रविवार, 4 अक्टूबर 2020

ड्रग्स की समस्या है पर सब ड्रग्स नहीं लेते

अभिनेता अक्षय कुमार के बारे में आई ऐसी खबर…हाथ जोड़कर विनती की।


उमय सिंह साहू


नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी सुलझाते हुए बॉलीवुड में ड्रग्स कनेक्शन भी निकलकर आया था। ड्रग्स के मामले में पिछले कई दिनों से खबरें आ रही हैं। रिया चक्रवर्ती से लेकर दीपिका पादुकोण, सारा अली खान और श्रद्धा कपूर जैसे सितारों से एनसीबी ने पूछताछ भी कर ली है। अब एक्टर अक्षय कुमार ने इस ड्रग्स के मामले पर रिएक्ट किया है। अक्षय कुमार ने लिखा- बहुत दिनों से मन में कुछ बात थी, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूं, किससे कहूं। आज सोचा आप लोगों से शेयर कर लूं। अक्षय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह कह रहे हैं कि ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड में ड्रग्स की प्रॉब्लम नहीं है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि सभी लोग ड्रग्स लेते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा कानून और कोर्ट इस मामले में जांच कर सही फैसला लेंगे। अक्षय ने हाथ जोड़कर विनती की कि इंडस्ट्री को बदनाम दुनिया जैसी नजरों के साथ ना देखा जाए। उनके इस वीडियो के सामने आने के बाद बॉलीवुड के कई सेलेब्स ने उन्हें सपोर्ट किया तो वहीं कई फैन्स ने भी कमेंट्स में अपना सपोर्ट दिखाया।               


स्कूली वाहनों की फिटनेस में ये हैं जरूरी

स्कूल वाहनों की फिटनेस में यह सब जरूरी,भेजेंगे नोटिस।


लखनऊ। 31 दिसंबर तक वाहनों के फिटनेस प्रपत्र मान्य है। बावजूद स्कूल वैन और बस से बच्चों को स्कूल पहुंचाने और लाने का काम किया गया तो फिटनेस कराना जरूरी होगा। इसके लिए परिवहन विभाग के आरआई स्कूल संचालकों के साथ जल्द बैठक करेंगे। जिसमें स्कूली वाहनों के फिटनेस में क्या-क्या बिंदु जरूरी है। उन बिंदुओं को दुरूस्त कराते हुए 15 अक्तूबर तक फिटनेस कराने की नोटिस भेजा जाएगा। आरटीओ में पंजीकृत 1800 वैन और 1200 बसों में स्कूली बच्चों का सफर सुरक्षित रहे। इसी मकसद से परिवहन विभाग के आरआई जय सिंह बताते है कि एक फरवरी के पहले के अनफिट स्कूल वाहनों का फिटनेस कराना जरूरी है। इसके बाद फिटनेस खत्म होने की स्थिति में कागजात 31 दिसंबर तक मान्य होंगे। पर, इसके पहले स्कूल वाहनों का संचालन शुरू होता है तो बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से फिटनेस कराना जरूरी होगा। इन बिंदुओं का रखना होगा ख्याल हर बस और वैन में सीसीटीवी कैमरा लगा हो, व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम हो, इमरजेंसी हार्न हो, स्पीड गवर्नर लगा हो, सीट बेल्ट हो, सीएनजी लीकेज प्रमाण पत्र हो, ड्राइवर का नाम, नंबर और डीएल की वैधता होना जरूरी है।               


सेहत के लिए आंवला बहुत गुणकारी

आंवला की व्यापारिक खेती पैदावार तथा भंडारण।


आंवला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक तथा बहुवर्षीय फल वृक्ष है। यह औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। आंवला के फलो में विटामिन सी, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेश्यिम व शर्करा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है।
इसके फलों का खाद्य तथा अन्य व्यापारिक कार्यों में उपयोग किया जाता है। इसका खाद्य पदार्थ जैसे मुरब्बा, स्कवैश, अचार, कैण्डी, जूस, जैम आदी बनाने में किया जाता है।
औषधीय उत्पाद में आयुर्वेदिक दवाईयां जैसे त्रिफला चूर्ण, च्यवनप्राश, अवलेह आदि। सौन्दर्य सामग्री जैसे आंवला केश तेल, चूर्ण, शेम्पू इत्यादि बनाने में किया जाता है।
आंवला के पेड़ों पर दो प्रकार के शाखाएं होती है। सीमित तथा असीमित, सीमित शाखाओं पर ही पुष्पन व फलन होता है। पुराने सीमित प्ररोह प्रतिवर्ष मार्च से अप्रेल में गिर जाते हैं व इसके बाद नये सीमित प्ररोह निकलते हैं जिन पर उसी समय फूल लगते हैं।
आंवला के पेड़ों पर दो प्रकार के शाखाएं होती है। सीमित तथा असीमित, सीमित शाखाओं पर ही पुष्पन व फलन होता है। पुराने सीमित प्ररोह प्रतिवर्ष मार्च से अप्रेल में गिर जाते हैं व इसके बाद नये सीमित प्ररोह निकलते हैं जिन पर उसी समय फूल लगते हैं।
आंवला
उपयुक्त जलवायु:- आंवला एक शुष्क उपोष्ण क्षेत्र अर्थात जहाँ सर्दी तथा गर्मी दोनो पड़ते हों में उगाया जाने वाला पौधा है। विकसित किस्मों की मदद से इसकी खेती उष्ण जलवायु में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।
भारत में इसकी खेती समुद्र तल से 1800 मीटर ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। पाले का आंवले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक पूर्ण विकसित आंवले का वृक्ष 0 से 46 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सह सकता है।
गर्म वातावरण, पुष्प कलिकाओं के निकलने के लिए सहायक, जुलाई से अगस्त माह में अधिक आर्द्रता का वातावरण सुसुप्त छोटे फलों की वृद्धि में सहायक होता है।
भूमि का चयन:- आंवला एक सहिष्णु फल है यह हर प्रकार में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। उर्वरा बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम पायी गई है। बंजर, कम अम्लीय तथा उसर में भी इसकी खेती सम्भव है।
खेत की तैयारी:- आंवला की खेती के लिए भूमि में 7.5 से 9.5 मीटर की दूरी पर 1.25 से 1.50 मीटर आकर के गड्ढे खोद लेना चाहिए। नमी न होने पर बरसात के मौसम में इन गड्ढो में पानी भर देना चाहिए।
प्रत्येक गड्ढे में 55 से 65 किलोग्राम गोबर की खाद 20 से 25 किलोग्राम बालू 7 से 10 किलोग्राम जिप्सम मिलाकर 70 से 125 ग्राम क्लोरोपाईरीफास धूल से भरनी चाहिए। गड्ढे भरने के 15 से 20 दिन बाद पौधे का रोपण करें।
सामान्य भूमि खाद की मात्रा अलग होती है। 40 से 50 किलोग्राम गली सड़ी गोबर की खाद के साथ 100 ग्राम नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश का मिश्रण मिलाना चाहिए।
300 से 500 ग्राम नीम की खली साथ में 100 से 150 ग्राम क्लोरोपाईरिफास पाउडर मिलाकर जमीन की सतह से 10 से 15 सेंटीमीटर ऊँचाई तक भरें। इसके 15 से 20 दिन बाद ही पौधे का रोपण करें।
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आंवला की उन्नत किस्में एवं पौध रोपण।
उन्नत किस्में
पूर्व में आंवला की तीन प्रमुख पारंपरिक किस्में बनारसी, फ्रान्सिस एवं चकैइया हुआ करती थीं। इन किस्मों की अपनी खूबियाँ एवं कमियाँ रही हैं।
पारम्परिक किस्मों की समस्याओं के निदान हेतु कृषि संस्थाओं ने कुछ नयी किस्मों का विकास किया है। जैसे- कृष्णा (एन ए- 5), नरेन्द्र- 9 (एन ए- 9), कंचन (एन ए- 4), नरेन्द्र- 7 (एन ए- 7) और नरेन्द्र- 10 (एन ए- 10) आदि प्रमुख है।
बीज निकालना:- उत्तर भारत में बीज निकालने के लिए देशी किस्मों का चयन किया जाता है। जनवरी -फरवरी माह में फलों को एकत्र करके धूप में सूखा लिया जाता है। पूरी तरह से सूखने के बाद फल अपने आप फट जाते है तथा उनके अन्दर से बीज बाहर आ जाता है।
बीज का जमना:- बोने से 12 घंटे पहले बीज को पानी में भिगो देना चाहिए। जो बीज पानी में पूरी तरह डूब जाए उसी को जमाना चाहिए।
मार्च-अप्रैल के महीने में बीजों को जमीन की सतह से थोड़ी उठी हुई क्यारियों में बोये। पाली हाउस में बीजों को जल्दी भी बो सकते है। बुआई के बाद 35 से 40 दिनों में 10 सेंटीमीटर ऊँचे पौधे तैयार हो जाते हैं।
इस पौध को खोद कर तीन दिनों तक छाया में रखें। इसके बाद पुनः लगाने से अधिकांश पौधे स्थापित हो जाते है। कलिकायन की सफलता एवं क्षमता को देखते हुए आंवला प्रवर्धन हेतु कलिकायन विधि सर्वोत्तम पायी गयी है।
फलन वाले वृक्षों में काट-छांट की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी उचित विकास के लिए कमजोर, सूखी, रोग ग्रस्त, टूटी हुई, आपस में मिली हुई शाखाओं एवं मुलवृत्त से निकली हुई कलिकाओं को समय-समय पर निकालते रहें।
आंवला की खेती
पौध रोपण:- कलम बंधन या कलिकायन विधि के द्वारा तैयार पौधों को जुलाई से अगस्त अथवा फरवरी के महीने में 8-10 मीटर की दूरी पर रोपाई करते हैं।
बागवानी के खाली पड़े क्षेत्र का भी सही उपयोग बेर, अमरूद, नींबू, करौंदा एवं सहजन को पूरक पौधों के रूप में लगाकर कर सकते है।
छंटाई:- आंवला के पौधों को मध्यम ऊँचाई तक विकसित करने हेतु प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। नये पौधों को जमीन की सतह से लगभग 75 सेंटीमीटर से एक मीटर तक अकेले बढ़ने दे।
इसके बाद शाखाओं को निकालते रहें ताकि पौधों के ढाँचे का विकास भले प्रकार से हो सके। पौधों को रूपान्तरित प्ररोह प्रणाली के अनुसार साधना चाहिए।
शुरू में अधिक कोण वाली दो से चार शाखाएं विपरीत दिशाओं में निकलने देना चाहिए, अनावश्यक शाखाओं को शुरू में निरन्तर हटाते रहना चाहिए।
फलन वाले वृक्षों में काट-छांट की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी उचित विकास के लिए कमजोर, सूखी, रोग ग्रस्त, टूटी हुई, आपस में मिली हुई शाखाओं एवं मुलवृत्त से निकली हुई कलिकाओं को समय-समय पर निकालते रहें।
खाद एवं उर्वरक:- आंवला के पोषण को ध्यान में रखते हुए खाद की मात्रा मुख्य रूप से मृदा उर्वरकता, पौधों की आयु एवं उत्पादन पर निर्भर करती है।
अनुभव के आधार पर खाद एवं उर्वरक जैसे- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश तथा गोबर की खाद पौधे की आयु के अनुरूप देना चाहिए।
एक वर्ष के पौधे के लिए क्रमसः 100 ग्राम 50 ग्राम 100 ग्राम तथा 5 किग्रा दें। पौधा 2 वर्ष का हो तो प्रत्येक मात्रा को 2 से गुना करें और 3 वर्ष के होने पर क्रमसः 3 से 10 वर्षो तक ये मात्रा देते रहें।
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सिंचाई प्रबंधन एवं किट रोकथाम।
सिंचाई प्रबंधन:- आंवला के पौधे को सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है। एक पूर्ण विकसित आंवले के बाग में सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है। वर्षा आधारित जल से ही सिंचाई की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
पलावर (मल्चिंग):- आंवला के बाग में जैविक पदार्थों द्वारा अवरोध परत करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसके लिए विभिन्न प्रकार के पदार्थ जैसे पुवाल, केले के पत्ते, ईख की पत्ती एवं गोबर की खाद आदि का उपयोग किया जाता है। जैविक पदार्थ मल्चिंग करने से खरपतवार भी नियंत्रित रहते हैं।
अन्तर्वती फसलें:- आँवले में 4 महीनें पत्ते नहीं होते तथा पत्ते होते भी हैं तो छरहरे जिससे पर्याप्त सूर्य की रौशनी आ सके फलस्वरूप सहफसली खेती की अनेक सम्भावनायें हैं।
फलों में अमरूद, करौंदा, सहजन एवं बेर, सब्जियों में लौकी, भिण्डी, फूलगोभी, धनिया, फूलों में ग्लैडियोलस तथा गेंदा एवं अन्य औषधिय और सुगंधित पौधे आंवला के साथ सहफसली खेती के रूप में काफी उपयुक्त पाये गये हैं।
इसके अलावा तुलसी, कालमेघ, सतावर, सर्पगन्धा एवं अश्वगंधा की सह फसली खेती के भी अच्छे नतीजे प्राप्त हुए हैं। रोग रोकथाम:- आवंला की खेती या बागों में उतक क्षय रोग और रस्ट बीमारी की संभावना होती है। इनके नियंत्रण के लिए 0.4 से 0.5 प्रतिशत बोरेक्स का छिडकाव पहला अप्रैल में दूसरा जुलाई में और तीसरा सितम्बर में 15 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए।
किट रोकथाम:- आंवला के बाग में छाल खाने वाले, पत्ती खाने वाले, गांठ बनाने वाला, माहू और शूटगाल मेकर कीट प्रमुख है। रोकथान हेतु छाल वाले कीट के लिए मेटासिसटाक्स और 10 भाग मिटटी का तेल मिलकर रुई भीगोकर तना के छिद्रों में डालकर चिकनी मिटटी से बन्द कर दे। पत्ती कीट के लिए 0.5 मिली लीटर फ़स्फ़ोमिडान प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे।
परिपक्वता, तुड़ाई, पैकिंग और भण्डारण।
तुड़ाई के समय हीं फल की परिपक्वता, उसकी गुणवत्ता और भण्डारण क्षमता का निर्धारण करती है। फलों को हाथ के द्वारा तोड़ा जाता है तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की चोटिल या खरोंच न लगे। चोटिल फलों में भूरे या काले रंग के धब्बे बन जाते हैं।
परिपक्वता:- आंवला के फलों की परिपक्वता अनेक कारकों पर निर्भर करती है। सामान्यतः बनारसी एवं कृष्णा किस्मों में परिपक्वता फल लगने के 17 से 18 सप्ताह बाद आती है, जबकि कंचन तथा फ्रांसिस में 20 सप्ताह का समय लगता है।
तुड़ाई:- आंवला के फलों की तुड़ाई हाथ से करते हैं फलों को तोड़ते समय जमीन में नहीं गिरने दे। चोटिल फल पैकिंग एवं भण्डारण के समय सड़ कर अन्य फलों को भी नुकसान पहुँचाते हैं।
पैदावार:- आंवले की फलन को कई कारक प्रभावित करते है एक पूर्ण विकसित आंवले का वृक्ष एक से तीन क्विंटल फल देता है, इस प्रकार से 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर है।               


सामुदायिक सर्वे अभियान, घर-घर होगी जांच

कोरोना सघन सामुदायिक सर्वे अभियान में घर-घर जाकर की जाएगी कोविड-19 के लक्षणात्मक मरीजों की पहचान।


रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2 अक्टूबर से शुरू कोरोना सघन सामुदायिक सर्वे अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर कोविड-19 के लक्षणात्मक मरीजों की पहचान करेगी। अभियान के लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं, बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के मैदानी अमले की ड्यूटी लगाई गई है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी सर्वे दलों को अभियान के दौरान कोरोना संक्रमण से बचने के सभी उपायों और प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश भर में यह सघन अभियान 12 अक्टूबर तक संचालित किया जाएगा। अभियान के दौरान घर-घर जाकर सघन सामुदायिक सर्वे कर कोविड-19 के सभी मरीजों की जल्द से जल्द पहचान कर त्वरित उपचार सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही आइसोलेशन के जरिए संक्रमण की श्रृंखला भी तोड़ी जाएगी। अभियान के लिए गठित सर्वे दल क्षेत्रवार घरों में भ्रमण कर कोरोना संक्रमण के लक्षण वाले लोगों की जानकारी जुटाएगी। जानकारी के आधार पर खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा इनकी जांच की व्यवस्था की जाएगी। बुखार, सर्दी, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, बदन दर्द, दस्त तथा उल्टी, सूंघने या स्वाद की क्षमता घटने जैसे लक्षणों वाले व्यक्तियों को संदिग्ध मरीजों की श्रेणी में रखा जाएगा। कोरोना के संदिग्ध मरीजों की संख्या ज्यादा होने पर प्राथमिकता के आधार पर उच्च जोखिम समूहों की पहले जांच की जाएगी। 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी रोग, कैंसर, टी.बी., सिकलसेल एवं एड्स के पीड़ितों को उच्च जोखिम वर्ग में शामिल किया गया है। उच्च जोखिम समूह के लक्षणात्मक व्यक्तियों की रैपिड एंटीजन जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर ऐसे सभी व्यक्तियों के सैंपल की आरटीपीसीआर जांच करवाई जाएगी।               


गांधी के साथ दुर्व्यवहार, पूरे देश में आक्रोश

प्रियंका गांधी के साथ दुर्व्यवहार से देशभर में आक्रोश, सांसद छाया वर्मा और फूलोदेवी नेताम ने राष्ट्रीय महिला आयोग को लिखा पत्र।


रायपुर। राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा और फूलो देवी नेताम ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा को पत्र लिखकर हाथरस जाते समय प्रियंका गांधी के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किए गए दुर्व्यवहार पर मामला दर्ज कर कठोर कार्यवाही की मांग की है। पत्र में कहा कि आपको यह शिकायत भेजते हुए मन बहुत व्यथित है और सिर शर्म से झुका जा रहा है। ऐसा लग रहा है मानों उत्तर प्रदेश में पुलिस महिलाओं के साथ अपमान और दुर्व्यवहार करने पर उतारू है।
3 अक्टूबर को दिल्ली से उत्तर प्रदेश के हाथरस जाते हुए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी तथा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश पुलिस ने रास्ते में रोका। वे उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित बच्ची के साथ हुए बलात्कार, हिंसा तथा पुलिस की लीपापोती के बाद पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे। इस दौरान जो कुछ घटा उसने मुझे यह शिकायत करने को बाध्य किया है।
भारत के संविधान में महिलाओं के लिए विशेष कानून हैं, उसमें यह प्रावधान किया गया है कि किसी महिला को रोकने और पकड़ने का कार्य केवल महिला पुलिसकर्मी ही कर सकती है, कोई पुरूष पुलिसकर्मी नहीं. लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने सभी हदें पार कर दी हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस के एक पुरुष अधिकारी ने न केवल प्रियंका गांधी को रोका बल्कि बेहद अशोभनीय ढंग से उनके कपड़े भी पकड़कर खींचे. यह तस्वीर टीवी चैनलों, अख़बारों और सोशल मीडिया पर भी प्रमुखता से प्रकाशित-प्रसारित हुई है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के इस दुर्व्यवहार से पूरे देश में महिलाओं में जबरदस्त आक्रोश है। हर राज्य में, जिले में, कस्बे में, गांव में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर देश का हर पिता,  माता,भाई चिंतित है।
आपसे अनुरोध है कि प्रकरण को संज्ञान में लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस के इस अधिकारी और उनके सभी आला अधिकारियों के ख़िलाफ़ महिला आयोग मामला दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए जिससे भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।               


सोने के दाम में चमक, चांदी का भाव गिरा

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव लगातार जारी है। वैश्विक बाजार में सोना 37 की बढ़त के साथ अब लगभग 51,389 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुँच गया है। वही चांदी का भाव पिछली बार 62,338 पर प्रति किलोग्राम था लेकिन अब चांदी का भाव 61,423 प्रति किलोग्राम तक ही बचा। अमेरिकी डॉलर कमजोर हो जाने की वजह से रुपया लगभग 63 पैसे की तेजी के से अब 73.13 रुपए प्रति डॉलर पर पहुँच गया हैं।                   


धंधा चौपटः संडे व्यापारियों का छलका दर्द

अनलॉक होते ही संडे व्यापारियों का छलका दर्द, कहा- धंधा हो गया चौपट, कर्ज लेकर चला रहे घर।


सुप्रिया पांडेय


रायपुर। राजधानी रायपुर अनलॉक होने पर संडे व्यापरियों को बड़ी राहत मिली है। क्योंकि आज काफी दिनों बाद इन लोगों ने शहर में संडे बाजार लगाया। इस दौरान उनके चेहरे पर थोड़ी मायूसी थी, लेकिन बाजार खुलने से उनका दर्द कम हो गया था। वहीं लॉकडाउन में व्यापार के बारे में पूछा तो उनका दर्द छलक गया। बताया कि बीते 7 महीने से कोई आमदनी नहीं हुई है। हमारे कमाई का जरिया सिर्फ यहीं है। घर चलाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बता दें कि कोरोना संक्रमण के कारण रविवार को शहर में पूर्ण लॉकडाउन रहता था। इस वजह  से कपड़े नहीं बेच पाते थे।
व्यापारी रूपा ने बताया कि 8 महीने से खाली बैठे हैं, हम कर्जा लेकर घर चला रहे हैं। हमारी कमाई का एकमात्र जरिया यही है हमें कही पर भी दुकान लगाने नहीं दिया जाता है। दुकान के सामने बैठते हैं तो दुकानदार भगा देते हैं हमारे घर पर छोटे बच्चे है, उन्हें बड़ी मुश्किल से हम घर पर छोड़ कर यहां व्यापार करने आते हैं।
व्यापारी बुधिया साहू का कहना है कि हम काफी दिन से परेशान थे। हमारी कमाई सिर्फ संडे को होती है और एक ही दिन की कमाई से ही हम पूरे एक हफ्ते गुजारा करते हैं, लेकिन काफी दिनों से हमें दुकानें लगाने नहीं दी जा रही हैं।हम पुराने कपड़े बेचते है, जिससे गरीब वर्ग के लोग भारी संख्या में खरीदने आते हैं लेकिन हमें दुकान लगाने नहीं दिया जा रहा, जहां हम दुकान लगाते थे, जिससे ग्राहकों में कमी भी देखी जा रही है। वहीं व्यापारी सोयल शेख बताते हैं कि आज संडे के दिन हमे मार्केट खोलने दिया गया, उसके लिए बहुत धन्यवाद। हम काफी समय से बेरोजगार थे और संडे मार्केट बंद रहने से हमारा धंधा चौपट था, अब उम्मीद की एक किरण नजर आई है अब देखना होगा कि आगे क्या होता है।             


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यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...