शिक्षा निदेशक के नियुक्ति निरस्त के आदेश को नहीं मानते जिला विद्यालय निरीक्षक
नियुक्ति निरस्त होने के आदेश के बाद भी शिक्षा विभाग द्वारा दिया जा रहा है प्रधानाचार्य को वेतन जांच का विषय
प्रबंधक तंत्र के द्वारा प्रधानाचार्य के निलंबन आदेश के बाद फिर शुरू हुआ शिक्षा अधिकारियों की साजिश का खेल
कौशांबी। कस्तूरबा गांधी बालिका इंटर कॉलेज भरवारी की प्रधानाचार्य नीलम की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए उनकी नियुक्ति को शिक्षा निदेशक द्वारा साढे तीन वर्षों पहले निरस्त किए जाने के आदेश को जिला विद्यालय निरीक्षक नहीं मानते हैं और उनके नियुक्ति निरस्त के बाद भी उन्हें प्रत्येक महीने वेतन देकर सरकारी खजाने को चपत लगा रहे हैं। इसके तर्क में प्रधानाचार्य नीलम का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा निदेशक की नियुक्ति निरस्त के आदेश पर रोक लगा दी है। जबकि सूत्रों की माने तो नियुक्ति निरस्त के आदेश पर किसी सक्षम न्यायालय से कोई रोक नहीं लगाई गई है। केवल अधिकारियों को गुमराह कर नियुक्ति निरस्त की बात कर शिक्षा विभाग के अधिकारी मनमानी कर प्रधानाचार्य नीलम को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
इसी बीच कस्तूरबा गांधी बालिका इंटर कालेज के प्रबंधक तंत्र ने प्रधानाचार्य नीलम को निलंबित कर उनके निलंबन की सूचना जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंप दी है। निलंबन की सूचना का पत्र मिलने के बाद शिक्षा अधिकारियों ने फिर साजिश शुरू कर दी है शिक्षा अधिकारी नियुक्ति निरस्त प्रधानाचार्य नीलम के बचाव में उतर आए हैं और उन्हें बचाव के हर रास्ते पर ले जाना चाहते हैं।
इसी योजनाबद्ध तरीके से कस्तूरबा गांधी बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य नीलम ने डीएम से मिलकर प्रबंध तंत्र द्वारा किया गया निलंबन को गलत बताया है। जिस पर संपूर्ण प्रकरण की जांच जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंप दी गई है। जो शिक्षा निदेशक के आदेश को नहीं मानते हैं उनसे निष्पक्ष न्याय की कैसे उम्मीद जताई जा सकती है। निलंबित प्रधानाचार्य नीलम की जांच मिलते ही अब यह कयास लगाया जाने लगा है कि नीलम की निलंबन के आदेश को जिला विद्यालय निरीक्षक स्वीकार नहीं करेंगे ।
कस्तूरबा गांधी बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य नीलम की नियुक्ति को ही शिक्षा निदेशक ने पूर्व में निरस्त कर दिया है। शिक्षा निदेशक के आदेश के बाद नीलम की ज्वाइनिंग रद्द हो गई। लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक के रहमों करम पर कानून नियम की धज्जियां उड़ा कर इनका प्रत्येक महीने वेतन दिया जा रहा है यह एक अलग जांच का विषय है। जबकि शिक्षा निदेशक द्वारा इनकी नियुक्ति को रद्द किए जाने के मामले में इनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा निदेशक के आदेश पर रोक लगा दी है लेकिन सूत्रों की माने तो शिक्षा निदेशक का आदेश आज भी बहाल है और उस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं आया है। फिर नियुक्ति रद्द होने के बाद इनका प्रधानाचार्य के पद पर बने रहना सवालों के घेरे में है और जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा प्रत्येक महीना वेतन देकर सरकारी खजाने को चपत लगाए जाने के मामले में जांच कराए जाने की जरूरत है। प्रधानाचार्य नीलम की नियुक्ति निरस्त होने के बाद भी इन्हें वेतन दिए जाने के मामले में यदि आला अधिकारियों ने जांच कराई तो जहां नीलम पर गाज गिरना तय हैं। वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक से इनकी वेतन की वसूली भी हो सकती है लेकिन क्या शिक्षा निदेशक के आदेश को संज्ञान लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी जिला विद्यालय निरीक्षक और प्रधानाचार्य नीलम के कारनामो की जांच कराएंगे प्रबंध तंत्र ने प्रधानाचार्य नीलम पर तीन वर्षों से लगातार वसूली का आरोप लगाया है। उसके जवाब में प्रधानाचार्य नीलम ने कहा कि कोरोना काल में वसूली के आरोप निराधार है। शिक्षा निदेशक द्वारा प्रधानाचार्य नीलम की नियुक्ति निरस्त किए जाने के बाद कस्तूरबा गांधी बालिका इंटर कॉलेज में विवाद बढ़ गया और उसी विवाद के बाद विद्यालय में खींचतान शुरू हुई है और बर्खास्त प्रधानाचार्य को निलंबित किए जाने का कोई औचित्य ही नहीं था। लेकिन एक तरफ शिक्षा निदेशक से नियुक्ति रद्द होने के बाद प्रबंधक द्वारा उन्हें निलंबित कर दिए जाने से बौखलाई प्रधानाचार्य नीलम ने प्रबंधक पर ही पर कोरोना काल में वसूली का आरोप लगाया है। जिस पर डीएम ने डीआईओएस को जांच के निर्देश दिये हैं जिला विद्यालय निरीक्षक से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं लगाई जा सकती है।
सुशील केसरवानी