रविवार, 22 नवंबर 2020

खासतौर पर सर्दियों की फेवरेट डिश, परांठे

कविता देवी


नई दिल्ली। नाश्ते में मूली के गर्मा गर्म परांठे सीधे तवे से आपकी थाली तक पहूंचे तो क्या कहने। मूली के परांठे उत्तर भारत, और खासतौर पर पंजाब प्रांत की खासियत है। मूली का परांठा खासतौर पर सर्दियों में बनाया जाता है। मूली के परांठे को आप दही या फिर अचार के साथ भी खा सकते हैं। इसे बनाना बहुत आसान है सिर्फ 30 मिनट में आप इस बढ़िया परांठे को तैयार कर सकते हैं।               


यूपी: वर्दी की गुंडागर्दी का 1 और उदाहरण

राहुल गांधी ने हाथरस में हुए बलात्कार को लेकर सरकार और पुलिस पर साधा निशाना, कहा-वर्दी की गुंडागर्दी का एक और उदाहरण


अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। यूपी की कानून व्यवस्था पर राहुल गांधी ने एक बार फिर हमला बोला है। उत्तर-प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ हुए कथित बलात्कार को लेकर सरकार और पुलिस पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने इसे गुंडाराज में वर्दी की गुंडागर्दी का एक और उदाहरण बताया। राहुल गांधी ट्वीट किया यूपी में सरकार के हाथों पीड़ितों का लगातार शोषण असहनीय है। हाथरस रेप-हत्या के मामले में पूरा देश सरकार से जवाब मांग रहा है और पीड़ित परिवार के साथ है। गुंडाराज में वर्दी की गुंडागर्दी का एक और उदाहरण। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ एक अखबार की खबर भी शेयर की। इस रिपोर्ट में बताया गया कि पीयूसीएल यानी पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी की रिपोर्ट का जिक्र किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है। कि सीआरपीएफ की तैनाती से फौरी तौर पर तो राहत है। लेकिन वे सुरक्षित नहीं हैं। पीयूसीएल की रिपोर्ट में और क्या बताया गया पीयूसीएल यानी पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने हाथरस कांड पर 16 पन्नों की जांच रिपोर्ट जारी की है। अपनी रिपोर्ट में पीयूसीएल की जांच कमेटी ने आरोप लगाया कि पीड़िता को बेहतर इलाज के नाम पर अलीगढ़ से दिल्ली भेजना एक साजिश का हिस्सा था। पीड़िता अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में रिकवर कर रही थी। लेकिन अचानक से दिल्ली भेजना और वहां उसकी हालत बिगड़ने के बाद हुई मौत सवाल खड़े करती है। मामले को भ्रमित करने की कोशिश जांच कमेटी ने कहा कि पीएफआई का कनेक्शन मामले को भ्रमित करने की कोशिश है। जेल से आरोपियों की वायरल की गई चिट्ठी गांव में पुलिस दबंग आरोपियों और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से मामला प्रेम प्रसंग के तरफ डायवर्ट करने की कोशिश का हिस्सा थी।                             


राजस्थानः 8 जिलों में नाइट कर्फ्यू लागू किया

नरेश राघानी


जयपुर। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राजस्थान के 8 जिलों में रविवार रात से नाइट कर्फ्यू लागू किया जाएगा। शनिवार रात हुई आपात कैबिनेट मीटिंग के बाद जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, कोटा, अलवर और भीलवाड़ा में रात 8 से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया गया। मास्क न पहनने पर अब 500 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा, यह पहले 200 रुपए था। अशोक गहलोत ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई थी। इसमें कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कई बड़े फैसले लिए गए हैं। बस, ट्रेन, प्लेन में सफर सहित आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी। शॉपिंग मॉल, बाजार आदि शाम सात बजे से ही बंद करा दिए जाएंगे। स्कूल-कॉलेज खोलने का फैसला भी टाल दिया गया है। शादियों में 100 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकेंगे।
नाइट कर्फ्यू वाले जिलों में 100 से ज्यादा कर्मचारियों वाले दफ्तर का 25% स्टाफ वर्क फ्रॉम होम रहेगा। बाकी स्टाफ रोटेशन पर आएगा। आज कोरोना के 3 हजार केस सामने आए राजस्थान में शनिवार को 3 हजार केस सामने आए हैं। जयपुर और जोधपुर में ही 995 मामले हैं। प्रदेश के कई शहरों में धारा 144 लगा दी गई है। हालांकि, इससे शादियों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, अस्पताल आने वाले लोगों को अलग रखा गया है। स्कूल-कॉलेज में परीक्षा देने वाले भी इससे प्रभावित नहीं होंगे। मरीजों के आंकड़े छुपाना अपराध  गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य में कोरोना मरीजों के आंकड़े सरकार जारी कर रही है। कोरोना मरीजों की संख्या कौन छुपाना चाहेगा। छिपाने से बीमारी का पता ही नहीं चलेगा। प्रदेश में कोरोना को लेकर पारदर्शी तरीके से काम करने के लिए निर्देश हैं। कोरोना के मरीजों का आंकड़ा छुपाना तो खतरनाक है। यह किसी अपराध से कम नहीं है।
शनिवार, रविवार को लॉकडाउन का सुझाव मंत्रिपरिषद की मीटिंग में एक मंत्री ने कहा कि प्रदेश भर में शनिवार और रविवार को लॉकडाउन लगाया जाएंं। जिससे कोरोना संक्रमण को रोकने में मदद मिले। हालांकि इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हो पाई और न ही सहमति बनी।                                          


हापुड़: नेताओं ने उड़ाई डिस्टेंस की धज्जियां

अतुल त्यागी, मुकेश सैनी, प्रवीण कुमार 


हापुड़ में समाजवादी पार्टी के नेताओं ने उड़ाई सोशल डिस्टेंस की धज्जियां, धारा 144 का भी नहीं रखा ख्याल


हापुड़। उत्तर-प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का समाजवादी पार्टी के नेताओं ने काफी संख्या में एकत्रित होकर मनाया जन्मदिन सोशल डिस्टेंस का भी नहीं रखा ख्याल फोटो में साफ-साफ देख सकते हैं। किस कदर जमाड़ लगा हुआ है जबकि धारा 144 लागू है। हापुड़ में एक तरफ जहां जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी लगातार दिन-रात मेहनत कर कोरोना से बचने के लिए लोगों से अपील कर रहे है। दिन रात मेहनत कर संघर्ष कर रहे है, लेकिन नेता अपनी मनमानी पर उतारू हो रहे हैं। धारा 144 लागू है, कोरोना का ख्याल रखने के लिए खास तौर पर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन लोगों से बार-बार अपील कर रहा है। नेता अपना वोट बैंक पक्का करने के लिए सोशल डिस्टेंस की साफ-साफ धज्जियां उड़ा रहे हैं और वोट बैंक पक्का कर रहे हैं।                                         


'पुत्री' को क्यों प्राप्त नहीं होता पिता का गोत्र

जानिए पुत्री को अपने पिता का गोत्र क्यों नहीं प्राप्त होता


गर्व कीजिये अपनी प्रमाणिक और पूर्णतय: वैज्ञानिक धार्मिक मान्यताओं और परम्पराओं पर भारत के ऋषियों ने  संसार को उत्तम ज्ञान दिया था, जिसे आज का आधुनिक चिकित्सा शास्त्र क्रोमोसोम थ्योरी कहता है, आईये बताएं कहां से नकल हुई ये क्रोमोसोम थ्योरी
हम आप सब जानते हैं कि स्त्री में गुण सूत्र xx और पुरुष में xy गुणसूत्र होते हैं । इनकी संतति में माना गया है कि पुत्र हुआ (xy गुण सूत्र) अर्थात इस पुत्र में y गुण सूत्र पिता से ही आया यह तो निश्चित ही है क्योंकि माता में तो y गुण सूत्र होता ही नहीं है और यदि पुत्री हुई तो (xx गुणसूत्र) यानी यह गुण सूत्र पुत्री में माता व पिता दोनों से आते हैं।
1. xx गुण सूत्र


xx गुणसूत्र अर्थात पुत्री , अस्तु xx गुणसूत्र के जोड़े में एक x गुणसूत्र पिता से तथा दूसरा x  गुणसूत्र माता  से आता है । तथा इन दोनों गुणसूत्रों का संयोग एक गांठ सी रचना बना लेता है जिसे Crossover कहा जाता है ।


2. xy गुण सूत्र 


xy गुण सूत्र अर्थात पुत्र, यानी पुत्र में y गुण सूत्र केवल पिता से ही आना संभव है क्योंकि माता में y गुण सूत्र है ही नहीं। दोनों गुण सूत्र असमान होने के कारण पूर्ण Crossover नहीं होता केवल 5 % तक ही होता है और 95%  y गुण सूत्र ज्यों का त्यों  (intact)  ही  रहता है। तो इस हिसाब से महत्त्वपूर्ण y गुण सूत्र हुआ । क्योंकि y गुण सूत्र के विषय में हमें निश्चित है कि यह पुत्र में केवल पिता से ही आया है । बस इसी  y  गुण सूत्र का पता लगाना ही गोत्र प्रणाली का एकमात्र उद्देश्य है जो हजारों वर्ष पूर्व हमारे ऋषियों ने जान लिया था ।


वैदिक गोत्र प्रणाली और  y  गुणसूत्र  :


अब तक हम यह समझ चुके है कि वैदिक गोत्र प्रणाली y गुण सूत्र पर आधारित है अथवा y गुण सूत्र को ट्रेस करने का एक माध्यम है । उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का गोत्र कश्यप है तो उस व्यक्ति में विद्यमान  y  गुण सूत्र कश्यप ऋषि से आया है या कश्यप ऋषि उस  y  गुण सूत्र के मूल हैं।
चूँकि y गुण सूत्र स्त्रियों में नहीं होता यही कारण है कि विवाह के पश्चात स्त्रियों को उसके पति के गोत्र से जोड़ दिया जाता है। वैदिक और  हिन्दू संस्कृति में एक ही गोत्र में विवाह वर्जित होने का मुख्य कारण यह है कि एक ही गोत्र से होने के कारण वह पुरुष व स्त्री भाई बहन कहलाएंगे क्योंकि उनका प्रथम पूर्वज एक ही है। परन्तु ये थोड़ी अजीब बात नहीं कि जिन स्त्री व पुरुष ने एक दूसरे को कभी देखा तक नहीं और दोनों अलग-अलग देशों में परन्तु एक ही गोत्र में जन्मे, तो वे भाई बहन हो गये ? इसका मुख्य कारण एक ही गोत्र होने के कारण गुण सूत्रों में समानता का भी है ।
आज के आनुवंशिक विज्ञान के अनुसार यदि सामान गुणसूत्रों वाले दो व्यक्तियों में विवाह हो तो उनकी सन्तति आनुवंशिक विकारों के साथ उत्पन्न होगी ।ऐसे दंपति की संतान में एक सी विचारधारा, पसंद, व्यवहार आदि में कोई नयापन नहीं होता । ऐसे बच्चों में रचनात्मकता का अभाव होता है।
विज्ञान द्वारा भी इस संबंध में यही बात कही गई है कि सगोत्र शादी करने पर अधिकांश ऐसे दंपति की संतानों में अनुवांशिक दोष अर्थात मानसिक विकलांगता , अपंगता , गंभीर रोग आदि जन्मजात ही पाए जाते हैं।  शास्त्रों के अनुसार इन्हीं कारणों से सगोत्र विवाह पर प्रतिबंध लगाया था ।
इस गोत्र का संवहन यानी उत्तराधिकार पुत्री को एक पिता प्रेषित न कर सके, इसलिये विवाह से पहले कन्यादान कराया जाता है और गोत्र मुक्त कन्या का पाणिग्रहण कर भावी वर अपने कुल गोत्र में उस कन्या को स्थान देता है।  यही कारण था कि उस समय विधवा विवाह भी स्वीकार्य नहीं था, क्योंकि, कुल गोत्र प्रदान करने वाला पति तो मृत्यु को प्राप्त कर चुका है। इसी लिये, कुंडली मिलान के समय वैधव्य पर खास ध्यान दिया जाता और मांगलिक कन्या होने पर ज्यादा सावधानी बरती जाती है ।


आत्मज या आत्मजा का सन्धिविच्छेद तो कीजिये ।


आत्म + ज  अथवा  आत्म + जा


आत्म = मैं , ज  या  जा  = जन्मा या जन्मी , यानी मैं ही जन्मा या जन्मी हूँ ।


यदि पुत्र है तो 95% पिता और 5% माता का सम्मिलन है । यदि पुत्री है तो 50% पिता और 50% माता का सम्मिलन है । फिर यदि पुत्री की पुत्री हुई तो वह डीएनए 50% का 50% रह जायेगा, फिर यदि उसके भी पुत्री हुई तो उस 25% का 50% डीएनए रह जायेगा, इस तरह से सातवीं पीढ़ी में पुत्री जन्म में यह प्रतिशत घटकर 1% रह जायेगा ।अर्थात , एक पति-पत्नी का ही डीएनए सातवीं पीढ़ी तक पुनः-पुनः जन्म लेता रहता है और यही है सात जन्मों का साथ।
लेकिन , जब पुत्र होता है तो पुत्र का गुण सूत्र पिता के गुण सूत्रों का 95% गुणों को अनुवांशिकी में ग्रहण करता है और माता का 5% ( जो कि किन्हीं परिस्थितियों में एक % से कम भी हो सकता है ) डीएनए ग्रहण करता है , और यही क्रम अनवरत चलता रहता है, जिस कारण पति और पत्नी के गुणों युक्त डीएनए बारम्बार जन्म लेते रहते हैं, अर्थात यह जन्म जन्मांतर का साथ हो जाता है ।
इसी लिये, अपने ही अंश को पित्तर जन्म जन्मान्तरों तक आशीर्वाद देते रहते हैं और हम भी अमूर्त रूप से उनके प्रति श्रध्येय भाव रखते हुए आशीर्वाद ग्रहण करते रहते हैं। और यही सोच हमें जन्मों तक स्वार्थी होने से बचाती है , और सन्तानों की उन्नति के लिये समर्पित होने का सम्बल देती है ।
एक बात और, माता पिता यदि कन्यादान करते हैं, तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि वे कन्या को कोई वस्तु समकक्ष समझते हैं, बल्कि इस दान का विधान इस निमित किया गया है कि दूसरे कुल की कुलवधू बनने के लिये और उस कुल की कुलधात्री बनने के लिये, उसे गोत्र मुक्त होना चाहिये । डीएनए मुक्त तो हो नहीं सकती क्योंकि भौतिक शरीर में वे डीएनए रहेंगे ही, इसलिये मायका अर्थात माता का रिश्ता बना रहता है , गोत्र यानी पिता के गोत्र का त्याग किया जाता है ।  तभी वह भावी वर को यह वचन दे पाती है कि उसके कुल की मर्यादा का पालन करेगी यानी उसके गोत्र और डीएनए को दूषित नहीं होने देगी , वर्ण संकर नहीं करेगी। क्योंकि कन्या विवाह के बाद कुल वंश के लिये रज का रजदान करती है और मातृत्व को प्राप्त करती है। यही कारण है कि प्रत्येक विवाहित स्त्री माता समान पूजनीय हो जाती है । यह रजदान भी कन्यादान की ही तरह कोटि यज्ञों के समतुल्य उत्तम दान माना गया है जो एक पत्नी द्वारा पति को दान किया जाता है ।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अलावा यह संस्कार गत शुचिता  किसी अन्य सभ्यता में दृश्य ही नहीं है, इसीलिए कहता हूँ।                                  


महंत ने बताया गोसेवा-पूजन का महत्व

मठ में हुआ गौ पूजन, महंत नारायण गिरि ने बताया गौ सेवा का महत्व


रोशन कुमार


गाजियाबाद। गोपाष्टमी के पर्व पर श्री दुद्धेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर में महन्त नारायण गिरि जी महाराज गौशाला में 65 गौ माता व गौ वंश की पूजा की।  इस अवसर पर श्री दूधेश्वर वेद विद्यालय के प्रधानाचार्य तोयराज उपाध्याय जी सहित समस्त आचार्यों ने वैदिक मंत्रों द्वारा गौमाता का विधि विधान से पूजन करवाया।
इस अवसर पर महंत नारायण गिरि ने बताया कि गोपाष्टमी ब्रज में संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। गायों की रक्षा करने के कारण भगवान श्रीकृष्ण जी का अति प्रिय नाम ‘गोविन्द’ पड़ा। कार्तिक, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। 8वें दिन इन्द्र अहंकार रहित होकर भगवान की शरण में आये। कामधेनु ने श्रीकृष्ण का अभिषेक किया और उसी दिन से इनका नाम गोविन्द पड़ा। इसी समय से अष्टमी को गोपोष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा, जो कि अब तक चला आ रहा है।
इस दिन प्रात: काल गायों को स्नान कराएँ तथा गंध-धूप-पुष्प आदि से पूजा करें और अनेक प्रकार के वस्त्रालंकारों से अलंकृत करके ग्वालों का पूजन करें, गायों को गो-ग्रास देकर उनकी प्रदक्षिणा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ में जाएँ तो सभी प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती हैं। गोपाष्टमी को सांयकाल गायें चरकर जब वापस आयें तो उस समय भी उनका अभिवादन और पंचोपचार पूजन करके कुछ भोजन कराएँ और उनकी चरण रज को माथे पर धारण करें। उससे सौभाग्य की वृद्धि होती है।
भारतवर्ष के प्राय: सभी भागों में गोपाष्टमी का उत्सव बड़े ही उल्लास से मनाया जाता है। विशेषकर गोशालाओं तथा पिंजरा पोलो के लिए यह बड़े ही महत्त्व का उत्सव है। इस दिन गोशालाओं की संस्था को कुछ दान देना चाहिए। इस प्रकार से सारा दिन गो-चर्चा में ही लगना चाहिए। ऐसा करने से ही गो वंश की सच्ची उन्नति हो सकेगी, जिस पर हमारी उन्नति सोलह आने निर्भर है। गाय की रक्षा को हमारी रक्षा समझना चाहिए। इस दिन गायों को नहलाकर नाना प्रकार से सजाया जाता है और मेंहदी के थापे तथा हल्दी रोली से पूजन कर उन्हें विभिन्न भोजन कराये जाते हैं।
गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है। यह गंगा, गायत्री, गीता, गोवर्धन और गोविन्द की तरह पूज्य है। शास्त्रों में कहा गया है- ‘मातर: सर्वभूतानां गाव:’ यानी गाय समस्त प्राणियों की माता है। इसी कारण आर्य-संस्कृति में पनपे शैव, शाक्त, वैष्णव, गाणपत्य, जैन, बौद्ध, सिख आदि सभी धर्म-संप्रदायों में उपासना एवं कर्मकांड की पद्धतियों में भिन्नता होने पर भी वे सब गौ के प्रति आदर भाव रखते हैं। हम गाय को ‘गोमाता’ कहकर संबोधित करते हैं। मान्यता है कि दिव्य गुणों की स्वामिनी गौ पृथ्वी पर साक्षात देवी के समान हैं।
सनातन धर्म के ग्रंथों में कहा गया है- ‘सर्वे देवा: स्थिता देहे सर्वदेवमयी हि गौ:।’ गाय की देह में समस्त देवी-देवताओं का वास होने से यह सर्वदेवमयी है। मान्यता है कि जो मनुष्य प्रात: स्नान करके गौ स्पर्श करता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है। संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद हैं और वेदों में भी गाय की महत्ता और उसके अंग-प्रत्यंग में दिव्य शक्तियां होने का वर्णन मिलता है। गाय के गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी, चरणों के अग्रभाग में आकाशचारी देवता, रंभाने की आवाज़ में प्रजापति और थनों में समुद्र प्रतिष्ठित हैं।
मान्यता है कि गौ के पैरों में लगी हुई मिट्टी का तिलक करने से तीर्थ-स्नान का पुण्य मिलता है। यानी सनातन धर्म में गौ को दूध देने वाला एक निरा पशु न मानकर सदा से ही उसे देवताओं की प्रतिनिधि माना गया है।                               


पुलिस कार्रवाई में 5 अपराधियों की संपत्ति कुर्क

5 अपराधियों की संपत्ति कुर्क, अन्य अपराधियों पर भी कार्यवाही शुरू


आनंद भट्टाचार्य


गाज़ियाबाद। पुलिस ने कोतवाली क्षेत्र में 5 अपराधियों की संपत्ति कुर्क कर ली है।  वर्ष 2019 में मनीष नाम के एक व्यक्ति की हत्या में शामिल इन अपराधियों पर गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत मुकदमा चल रह है। जब्त की गई संपत्ति की कीमत 15 करोड़ बताई जा रही है।
एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध अपराधियों के खिलाफ पहले भी सख्त कार्यवाही की जाती रही है। जो भी अपराधी गलत तरीकों से धन अर्जित कर चुके हैं, उनकी अर्जित संपत्ति को जब्त किया जाएगा। आपको बता दें कि जिला पुलिस द्वारा गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध अधिकतर आरोपियों की संपत्ति चिन्हित की जा रही है।
इससे पहले मोदीनगर, कौशांबी और मुरादनगर में भी पुलिस ने ऐसी ही बड़ी कार्रवाई कर अपराधियों की करोड़ों रुपए की संपत्ति कुर्क की थी।                               


चेन्नई टेस्ट: टीम 'इंडिया' ने 339 रन बनाएं

चेन्नई टेस्ट: टीम 'इंडिया' ने 339 रन बनाएं  अकांशु उपाध्याय  चेन्नई। भारत ने चेन्नई टेस्ट में बांग्लादेश के खिलाफ पहले दिन गुरुवार क...