शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

एससीः एसएमसी शिक्षकों की एलएसपी मंजूर

श्रीराम मौर्य/राकेश चंदेल


नई दिल्ली/शिमला। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बीते कई सालों से सेवाएं दे रहे एसएमसी शिक्षकों की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में मंजूर हो गई है। मामले की आगामी सुनवाई आठ अक्तूबर को तय हुई है। इस दौरान हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से 2630 एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होगी।
वीरवार को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की एसएलपी मंजूर करते हुए प्रदेश सरकार को भी अपनी ओर से एसएलपी दायर करने को कहा। वहीं, प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी एसएलपी दायर करने के लिए समय मांगा इस पर कोर्ट ने 8 अक्तूबर से पहले प्रक्रिया पूरी करने को कहा। प्रदेश सरकार से एसएमसी शिक्षकों की संख्या, उनके द्वारा दी जा रही सेवाओं वाले क्षेत्रों सहित उन्हें और नियमित शिक्षकों को दिए जा रहे वेतन का पूरा ब्योरा देने के निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं। हिमाचल हाईकोर्ट ने बीते दिनों एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाते हुए इनकी जगह आगामी छह माह में नियमित शिक्षकों की भर्ती करने का फैसला दिया था।
साल 2012 से दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों के स्कूलों में सेवाएं दे रहे इन शिक्षकों की नौकरी संकट में पड़ने के बाद हरकत में आई प्रदेश सरकार ने इस बाबत कैबिनेट बैठक में विस्तृत चर्चा की थी। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को लेकर मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी।इसी बीच शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एसएलपी दायर की थी। वीरवार को सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी को मंजूर कर दिया है। अब सरकार भी अपनी ओर से एसएलपी दायर करेगी। आगामी सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ताओं को पैरवी के लिए खड़ा किया जाएगा।                    


प्रदेश में मेडिकल उपकरणों का उत्पादन होगा

श्रीराम मौर्या/राकेश चंदेल


शिमला। हिमाचल के जिला ऊना में पहला मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित करने का फैसला ले लिया गया है। प्रदेश में 100 करोड़ की लागत से यह पार्क विकसित होगा। सरकार ने पार्क स्थापित करने को जिला ऊना में 1100 एकड़ जमीन चयनित की है। अब प्रदेश सरकार जल्द ही ऊना के टाहलीवाल के पास पार्क विकसित करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने वाली है। दरअसल प्रदेश सरकार अभी तक तय नहीं कर पाई थी कि मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित करने के लिए उपयुक्त जगह कौन सी होगी।अब प्रदेश सरकार ने स्थान का चयन कर लिया है। बताया जा रहा है कि उद्योग विभाग के नाम यह जमीन करने की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं।             


अमेजॉन इको स्मार्ट स्पीकर लॉन्च किए

नई दिल्ली। अमेजन 2020 एनुअल इवेंट में अमेजन कंपनी ने नए इको स्मार्ट स्पीकर लॉन्च किए। इस इवेंट में कंपनी ने नेकस्ट जेनरेशन के फायर टीवी डिवाइस भी लॉन्च किए हैं। जिसमें फायर टीवी स्टिक और फायर टीवी स्टिक लाइट शामिल हैं। भारत में इन फायर टीवी डिवाइसों की कीमत ऐलान भी हो चुका है। अगली पीढ़ी के फायर टीवी स्टिक की कीमत-3,999 है, जबकि फायर टीवी स्टिक लाइट की कीमत 2999 रुपये है। ये दोनों डिवाइस आज से भारत में प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध हैं।


क्या है विशेषताएँ


जहां तक विशेषताओं की बात है फायर टीवी स्टिक 1.7 गीगाहर्ट्ज क्वाड-कोर प्रोसेसर के साथ आती है, कंपनी का कहना है कि नए फायर स्टिक पिछली जेनरेशन के स्टिक की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा शक्तिशाली है और उनकी तुलना में 50 प्रतिशत कम बिजली की खपत करता है। इसमें डुअल-बैंड, डुअल-एंटीना वाईफाई है जो स्टेबल स्ट्रीमिंग और ड्रोप्ड कनेक्शन के लिए 5 गीगाहर्ट्ज नेटवर्क को सपोर्ट करता है।               


पत्रकारों के हित में योगी ने फिर की घोषणा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की कि राज्य में मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्रतिवर्ष पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जाएगा। इसके अलावा कोरोना वायरस संक्रमण से किसी पत्रकार की मौत होने पर उसके परिजन को दस लाख सरकार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने ये घोषणाएं राजधानी में नवनिर्मित पंडित दीन दयाल उपाध्याय सूचना परिसर भवन के उद्घाटन के दौरान कीं। उन्होंने कहा कि सूचना विभाग शासन और प्रशासन के कार्यों को मीडिया तक पहुंचाने के लिए एक सेतु का काम करता है। उन्होंने कहा, ‘किसी भी सरकार के कार्यों का आम जनमानस तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय होता है। शासन का काम योजनाएं बनाना होता है और प्रशासन उसे विभिन्न माध्यमों से आम जन तक पहुंचाता है, लेकिन जनता, शासन और प्रशासन के बीच में एक महत्त्वपूर्ण सेतु के रूप में मीडिया की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को राज्य सरकार प्रतिवर्ष पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर देगी। इसके अलावा कोरोना वायरस संक्रमण से किसी पत्रकार की मृत्यु होने पर उसके परिजन को दस लाख रुपए की आर्थिक सहायता दे जाएगी। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मीडियाकर्मी काम कर रहे है और पत्रकारों को पूरी सुरक्षा और जागरुकता के साथ काम करते हुए संक्रमण से बचना चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य में इन्सेफलाइटिस कुछ साल तक एक जान लेवा बीमारी थी जो धीरे-धीरे पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश को अपनी चपेट में ले चुकी थी, लेकिन प्रधानमंत्री स्वच्छता मिशन कार्यक्रमों और प्रदेश सरकार की योजनाओं की बदौलत इस बीमारी को समाप्त करने में सफलता मिली।                  



अब अतीक से प्रशासन खर्च भी वसूलेगा

 बृजेश केसरवानी


प्रयागराज। अनेक आपराधिक गतिविधियों में तथाकथित रूप से शामिल समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद अतीक अहमद का मकान, कार्यालय और कॉम्पलेक्स ढहाने के बाद अब प्रशासन उसे तोड़ने का खर्च भी वसूलेगा। इसमें जेसीबी का किराया, मजदूरों की दिहाड़ी के साथ ही अधिकारियों और पुलिस फोर्स का खर्च भी अतीक से वसूला जाएगा। इसके लिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण, प्रशासन और पुलिस के अधिकारी अपने विभागों का खर्च का हिसाब तैयार कर रहे हैं। करीब 25 लाख रुपये खर्च आने का अनुमान लगाया गया है। अदायगी न होने पर अतीक के खिलाफ आरसी जारी की जाएगी। प्रयागराज विकास प्राधिकरण अब तक अतीक के मकान, कार्यालय समेत दस भवनों को गिरा चुका है। इस कार्रवाई में पुलिस और जिला प्रशासन भी शामिल रहा है। पीडीए की कार्रवाई में आधा दर्जन अधिकारी, प्रवर्तन दल की पूरी टीम के साथ पचास की संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं। प्रत्येक कार्रवाई में चार से छह जेसीबी का इस्तेमाल किया जाता है।अतीक का मकान और कार्यालय खाली कराने में 70 से ज्यादा मजदूर लगाए गए थे। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक का एक-एक दिन का वेतन भी अतीक से लिया जाएगा। कार्रवाई में पीडीए की जेसीबी के साथ किराए के जेसीबी भी लगाए गए थे। पुलिस के साथ ही पीएसी की एक कंपनी भी मकान के ध्वस्तीकरण में लगाई गई थी। इस सभी का खर्च अब अतीक से वसूले जाने की तैयारी चल रही है। सूत्रों की मानें तो अतीक के खिलाफ हुई कार्रवाई में हुए खर्च का हिसाब एक सप्ताह में तैयार कर लिया जाएगा।             


गाजियाबादः प्लास्टिक फैक्ट्री में भीषण आग

अश्वनी उपाध्याय


गाज़ियाबाद। जिले के टीला मोड़ इलाके में प्लास्टिक की फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। आग लगने से लाखों रुपए के नुकसान की खबर है। हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि फैक्ट्री अवैध रूप से चलाई जा रही थी। दमकल की 5 गाड़ियों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। अभी तक आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। फिलहाल इस बात की भी जांच की जा रही है कि ये अवैध फैक्ट्री इलाके में कब से, और किसकी मिलीभगत से चलाई जा रही थी।राहत की बात ये है कि घटना में किसी के घायल या हताहत होने की खबर नहीं है। बताया ये भी जा रहा है कि अवैध रूप से चल रही प्लास्टिक की फैक्ट्री और गोदाम में आग बुझाने के इंतजाम भी नहीं थे। सूत्रों के अनुसार यहां पर काम करने वाले लोगों की जिंदगी खतरे में डाली जा रही थी। अगर दमकल की जांच में यह तमाम चीजें पूरी तरह से स्पष्ट हो जाती हैं, तो फैक्ट्री मालिक पर मुकदमा दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी भी की जा सकती है। फैक्ट्री में से भारी मात्रा में प्लास्टिक के तार  के अलावा पॉलीथिन का मेटीरियल भी बरामद किया गया है।


जहरीले धुएँ से परेशान लोग घरों से बाहर निकले


फैक्ट्री से थोड़ी ही दूरी पर टीला मोड़ का रिहायशी इलाका भी है। जिस समय आग लगी, उसकी लपटें काफी ऊपर तक देखी जा सकती थी। इसके अलावा धुएं के गुब्बार को देख लोग घरों से बाहर आ गए। रात के अंधेरे में आग की ऊंची ऊंची लपटें दूर से ही नजर आने लगी थी।               


बना सकते हैं तो बिगाड़ भी सकते हैंः किसान

अन्नदाताओं ने दी सरकार को चेतावनी बना सकते हैं। तो गिरा भी सकते हैं।


कृषि बिल से दुकानदारी बंद होने के डर से नेता हुए चौकन्ने
ज़ाकिर घुरसेना। कैलाश यादव


नई दिल्ली। पिछले दिनों कृषि बिल को लेकर सड़क से लेकर संसद तक बवाल मचा हुआ हैं। कांग्रेस ने विरोध में बिल की कॉपी फाड़ दी थी। एवं कई विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद में काफी हंगामा मचाया। लेकिन बहुमत बीजेपी का है। और बिल आखिरकार पास हो ही गया। भाजपा का कहना है। कि कांग्रेस किसान विरोधी है। अब ये समझ में नहीं आ रहा कि किसान हितैषी कौन है। भाजपा के सहयोगी दल भी इस बिल के विरोध में है। अकाली दल के प्रतिनिधि और केंद्र के मंत्री ने तो इस बिल के विरोध में इस्तीफा भी दे दिया। एक किसान ने तो जहर भी खा लिया। जनता ये खुसुर-फुसुर कर रही है। कि अगर ये बिल किसानों के हित में है। तो राजनीति क्यों। ये तो ऐसा हो गया कि पहले अंग्रेज व्यापारी बनकर आये और शासन करने लगे अब ये लोग शासक बनकर आये और व्यापार करने लगे। वैसे भी अगर किसानों की आमदानी बढ़ती है तो किसी पार्टी को परेशान होने की जरूरत क्यों पड़ी। राजनीति अन्नदाताओं के समझ से परे है। बहरहाल जो भी हो अन्न दाताओं के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए अगर हुआ तो वे सरकार बनाना और बिगाडऩा भी जानते हैं।
मंत्री डॉ शिव डहरिया अचानक दिल्ली गए कोरोना काल में अचानक डॉ शिव कुमार डहरिया दिल्ली गए है। जहां वे पीएल पुनिया से मुलाकात कर चर्चा करेंगे जनता में खुसुर फुसुर है। कि अचानक ऐसी क्या बात हो गई कि मंत्री डॉ डहरिया को दिल्ली जाना पड़ा चारों तरफ राजनीति ही राजनीति अन्नदाता इस बिल से पसोपेश में है। कांग्रेस की माने भाजपा की माने या अन्य विपक्षी दलों की माने। किसानों के मन में शंका-कुशंका पैदा हो रही है। वैसे भी अन्नदाता पहले ही उपज के उचित मूल्य से वंचित है।उनका मानना है। कि मौजूदा व्यवस्था में भी समर्थन मूल्य से कम दामों में उपज को बेचने की मजबूरी है। और अगर इस बिल से किसानों को देश व्यापी बाजार मिलता है। और आड़तियों, दलालों से मुक्ति मिलती है। साथ ही उपज का अच्छा दाम मिलता है। तो यह किसानों के हित में है, अगर नहीं है। तो अन्नदाताओं की पेराई होगी जो किसी भी पार्टी के लिए ठीक नहीं है।
सपनों में जान होना चाहिए
कहते है कि मंजिल उन्हें ही मिलती है। जिनके हौसलों में जान होती है। पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है। और यही हमारे अन्नदाता कर रहे है। अपनी लड़ाई सड़क से लेकर संसद तक खुद लड़ रहे है और राजनीतिक दल खुद-ब खुद उनके साथ जुड़ रहे है।
एनसीबी रायपुर में भी करे कार्रवाई
लोग सुशांत केस से अब ऊब चुके है। क्योंकि जाँच की दिशा बदल गई है। ऐसा लगता है। जो भी हो ये भी आवयश्क था। रायपुर की जनता में खुसुर-फुसुर हो रही है कि एनसीबी जैसी कार्यवाही रायपुर में भी होनी चाहिए। हर मौहल्लों में नशे के कारोबारी मिल जायेंगे। जुआ, सट्टा और नशीली दवाई के अवैध कारोबारियों को छुटभैया नेताओं का संरक्षण होता है। जिसकी वजह से कई अपराधी तो थाने से ही छूट जाते है। शहर को अवैध कारोबार नशीली दवाई, चरस, गांजा, सिरप आदि के कारोबारियों ने जकड़ लिया है। शासन को चाहिए इस पर कड़ा से कड़ा कानून लागू करना चाहिए। ताकि नौनिहालों को इस नासूर से बचाया जा सके। हम करे तो खता तुम करो तो अदा
अभी हाल में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के विकास के लिए करोड़ों रूपये की सौगात दी। अभी बिहार में विधान सभा चुनाव होना है। इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मरवाही के विकास के लिए करोड़ों रूपये देने की घोषणा की। अब भाजपा नेता कह रहे है। कि उपचुनाव सामने है। इसलिए सरकार ने घोषणाओं की झड़ी लगा दी है। जनता में खुसुर-फुसुर है। कि बिहार में भी प्रधानमंत्री ने अरबों की घोषणा की। वहां भी तो चुनाव है। ये तो ऐसा हो गया। हम करे तो खता तुम करो तो अदा।
क्या यही विकास का फार्मूला है।
जम्मू कश्मीर की शोपियां में पिछले 18 जुलाई को तीन लड़कों को मुठभेड़ में मार दिया गया। सुरक्षाबलों ने बताया था। कि इनके पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया था। ये खूंखार आतंकवादी थे। अब घर वालों के शिकायत पर जाँच हुई तो मुठभेड़ फर्जी निकला। मरने वाले तीनों मजदूर निकले। जनता में खुसुर-फुसुर है। कि जवानों को विशेषाधिकार कानून का उल्लघंन करने का छूट किसने दिया। उच्च पदस्थ अधिकारियों ने पीडि़त परिवार को ये बोलकर चलता कर दिया कि भविष्य में किसी परिवार के साथ अन्याय नहीं होने देंगे लेकिन तीन परिवार के चिराग तो बुझ गए। इंसान के जिंदगी की कीमत जानवरों से भी कम और बदत्तर हो गई है। क्या यही विकास का फार्मूला है।              


'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...