शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

प्रथम नवरात्र माता 'शैलपुत्री'

एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा।


अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा- प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचना तक नहीं भेजी है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।'


शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी।


सती ने पिता के घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बातचीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे।


परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुँचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।


वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध होअपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया।


सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे 'शैलपुत्री' नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।                   


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)













 अक्टूबर 17, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-62 (साल-02)
2.शनिवार, अक्टूबर 17, 2020
3. शक-1949, अश्विन, शुक्ल-पक्ष, तिथि- प्रतिपदा, नवरात्रि प्रारंभ, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 60:05, सूर्यास्त 06:25।


5. न्‍यूनतम तापमान 21+ डी.सै.,अधिकतम-33+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेंगी।


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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

संयुक्त राष्ट्र ने चीन पर साधा निशाना

वॉशिंगटन डीसी। मानवाधिकारों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र ने एक बार फिर चीन पर निशाना साधा है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ का कहना है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार (सीपीसी) अपने ही लोगों के मानवाधिकारों को कुचलने में लगी है। पोम्पिओ ने बुधवार को चीन को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि CPC न केवल अपने लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है बल्कि उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगा रही है। यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टियों का इतिहास रहा है।               


देश ताइवान के निकट से गुजरा 'चीन'

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार, हांगकांग के बाद ताइवान के मुद्दे पर तनातनी बढ़ती जा रही है। अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस बैरी जब बुधवार को ताइवान जलडमरूमध्य से गुजरा तो चीन ने उसे ऐसी हरकतों से बाज आने की चेतावनी दी। हालांकि अमेरिका ने दो टूक कहा है कि समुद्री क्षेत्र में स्वतंत्र आवाजाही के लिए उसका अभियान जारी रहेगा। चीन ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है।
प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसेना की टुकड़ी का हिस्सा यूएसएस बैरी एक गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोत है. अमेरिकी नौसेना ने इसे नियमित अभ्यास का हिस्सा बताया, लेकिन ताइवान औऱ उसके आसपास के समुद्री क्षेत्र पर दावा करने वाले चीन को यह हरकत नागवार गुजरी।
अमेरिकी पैसेफिक फ्लीट ने कहा, ताइवान स्ट्रेट से अमेरिकी युद्धपोत का गुजरना प्रशांत महासागर में स्वतंत्र और बेरोकटोक आवाजाही के उनके देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. अमेरिकी नौसेना अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हुए आगे भी इस क्षेत्र में युद्धपोतों के नौवहन के अलावा विमानों की गश्त भी जारी रखेगी।
अमेरिका के इस रुख से आगबबूला चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने कहा कि अमेरिकी युद्धपोत की पूरी यात्रा पर उसकी कड़ी नजर थी। चीन की पूर्वी थिएटर कमांडर के प्रवक्ता कर्नल झांग चुनहुई ने कहा कि हमने अमेरिका को यह आगाह किया है कि वह ऐसी बयानबाजी और कार्रवाई से बाज आए, जो ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव पैदा करती हो। गौरतलब है कि 1949 के गृह युद्ध में हार के बाद से ताइवान चीन से एक अलग हिस्से के तौर पर रहा है। ताइवान का अपना झंडा, करेंसी और सेना है। हाल ही में अमेरिका ने ताइवान को संवेदनशील मिसाइल टेक्नोलॉजी समेत तमाम हथियार देने का समझौता किया है।             


'कलाम' की जयंती पर पीएम ने दी श्रद्धांजलि

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। देश के 11वें राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, डॉक्टर कलाम को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। भारत राष्ट्रीय विकास के प्रति एक वैज्ञानिक और भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनके अमिट योगदान को कभी नहीं भूल सकता। उनकी जीवन यात्रा लाखों लोगों को ताकत देती है। गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर नमन। एक विजनरी लीडर भारत के स्पेस और मिसाइल प्रोग्राम को गढ़ने वाले, जो हमेशा ही एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते थे। विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान सभी के लिए प्रेरणादायी है।             


प्राकृतिक सौंदर्य और किसी ग्रह पर नहीं है

हमारे सौरमंडल के ग्रहों के बहुत अलग अलग हालात है। सूर्य से दूरी और अन्य वजहों से हर ग्रह के भौगोलिक स्थितियों में काफी अंतर है। वैसे तो खगोलविदों की दिलचस्पी इन ग्रहों में जीवन की संभावना के संकेतों की तलाश में ज्यादा होती है, लेकिन कई बार कुछ विलक्षण स्थितियां भी उन्हें चौंका देती है। पृथ्वी का प्राकृतिक सौंदर्य किसी और ग्रह पर नहीं है, लेकिन प्लूटो पर खगोलविदों को ऐसे पहाड़ दिखे हैं जो बर्फ की तरह ढंके बिलकुल वैसे ही दिखाई देते हैं जैसे पृथ्वी पर।


एवरेस्ट से भी ऊंचे हैं वहां के पर्वत


नासा के न्यू होराइजन अंतरिक्ष यान ने 2015 में दिखाया कि कथूलू श्रेणी के कई पर्वत हमारे हिमालय के एवरेस्ट से भी ऊंचे हैं। इसके साथ ही इन पर्वतों में एक खासियत और है यह बर्फ से ढके हैं, लेकिन यह बर्फ पानी की बल्कि मीथेन की है।


मीथेनी की बर्फ


नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में इस बौने ग्रह पर मीथेन के निर्माण और उसकी वजह से बनने वाली प्रक्रियाओं को जानने का प्रयास किया गया है। शोधकर्ताओं ने इस पर खास तौर से कथूलू में मीथेन की बर्फ पर खास तौर से ध्यान दिया।           


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...