मध्य प्रदेश में गौमाता कल्याण के लिए टैक्स लगाने पर विचार कर रहे हैं सीएम शिवराज
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार गौ वंश के कल्याण के लिये धन जुटाने के लिये कुछ कर लगाने की योजना बना रही है। आगर-मालवा जिले में सुसनेर के समीप सालरिया में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज चौहान ने गौ वंश के कल्याण के लिये कर लगाने के संभावित कदम के पीछे भारतीय संस्कृति में गौ माता को पहली रोटी (गौ ग्रास) खिलाने का तर्क भी दिया।
सीएम शिवराज चौहान ने उपस्थित लोगों से सवाल किया, ”गौमाता के कल्याण के लिये और गौ शालाओं के ढंग से संचालन के लिये कुछ मामूली कर लगाने के बारे में सोच रहा हूं, क्या यह ठीक है?” लोगों ने इसका सकारात्मक उत्तर दिया। उन्होंने कहा, ”हमारे घरों में पहली रोटी गाय के लिये बनती थी। और आखरी रोटी कुत्ते को खिलाते थे। यह हमारी भारतीय संस्कृति थी। अब अधिकांश घरों में गौ ग्रास नहीं निकलता और हम अलग-अलग गौ ग्रास नहीं ले सकते इसलिये हम गायों के कल्याण के लिये कुछ छोटा-मोटा कर लगाने की सोच रहे हैं।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि प्रदेश में गौशाला संचालन के लिये एक कानून बनाया जायेगा और जिला कलेक्टरों को प्रत्येक गौशाला के संचालन के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 2,000 गौ शालाएं बनाई जायेंगी तथा इन्हें सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से संचालित किया जायेगा।
शिवराज ने कहा, ”समाज को गायों की रक्षा में सरकार की मदद करनी चाहिये। पहले गायों के बिना कृषि असंभव थी, लेकिन ट्रेक्टरों ने खेती को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि गायों के दूध देना बंद करने पर लोग गायों को छोड़ देते हैं। इसलिये लाखों गायें सड़कों पर भटक रही हैं। इन गायों को गौ अभयारण्य में आश्रय मिलेगा।
आंगनवाड़ी में बच्चों को दिये जाने वाले आहार के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को अंडे के बजाय गाय का दूध, जो कि अमृत समान है, देने का निर्णय लिया गया है। इससे गायों और गौ पालन करने वालों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर के कई उपयोग होते हैं और यह पर्यावरण की रक्षा करने में सहायक होता है. लकड़ी के स्थान पर गौकाष्ट (गोबर से बने बेलनाकार टुकड़े) का उपयोग करने से पर्यावरण की रक्षा होगी और अच्छी वर्षा भी होगी।
उन्होंने कहा, ”हमें पर्यावरण को बचाना होगा. यूरिया और डीएपी खाद का उपयोग धरती के लिये धीमे जहर जैसा है. जबकि गोबर की खाद धरती के लिये अमृत की तरह काम करता है। यदि रासायनिक उर्वरकों का उपयोग लंबे समय तक किया जाता है तो भूमि में गेंहूं की फसल का उत्पादन नहीं होगा।” मुख्यमंत्री ने कहा कि गौमूत्र से बनी दवा कई बीमारियों को ठीक कर सकती है। ऐसी कई दवाईयां गौ अभयारण्यों में बनाई जा रही हैं।
उन्होंने कहा, ”अंग्रेजी दवाईयां तो बीमारी ज्यादा लाती हैं. इसलिये कोई ये ना सोचे की गाय बेकार हैं. गाय बचेगी तो ये धरती बचेगी। ये याद रखना.” इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री ने भोपाल में अपने निवास पर ऑनलाइन माध्यम से प्रदेश की नवगठित गौ कैबिनेट की बैठक की. इसमें गौ आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये और आगर मालवा में स्थित गौ अभयारण्य में गौ उत्पादों के निर्माण के लिये एक अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने का फैसला लिया गया।