मंगलवार, 29 सितंबर 2020

पकड़ा गया शिवसेना-कांग्रेस का विरोध

कृषि कानूनः पकड़ा गया शिवसेना-कांग्रेस का विरोध, महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार ने अगस्त में लागू किया था।


उमय सिंह साहू


मुंबई। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार के नए कृषि कानून का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इस बीच खुलासा हुआ है कि महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने अगस्त में ही इसपर अध्यादेश जारी कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार में शामिल कांग्रेस और एनसीपी ने बिल का खुलकर विरोध किया है। वहीं, शिवसेना की भूमिका चिट भी मेरा पट भी मेरा रही है।
बता दें कि 10 अगस्त 2020 को राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा लाए गए किसान बिल के तीनों अध्यादेशों को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए थे। पिछले महीने तक महाराष्ट्र उन शुरूआती राज्यो में था, जो इस अध्यादेश को तत्काल और सख्ती से लागू करना चाहते थे। दो पेज पेज के इस ऑर्डिनेंस को 10 अगस्त 2020 के दिन मार्केटिंग के स्टेट डायरेक्टर सतीश सोनी ने सभी बाजार समिति को सख्ती से लागू करने को कहा था।
कृषि विधेयकों पर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की अलग-अलग भूमिका देखने को मिली हैं। हालांकि बोलने के नाम पर तीनों ने इस बिल का विरोध किया है।
शिवसेना भी हमारे साथ- कांग्रेस
दो दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री और कांग्रेस नेता बाला साहेब थोराट ने कहा था कि महाराष्ट्र में इन कानूनों को लागू नहीं किया जाएगा। थोराटा ने कहा, “संसद द्वारा पारित बिल किसान विरोधी है। इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं।महाविकास अघाड़ी भी इसका विरोध करेगी और महाराष्ट्र में इसे लागू नहीं होने देगी। शिवसेना भी हमारे साथ है। हम एक साथ बैठेंगे और एक रणनीति बनाएंगे.”
इस खुलासे के बाद सवाल खड़ा होता है कि अगर कांग्रेस और एनसीपी इस कानून की विरोधी है तो राज्य में पहले ही अध्यादेश  कैसे जारी कर दिया गया, वो भी तब जब इन कृषि विधेयकों पर कोई विचार ही नहीं किया गया था।
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का विरोध प्रदर्शन जारी।
बता दें कि कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दल कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई नेताओं ने ऐलान किया कि वे इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।पंजाब में किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन जारी है।किसानों ने प्रदर्शनों को दो अक्टूबर तक जारी रखने की घोषणा की है। किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शनकारी 24 सितंबर से जालंधर, अमृतसर, मुकेरियां और फिरोजपुर में रेल पटरियों पर बैठे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात, गोवा, ओडिशा और तमिलनाडु में कांग्रेस और विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया।               


अनलॉकः पांचवें चरण को लेकर अटकलें तेज

नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के इरादे से मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। लॉकडाउन के कारण ठप हो चुकी आर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनलॉक की घोषणा की थी। 30 सितंबर यानी कल अनलॉक के चौथे चरण के खत्म होते ही देश इसके पांचवें चरण में प्रवेश कर जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आज किसी भी वक्त इसके लिए गाइडलाइन्स जारी की जा सकती है। एक सितंबर को शुरू हुए अनलॉक 4 में केंद्र सरकार ने पहली बार मेट्रो सेवाओं को फिर से शुरू करने जैसी विभिन्न महत्वपूर्ण छूट दी थी। इसके साथ ही कक्षा 9-12 के लिए स्कूलों का आंशिक रूप से फिर से खोला गया। अब, एक अक्टूबर से शुरू होने वाले अनलॉक के पांचवें चरण के को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। पिछले सप्ताह सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ माइक्रो कंटेंटमेंट’ जोन का सुझाव दिया। त्योहारी सीज़न की वजह से उम्मीदें हैं कि केंद्र अनलॉक के लिए और गतिविधियां खोल देगा।                 


झीरम घाटी हमले की न्यायिक जांच के आदेश

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग द्बारा अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ से इंकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका मंगलवार को खारिज कर दिया। इस हमले में राज्य के कांग्रेस नेताओं समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हो सकता है कि राज्य सरकार ने आयोग का कार्यकाल बढ़ाया हो लेकिन पैनल ने कार्यवाही बंद कर दी है। पीठ ने कहा, ”आप चाहते हैं कि अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ की जाए, लेकिन आयोग सहमत नहीं है। हो सकता है कि आपने आयोग का कार्यकाल बढ़ाया हो लेकिन आयोग ने इसकी कार्यवाही बंद कर दी है। इस पीठ में न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और एम आर शाह भी शामिल थे।                 


लॉकडाउन खत्म, सब्जी के दाम सस्ते

रायपुर। शहर अनलॉक होते ही आज शहर के मुख्य बाजार शास्त्री बाजार, पुरानी बस्ती, आमापारा, रावण भाठा सहित पाश कालोनियों स्थित सब्जी बाजारों में लाकडाउन अवधि की तुलना में चोरी छिपे बिक रही महंगी सब्जियों के मुकाबले आज सब्जियों की कीमतों में गिरावट देखी गई। वहीं 21 सितंबर को लॉकडाउन लगने की सूचना के साथ ही आलू प्याज एवं अन्य हरी सब्जियों के दामों में आसमान में चढ़ी कीमतों के चलते लोगों को महंगी सब्जी का उपयोग करने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं आज शहर के बाजारों में आलू एवं प्याज 35 से 40 रुपये किलो बिकी। टमाटर 40-60 रुपये किलो एवं अन्य सब्जियों के दाम भी 40 से 60 रुपये किलो की दर पर बिके। सब्जियों के दामों में बाहर से आवक बढऩे के साथ ही कीमतों में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की गई है। वहीं मुनगा की दर में गिरावट नहीं आने के कारण आज बाजार में मुनगा 80 रुपये किलो बिका। कुंदरू 30-40, भटा 40, लौकी 30-40, बरबटी 40, करेला 60, गोभी 60, पत्ता गोभी 30-40, लालभाजी 50, चौलाई भाजी 50, शिमला 50 रुपये आदि रहा।               


काली मिर्च की खेती एवं प्रमुख प्रजातियां

 काली मिर्च(पाईपर) एक बहुवर्षीय आरोही बेल है। इसके फल को मसाला तथा औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत विश्व में काली मिर्च का प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देशों में से एक है।


भारत में काली मिर्च की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडू राज्यों में होती है। भारत में इसका उत्पादन औसतन 55-60 हजार टन है।



जलवायु:- काली मिर्च को खेती के लिए पर्याप्त वर्षा तथा आर्द्रता की आव्यशकता होती है। अतः इसकी खेती पश्चिम घाट के उपपर्वतीय क्षेत्र में अधिक होती है। यहाँ की गरम और आर्द्र जलवायु इसकी खेती के लिए बहुत अच्छी है। इसकी फसल 10 डिग्री से 40 डिग्री तापमान को सहन कर सकती है। पौधों की वृद्धि के लिए 125-200 से.मी. वार्षिक वर्षा आदर्श है।


मिट्टी:- काली मिर्च की खेती अनेक प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन लाल लैटराइट मिट्टी इसकी खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त तथा आदर्श है जिसका पी.एच.मान 5.5 से 6.5 के बीच हो।


कुछ प्रमुख प्रजातियाँ:- पन्न्युर-1, पन्न्युर-3 और पन्न्युर-8, पन्न्युर आई आई एस आर-गिरिमुंडा तथा आई आई एस आर–मलबार एक्सल, अनुसंधान संस्थान (केरल) द्वारा विकसित दो संकर प्रजातियाँ हैं।


प्रवर्द्धन:- काली मिर्च के पौधों को विकसित करने की तीन प्रमुख विधियां हैं। लम्बे इंटर नोड युक्त तना से, भुस्तरीय प्ररोह से तथा फल युक्त पार्श्व शाखाओं से।


रोपण:- काली मिर्च के पौधों को अनेक तकनीक के माध्यम से उगाया जा सकता है।

परम्परागत विधि:- उच्च उपज वाले स्वस्थ पौधों का चयन करें। उसके प्ररोह के निचले भाग को मिट्टी में दबाकर रखतें हैं तथा जड़ निकलने तक छोड़ देते हैं। फरवरी-मार्च के महीने में इसकी 2-3 नोडों को काटकर अलग करके प्रत्येक को नर्सरी वेड़ों या पोटिंग मिश्रण युक्त पोलीथीन बैगों में रोपण करते हैं। रोपित पौधों को छाया में रखा जाता है तथा नियमित सिंचाई करना आवश्यक है।


काली मिर्च में लगने वाले रोगप्रबंधन तथा रोपण।


पौधशाला में हानि पहुँचाने वाले रोग


फाइटोफथोरा रोग – पौधशाला में इस रोग को पौधे के पत्तों, तना तथा जड़ों में देखा जा सकता है।इसमें पत्तों पर काले रंग की चित्ती के निशान पड़ जाते है।


प्रबंधन – रोकथाम के लिए बोर्डियों मिश्रण (1%) का छिड़काव करें।


एन्थ्राकनोज रोग – यह रोग एक कवक के द्वारा होता है। इस संक्रमण में पत्तों पर भूरे-पीले तथा काले–भूरे रंग की अनियमित चित्तियाँ पड़ जाती हैं प्रबंधन – नियंत्रण के लिए 1% बोर्डियों मिश्रण या कारबेन्डाजिम (0.1%) का छिड़काव करें।


पर्ण चित्ती रोग – यह राइजोक्टोनिया सोलानी नामक कवक के द्वारा होता है।


मूल म्लानी रोग – यह रोग स्केलेरोटियम रोलफसी नामक कवक के द्वारा होता है।


रोपण:- मानसून के शुरू होने के साथ हीं सहायक वृक्ष के सहारे उत्तर दिशा में 50 से.मी. गहरे गढ्डे खोद लेते हैं। गड्ढों से गड्ढों की दूरी 30 से.मी. होनी चाहिए, इन गड्ढों में मृदा तथा खाद को 5 कि.ग्राम प्रति गढ्डे की दर से भरना चाहिए।


रोपण के समय नीम केक, ट्राईकोडरमा हरजियानमतथा 150 रोक फासफेट प्रति गढ्डा की दर से डालना चाहिए। वर्षा प्रारंभ होते ही 2-3 काली मिर्च के पौधे को गढ्डे में अलग-अलग स्थान पर रोप दें।


खाद और उर्वरक:- पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए खाद और उर्वरक की पर्याप्त मात्रा डालना चाहिए। जैविक खाद 10 कि. ग्राम प्रति पौधा तथा नीम केक को 1 कि. ग्राम प्रति पौधा की दर से मई माह में डालना चाहिए।


अधिक अम्लीय मिट्टी रहने पर एक वर्ष के अंतराल पर 500 ग्राम प्रति पौधा की दर से चुना अथवा डोलोमाइटका उपयोग अप्रैल–मई महीने में कर सकते हैं।           


सोने-चांदी की किमतों में आया बडा बदलाव

नई दिल्ली। सोना और चांदी के भाव में तेजी देखने को मिली। देश भर के सर्राफा बाजारों में आज 24 कैरेट सोना 648 रुपये प्रति 10 ग्राम महंगा होकर 50,405 रुपये पर खुला। वहीं चांदी के रेट में आज 1,439 रुपये की तेजी आई और दाम 59,510 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया।


सब्जियों के बाद महंगी हुई सब दालें

नई दिल्ली। कोरोना के इस संकट में आम आदमी की मुश्किलें रोजाना बढ़ती जा रही हैं। एक ओर बीते दो महीने से सब्जियों की कीमतों में तेजी का दौर जारी है, वहीं, अब दालों की कीमतें भी बढ़ने लगी हैं। दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में दालों की कीमत 15 से 20 रुपये तक बढ़ चुकी है। पिछले साल इस अवधि में चना दाल की कीमत 70-80 रुपये प्रति किलो थी लेकिन इस बार यह 100 रुपये के पार पहुंच चुकी है। अरहर दाल 115 रुपये प्रति किलो में बिक रही है। कारोबारियों की मांग है कि सरकारी एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) को सप्लाई बढ़ाने के लिए अपना स्टॉक रिलीज करना चाहिए। सप्लाई में गिरावट आई है, जबकि, डिमांड लगातार बढ़ रही है, इसलिए कारोबारियों ने 2020-21 के लिए आयात कोटा जारी करने की मांग की है। हालांकि, सरकार का मानना है कि आपूर्ति की स्थिति ठीकठाक है और अगले तीन महीने में खरीफ सीजन की फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी। इस साल बंपर पैदावार का अनुमान है।             


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