए तो पंजाब से ज़्यादा मध्यप्रदेश से गेंहू लिया गया है।
वही अगर एमएसपी के वो हाउसहोल्ड यानी जो एमएसपी के अंडर बेच रहे हैं। जिसमें चावल की खेती की बात की जाये तो इसमें भी पंजाब और हरियाणा से आगे ओडिशा और छत्तीसगढ़ है।जिसमें 9% और 7% हाउसहोल्ड पंजाब और हरियाणा में है। वहीं 11% और 33% उड़ीशा और छत्तीसगढ़ में है। वहीं मध्यप्रदेश में गेंहू वाले हाउसहोल्ड पंजाब और हरियाणा से अधिक मात्रा में है। तो इसका मतलब ये है। कि मौजूदा समय में ये कह देना की एमएसपी का फायदा केवल हरियाणा उर पंजाब को मिल रहा है। ये बिल्कुल गलत है।
एमएसपी का फायदा केवल अमीर किसानों को होता है। ये भी कई बार कहा जाता है। पर ये भी गलत है। क्योंकि अगर आंकड़े देखें तो बड़े किसानों की तुलना में छोटे और मध्यम किसानों ने एमएसपी के अंडर अपनी फसल ज़्यादा बेची है। अगर चावल की बात की जाए तो पूरे देश में एमएसपी के अंडर बेचने वाले 1% किसान ऐसे थे। जिनकी जमीन 10 हेक्टेयर से ज़्यादा थी, वहीं 70% किसान ऐसे थे। जिनकी ज़मीन 2 हेक्टेयर से भी कम थी। जिन्होंने एमएसपी के अंडर चावल बेचा वहीं गेंहू में भी आंकड़ा कुछ ऐसा ही है। हालांकि ऊपर नीचे है। पर छोटे किसानों की संख्या ज़्यादा है।
किसानों के सवाल बड़े या 2000 रूपये का सम्मान
किसानों के सवाल बड़े हैं या 2000 रुपये का सम्मान बड़ा है
हरिओम उपाध्याय
नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी जयंती पर प्रधानमंत्री किसानों को सम्मानित करेंगे। 9 करोड़ किसानों के खाते में 2000 की किश्त जाएगी। प्रधानमंत्री को पैसे की ताक़त में बहुत यक़ीन है। इसलिए वे आंदोलनरत किसानों से बात नहीं कर इस राशि के बहाने किसानों से बात करेंगे। उन्हें यक़ीन है। कि खाते में पैसा जाते ही किसान किश्त की बात करने लगेंगे। किश्त की जयकार करते हुए क़ानून के जयकारे लगाने लगेंगे। यह राशि किसानों के सम्मान और आंदोलन के बीच एक रेखा है। किसानों को तय करना है। कि दो हज़ार के साथ दलाल और आतंकवादी कहा जा सकता है। या दो हज़ार के साथ माँगे मान कर सम्मान चाहिए।
आज के आयोजन के लिए जो पैसा खर्च हो रहा है। उसका कोई हिसाब नहीं। अनुमान ही लगा सकते हैं। कि जब ज़िला से लेकर पंचायत स्तर पर कार्यक्रम होंगे तो उस पर कितने पैसे खर्च होंगे।किराये के टीवी स्क्रीन से लेकर कुर्सी वग़ैरह का इंतज़ाम होगा।अलग अलग योजनाओं के पैसे इसके आयोजन पर खर्च किए जा रहे हैं। या अलग से बजट होता है। प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि आज के आयोजन पर पाँच सौ करोड़ ख़र्च हो रहा है। या छह सौ करोड़ या दो सौ करोड़। हाल ही में गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों से बात करने का आयोजन किया गया जिस पर भी कुछ पैसे खर्च हुए ही होंगे।
ज़िलाधिकारी से लेकर ब्लाक स्तर के सरकारी कर्मचारियों का एक मुख्य काम प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों का आयोजन कराना हो गया है। कृषि विभाग और इसके संस्थानों के लोगों को भी यह काम करना होता है। साइट पर पंजीकरण कराना होता है। आज सुबह देखा तो
25 दिसंबर के कार्यक्रम के लिए आठ करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराए हैं। यह संख्या अविश्वसनीय लगती है।
इसकी डेटा ऑडिट की जाना चाहिए ताकि पता चले कि इस पर पंजीकरण कराने वाले लोगों में कर्मचारी और उनके रिश्तेदार कितने हैं। क्या वाक़ई आठ करोड़ किसानों ने खुद से पंजीकरण कराया है। या इस योजना के तहत जिनके खाते में पैसे जाने हैं। उनसे कहा गया है। कि पंजीकरण करें या उनके बिना पर बिना उनकी जानकारी के पंजीकृत कर दिया गया है। इस कार्यक्रम के लिए किए गए पंजीकरण की कोई न कोई कहानी ज़रूर होगी।
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