शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

टिहरी झील पर 300 करोड़ का झूला पुल बना

300 करोड़ का झूला पुल बनकर तैयार


प्रवेश राणा


देहरादून। उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील पर देश का सबसे बड़ा डोबरा-चांठी मोटरेबल झूला पुल बनकर तैयार हो गया है और बहुत जल्द ही इसका उद्घाटन भी होने वाला है। आपको बता दें कि 300 करोड़ की लागत से बना ये डोबरा चांठी पुल बनकर तैयार हो चुका है। हालांकि पुल पर अभी भी टेस्टिंग चल रही है। डोबरा-चांठी पुल प्रदेश का सबसे लम्बा सस्पेंशन पुल है, जिसकी कुल लंबाई 725 मीटर है। इसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज हैं। इस पुल का निर्माण कार्य साल 2006 में शुरू हुआ था, जो अब बनकर तैयार हुआ है।                


भारत में कहां और क्यों मिलता है सस्ता सोना





नई दिल्ली। क्या आप जानते हों? भारत के कौन-कौन से शहरों में सस्ता सोना मिलता हैं और क्यों? अगर नहीं तो आपको बता दें कि दक्षिण भारत के राज्यों में उत्तर भारत के मुकाबले काफी सस्ते दामों पर सोना खरीदा जा सकता है। अगर आप दुबई घूमने जा रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। यहां दुनिया में सबसे सस्ता सोना मिलता है और सोने की क्वालिटी भी काफी अच्छी होती है। दुबई स्थित डियरा सिटी सेंटर में दुनिया भर से लोग सोना खरीदने पहुंचते है। यहां दुनिया का सबसे सस्ता सोना मिलता है। भारत सहित कई देशों की तुलना में यहां सोने की कीमत 15 फीसदी तक कम है।आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के सभी शहरों में 24 कैरेट और 22 कैरेट सोने की कीमत अलग-अलग रहती है। इसीलिए आज हम आपको उन शहरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सबसे सस्ता सोना मिल रहा है।         






जमीन से घास खाने के लिए जिराफ का संघर्ष

नई दिल्ली। जिराफ की गर्दन कितनी लंबी होती है ये तो सभी जानते ही हैं। लंबी गर्दन की मदद से वह बड़े से बड़े शाखाओं तक पहुंच सकते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि जिराफ जमीन से घास कैसे खाते हैं? सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जहां दिखाया गया है कि जमीन से घास खाने के लिए जिराफ किस तरह संघर्ष कर रहा है। ये देखने में इतना प्यारा है कि आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी। वीडियो को ट्विटर यूजर ‘डैनीडच’ ने ऑनलाइन शेयर किया था और माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर वायरल हुआ। उन्होंने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि जिराफ घास कैसे खा सकता है, लेकिन यह राजसी है।’ छोटी क्लिप में एक जिराफ अपने सामने के दो पैरों को अलग करता है और घास तक पहुंचने के लिए अपनी गर्दन को अजीब तरह से मोड़ता है। घास खाने के बाद वो फिर खड़ा होता है और फिर वैसा ही करता है। यह दिखने में काफी फनी लग रहा है।               


अधिकारों को लेकर एससी का बड़ा फैसला

नई दिल्ली। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले का उद्देश्य बहू का ससुराल में अधिकार सुनिश्चित करना है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि ‘बहू को आश्रित ससुराल में रहने का अधिकार है। बहू को पति या परिवार के सदस्यों द्वारा साझा घर से निकाला नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर यह घर ससुराल वालों द्वारा किराए पर लिया गया है या उनका हो और पति का इस पर कोई अधिकार नहीं है तो भी बहू को बाहर नहीं किया जा सकता।               


त्रिवेंद्र सरकार से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

हल्द्वानी बस अड्डे के निर्माण मामले में त्रिवेंद्र सरकार फंसी, नैनीताल हाईकोर्ट ने मांगा जवाब।


देहरादून। उत्तराखंड के हल्द्वानी में अंतरराज्यीय बस अड्डा के निर्माण के मामले में राज्य सरकार बुरी तरह फंस गई है। उच्च न्यायालय की ओर से प्रदेश सरकार को अंतिम मौका देते हुए बस अड्डे को गौलापार से अन्यत्र स्थानांतरित करने के मामले में जवाब देने को कहा है। अदालत ने सरकार से पूछा है। कि वह तीन सप्ताह के अंदर बताए की गौलापार से बस अड्डा स्थानांतरित करने के लिए कौन से कारण मौजूद हैं।
हल्द्वानी के गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी की ओर से शुक्रवार को दायर जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति रवींद्र पैठाणी की युगल पीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार ने बिना उचित कारण के गौलापार में बनाए जाने वाले अंतरराज्यीय बस अड्डे को हल्द्वानी के तीन पानी क्षेत्र में स्थानांतरित करने का निर्णय ले लिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया सरकार अभी तक गौलापार में बनाए जाने वाले बस अड्डे पर 11 कराड़ रुपये खर्च कर चुकी है जबकि इसके लिए लगभग 2625 पेड़ों की बलि दी जा चुकी है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया किस वर्ष 2009-10 में प्रदेश सरकार की ओर से नए बस अड्डे के निर्माण के लिए हल्द्वानी में सर्वे काम शुरू किया गया। सर्वे टीम में वन विभाग, परिवहन विभाग एवं राजस्व के कर्मचारी शामिल थे। सर्वे टीम ने पाया कि गौलापार के रौखड़ क्षेत्र में मौजूद वन विभाग की आठ हेक्टेयर भूमि नए बस अड्डे के निर्माण के लिए उचित है। टीम ने यह भी पाया इस भूमि पर किसी प्रकार की अड़चन नहीं है। इसके बाद केंद्रीय वन मंत्रालय से अनुमति मांगी गई। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि 2015 में केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश सरकार को कुछ शर्तों के साथ इस भूमि पर गैर वानिकी गतिविधि की अनुमति दे दी गई। साथ ही राज्य सरकार की ओर से 84 लाख रुपए इस भूमि पर मौजूद पेड़ों की कीमत के रूप में जमा किए गए तथा इतनी भूमि पर अलग से पौधारोपण किया गया। यही नहीं सात करोड़ 60 लाख रुपए का भुगतान बस अड्डे के निर्माण के लिए एक कंपनी को कर दिए गए। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया अभी तक कुल 11 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद 19 नवंबर 2018 को राज्य सरकार की ओर से बिना उचित कारण बताए इस भूमि पर बस अड्डे का निर्माण रोक दिया गया और अन्यत्र निर्माण का फैसला ले लिया गया। इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।               


हेडफोन के अंदर घुसी मकड़ी, कान गुदगुदाया

हेडफोन के अंदर थी बड़ी मकड़ी, महिला के कान में लगाते ही अचानक हुआ ये।


सिडनी। ऑस्ट्रेलिया में एक महिला प्लंबर ने हेडफ़ोन के उपयोग के दौरान अपने कानों में गुदगुदी महसूस की जिसके बाद जब उसने हेडफोन को कान से हटाकर देखा तो दंग रह गयी। दरअसल हेडफोन की नरम पैडिंग के अंदर एक बड़ी मकड़ी मौजूद थी। अब हेडफोन में मकड़ी का यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया है। ओली थर्स्ट अपने हेडफ़ोन में गुदगुदी के कारण काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी। जिसके बाद उन्होंने हटा कर देखा। जब उसने उपकरण को हिलाकर मकड़ी से छुटकारा पाने की कोशिश की, तो वह हिल नहीं पायी और अंदर ही रह गई। साझा किए गए वीडियो में ओली कहती हैं। मैं अपने कान में गुदगुदी महसूस कर रही थी। वो मकड़ी बाहर आना चाहती थी। वीडियो तेजी से वायरल हुआ और फेसबुक यूजर्स ने इसपर हजारों कमेंट किए. कुछ लोगों ने कहा कि मकड़ियां मनुष्यों के लिए खतरनाक नहीं हैं। एक यूजर ने टिप्पणी की यह बुरा नहीं है। अच्छाई यह है। कि आपके कान को मकड़ी गुदगुदी कर रही थी। वो आप से अधिक डरी हुई होगी। एक यूजर ने लिखा एक छोटी सी चीज़ को शायद एक भयानक छेद मिला।             


सरकार ने खरीद के पुराने रिकॉर्ड तोड़ेः मोदी

किसानों ने उत्पादन और सरकार ने खरीद के पुराने रिकॉर्ड तोड़ेः मोदी


हरिओम उपाध्याय


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना के कारण जहां पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है। वहीं भारत के किसानों ने इस बार पिछले साल के प्रोडक्शन के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। क्या आप जानते हैं। कि सरकार ने गेहूं, धान और दालें सभी प्रकार के खाद्यान्न की खरीद के अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की 75 वीं वर्षगांठ पर स्मारक सिक्का जारी करते हुए भारत में खेती-किसानी की बेहतरी की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को साझा किया। उन्होंने कहा कि किसानों को लागत का डेढ़ गुणा दाम एमएसपी के रूप में मिले, इसके लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। एमएसपी और सरकारी खरीद, देश की फूड सिक्योरिटी का अहम हिस्सा हैं। इसलिए इनका जारी रहना स्वभाविक है। भारत में अनाज की बबार्दी हमेशा से बहुत बड़ी समस्या रही है। अब जब एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में संशोधन किया गया है । इससे स्थितियां बदलेंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने पौष्टिक तत्वों से भरपूर फसलों को बढ़ावा देने से जुड़ी सरकार की कोशिशों पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कुपोषण से निपटने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहा है। अब देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसमें पौष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक इत्यादि ज्यादा होते हैं। इससे दो तरह के लाभ होंगे। एक तो पौष्टिक आहार प्रोत्साहित होंगे, उनकी उपलब्धता और बढ़ेगी। और दूसरा- जो छोटे किसान होते हैं। जिनके पास कम जमीन होती है। उन्हें बहुत लाभ होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में पोषण अभियान को ताकत देने वाला एक और अहम कदम उठाया गया है। आज गेहूं और धान सहित अनेक फसलों के 17 नए बीजों की वैरायटी देश के किसानों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। आज भारत में निरंतर ऐसे रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं। जो ग्लोबल फूड सिक्योरिटी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दिखाते हैं। खेती और किसान को सशक्त करने से लेकर भारत के सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक में एक के बाद एक सुधार किए जा रहे हैं।             


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  1. अंक-347, (वर्ष-11) पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254 2. शनिवार, नवंबर 30, 2024 3. शक-1945, कार्तिक, कृष्ण-पक्ष, ...