जम्मू-कश्मीर में 5.1 तीव्रता के भूकंप के झटके
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को रिक्टर पैमाने पर 5.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। फिलहाल जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “रिक्टर पैमाने पर 5.1 तीव्रता का भूकंप सोमवार सुबह 5.13 बजे आया।” उन्होंने बताया कि भूकंप का केंद्र लद्दाख क्षेत्र में था और इसकी गहराई पृथ्वी के अंदर 10 किलोमीटर थी।
मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020
जम्मू-कश्मीर में भूकंप के झटके महसूस किए
अगस्त माह में संक्रमण में आई कमीः शोध
भारत में अगस्त के बाद कोरोना वायरस मामलों में सबसे कम वृद्धि
पालूराम
नई दिल्ली। भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 61,267 नए मामले सामने आए। जिसके बाद संक्रमितों की कुल संख्या 66,85,082 पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को ये जानकारी दी। कोरोना वायरस के मामलों में अगस्त के बाद मंगलवार को सबसे कम वृद्धि दर्ज की गई है।
देश में रिकवरी रेट अब 84.34 फीसदी हो गई है। बता दें कि चिली में सबसे ज्यादा 92 प्रतिशत से ऊपर रिकवरी रेट है। वहीं अमेरिका में सबसे कम 33 फीसदी है।
भारत में कोविड-19 से मृत्यु दर 1.55 प्रतिशत है। स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, कोरोना वायरस से संक्रमित 20 शीर्ष देशों में भारत में मृत्यु दर सबसे कम है। जबकि मेक्सिको में सबसे ज्यादा 10.4 प्रतिशत मृत्यु दर है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक यूनाइटेड किंगडम में मृत्यु दर 8.8 फीसदी है।
भारत में कुल संक्रमितों में से फिलाहल 9,19,023 सक्रिय हैं, और 56,62,490 मरीज इससे उबर चुके हैं। भारत में पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से 884 मौतें हुई हैं जिसके बाद कुल मौतों की संख्या 1,03,569 हो गई है।
महाराष्ट्र अभी भी कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बना हुआ है। यहां अब तक 14,53,653 मामले सामने आ चुके हैं और 38,347 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और दिल्ली का स्थान है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक भारत में एक दिन में 10,89,403 नमूनों की जांच की गई। जिसके बाद कुल जांच की संख्या 8,10,71,797 पहुंच गई है।
शक्तिशाली लोगों ने बंधक बनाई न्याय प्रणाली
न्याय प्रणाली अमीरों और शक्तिशाली लोगों द्वारा बंधक बना ली गई है: सुप्रीम कोर्ट बार अध्यक्ष
नई दिल्ली। वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने एक कार्यक्रम में कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के जज किसी राजनेता की प्रशंसा करते हैं तो वे अधीनस्थ अदालतों को क्या संदेश देते हैं? इसका केवल यही संदेह होता है, मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मामले तय न करें। कार्यपालिका के पक्ष में जाने के लिए जज क़ानून के परे जा चुके हैं।
श्री अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने शुक्रवार को एक ऑनलाइन लेक्चर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह याद रखना प्रासंगिक है कि महात्मा गांधी ने कहा था कि कानून की अदालत से बड़ी एक अदालत है। अंतरात्मा की अदालत.
उन्होंने कहा कि अन्याय को खत्म करने के लिए कानून पर भरोसा करने के बजाय प्रबुद्ध जनता की राय मौजूदा समय की मांग है। दवे मानवाधिकार वकील गिरीश पाटे की पुण्यतिथि के मौके पर बोल रहे थे, जिनका साल 2018 में निधन हो गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘वह दलित और असुरक्षित (लोगों) के रक्षक थे। उन्होंने मानवीय गरिमा के लिए लड़ाई लड़ी और उनके मुद्दों को उठाया, चाहे वे गुजरात स्थित दांग के आदिवासी रहे हों या गन्ना श्रमिक। उन्होंने कभी पीआईएल (जनहित याचिका) का दुरुपयोग नहीं किया। उन्होंने आगे कहा, ‘न्यायपालिका में हुए अतिक्रमणों पर लगातार नजर रखने में बेंच और बार अपनी भूमिका निभा पाने में विफल रहे हैं। अपनी सामाजिक भूमिका निभाने में वकील सबसे अधिक विफल रहे हैं। मुझे यह कहते हुए खेद है कि हमारे न्यायाधीश न्याय प्रशासन में अपनी अंतरात्मा की आवाज को भूल गए हैं, जिसे उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन में हर सेकेंड याद रखना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली अमीरों और शक्तिशाली लोगों द्वारा बंधक बना ली गई है।’जजों के सभी राजनीतिक विचारों से ऊपर होने की संविधान सभा की बहसों की ओर ध्यान दिलाते हुए दवे ने आगे कहा, ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता न केवल बाहर से प्रभावित हुई है बल्कि यह भीतर से भी खत्म हो गई है। 1993 से बड़े पैमाने पर स्वतंत्र जजों की नियुक्ति नहीं करके कॉलेजियम प्रणाली ने न्याय, संविधान और राष्ट्र के प्रशासन का बहुत बड़ा नुकसान किया है।
उन्होंने आगे कहा, ‘कानून का शासन खतरे में हैं. पिछले 30-35 साल में जिस तरह की (न्यायिक) नियुक्तियां की गई हैं उन्होंने बहुत कुछ अधूरा छोड़ दिया है जिससे संस्थान को बड़ी क्षति पहुंची है. वे न्यायाधीश कहां हैं जो आज के राजनीतिक दबाव को झेलने में सक्षम हैं?’
उन्होंने कहा, ‘प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के लिए 30 मार्च को एक याचिका दायर की गई थी और अगले दिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक ‘प्रमाण पत्र’ दे दिया कि प्रवासी संकट खत्म हो गया है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जमकर पीटाः तोमर
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
अक्टूबर 07, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254
1. अंक-53 (साल-02)
2. बुधवार, अक्टूबर 07, 2020
3. शक-1944, अश्विन, कृष्ण-पक्ष, तिथि- षष्ठी, विक्रमी संवत 2077।
4. सूर्योदय प्रातः 60:05, सूर्यास्त 06:20।
5. न्यूनतम तापमान 21+ डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेंगी।
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सोमवार, 5 अक्टूबर 2020
तेजपत्ता का काढ़ा है बहुत फायदेमंद
तेजपत्ता से बना काढ़ा सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। काढ़े को पीने से शरीर में कई तरह की चीजों को दूर किया जा सकता है। क्योंकि इसमें मिनिरल्स होते हैं। तेजपत्ता में कॉपर, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम और आयरन से भरपूर होता है। इतना ही नहीं ये एंटीऑक्सीडेंट्स भी होता है। जो कैंसर, ब्लड क्लॉटिंग और दिल से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है।
तेजपत्ते का काढ़ा पीने के फायदे। कमर दर्द होती है। तो ऐसे में आप तेजपत्ते का काढ़ा कम से कम दिन में दो बार रोज पीना चाहिए। साथ ही तेजपत्ते का तेल ले लाएं और इसकी मालिश कमर पर करें तेजपत्ते को सरसों के तेल में पका कर आप खुद भी तेल बना सकती हैं। ठंड लगने पर या ठंड से होने वाले शरीर दर्द में आपको तेजपत्ते के काढ़े को पीना चाहिए साथ ही इस तेल की मालिश भी करें। चोट या मोच लगने पर आपको तेजपत्ते का काढ़ा पीना चाहिए और इसी के तेल को लगाना चाहिए। ताकि मोच आई सूजन और दर्द से राहत मिलेगा तेज पत्ते को पीस कर मोच वाली जगह पर लगाएं। कई बार अगर सोते वक्त नसों में खिंचाव हो जाता है। या नसों में सूजन आ जाती है। तो ऐसे में तेजपत्ते के केढ़ा का सेवन करें ये आपको आराम देगा।
काढ़ा बनाने की विधि इसे बनाने के लिए 10 ग्राम तेजपत्ता 10 ग्राम अजवायन और 5 ग्राम सौंफ को पीस लें और एक लीट पानी में डाल कर तब तक उबालें जब तक ये आधा न रह जाए। जब ये मिश्रण ठंडा हो जाए तो इसका काढ़ा पी लें।
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