रविवार, 4 अक्टूबर 2020

सलमान की शादी को लेकर की भविष्यवाणी

सलमान खान कि शादी को लेकर भविष्यवाणी।


मुंबई। बिग बॉस 14 में इस बार एक ज्योतिषी ने भी भाग लिया और उनकी एंट्री ने इस सीजन के ग्रैंड प्रीमियर को काफी इं​ट्रेस्टिंग बना दिया। शो में ज्योतिष के रूप में पंडित जनार्दन ने गेस्ट के तौर पर वीडियो चैट के जरिए हिस्सा लिया। इस समय शो के दो कंटेस्टेंट एजाज खान और निकी तंबोली सेट पर मौजूद थे। सलमान खान ने पंडित जनार्दन से इन दोनों के भविष्य के बारे में पूछा तो पंडित जी ने जवाब दिया कि निकी देखने में भले ही गाय की तरह सीधी दिखती हैं लेकिन, वह बहुत चतुर हैं और अपने करियर में बहुत आगे जाएंगी। पंडित जी ने निकी के बाद एजाज का भविष्य बताते हुए कहा कि आपको हमेशा अपने दिल की सुननी चाहिए और किसी के कहने या बहकावे में आकर कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए।
दोनों का भविष्यफल जानने के बाद सलमान खान ने मजाकिया अंदाज में पंडित जी से पूछा कि आपने तो छह साल पहले कहा था कि अगले साल मेरी शादी हो जाएगी लेकिन, ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ। इस सवाल पर शो में मौजूद ऑडियंस के ठहाके छूट पड़े। हालाांकि सलमान यहीं नहीं रुके। उन्होंने पंडित जी से कहा कि क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे कभी शादी न हो।
इस सवाल पर पंडित जी ने कहा कि आपकी शादी का ग्रह बना था लेकिन वह किसी कारण से टल गया। सलमान ने इस पर पूछा कि क्या अब मेरी शादी के योग बन रहे हैं तो पंडित जनार्दन ने कहा कि आपकी शादी के योग टल गए हैं। आपको बता दें कि बिग बॉस सीजन 14 की शनिवार से औपचारिक शुरुआत हो गई है। इस सीजन में बिग बॉस के 3 एक्स विनर को मॉनिटर के तौर पर बुलाया गया है। मॉनिटर के तौर पर बुलाए गए सिद्धार्थ शुक्ला, हिना खान और गौहर खान का काम सीजन 14 में शामिल कंटेंस्टेंट को मॉनिटर कर ये बताना है कि किसे बिग बॉस के घर में बने रहना चाहिए और किसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।             


मुस्लिम महिला से सामूहिक दुष्कर्म, 3 अरेस्ट

पंकज कपूर


देहरादून। जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर सहसपुर इलाके में मुस्लिम महिला से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है। घटना का पता चलने के बाद से पुलिस महकमे में हड़कंप है। इस सिलसिले में तीन अज्ञात आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पीड़ित महिला के बताए हुलिये के आधार पर कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। देर रात डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने सहसपुर थाने पहुंचकर पीड़ित महिला से घटनाक्रम की जानकारी ली। फिलहाल आरोपितों की धर पकड़ के लिए पुलिस टीम में सक्रिय हैं। रविवार को थानाध्यक्ष नरेंद्र सिंह ने बताया कि पीड़िता का मेडिकल करायाजा रहा है। साथ ही कोर्ट में बयान दर्ज कराए जाएंगे। वहीं डीआइजी अरुण मोहन जोशी और एसपी देहात परमेंद्र डोभाल थानाध्यक्ष मामले में प्रगति की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।               


सरकार घोषित करें जीरो ईयरः विद्यार्थी

 बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं, अधिकतर का कहना है सरकार घोषित करे ज़ीरो इयर


अश्वनी उपाध्याय


गाज़ियाबाद। जिले के अधिकतर अभिभावक इस साल अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। अभिभावकों का कहना है कि इस सत्र को ज़ीरो सत्र घोषित कर दिया जाना चाहिए और बच्चों को अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाए। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से 15 अक्टूबर के बाद स्कूल खोले जाने की बात कही गई है। हालांकि इसके लिए अभिभावकों की सहमति आवश्यक है। जबकि अभिभावकों का कहना है कि रोजाना सामने आ रहे कोरोना के मामले चिंता बढ़ा देने वाले हैं इसलिए उन्हें स्कूल भेजने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। अभिभावकों का कहना है कि भले ही पेरेंट्स की लिखित अनुमति जरूरी हो लेकिन स्कूलों की तरफ से फीस मांगने का दबाव स्कूल खुलते ही बढ़ जाएगा। जबकि बहुत सारे पेरेंट्स ऐसे हैं। जो अभी पिछला बकाया देने में असमर्थ हैं। क्योंकि कोरोना ने आर्थिक तंगी बढ़ा दी है। पेरेंट्स ने कहा कि स्कूल में बच्चे डिस्टेंसिंग मेंटेन नहीं कर पाएंगे।  ज्यादातर बच्चे अपना लंच दूसरे बच्चों से शेयर कर लेते हैं जो खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि, इस पर सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि लंच शेयर करने और कॉपी किताब आदि शेयर करने पर पूरी तरह से रोक होगी जिस पर स्कूल का स्टाफ निगरानी भी रखेगा। बता दें कि सभी पेरेंट्स किसी न किसी आरडब्ल्यूए का हिस्सा है इसलिए आरडब्ल्यूए में भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
नौवीं से बारहवीं तक के स्कूलों पर विचार। सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन के मुताबिक नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को अल्टरनेट क्लास प्रणाली पर स्कूल भेजने पर विचार हो रहा है। किसी अभिभावक पर कोई दबाव नहीं होगा कि वह बच्चों को स्कूल भेजें। बता दें कि ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।                 


कांग्रेस के दिग्गज नेता का कोरोना से निधन

कांग्रेस के दिग्गज नेता नसीब पठान का कोरोना से निधन


लखनऊ। उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व एमएलसी नसीब पठान का रविवार को मेदांता अस्पताल में कोरोना से निधन हो गया है। पार्टी के नेताओं ने इस दुखद समाचार पर शोक व्यक्त किया है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर से ताल्लुक रखने वाले नसीब ने पार्टी के नेता संजय गांधी के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी और राज्य में दो बार एमएलसी भी चुने जा चुके हैं।                 


ड्रग्स की समस्या है पर सब ड्रग्स नहीं लेते

अभिनेता अक्षय कुमार के बारे में आई ऐसी खबर…हाथ जोड़कर विनती की।


उमय सिंह साहू


नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी सुलझाते हुए बॉलीवुड में ड्रग्स कनेक्शन भी निकलकर आया था। ड्रग्स के मामले में पिछले कई दिनों से खबरें आ रही हैं। रिया चक्रवर्ती से लेकर दीपिका पादुकोण, सारा अली खान और श्रद्धा कपूर जैसे सितारों से एनसीबी ने पूछताछ भी कर ली है। अब एक्टर अक्षय कुमार ने इस ड्रग्स के मामले पर रिएक्ट किया है। अक्षय कुमार ने लिखा- बहुत दिनों से मन में कुछ बात थी, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूं, किससे कहूं। आज सोचा आप लोगों से शेयर कर लूं। अक्षय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह कह रहे हैं कि ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड में ड्रग्स की प्रॉब्लम नहीं है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि सभी लोग ड्रग्स लेते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा कानून और कोर्ट इस मामले में जांच कर सही फैसला लेंगे। अक्षय ने हाथ जोड़कर विनती की कि इंडस्ट्री को बदनाम दुनिया जैसी नजरों के साथ ना देखा जाए। उनके इस वीडियो के सामने आने के बाद बॉलीवुड के कई सेलेब्स ने उन्हें सपोर्ट किया तो वहीं कई फैन्स ने भी कमेंट्स में अपना सपोर्ट दिखाया।               


स्कूली वाहनों की फिटनेस में ये हैं जरूरी

स्कूल वाहनों की फिटनेस में यह सब जरूरी,भेजेंगे नोटिस।


लखनऊ। 31 दिसंबर तक वाहनों के फिटनेस प्रपत्र मान्य है। बावजूद स्कूल वैन और बस से बच्चों को स्कूल पहुंचाने और लाने का काम किया गया तो फिटनेस कराना जरूरी होगा। इसके लिए परिवहन विभाग के आरआई स्कूल संचालकों के साथ जल्द बैठक करेंगे। जिसमें स्कूली वाहनों के फिटनेस में क्या-क्या बिंदु जरूरी है। उन बिंदुओं को दुरूस्त कराते हुए 15 अक्तूबर तक फिटनेस कराने की नोटिस भेजा जाएगा। आरटीओ में पंजीकृत 1800 वैन और 1200 बसों में स्कूली बच्चों का सफर सुरक्षित रहे। इसी मकसद से परिवहन विभाग के आरआई जय सिंह बताते है कि एक फरवरी के पहले के अनफिट स्कूल वाहनों का फिटनेस कराना जरूरी है। इसके बाद फिटनेस खत्म होने की स्थिति में कागजात 31 दिसंबर तक मान्य होंगे। पर, इसके पहले स्कूल वाहनों का संचालन शुरू होता है तो बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से फिटनेस कराना जरूरी होगा। इन बिंदुओं का रखना होगा ख्याल हर बस और वैन में सीसीटीवी कैमरा लगा हो, व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम हो, इमरजेंसी हार्न हो, स्पीड गवर्नर लगा हो, सीट बेल्ट हो, सीएनजी लीकेज प्रमाण पत्र हो, ड्राइवर का नाम, नंबर और डीएल की वैधता होना जरूरी है।               


सेहत के लिए आंवला बहुत गुणकारी

आंवला की व्यापारिक खेती पैदावार तथा भंडारण।


आंवला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक तथा बहुवर्षीय फल वृक्ष है। यह औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। आंवला के फलो में विटामिन सी, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेश्यिम व शर्करा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है।
इसके फलों का खाद्य तथा अन्य व्यापारिक कार्यों में उपयोग किया जाता है। इसका खाद्य पदार्थ जैसे मुरब्बा, स्कवैश, अचार, कैण्डी, जूस, जैम आदी बनाने में किया जाता है।
औषधीय उत्पाद में आयुर्वेदिक दवाईयां जैसे त्रिफला चूर्ण, च्यवनप्राश, अवलेह आदि। सौन्दर्य सामग्री जैसे आंवला केश तेल, चूर्ण, शेम्पू इत्यादि बनाने में किया जाता है।
आंवला के पेड़ों पर दो प्रकार के शाखाएं होती है। सीमित तथा असीमित, सीमित शाखाओं पर ही पुष्पन व फलन होता है। पुराने सीमित प्ररोह प्रतिवर्ष मार्च से अप्रेल में गिर जाते हैं व इसके बाद नये सीमित प्ररोह निकलते हैं जिन पर उसी समय फूल लगते हैं।
आंवला के पेड़ों पर दो प्रकार के शाखाएं होती है। सीमित तथा असीमित, सीमित शाखाओं पर ही पुष्पन व फलन होता है। पुराने सीमित प्ररोह प्रतिवर्ष मार्च से अप्रेल में गिर जाते हैं व इसके बाद नये सीमित प्ररोह निकलते हैं जिन पर उसी समय फूल लगते हैं।
आंवला
उपयुक्त जलवायु:- आंवला एक शुष्क उपोष्ण क्षेत्र अर्थात जहाँ सर्दी तथा गर्मी दोनो पड़ते हों में उगाया जाने वाला पौधा है। विकसित किस्मों की मदद से इसकी खेती उष्ण जलवायु में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।
भारत में इसकी खेती समुद्र तल से 1800 मीटर ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। पाले का आंवले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक पूर्ण विकसित आंवले का वृक्ष 0 से 46 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सह सकता है।
गर्म वातावरण, पुष्प कलिकाओं के निकलने के लिए सहायक, जुलाई से अगस्त माह में अधिक आर्द्रता का वातावरण सुसुप्त छोटे फलों की वृद्धि में सहायक होता है।
भूमि का चयन:- आंवला एक सहिष्णु फल है यह हर प्रकार में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। उर्वरा बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम पायी गई है। बंजर, कम अम्लीय तथा उसर में भी इसकी खेती सम्भव है।
खेत की तैयारी:- आंवला की खेती के लिए भूमि में 7.5 से 9.5 मीटर की दूरी पर 1.25 से 1.50 मीटर आकर के गड्ढे खोद लेना चाहिए। नमी न होने पर बरसात के मौसम में इन गड्ढो में पानी भर देना चाहिए।
प्रत्येक गड्ढे में 55 से 65 किलोग्राम गोबर की खाद 20 से 25 किलोग्राम बालू 7 से 10 किलोग्राम जिप्सम मिलाकर 70 से 125 ग्राम क्लोरोपाईरीफास धूल से भरनी चाहिए। गड्ढे भरने के 15 से 20 दिन बाद पौधे का रोपण करें।
सामान्य भूमि खाद की मात्रा अलग होती है। 40 से 50 किलोग्राम गली सड़ी गोबर की खाद के साथ 100 ग्राम नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश का मिश्रण मिलाना चाहिए।
300 से 500 ग्राम नीम की खली साथ में 100 से 150 ग्राम क्लोरोपाईरिफास पाउडर मिलाकर जमीन की सतह से 10 से 15 सेंटीमीटर ऊँचाई तक भरें। इसके 15 से 20 दिन बाद ही पौधे का रोपण करें।
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आंवला की उन्नत किस्में एवं पौध रोपण।
उन्नत किस्में
पूर्व में आंवला की तीन प्रमुख पारंपरिक किस्में बनारसी, फ्रान्सिस एवं चकैइया हुआ करती थीं। इन किस्मों की अपनी खूबियाँ एवं कमियाँ रही हैं।
पारम्परिक किस्मों की समस्याओं के निदान हेतु कृषि संस्थाओं ने कुछ नयी किस्मों का विकास किया है। जैसे- कृष्णा (एन ए- 5), नरेन्द्र- 9 (एन ए- 9), कंचन (एन ए- 4), नरेन्द्र- 7 (एन ए- 7) और नरेन्द्र- 10 (एन ए- 10) आदि प्रमुख है।
बीज निकालना:- उत्तर भारत में बीज निकालने के लिए देशी किस्मों का चयन किया जाता है। जनवरी -फरवरी माह में फलों को एकत्र करके धूप में सूखा लिया जाता है। पूरी तरह से सूखने के बाद फल अपने आप फट जाते है तथा उनके अन्दर से बीज बाहर आ जाता है।
बीज का जमना:- बोने से 12 घंटे पहले बीज को पानी में भिगो देना चाहिए। जो बीज पानी में पूरी तरह डूब जाए उसी को जमाना चाहिए।
मार्च-अप्रैल के महीने में बीजों को जमीन की सतह से थोड़ी उठी हुई क्यारियों में बोये। पाली हाउस में बीजों को जल्दी भी बो सकते है। बुआई के बाद 35 से 40 दिनों में 10 सेंटीमीटर ऊँचे पौधे तैयार हो जाते हैं।
इस पौध को खोद कर तीन दिनों तक छाया में रखें। इसके बाद पुनः लगाने से अधिकांश पौधे स्थापित हो जाते है। कलिकायन की सफलता एवं क्षमता को देखते हुए आंवला प्रवर्धन हेतु कलिकायन विधि सर्वोत्तम पायी गयी है।
फलन वाले वृक्षों में काट-छांट की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी उचित विकास के लिए कमजोर, सूखी, रोग ग्रस्त, टूटी हुई, आपस में मिली हुई शाखाओं एवं मुलवृत्त से निकली हुई कलिकाओं को समय-समय पर निकालते रहें।
आंवला की खेती
पौध रोपण:- कलम बंधन या कलिकायन विधि के द्वारा तैयार पौधों को जुलाई से अगस्त अथवा फरवरी के महीने में 8-10 मीटर की दूरी पर रोपाई करते हैं।
बागवानी के खाली पड़े क्षेत्र का भी सही उपयोग बेर, अमरूद, नींबू, करौंदा एवं सहजन को पूरक पौधों के रूप में लगाकर कर सकते है।
छंटाई:- आंवला के पौधों को मध्यम ऊँचाई तक विकसित करने हेतु प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। नये पौधों को जमीन की सतह से लगभग 75 सेंटीमीटर से एक मीटर तक अकेले बढ़ने दे।
इसके बाद शाखाओं को निकालते रहें ताकि पौधों के ढाँचे का विकास भले प्रकार से हो सके। पौधों को रूपान्तरित प्ररोह प्रणाली के अनुसार साधना चाहिए।
शुरू में अधिक कोण वाली दो से चार शाखाएं विपरीत दिशाओं में निकलने देना चाहिए, अनावश्यक शाखाओं को शुरू में निरन्तर हटाते रहना चाहिए।
फलन वाले वृक्षों में काट-छांट की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी उचित विकास के लिए कमजोर, सूखी, रोग ग्रस्त, टूटी हुई, आपस में मिली हुई शाखाओं एवं मुलवृत्त से निकली हुई कलिकाओं को समय-समय पर निकालते रहें।
खाद एवं उर्वरक:- आंवला के पोषण को ध्यान में रखते हुए खाद की मात्रा मुख्य रूप से मृदा उर्वरकता, पौधों की आयु एवं उत्पादन पर निर्भर करती है।
अनुभव के आधार पर खाद एवं उर्वरक जैसे- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश तथा गोबर की खाद पौधे की आयु के अनुरूप देना चाहिए।
एक वर्ष के पौधे के लिए क्रमसः 100 ग्राम 50 ग्राम 100 ग्राम तथा 5 किग्रा दें। पौधा 2 वर्ष का हो तो प्रत्येक मात्रा को 2 से गुना करें और 3 वर्ष के होने पर क्रमसः 3 से 10 वर्षो तक ये मात्रा देते रहें।
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सिंचाई प्रबंधन एवं किट रोकथाम।
सिंचाई प्रबंधन:- आंवला के पौधे को सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है। एक पूर्ण विकसित आंवले के बाग में सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है। वर्षा आधारित जल से ही सिंचाई की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
पलावर (मल्चिंग):- आंवला के बाग में जैविक पदार्थों द्वारा अवरोध परत करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसके लिए विभिन्न प्रकार के पदार्थ जैसे पुवाल, केले के पत्ते, ईख की पत्ती एवं गोबर की खाद आदि का उपयोग किया जाता है। जैविक पदार्थ मल्चिंग करने से खरपतवार भी नियंत्रित रहते हैं।
अन्तर्वती फसलें:- आँवले में 4 महीनें पत्ते नहीं होते तथा पत्ते होते भी हैं तो छरहरे जिससे पर्याप्त सूर्य की रौशनी आ सके फलस्वरूप सहफसली खेती की अनेक सम्भावनायें हैं।
फलों में अमरूद, करौंदा, सहजन एवं बेर, सब्जियों में लौकी, भिण्डी, फूलगोभी, धनिया, फूलों में ग्लैडियोलस तथा गेंदा एवं अन्य औषधिय और सुगंधित पौधे आंवला के साथ सहफसली खेती के रूप में काफी उपयुक्त पाये गये हैं।
इसके अलावा तुलसी, कालमेघ, सतावर, सर्पगन्धा एवं अश्वगंधा की सह फसली खेती के भी अच्छे नतीजे प्राप्त हुए हैं। रोग रोकथाम:- आवंला की खेती या बागों में उतक क्षय रोग और रस्ट बीमारी की संभावना होती है। इनके नियंत्रण के लिए 0.4 से 0.5 प्रतिशत बोरेक्स का छिडकाव पहला अप्रैल में दूसरा जुलाई में और तीसरा सितम्बर में 15 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए।
किट रोकथाम:- आंवला के बाग में छाल खाने वाले, पत्ती खाने वाले, गांठ बनाने वाला, माहू और शूटगाल मेकर कीट प्रमुख है। रोकथान हेतु छाल वाले कीट के लिए मेटासिसटाक्स और 10 भाग मिटटी का तेल मिलकर रुई भीगोकर तना के छिद्रों में डालकर चिकनी मिटटी से बन्द कर दे। पत्ती कीट के लिए 0.5 मिली लीटर फ़स्फ़ोमिडान प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे।
परिपक्वता, तुड़ाई, पैकिंग और भण्डारण।
तुड़ाई के समय हीं फल की परिपक्वता, उसकी गुणवत्ता और भण्डारण क्षमता का निर्धारण करती है। फलों को हाथ के द्वारा तोड़ा जाता है तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की चोटिल या खरोंच न लगे। चोटिल फलों में भूरे या काले रंग के धब्बे बन जाते हैं।
परिपक्वता:- आंवला के फलों की परिपक्वता अनेक कारकों पर निर्भर करती है। सामान्यतः बनारसी एवं कृष्णा किस्मों में परिपक्वता फल लगने के 17 से 18 सप्ताह बाद आती है, जबकि कंचन तथा फ्रांसिस में 20 सप्ताह का समय लगता है।
तुड़ाई:- आंवला के फलों की तुड़ाई हाथ से करते हैं फलों को तोड़ते समय जमीन में नहीं गिरने दे। चोटिल फल पैकिंग एवं भण्डारण के समय सड़ कर अन्य फलों को भी नुकसान पहुँचाते हैं।
पैदावार:- आंवले की फलन को कई कारक प्रभावित करते है एक पूर्ण विकसित आंवले का वृक्ष एक से तीन क्विंटल फल देता है, इस प्रकार से 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर है।               


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...