रविवार, 20 सितंबर 2020

किसानों के एक धड़े में विद्रोह, बना विपक्ष

कृषि अध्यादेशों को लेकर किसानो में बनी असहमति एक धडे ने दिया समर्थन दूसरे ने किया विरोध।


झज्जर। केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए लाए गए तीनों अध्यादेशों के मामले में माहौल गरम होने लगा हैं। कृषि अध्यादेशों को लेकर किसान दो धड़ों में बंटे नजर आये। चार दिन पहले अनाज मंडी में जहां किसान संगठनों एवं आढ़तियों ने अध्यादेश को किसान विरोध करार देते हुए प्रशासन को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा था। वहीं झज्‍जर में किसान उत्पादक संघ।प्रगति शील किसान संगठन। सहकारी किसान संगठन से जुड़े हुए विभिन्न गांवों के प्रतिनिधियों ने अलग अंदाज में ट्रैक्टर पर पहुंचते हुए मंडी में अध्‍यादेशों का समर्थन करते हुए प्रदर्शन किया। फिर सभी एक-साथ यहां से लघु सचिवालय तक पहुंचें। जहां पर उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री को प्रेषित एक ज्ञापन सौंपते हुए अपनी ओर से आभार भी जताया। विभिन्न गांवों से जुड़े किसानों ने कहा कि किसानों की आर्थिक आजादी के लिए देश के बाजार खोलने की प्रक्रिया से खेती और किसान, दोनों को बढ़ावा मिलेगा। ऐसा होने से वह अपनी फसल को जहां भी चाहेंगे। वहां पर वह इसे आसानी से बेच पाएंगे। जबकि।अनुबंध खेती के नियम भी किसान के हित में बनाए गए हैं। साथ ही उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित भी रखा गया है। जिसमें बाहरी कोई भी कंपनी किसानों के हितों के साथ कुठाराघात कतई नहीं कर सकती। इसी क्रम में आवश्यक वस्तु अधिनियम में किसान हित में दी गई संतुलित छूट भी काला बाजारी को रोकने में मददगार साबित होगी।
किसानों ने अपने ज्ञापन में सरकार से आग्रह किया है। कि सभी ई-प्लेटफार्म सरकारी हो या सरकार अन्य। सरकार की कठोरतम निगरानी में रखे जाए। ताकि, किसानों के साथ किसी भी तरह धोखाधड़ी नहीं हो। किसान के अपने उत्पादों की बिक्री के अतिरिक्त अन्य किसानों से व्यापार करने वाले किसानों, किसान उत्पाद संघ, व्यापारियों पर कुछ गारंटी का दायित्व जरूर लाए। जहां पर भी खरीद-फरोख्त हो। वहां पर निगरानी रखी जाए। उप-मंडल अधिकारी के स्तर पर विवाद का निपटान उचित है। क्योंकि अदालती पक्ष में समय ज्यादा लगता है।               


खट्टर घबराया, बातचीत की करी अपील

किसान आंदोलन से घबराए हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपील करते हुए आंदोलन की आड़ में असमाजिक तत्व हिंसा ने फैला दे। आंदोलन छोड़कर बातचीत करने की करी अपील।


राणा ओबरॉय


चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यहां जारी एक अपील में किसानों के हितों की सुरक्षा के प्रति हरियाणा सरकार की सतत् प्रतिबद्धता को पुन। स्पष्ट करते हुए कहा कि जहां लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है। वहीं प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाए रखना सरकार का परम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि तीनों अध्यादेश पूरी तरह किसान हित में हैं ।और यह दुख की बात है। कि विपक्षी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए भोले-भाले किसानों को बरगला और भटका रहे हैं।उन्होंने स्वयं किसान पुत्र होने के नाते सभी किसान भाइयों से दीनबंधु चौ. छोटूराम जी की उस बात को याद करने की भी अपील की जिसमें उन्होंने किसानों को अपना दुश्मन पहचानने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि इस समय जो लोग केंद्र सरकार के अध्यादेशों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं वे किसानों के असली दुश्मन हैं। और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए किसानों की शक्ति का दुरूपयोग करना चाहते हैं।
उन्होंने किसान संगठनों से अनुरोध किया कि वे 20 सितंबर के कार्यक्रम के दौरान यह सुनिश्चित करें कि नागरिकों तथा यात्रियों को कम से कम असुविधा हो। विशेषकर अस्पताल जा रहे मरीज।गर्भवती महिला आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले वाहनों के रास्ते में कोई रूकावट न आए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रदर्शन करना हर किसी का अधिकार है। लेकिन आंदोलन का शांतिपूर्ण होना एवं कानून-व्यवस्था बने रहना भी जरूरी है। उन्होंने किसानों को सचेत करते हुए यह भी कहा कि कई बार आंदोलन की आड़ में असमाजिक तत्व अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए हिंसा फैला देते हैं जिससे आंदोलन बदनाम होते हैं। इसलिए शरारती तत्वों से सावधान रहना बहुत जरूरी है। मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया कि हरियाणा का मुख्यमंत्री होने से पहले किसान होने के नाते उनके लिए किसान हित सर्वोपरि हैं। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार के अध्यादेशों में किसान के हित को जरा सी भी आंच आती होती तो वे इनका विरोध करने वाले पहले व्यक्ति होते। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी नेता बार-बार किसान की फसल भविष्य में समर्थन मूल्य पर न बिकने का झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में उनके कार्यकाल में हर सीजन में फसल का दाना-दाना समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है।और सरकार आगे भी एक-एक दाना खरीदने के लिए प्रतिबद्ध हैं।विपक्षी नेताओं द्वारा केंद्र के अध्यादेशों से भविष्य में मंडियां बंद हो।जाने की आशंका का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने संकल्प व्यक्त किया कि मण्डी व्यवस्था पहले की तरह जारी ही नहीं रहेगी बल्कि पहले से भी अधिक मजबूत की जाएगी ताकि किसानों को फसल बेचने के लिए किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।             


पुलिस की शान टोपी-वर्दी से परहेज क्यों ?

पुलिस की शान टोपी और वर्दी फिर परहेज क्यो


चरवा थाने के दरोगा से लेकर सिपाही तक करते हैं बिना वर्दी के डियूटी


इसी बीच मे चरवा थाने का एक सिपाही बिना नेम प्लेट के ही कर रहा है डियूटी


कौशांबी। चरवा कौशाम्बी चरवा थाने के दरोगा से लेकर सिपाही तक टोपी व नेम प्लेट लगाने से कतराते हैं। चरवा थाने क्षेत्र के बेरुवा चौराहे पर शनिवार को वाहन चेकिंग के दौरान दरोगा बिना व माक्स टोपी के नजर आए और सिपाही तो बिना नेम प्लेट के ही दिखाई पड़े पुलिस की शान उसकी वर्दी और टोपी नेमप्लेट आदि है। बरियावा चौकी इंचार्ज लखनलाल मिश्रा तो हाफ पैंट पहन कर डियूटी करते दिखाई दिए है।
इसी के भरोसे तो आम जनता  पुलिस को कानून का रखवाला मानती  हैं। लेकिन अफसोस कौशाम्बी जनपद के चरवा थाने के दरोगा से लेकर सिपाही  तक टोपी पहनने से परहेज करने लगे हैं। पुलिस के लिए टोपी पहनना उतना ही जरूरी है।जितना पेंट-शर्ट, वर्दी पर नेम प्लेट, नंबर बैज, बेल्ट और जूते-मोजे। इनमें से कोई एक मौजूद न हो तो वर्दी पूरी नहीं मानी जाती। ट्रेनिंग में खासतौर पर इसकी जानकारी दी जाती है।इसके महत्व को समझाया जाता है। इसके बाद सेवा में आते ही उन्हें कैप पहनना अच्छा नहीं लगता। आज की रिपोर्ट टीम ने कौशाम्बी जिले में इसकी पड़ताल की। चरवा थाना से लेकर सिपाही तक बिना नेम प्लेट व टोपी के डियूटी करते मिले है।वर्दी टोपी के बिना डियूटी करने वाले इन पुलिस कर्मियों पर अब आलाधिकारियों का चाबुक कब चलेगा जनता इसके इंतजार में है।


सुशील दिवाकर


सचः श्रमिक ट्रेनों में 97 लोगों की मौत हुई

पहले इनकार करने के बाद अब सरकार ने माना, श्रमिक ट्रेनों में 97 लोगों की मौत हुई।  


नई दिल्ली। बीते 14 सितंबर को शुरू हुई संसद की कार्यवाही के दौरान लोकसभा में कुल 10 सांसदों ने प्रवासी श्रमिकों की मौत से जुड़े सवाल पूछे थे। लेकिन सरकार ने ये जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया।श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय में राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि ऐसा कोई आंकड़ा नहीं रखा जाता है।
नई दिल्ली।केंद्र सरकार ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए चलाई गई श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों में यात्रा के दौरान 97 लोगों की मौत हुई थी।बीते 14 सितंबर को शुरू हुई संसद की कार्यवाही के दौरान लोकसभा में कुल 10 सांसदों ने प्रवासी श्रमिकों की मौत से जुड़े सवाल पूछे थे।लेकिन सरकार ने ये जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया।सांसदों ने अपने दो सवालों (पहला और दूसरा) के जरिये केंद्र से ये जानना चाहा कि लॉकडाउन के चलते अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए प्रवासी श्रमिकों में से कितने लोगों की मौत हुई है।इसके जवाब में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था। ऐसा कोई आंकड़ा नहीं रखा जाता है।
इसे लेकर मोदी सरकार आलोचनाओं के घेरे में थी।और विपक्ष हमलावर थी कि केंद्र जान-बूझकर ये जानकारी छिपाना चाह रही है। क्योंकि इससे उन पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना है। बहरहाल, तृणमूल कांग्रेस के डेरेके ओ’ब्रायन द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी।गोयल ने बताया ‘राज्य पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर वर्तमान कोविड 19 संकट के दौरान श्रमिक स्पेशल गाड़ियों में यात्रा करते हुए नौ सितंबर तक 97 लोगों के मरने की सूचना मिली।उन्होंने कहा कि मृत्यु के इन 97 मामलों में से 87 मामलों में राज्य पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और अब तक संबंधित राज्य पुलिस से 51 पोस्टमार्टम रिपोर्टें प्राप्त हुईं हैं।उन्होंने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृत्यु के कारण हृदय गति रुकना, हृदय रोग, ब्रेन हैमरेज, पुरानी गंभीर बीमारी, फेफड़ों की गंभीर बीमारी, जिगर की गंभीर बीमारी आदि दर्शाए गए हैं।गोयल ने बताया कि श्रमिक विशेष गाड़ियों में कुल 63.19 लाख, फंसे हुए श्रमिकों ने यात्रा की।भारतीय रेल के 18 ज़ोन में दायर आरटीआई आवेदनों के जरिये द वायर  ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि श्रमिक ट्रेनों से यात्रा करने वाले कम से कम 80 प्रवासी मज़दूरों की मौत हुई है। केंद्र सरकार के रिकॉर्ड में ये जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद उसने संसद में इसे सार्वजनिक करने से मना कर दिया था। द वायर  ने उन दस्तावेजों की प्रति प्राप्त की है।जिसमें श्रमिक ट्रेनों में प्रवासियों के मौत के आंकड़ों को इकट्ठा किया गया है।लवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को जिम्मेदारी दी गई थी। कि वे ऐसे मामलों को दर्ज कर संबंधित रेलवे जोन या डिवीजन में ये जानकारी भेजें। आरपीएफ की रिपोर्ट्स से पहली बार यह भी स्पष्ट होता है कि श्रमिक ट्रेन में मरने वाले लोगों में कोरोना संक्रमित भी शामिल थे। बाकी के ज्यादातर मृतकों में खांसी बुखार, उल्टी होना। अचानक तबीयत बिगड़ना जैसे लक्षणों का जिक्र है।               


वायरसः वैक्सीन के स्टोरेज की तैयारियां

कोरोना वैक्सीन के लिए तैयारी।माइनस 80 डिग्री सेल्सियस में सुरक्षित रखना होगा कोरोना का टीका ऐसे स्टोर बनाए जा रहे, जहां 600 फ्रीजर में वैक्सीन स्टोर की जाएगी।


नई दिल्ली/ मास्को। कोविड-19 की वैक्सीन के ट्रायल सफल होने के बाद उन्हें लोगों तक सुरक्षित पहुंचाना भी बड़ी चुनौती होगी।कोविड-19 का टीका बनने के बाद भी उसे लोगों तक पहुंचाने का सफर आसान नहींदुनिया में 170 टीकों पर काम चल रहा, इनमें से 30 क्लीनिकल ट्रायल फेज में हैं।कोरोना को हराने के लिए दुनिया में 170 टीकों पर काम चल रहा है। इनमें से 30 क्लीनिकल ट्रायल में हैं। वैक्सीन सफल होने के बाद उसे लोगों तक सुरक्षित पहुंचाना भी बड़ी चुनौती होगी। इसीलिए कोविड-19 के टीकों को माइनस 80 डिग्री सेल्सियस में स्टोर किया जाएगा, ताकि वे सुरक्षित रहें।शोधकर्ताओं का कहना है कि इतना ठंडा तापमान सिर्फ दक्षिणी ध्रुव का ही है। हालांकि।स्टोरेज कंपनियों की कोशिश है।कि चाहे जैसी भी वैक्सीन बने, उसे लोगों को सही-सलामत पहुंचाएंगे। फिलहाल अमेरिकी फार्मा कंपनियां मॉडर्ना और फाइजर।जर्मन कंपनियां बायोएनटेक और क्योरवैक मैसेंजर आरएनए आधारित वैक्सीन पर काम कर रही हैं।


फुटबॉल के मैदान जितनी बड़ी स्टोरेज फैसिलिटी तैयार
उधर अमेरिकी लॉजिस्टिक्स कंपनी यूपीएस ने नीदरलैंड्स में फुटबॉल के मैदान जितनी बड़ी स्टोरेज फैसिलिटी तैयार की है। यहां दो मीटर ऊंचे दर्जनों फ्रीजर रखे गए हैं। जो माइनस 80 डिग्री तक तापमान रख सकते हैं। कोविड-19 टीके यहीं रखे जाएंगे। टीके यहीं से लोगों तक पहुंचाए जाएंगे।टीकों को यहां तक पहुंचाने के लिए स्पेशल शीशियां तैयार की जा रही हैं। जो इतनी ठंडक को बर्दाश्त कर सकें। कोरोना के टीके लोगों तक पहुंचाने के लिए विमान।ट्रकों और गोदामों को भी डीप फ्रीजर के साथ तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।एक फ्रीजर में वैक्सीन के 48,000 डोज रखे जा सकते हैं।यूपीएस हेल्थकेयर के प्रमुख अनूक हेसेन बताते हैं। जर्मनी और अमेरिका में यूपीएस के एयर कार्गो के पास ही ऐसे सेंटर बनाए जा रहे हैं। जहां करीब 600 फ्रीजर रखे जाएंगे। ऐसे एक फ्रीजर में वैक्सीन के 48,000 डोज रखे जा सकते हैं। इन फ्रीजर फार्मों में कोई बिना पीपीई किट पहने काम नहीं कर सकता। कर्मचारियों को सही गियर।दस्ताने चश्मे वगैरह मुहैया कराए जाएंगे। इनके बिना कोई इतने ठंडे तापमान में चल नहीं पाएगा।96 घंटे तक इंसुलेटेड डिब्बों में बर्फ के साथ रखे जा सकेंगे।
हेसेन बताते हैं। टीकों की मांग आने पर उन्हें फिर इंसुलेटेड डिब्बों में सूखी बर्फ के साथ पैक किया जाएगा। इन डिब्बों में टीका 96 घंटों तक सही तापमान पर रखा जा सकता है। जिन कमरों में इन्हें पैक किया जाएगा, वहां का तापमान माइनस 20 डिग्री तक रखा जा सकता है। फिर पैक किए गए टीकों के डिब्बों को विमानों से दुनिया के किसी भी छोर तक पहुंचाया जाएगा।


दो समुदाय के बीच, फायरिंग और पथराव

देवबंद में मामूली कहासुनी के बाद जातीय संघर्ष फायरिंग और पथराव में कई घायल।


देवबंद। देवबंद कोतवाली क्षेत्र का गांव साखन कला रविवार की अलसुबह ताबड़तोड़ फायरिंग से गूंज उठा। गांव के ही।जाट और अनुसूचित समाज के युवकों में हुई मामूली कहासुनी ने जातीय संघर्ष का रूप ले लिया। जिसके बाद दोनों ओर से हुई ताबड़तोड़ फायरिंग और पथराव में कई लोग घायल हो गए। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण करते हुए दोनों पक्षों के कई लोगों को हिरासत में लिया है।कोतवाली क्षेत्र के साखन कला निवासी पंकज ने गांव से बाहर दूध की डेरी खोल रखी है। शनिवार की रात्रि गांव के ही अनुसूचित जाति के कुछ युवक उसकी डेयरी के समीप शराब पी रहे। आरोप है।कि जब पंकज ने उक्त युवकों को शराब पीने से मना किया तो दोनों ओर से कहासुनी हो गई और मामला मारपीट तक पहुंच गया। सूचना के बाद पहुंची पुलिस दोनों पक्षों के दो लोगों को कोतवाली में ले आई। रविवार को इसी बात से नाराज अनुसूचित जाति के सैकड़ों लोगों ने एकत्रित होकर पंकज व उनके परिवार के लोगों पर हमला बोल दिया। इस दौरान भीड़ में शामिल कुछ युवकों ने हवाई फायरिंग करते हुए पथराव भी किया। घर में मौजूद महिलाओं और बच्चों में हड़कंप मच गया। गांव में पुलिस बल तैनात।
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे प्रभारी निरीक्षक अशोक सोलंकी ने स्थिति को नियंत्रण में करते हुए भीड़ को हटाते हुए दोनों पक्षों के मौजूद लोगों को बैठाकर समझाने का प्रयास किया। बताया जाता है।जाट पक्ष की ओर से 20 लोगों के खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी गई है। वहीं अनुसूचित जाति के लोगों ने भी जाट समाज के लोगों पर गाली गलौज व मारपीट का आरोप लगाया है। बताया जाता है। रविवार की सुबह हुए पथराव में कुछ युवक भीम आर्मी से भी जुड़े हुए थे। जो पथराव के बाद गांव से फरार हो गए। वहीं पुलिस पूरे मामले की जांच की बात कह रही है। गांव में तनाव की स्थिति देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया है।                       


आपदा की खोज, मिले चार नर कंकाल

केदारनाथ आपदा में लापता लोगों की खोज को चले सर्च अभियान में मिले चार नर कंकाल।


रुद्रप्रयाग। केदारनाथ आपदा में लापता हुए लोगों के कंकालों की खोजबीन के लिए चल रहे सर्च अभियान के पांचवें दिन रविवार सुबह टीम को चार नर कंकाल मिले हैं। ये नर कंकाल रामबाड़ा के ऊपरी तरफ खोजबीन के दौरान पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग टीम द्वारा नर कंकालों का डीएनए सैंपल लेने के बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।
बता दें की बीते 16 सितंबर को चार दिवसीय सर्च अभियान शुरू किया गया था। पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर के नेतृत्व में 10 टीमों को केदारनाथ से जुड़े अलग-अलग ट्रेकिंग रूट पर भेजा गया था।_
चार दिन तक टीम को एक भी नर कंकाल नहीं मिला था। इसलिए नौ टीमें बीते शनिवार को वापस आ गई थीं। जबकि एक टीम का अभियान रविवार तक बढ़ा दिया गया था। आज सुबह इस टीम को चार नर कंकाल मिले हैं।छह सालों में मिल चुके 600 से अधिक कंकालबता दें कि 16/17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा में हजारों लोग मारे गए थे। रेस्क्यू दलों द्वारा चार हजार से अधिक शव बरामद किए गए थे। लेकिन कई लोगों का पता नहीं चल पाया है। नर कंकालों की खोजबीन के लिए बीते छह वर्षों में शासन द्वारा कई सर्च अभियान चलाए जा चुके हैं। जिसमें 600 से अधिक कंकाल मिले थे।दस टीमों में 60 कार्मिक हुए शामिलटीम में रुद्रप्रयाग, चमोली और पौड़ी गढ़वाल से सात उप निरीक्षक व 20 आरक्षी के साथ एसडीआरएफ के तीन उप निरीक्षक, एक मुख्य आरक्षी और 19 आरक्षी शामिल थे। साथ ही रुद्रप्रयाग जिले से 10 फार्मेसिस्ट भी टीम में थी। प्रत्येक टीम में उप निरीक्षक समेत पुलिस व एसडीआरएफ के दो-दो आरक्षी और एक फार्मेसिस्ट को रखा गया था। टीमों को रात्रि प्रवास की सामग्री स्लीपिंग बैग समेत सुरक्षा उपकरण और वीडियोग्राफी के लिए कैमरे भी उपलब्ध कराए गए थे।


सीएम योगी ने 'दा साबरमती रिपोर्ट' मूवी देखी

सीएम योगी ने 'दा साबरमती रिपोर्ट' मूवी देखी  संदीप मिश्र  लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भी 'दा साबरमती रिपोर्ट' मूवी के टैक्स फ्री ...