शनिवार, 5 दिसंबर 2020

कनाडा से अन्नपूर्णा को वापस लाएंगे पीएम

काशी से कनाडा पहुंची मां अन्नपूर्णा, वापस लाएंगे पीएम मोदी


वाराणसी। सात समंदर पार कनाडा में मिली मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को लेकर बनारस में सुगबुगाहट तेज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों बनारस के लोगों से वादा किया है। कि जल्द जी माता कि प्रतिमा को वापस लाया जायेगा। इसके बाद काशीवासियों का इन्तजार और बढ़ गया है। हर किसी के मन में चोरी हुई प्रतिमा को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है।
पीएम के बयान के बाद बढ़ा श्रधालुओं का इंतजार
अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वरपुरी जी कहते हैं। कि पूरी काशी को मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा का बेसब्री से इन्तजार है। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है। कि स्वदेशी आने पर प्रतिमा मंदिर प्रशासन को दीं जाये. हम इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करेंगे। महंत रामेश्वपुरी जी के मुताबिक कनाडा में बरामद प्रतिमा के बारे में मंदिर के पास कुछ रिकार्ड मौजूद नहीं है। फिर भी पूरे विधि विधान से हम इस प्रतिमा को स्थापित करेंगे।
कनाडा से लाई जाएगी प्रतिमा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देव दीपावली के दिन राजघाट पर जनता को संबोधित करते हुए कहा था। कि जल्दी ही माता अन्नपूर्णा की मूर्ति आने वाली है। उनके इस एलान के बाद लोगों का इंतजार बढ़ गया है। लक्सा इलाके के रहने वाले रवि प्रकाश पाण्डेय नियमित तौर पर माता अन्नपूर्णा का दर्शन करते हैं। उनका कहना है। कि ज़ब से मैंने माता की नई प्रतिमा के बारे में सुना है,। उत्सुकता बढ़ गई है। प्रधानमंत्री से निवेदन है। कि जल्द से जल्द इस मूर्ति को वापस लाया जाये ताकि हमें माता का दर्शन मिल सके
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कैसे कनाडा पहुंची मां अन्नपूर्णा की मूर्ति ।
माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी मानी जाती हैं। इस मूर्ति का निर्माण बनारसी शैली में 18वीं शताब्दी में हुआ था। अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना स्थित मैकेंजी आर्ट गैलरी के कलेक्शन का हिस्सा थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नॉर्मन मैकेंजी की वसीयत के मुताबिक बनवाया गया था। पिछले साल विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा को मैकेंजी आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने के लिए बुलाया गया था।
उन्होंने गैलरी में रखीं प्राचीन मूर्तियों का अध्ययन करना शुरू किया। उनकी नजर देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति पर पड़ी। उन्होंने पहले सोचा कि यह भगवान विष्णु की मूर्ति है। लेकिन महिला रूप देखकर दिव्या मेहरा सोचने पर मजबूर हुईं। मूर्ति के एक हाथ में खीर का कटोरा था। और दूसरे हाथ में दंड. जब उन्होंने रिकॉर्ड्स खंगाला तो पता चला कि 1913 में एक मंदिर से ऐसी ही मूर्ति गायब हुई थी। जिसे मैकेंजी आर्ट गैलरी ने एक्वायर किया था।
क्या है। मां अन्नपूर्णा की महिमा 
धर्म और मोक्ष की नगरी काशी में माता अन्नपूर्णा के दर्शन का बड़ा ही महत्व है। ऐसी मान्यता है। कि माता अन्नपूर्णा का दर्शन करने मात्र से ही घर धन-धान्य और सुख-समृद्धि से भरा रहता है। खुद भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से काशी के भरण-पोषण के लिए शिक्षा प्राप्त की थी। तब से माता अन्नपूर्णा दर्शन करते हुए अन्न की कमी नहीं होती है।                           


भारत टीके की 1.6 अरब खुराक खरीदेगा

भारत कोविड-19 टीके की 1.6 अरब खुराक खरीदने वाला सबसे बड़ा खरीदार होगा- विशेषज्ञ


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। वैश्विक विशेषज्ञों के विश्लेषण के मुताबिक भारत 1.6 अरब खुराक के साथ दुनिया में कोविड-19 टीके का सबसे बड़ा खरीदार होगा। वैज्ञानिकों का कहना है। कि इतने टीके से 80 करोड़ लोगों या आबादी के 60 प्रतिशत हिस्से का टीकाकरण हो जाएगा और हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए भी इतनी संख्या पर्याप्त होगी।
अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के मुताबिक भारत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की 50 करोड़ खुराक अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स से एक अरब खुराक और रूस के गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट से 10 करोड़ खुराक खरीदने वाला है।
हर दो सप्ताह पर अद्यतन किए जाने वाले लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर विश्लेषण से पता चलता है। कि भारत ने तीनों टीके की 1.6 अरब खुराक खरीदने की पुष्टि की है। विश्लेषण के मुताबिक अग्रिम खरीदार के तौर पर कोविड-19 टीका खरीदारों के मामले में भारत शीर्ष पर है। इसके बाद यूरोपीय संघ है। जो 1.58 अरब खुराक खरीदेगा। संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका एक अरब से ज्यादा खुराक की खरीदारी पर मुहर लगा चुका है।
हर देश अपनी आबादी को कोरोना वायरस से सुरक्षित करने के लिए नयी रणनीति अपना रहे हैं। ड्यूक यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 टीके की खरीदारी के लिए वैश्विक स्तर पर हुए समझौते के संबंध में विश्लेषण जारी किया है। हालांकि अब तक टीकाकरण की शुरुआत कहीं पर भी नहीं हुई है ।
ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण में उल्लेख किया भारत और ब्राजील जैसे निर्माण क्षमता वाले देशों ने बाजार में टीके के आने के पहले ही अग्रणी टीका निर्माताओं के साथ इसको लेकर समझौते कर लिए हैं।
विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने बताया सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथा अधिकारियों से बातचीत के आधार पर यह आंकड़ा तैयार किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने नवंबर में कहा था। कि जुलाई-अगस्त 2021 तक भारत में (25 से 30 करोड़) लोगों के लिए कोविड-19 की 40-50 करोड़ खुराक उपलब्ध हो जाएगी। जमील ने बताया कि भारत ने जिन कंपनियों के टीके के लिए अग्रिम तौर पर आदेश दिया है। उसमें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका तथा नोवावैक्स के टीके को पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तथा स्पूतनिक वी के टीका को हैदराबाद के डॉ रेड्डी लैब में तैयार किया जा रहा है।
अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के निदेशक जमील ने कहा भारत बायोटेक और जायडस कैडिला भी वर्ष में करीब 40 करोड़ खुराक उपलब्ध कराएगी। हम उम्मीद कर सकते हैं। 2021 में 25 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो जाएगा। बाकी लोगों को उसके अगले साल टीके की खुराक दी जाएगी। 
उन्होंने कहा कि 1.6 अरब खुराक से 80 करोड़ लोगों या भारत की आबादी के 60 प्रतिशत हिस्से का टीकाकरण हो जाएगा। विषाणु विज्ञानी ने कहा कि टीके की इतनी खुराक हर्ड इम्युनिटी’ विकसित करने के लिए पर्याप्त होगी। उन्होंने कहा कि पहली 50 करोड़ खुराक अग्रिम मोर्चे के कर्मियों स्वास्थ्यकर्मियों आपात सेवा और सुरक्षा सेवा के लोगों को दी जा सकती है। पहले से गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोग और 65 से ज्यादा की उम्र के लोग भी प्राथमिकता में रहेंगे।                            


भारतीय विशेषज्ञों ने नियमों को साझा किया

भारतीय विशेषज्ञों ने टीका विज्ञान के नियमों को किया साझा


नई दिल्ली। कोरोना वायरस के टीके को लेकर भले ही परीक्षण अंतिम चरण में पहुंच चुका हो लेकिन पिछले कुछ समय में सामने आई दो प्रतिकूल घटनाओं पर अब तक सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। कोरोना को लेकर पहली बार केंद्र सरकार के विशेषज्ञों ने सार्वजनिक रूप से टीका विज्ञान के बारे में जानकारी दी।
शुक्रवार को वेबिनार के दो घंटे के जरिए स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के शीर्ष अधिकारियों ने टीका विज्ञान के तहत परीक्षण को लेकर निगरानी तक पर चर्चा की लेकिन इस दौरान जब देश की दो प्रतिकूल घटनाओं को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर बोलने से इनकार कर दिया। 
वेबिनार के दौरान आईसीएमआर की वरिष्ठ डॉक्टर शीला गोडबोले ने प्रेजेंटेशन के जरिए टीका के प्रभाविकता के बारे में बताया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी डॉ. भंडारी ने कहा कि यह वेबिनार टीका विज्ञान की प्रक्रिया को समझाने के लिए है। इसमें प्रतिकूल घटनाओं को लेकर जानकारी नहीं दी जा सकती।
वेबिनार के दौरान ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. वीजो सोमानी ने बताया कि टीका विज्ञान को लेकर देश में अब तक सभी नियम-कानूनों का पालन किया जा रहा है। सबसे पहले टीका का परीक्षण जानवरों पर किया जाता है। इसके बाद पहले चरण के परीक्षण में देखा जाता है। कि इंसानों के शरीर में एंटीबॉडी मिल रही है। या नहीं। 
इसके बाद दूसरे चरण के परीक्षण में एंटीबॉडी कितने समय तक रहने की स्थिति का पता लगाया जाता है। और तीसरे चरण के परीक्षण में यह पता लगाया जाता है। कि टीका कितना असरदार है। इसके बाद लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू होती है। तो आखिर में पोस्ट मार्केटिंग स्टडी के आधार पर परीक्षण होता है।
परीक्षण में शामिल होेने वाले व्यक्ति को फॉर्म दिया जाता है। जिसमें सभी तरह के नियम और प्रतिकूल की आशंकाओं के बारे में जानकारी होती है। अगर कोई प्रतिकूल घटना होती है। तो एक महीने के अंदर उसकी जानकारी निचले स्तर से होते हुए ड्रग कंट्रोलर तक पहुंचाते हैं। 
परीक्षण के दौरान हुईं ये दो प्रतिकूल घटनाएं
भारत बायोटेक की ओर से स्वदेशी टीका बनाने पर काम किया जा रहा है। अगस्त माह में पहले चरण के परीक्षण के दौरान एक व्यक्ति में प्रतिकूल प्रभाव दर्ज किए गए थे। हालांकि इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी।
सीरम इंस्टिट्यूट के तीसरे चरण के परीक्षण में एक अक्तूबर को चेन्नई निवासी व्यक्ति ने टीका लगवाया और 11 अक्तूबर को सुबह साढ़े पांच उसे तेज सिरदर्द शुरू हुआ। हालांकि इसको लेकर भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई।
अब तक 12 करोड़ रुपये का दिया हर्जाना
डॉ. सोमानी ने बताया कि कोरोना से पहले तक देश में काफी संख्या में मानव परीक्षण होते आए हैं। हर परीक्षण में शामिल व्यक्ति को अगर प्रतिकूल घटना होती है। तो संबंधित कंपनी की ओर से भरपाई की जाती है। अब तक 12 करोड़ रुपये अलग-अलग परीक्षणों के दौरान दुष्प्रभावों के शिकार व्यक्तियों के परिवारों को मिल चुका है।                 


यूपीपीसीएल में नौकरी के लिए करें आवेदन

यूपीपीसीएल दे रहा है सरकारी नौकरी का मौका, जानिए किस तरह करें आवेदन


पालूराम


नई दिल्ली। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए यूपीपीसीएल सुनहरा मौका लेकर आया है। यह मौका खासकर उन युवाओं के लिए है। जोकि इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे हैं। यूपीपीसीएल यानि कि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने जूनियर इंजीनियर के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं। यह आवेदन प्रक्रिया चार दिसंबर 2020 से शुरू होगी जबकि आवेदन करने की अंतिम तिथि 28 दिसंबर 2020 होगी। इस नौकरी के लिए निकाले गए कुल पदों की संख्या 212 है। आवेदन करने के लिए आपको यूपीपीसीएल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा
इन पदों पर भर्ती के लिए उम्मीदवार का किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड/संस्थान/विश्वविद्यालय से दसवीं के साथ तीन वर्षीय पॉलिटेक्निक डिप्लोमा अनिवार्य है। उम्मीवार ने इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रोनिक्स एंड टेलिकम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया हो। वहीं अगर बात करें आयु सीमा की तो उम्मीदवार की आयु कम से कम 18 साल और अधिकतम 40 साल होनी चाहिए। आयु की गणना 01 जनवरी 2020 के आधार पर की जाएगी। वहीं आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में नियमानुसार छूट दी जाएगी।
इन पदों पर आवेदन करने के लिए आपको आवेदन शुल्क के रूप में सामान्य और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को 1000 रुपये आवेदन शुल्क देना होगा। वहीं एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 700 रुपये का शुल्क अदा करना होगा। उम्मीदवारों को ध्यान रखना होगा कि ऑनलाइन मोड में, यानी नेट बैंकिंग/क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड के जरिए शुल्क का भुगतान 28 दिसंबर तक किया जा सकता है। जबकि एसबीआई चालान के माध्यम से 30 दिसंबर तक शुल्क का भुगतान कर सकते हैं।
ऑनलाइन आवेदन करने के लिए उम्मीदवार यूपीपीसीएल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने से पहले वेबसाइट पर आवेदन के दिशानिर्देशों और योग्यताओं के बारे में विस्तृत नोटिफिकेशन जरूर पढ़ें तत्पश्चात ही अपनी योग्यता सुनिश्चित होने पर ही आवेदन करें।                                       


नोएडा के बाद पूर्वांचल में बनेगी फिल्म सिटी

नोएडा के बाद पूर्वांचल में भी बनेगी फिल्म सिटी


हरिओम उपाध्याय


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विश्वस्तरीय फिल्म सिटी बनाने के एलान के बाद शिवसेना को भले ही मुंबई से बॉलीवुड के खत्म होने का खतरा महसूस हो रहा है। लेकिन शूटिंग के मामले में फिल्मकारों को यूपी पसंद आने लगी है। सूबे में फिलहाल, करीब डेढ़ सौ फिल्मों की शूटिंग हो रही है। इससे योगी सरकार ने फिल्म सिटी का दायरा बढ़ाते हुए पूर्वांचल में भी एक फिल्म सिटी बनाने की योजना पर गंभीरता से सोचना शुरू किया है। पूर्वांचल में वाराणसी से सटे मिर्जापुर में फिल्म सिटी बनने की ज्यादा संभावना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आधिकारिक टीम के साथ दो दिन पहले मुंबई दौरे पर आए राज्य के अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने अमर उजाला से खास बातचीत में बताया कि फिल्म सिटी को लेकर मुख्यमंत्री काफी गंभीर हैं। इसलिए पूर्वांचल मे वाराणसी के नजदीक भी फिल्म सिटी बनाने की योजना पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि फिल्म सिटी के लिए 500 एकड़ जमीन की तलाश की जा रही है। सहगल ने संकेत दिया कि मिर्जापुर में भी फिल्म सिटी बनने की संभावना है। ऐसा होने पर काशी का क्षेत्र फिल्म उद्योग का बड़ा केंद्र बन सकता है।
यूपी में चल रही है। डेढ़ सौ फिल्मों की शूटिंग
नवनीत सहगल ने बताया कि यूपी में रियल लोकेशन पर मौजूदा समय में करीब 150 फिल्मों की शूटिंग चल रही है। हाल ही में जॉन अब्राहम की लखनऊ में सत्यमेव जयते पार्ट -2 की शूटिंग लखनऊ में जारी है। सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की गुलाबो-सिताबो भी लखनऊ में शूट हुई। गुंजन सक्सेना की भी एक फिल्म की शूटिंग के अलावा कई वेब सीरीज की शूटिंग भी चल रही है। फिल्मकारों को फिल्मबंधु के माध्यम से सब्सिडी भी दी जा रही है।
इतने बड़े प्रदेश में दो फिल्म इंडस्ट्री जरूरी राजू श्रीवास्तव
नोएडा में फिल्म सिटी की योजना से पहले लखनऊ-कानपुर मार्ग पर भी फिल्म सिटी का शिलान्यास हुआ था। चित्रकूट के पास भी फिल्म सिटी के लिए जमीन देखी गई थी। लेकिन पहले के प्रयास को सफलता नहीं मिली। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री फिल्म सिटी को लेकर गंभीर है। आश्चर्य की बात है। कि इतने बड़े प्रदेश में एक भी फिल्म सिटी नहीं है। प्रदेश की जनसंख्या और कलाकारों की संख्या को देखते हुए कम से कम दो फिल्म सिटी तो बननी ही चाहिए।               


विभाग को राजस्व वसूली में उपलब्धि मिलीं

आबकारी विभाग का मिशन-राजस्व वसूली में बड़ी उपलब्धि


अरविंद कुमार सैनी


मुजफ्फरनगर। जनपद की ही बात करें तो यहां पर आबकारी विभाग शासन के निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक राजस्व प्राप्त करने में सफल रहा है। मुजफ्फरनगर, कोरोना काल में पनपे आर्थिक संकट के दौरान नई व्यवस्था के साथ आर्थिक मोर्चे पर सामने आई चुनौतियों से निपटने में महती भूमिका निभाने वाले आबकारी विभाग ने कोरोना संकट काल में अनलाॅक के हर मौके को उपलब्धि में बदलने का काम किया है। अकेले मुजफ्फरनगर जनपद की ही बात करें तो यहां पर आबकारी विभाग शासन के निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक राजस्व प्राप्त करने में सफल रहा है। राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य को भेदने के साथ ही मुजफ्फरनगर जनपद में आबकारी विभाग ने शराब माफियाओं की भी कमर तोड़ने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। बीते तीन महीनों में मुजफ्फरनगर आबकारी विभाग ने 1396 छापामार कार्यवाही करते हुए अवैध शराब का कारोबार करने में लिप्त लोगों के खिलाफ 180 मुकदमे दर्ज कराये और 40 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इन कार्यवाहियों के दौरान 1750 बल्क लीटर अवैध मदिरा बरामद की गयी। इन तीन महीने में मुजफ्फरनगर जनपद से आबकारी विभाग द्वारा कुल 91 करोड़ 45 लाख 61 हजार रुपये का राजस्व शासन के पक्ष में वसूल किया। जिलाधिकारी मार्च माह में जब कोरोना संकट का साया गहराया तो लाॅक डाउन में प्रदेश सरकार के समक्ष आर्थिक संकट भी विकराल होने लगा था, ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मार्गदर्शन और आबकारी मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री, आबकारी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी एंव आबकारी आयुक्त पी गुरु प्रसाद के नेतृत्व में आबकारी विभाग ने आर्थिक संकट के इस दौर को अवसरों में बदलने का काम किया है। आबकारी विभाग ने यूपी में सेनिटाइजन निर्माण के लिए नई व्यवस्था के साथ काम किया तो लाॅक डाउन में ही शराब की बिक्री की व्यवस्था में बेहतर सफलता अर्जित की गयी। इसका असर यह रहा कि यूपी सरकार ने नई उपलब्धियों के साथ आर्थिक मोर्चे पर राज्य को मजबूती प्रदान की और इस उपलब्धि में मुजफ्फरनगर आबकारी विभाग का भी योगदान कमतर नजर नहीं आता है, आज जहां कमोबेश सभी विभाग राजस्व प्राप्ति के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में दूर खड़े नजर आते हैं, वहीं जनपद मुजफ्फरनगर में जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश ने अपनी टीम के साथ मिलकर शासन के लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्त करके ऐसे विभागों को आईना दिखाने का काम किया है। यह उनकी कार्यशैली का ही परिणाम है कि आज जिले में आबकारी विभाग पिछले दो माह में शासन के लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्त करने में सफल रहा है।               


पांचवे दौर की बैठक में नहीं निकला हल

किसान आंदोलन पांचवें दौर की बैठक


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर जमे किसान संगठनों और सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत होगी। गुरुवार को हुई चौथे दौर की बातचीत में कोई सहमति नहीं बन पाई थी। किसान संगठन कानून को पूरी तरह वापस लेने पर अड़े हैं। इसके लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की गई है। 
आज होने वाली बातचीत से पहले फिर केंद्र सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की है। शुक्रवार को सिंघु सीमा पर हुई महापंचायत के बाद किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का एलान किया। इसके साथ ही चेतावनी दी कि यदि नए कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो किसानों के हक में पूरा भारत बंद होगा। साथ ही देशभर के सभी टोल फ्री कर दिए जाएंगे। बृहस्पतिवार को हुई चौथे दौर की वार्ता  बेनतीजा रहने के बाद शुक्रवार को लगातार नौंवे दिन किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं बैठे रहे।
कृषि कानूनों पर बृहस्पतिवार को सरकार से हुई बातचीत पर चर्चा के लिए शुक्रवार सुबह पहले सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के किसान संगठनों की बैठक हुई। इसके बाद देशभर से आए किसान नेताओं ने बैठक कर शनिवार की वार्ता के लिए रणनीति बनाई। बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया, सरकार कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है। लेकिन हमने साफ कहा है। कि इन्हें वापस लेना होगा। किसान नेता हरिंदर पाल लखोवाल ने कहा सरकार से कह दिया गया है। कि कानून वापस लें। यदि मांग पूरी नहीं होती तो आठ दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा। वहीं शनिवार को पूरे देश में सरकार और कॉरपोरेट के पुतले जलाए जाएंगे। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा शनिवार को अगर सरकार हमारी बात नहीं मानती तो आंदोलन और बढ़ाएंगे। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनान मोल्लाह ने कहा सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना होगा। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा जब तक सरकार किसानों की बात नहीं मानती आंदोलन जारी रहेगा। 
तीनों कृषि कानून जरूरी हैं। हम इन्हें रद्द करने की मांग से हम सहमत नहीं हैं। हालांकि इन कानूनों में व्यापक बदलाव की जरूरत है। एमएसपी की गारंटी देनी होगी। कॉरपोरेट क्षेत्र को दिए असीमित अधिकार स्वीकार नहीं हैं। इन कानूनों में छोटे किसानों के हितों की रक्षा की बात नहीं की गई है। दिनेश कुलकर्णी राष्ट्रीय संगठन मंत्री भारतीय किसान संघ
बॉक्सिंग कोच संधू लौटाएंगे द्रोणाचार्य अवार्ड
किसानों के समर्थन में शुक्रवार को भी हस्तियों ने पुरस्कार और सम्मान वापस किए। भारत को पहला ओलंपिक मेडल दिलाने वाले राष्ट्रीय बॉक्सिंग कोच गुरबक्स सिंह संधू ने कहा, अगर सरकार किसानों की मांग नहीं मानती तो वे द्रोणाचार्य अवार्ड लौटा देंगे। साहित्य अकादेमी पुरस्कार जीतने वाले डॉ मोहनजीत, डॉ जसविंदर सिंह और पंजाबी पटकथा लेखक स्वराजबीर ने पुरस्कार वापस करने की घोषणा की।
राष्ट्रपति को पत्र-दिल्ली के लोग बंधक बने
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर दिल्ली के लोगों की समस्या का संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने लिखा, दिल्ली के प्रवेश द्वारों पर जुटे किसानों ने दिल्लीवासियों को बंधक बना दिया है। आप से अपील है। कि इस मामले में दखल देकर दिल्लीवासियों की चिंता दूर करें               


'पीएम' ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात दी

'पीएम' ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात दी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात...