शनिवार, 5 दिसंबर 2020

भारत में जनसंख्या की रफ्तार पर लगे ब्रेक

यदि भारत में जनसंख्या की रफ्तार जो आजकल है। वह बनी रही तो कुछ ही वर्षों में वह चीन को मात कर देगा। इस समय चीन से सिर्फ तीन-चार करोड़ लोग ही हमारे यहां कम हैं। भारत की आबादी इस वक्त एक अरब 40 करोड़ के आस-पास है। चीन ने यदि कई वर्षों तक हर परिवार पर एक बच्चे का प्रतिबंध नहीं लगाया होता तो आज चीन की आबादी शायद दो अरब तक पहुंच जाती। अब से 60-70 साल पहले हर चीनी परिवार में प्राय पांच-छह बच्चे हुआ करते थे। भारत से भी ज्यादा दरिद्रता चीन में थी। लेकिन चीन ने आबादी की बढ़त पर सख्ती की उसके कारण उसकी अर्थ व्यवस्था में भी काफी सुधार हुआ। लेकिन आश्चर्य है। कि भारत की सरकारें इस मुद्दे पर खर्राटे खींच रही हैं।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस मुद्दे पर थोड़ी सजगत दिखाई थी। और नसबंदी अभियान शुरु किया था। लेकिन संजय गांधी के अति उत्साह और कुछ ज्यादतियों के कारण वह हाशिए में चला गया। आपात्काल ने उसे और भी बदनाम कर दिया। इस वक्त दुनिया में जनसंख्या की बाढ़ जिन देशों में सबसे ज्यादा है।उनमें भारत अग्रणी है। यह एकदम सही समय है। जबकि हम आबादी को बढ़ने से रोकें। यदि भाजपा सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी तो उसका विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं होगी। तो वह क्या-क्या करे पहला जब वह लोगों को कोरोना का टीका लगाए तो मुफ्त में नसबंदी का भी एलान करे। वह अनिवार्य न हो। हां कुछ प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं। जिनके एक या दो बच्चे हों, वे स्वेच्छा से टीका लगवाएं। दूसरा दो हम और हमारे दो का नारा घर-घर में गुंजा दिया जाए। इसे कानूनी रुप भी दिया जाए। जो दो से ज्यादा बच्चे पैदा करें उन्हें सरकारी नौकरियों, संसद और विधानसभा की उम्मीदवारी और कई शासकीय सुविधाओं से वंचित किया जाए। मेरा यह सुझाव कठोर और निर्दयतापूर्ण तो लगता है। लेकिन इससे देश का इतना भला होगा कि जो प्रधानमंत्री इसे लागू करेगा उसका दशकों तक भारत की जनता आभार मानेगी। इस नियम को लागू करने का विरोध वे जातिवादी और सांप्रदायिक लोग जरुर करेंगे जो योग्यता—बल और चरित्र-बल की बजाय संख्या-बल के आधार पर ही अपनी राजनीति चलाते हैं। लेकिन व्यापक जन-समर्थन के आगे उनकी बोलती बंद हो जाएगी। तीसरा भारत सरकार यह लक्ष्य बनाए कि दक्षिण और मध्य एशिया के 17 देशों में महासंघ खड़ा करके अगले पांच वर्षों में 10 करोड़ भारतीयों को वहां वह रोजगार दिलवाए। देखिए फिर भारत महासंपन्न और सबल बनता है। या नहीं                 


मोदी युग का आंदोलन 'संपादकीय'

मोदी युग का आंदोलन 'संपादकीय'
 शासकीय व्यवस्था का अत्याचार बढ़ने पर आम नागरिक की सहनशक्ति की सीमाएं जब छोर को छूने लगती है और भार इतना अधिक बन जाता है कि घुटनों के बल आते-आते मानव विवेक और अंतर्मन प्रतिस्थापित व्यवस्था का विरोधी बन जाता है। 'विरोध' की प्रबल भावना एक विचार बन जाती है। विचार का विनिमय होने लगता है, विनिमय की पराकाष्ठा बढ़ती रहती है और 'विद्रोह' के रूप में पनपने लगता है। विचारों में प्रसारित होने पर यह अधिक प्रबल बन जाता है और 'क्रांति' का रूप ले लेता है।
 'किसान आंदोलन' मोदी युग की एक ऐसी क्रांति है जो मोदी शासन की कालिख बनकर मोदी को आखरी सांस तक एहसास कराती रहेगी। गरीब और लाचार जनता पर मनचाहे आदेश थोप दिए गए। जनता मूक-बधिर बनकर आदेशों का पालन करती रही। लेकिन सभी बातें मान ली जाए, ऐसा संभव नहीं है। जिसके परिणाम स्वरूप देश का किसान सरकार के 'विरोध' में अटल स्वभाव से अडिग खड़ा हो गया है। शायद मोदी देश के जवान और किसान की क्षमताओं की जानकारी नहीं रखते हैं या फिर साथी विद्वानों ने इसकी जानकारी नहीं दी है। हठधर्मिता के सापेक्ष में मोदी को यह बात समझ लेनी चाहिए। देश का जवान और किसान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिस जवान के बलबूते आपके आदेश का पालन होता है। वह जवान किसान का भाई और बेटा है। जिस प्रकार जनहित और जन आवश्यकता पर विचार किए बिना कानून बन रहे हैं। जिनमें किसानों के हित को ध्यान में नहीं रखा गया है। ऐसे कानून का क्या लाभ ? यदि किसान विरोध कर रहा है तो सरकार को किसान के हित में विरोध को समझने का प्रयास करना चाहिए। यदि किसानों के विरुद्ध शक्ति का उपयोग या ऐसी कोई प्रक्रिया जो किसानों को अप्रिय हो। प्रयोग में लाई गई तो उसके परिणाम सरकार के प्रतिकूल होंगे। किसान  कानून में बदलाव करने की हैसियत ही नहीं रखता है, कानून को नेस्तनाबूद करने की ताकत भी रखता है। देश के किसानों की समस्या सुनने में देश के पीएम का पद छोटा नहीं हो जाता है। लेकिन ना सुनने में पीएम का कद ही नहीं बच पाता है। यह वास्तविकता है और इससे मुंह नहीं घुमाया जा सकता है। क्योंकि किसानों की 'संकल्प शक्ति' का उचित आंकलन नहीं किया गया है। इसी कारण यह आंदोलन भविष्य में राष्ट्र निर्माण में किसान सहयोग के रूप में याद किया जाएगा। यह एक आदर्श आंदोलन स्थापित होगा। जिसका परिणाम शत-प्रतिशत किसानों के अनुकूल होगा। 


राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'                                 


न्यूजीलैंड पहुंचते ही संक्रमित हुएं खिलाड़ी

वेलिंग्टन। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है कि न्यूजीलैंड पहुंचते ही उसके 10 खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव कैसे हो गए। यह पाया गया है कि घरेलू कायदे आजम ट्रॉफी के दौरान एक या दो टीमों के कुछ खिलाड़ियों ने न्यूजीलैंड दौरे पर जाने से पहले बलगम, बुखार और छींके आने की शिकायत की थी जो कोरोना वायरस संक्रमण के भी लक्षण हैं। 
पीसीबी के एक सूत्र ने कहा, 'इन खिलाड़ियों को बदलते मौसम के कारण वायरल संक्रमण हुआ था और लाहौर में बोर्ड द्वारा कराए गए कोरोना टेस्ट में भी इनकी रिपोर्ट निगेटिव आई।' सूत्र ने कहा, 'लेकिन क्राइस्टचर्च पहुंचने के बाद इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई जहां दस पॉजिटिव टेस्ट के बाद पूरी टीम पृथकवास पर है।'           


केरल के 7 जिलों से हटा अलर्ट, चक्रवात बुरेवी

कमजोर पड़ा चक्रवात बुरेवी, केरल के सात जिलों से हटा अलर्ट


तिरुवनंतपुरम। चक्रवाती तूफान बुरेवी कमजोर पड़ गया जिसके चलते मौसम विभाग ने केरल के सात दक्षिणी जिलों से रेड अलर्ट वापस ले लिया। मौसम विभाग ने शुक्रवार सुबह कहा कि तूफान आगे और कमजोर पड़ता हुआ तमिलनाडु के रामनाथपुरम और तूतीकुड़ी जिले के बीच से गुजर जाएगा।
इस दौरान 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी। मौसम विभाग ने तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, अलफुजा, कोटयम, मल्लापुरम समेत दस जिलों के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इस बीच तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे ने हालांकि शुक्रवार की अपनी नौ उड़ानों के समय में फेरबदल किया। शाम छह बजे तक हवाई अड्डे का संचालन बंद रखा गया। राज्य सरकार ने शुक्रवार के लिए पांच जिलों में सार्वजनिक अवकाश की घोषण पहले ही कर दी थी।
बता दें कि तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, अलापुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम, इडुक्की, त्रिशूर, पलक्कड़ और मलप्पुरम सहित पूरे केरल में 10 जिलों में यलो अलर्ट जारी किया गया था। तमिलनाडु में चक्रवाती तूफान बुरेवी के चलते शुक्रवार को भारी बारिश का दौर जारी रहा जिससे फसलें पानी में डूब गई और कई शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में जलभराव हो गया। 
इसके प्रभाव से राज्य के अनेक स्थानों पर भारी वर्षा हुई। इसके अलावा कई क्षेत्रों में भारी से बेहद भारी बारिश हुई। नागपट्टिनम जिले के कोलीडाम में 36 सेंटीमीटर, कुड्डालोर के चिदंबरम में 34 सेंटीमीटर तथा दो दर्जन से अधिक स्थानों पर 10 से 28 सेंटीमीटर के बीच बारिश हुई। लगातार तीन दिन से हो रही बारिश के कारण तिरुवरूर, पुडुकोट्टाई, तंजावूर आदि जिलों में धान और गन्ने की फसल पानी में डूब गई है।
चक्रवाती तूफान बुरेवी की चेतावनी को देखते हुए एनडीआरएफ की कई टीमें केरल और तमिलनाडु में तैनात हैं। वहीं वायुसेना और नौसेना की टीमें भी अलर्ट मोड पर हैं। 175 परिवारों के 697 से अधिक लोगों को राहत कैंपों में पहुंचाया गया। जबकि 2489 अन्य कैंप बनाए गए हैं। 
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। मौसम विभाग ने तमिलनाडु और केरल के दक्षिण हिस्से के लिए रेड अलर्ट जारी किया है।               


केंद्र से झगड़ा बढ़ाने को तैयार किसान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने शुक्रवार 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ की घोषणा की। उन्होंने इस दिन टोल प्लाजा पर कब्जा करने की चेतावनी भी दी। किसान नेता गुरनाम सिंह चढुनी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर केंद्र सरकार शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को नहीं मानती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखवाल ने कहा, “आज की हमारी बैठक में, हमने 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ बुलाने का फैसला किया है और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजाओं पर भी कब्जा करेंगे।” अब 5 दिसंबर को किसान और सरकार के बीच पांचवें दौर की वार्ता होगी।               


एयर इंडिया को राहत मिलने की उम्मीद जगी

नई दिल्ली। 69 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज में फंसी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया को राहत मिलने की उम्मीद जगी है। दिलचस्प तरीके से वरिष्ठ कर्मचारियों का एक समूह अपनी ही कंपनी को खरीदने के लिए आगे आया है। ये कर्मचारी प्राइवेट इक्विटी फर्म के साथ सरकारी बोली में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं। अगर बात बनती है। तो देश के कॉरपोरेट इतिहास का यह पहला मामला होगा जब किसी सरकारी कंपनी को उसके ही कर्मचारी खरीदेंगे।
बैठे-बैठे आइडिया आया
कंपनी के तारणहार बनने जा रहे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक के मुताबिक दीवाली के बाद एयर इंडिया मुख्यालय में चार-पांच साथी बैठे थे। सभी यहां 30-32 साल से नौकरी कर रहे हैं। चर्चा होने लगी कि इस बार तो दिवाली मना रहे हैं। अगली दीपावली पर एयर इंडिया में क्या स्थितियां होंगी कर्मचारियों का क्या होगा कुछ पता नहीं।
ज्वॉइनिंग के पहले दिन के अनुभव बताते-बताते सभी भावुक होने लगे। तभी एक अधिकारी ने कहा जिस एयरलाइंस में पूरा जीवन गुजर गया, काश इसे हम खरीद सकते इस पर एक अधिकारी ने कहा इतनी भारी-भरकम रकम कहां से लाएंगे। तभी आइडिया आया कि क्यों न काेई फाइनेंसर खोजकर कर्मचारी ही हिस्सेदारी खरीद लें। इस सुझाव पर सभी गंभीर हो गए।
फिर हुई फाइनेंसर की तलाश
यह अधिकारी बताते हैं। हमारी सोच को जैसे पंख लग गए। हमने फाइनेंसर की तलाश शुरू कर दी। एक नाम पर सहमति बनी। प्राइवेट इक्विटी फर्म हमारे प्रस्ताव पर तैयार भी हो गई। इसके बाद एयर इंडिया के उन अधिकारी और कर्मचारी को चुना गया जिनकी नौकरी 30 से 32 साल की हो चुकी है। इसके पीछे तर्क यह था। कि पुराने कर्मचारियों का कंपनी से भावनात्मक जुड़ाव रहेगा।
इस सीनियर अफसर के मुताबिक- पुराने कर्मचारी पूरी तरह इस मुहिम में साथ देंगे। इस मुहिम से 200 से अधिक कर्मचारी जुड़ चुके हैं। सभी 1-1 लाख रुपए जुटा रहे हैं। एयर इंडिया में कुल 14 हजार कर्मचारी हैं। मुहिम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी में आज भी पोटेंशियल है। सब कुछ ठीक रहा तो दो साल में कंपनी ट्रैक पर आ सकती है।
51% हिस्सेदारी एअर इंडिया की कर्मचारियों के पास रहेगी
बोली की पूरी प्रक्रिया कमर्शियल डायरेक्टर मीनाक्षी मलिक के नेतृत्व में पूरी की जा रही है। कंपनी के अधिकारी 14 दिसंबर को खत्म हो रही बोली प्रक्रिया में शामिल होंगे। क्वालिफाइड बिडर्स के बारे में 28 दिसंबर तक पता चलेगा। यह योजना सफल रहती है। तो कर्मचारी प्रबंधन कंसोर्टियम के पास एयरलाइन की 51% हिस्सेदारी रहेगी जबकि फाइनेंसर के पास 49% हिस्सा रहेगा               


योगराज ने हिंदुओं को लेकर दिया बयान

नई दिल्ली। पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह का विवादों से पुराना नाता है। एक बार फिर उन्होंने भड़काऊ भाषण देकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन देने पहुंचे योगराज सिंह ने हिंदुओं को लेकर बेहद ही शर्मनाक टिप्पणी की है, जिसके बाद उनकी गिरफ्तार की मांग उठने लगी है।             


'पीएम' ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात दी

'पीएम' ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात दी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को रेल परियोजनाओं की सौगात...