शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

96,424 नए मामले, आंकड़ा 52 लाख पार

भारत में कोरोना का कहर जारी 24 घंटों में 96,424 नए मामले 1174 मौते।संक्रमितों का आंकड़ा 52 लाख पार।


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 52 लाख के पार पहुंच गया है।पिछले 24 घंटों में 96,424 नए कोरोना मामले दर्ज किए गए हैं। इससे पहले 16 सितंबर को रिकॉर्ड 97,894 संक्रमण के मामले आए थे। वहीं 24 घंटे में 1174 लोगों की जान भी चली गई है। ये लगातार 16वां दिन है ।जब देश में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।अच्छी खबर ये है कि 24 घंटे में रिकॉर्ड 87,472 मरीज ठीक भी हुए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में अब कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 52 लाख 14 हजार हो गई है।इनमें से 84,372 लोगों की मौत हो चुकी है।एक्टिव केस की संख्या 10 लाख 17 हजार हो गई और 41 लाख 12 हजार लोग ठीक हो चुके हैं।संक्रमण के सक्रिय मामलों की संख्या की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या करीब चार गुना अधिक है।
6 करोड़ 15 लाख से ज्यादा सैंपल टेस्ट।ICMR के मुताबिक, 16 सितंबर तक कोरोना वायरस के कुल 6 करोड़ 15 लाख सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। जिनमें से 10 लाख सैंपल की टेस्टिंग कल की गई. पॉजिटिविटी रेट 7 प्रतिशत से कम है। कोरोना वायरस के 54% मामले 18 साल से 44 साल की उम्र के लोगों को हैं लेकिन कोरोना वायरस से होने वाली 51% मौतें 60 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में हुईं हैं।मृत्यु दर में गिरावट
राहत की बात है। कि मृत्यु दर और एक्टिव केस रेट में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। मृत्यु दर गिरकर 1.62% हो गई। इसके अलावा एक्टिव केस जिनका इलाज चल है।उनकी दर भी घटकर 20% हो गई है।इसके साथ ही रिकवरी रेट यानी ठीक होने की दर 79% हो गई है. भारत में रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है।
देश में सबसे ज्यादा एक्टिव केस महाराष्ट्र में हैं।महाराष्ट्र में दो लाख से ज्यादा संक्रमितों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है।इसके बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु, तीसरे नंबर पर दिल्ली, चौथे नंबर पर गुजरात और पांचवे नंबर पर पश्चिम बंगाल है। इन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं। एक्टिव केस मामले में दुनिया में भारत का दूसरा स्थान है।कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है। मौत के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत का नंबर है।                


दो लड़कियों के शव पेड़ पर लटकते मिलें

रायपुर/कोंड़ागांव। दो नाबालिग बालिकाओं का शव पेड़ में फांसी के फंदे पर लटकते हुए मिली है। मामला जिले के फरसगांव थाना क्षेत्रान्तर्गत ग्राम छिंदली मुंडापारा का है। दो नाबालिग बालिकाओं का शव संदिग्ध परिस्थितियों में घर से दूर खेत के एक पेड़ में फांसी के फंदे पर झूलते हुए मिली है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई है। पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम लिए भेज दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा पुलिस जांच के बाद ही मौत के कारण का खुलासा हो पायेगा।                


आग लगे ट्रैक्टर को सड़क पर दौड़ाता रहा

रायगढ़ की सड़को पर दिखा हॉलीवुड फिल्म घोस्ट राइडर का नजारा । आग लगे ट्रैक्टर को बेखौफ सड़कों पर दौड़ आता रहा ड्राइवर। 


अभिनव शर्मा
रायगढ़। आज सुबह 11:00 बजे के करीब सड़क पर वह नजारा दिखा। जिसने हॉलीवुड की चर्चित फिल्म घोस्ट राइडर की याद दिला दी। आपको बता दें कि घोस्ट राइडर हॉलीवुड की चर्चित फिल्म है। जिस पर हीरो सड़कों पर अपनी बाइक के साथ निकलता है। जिस पर आग लगी रहती है। यहां भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला जिसमें नगर निगम के ट्रैक्टर जो कचरा उठाती है। उसकी ट्रॉली में आग लगा हुआ था। आग की लपटें उठ रही थी ।और ट्रैक्टर चालक बेखौफ सड़कों पर दौड़ा रहा था। लोगों द्वारा टोकने पर भी ट्रैक्टर चालक नहीं रुका और रफ्तार तेज कर आगे की ओर निकल गया। इसी बीच लोगों ने पूरा मामला कैमरे में कैद कर लिया। मामला शहर के इंदिरा नगर क्षेत्र के का है।                 


दवाई बता कर परिवार को जहर खिलाया

कोरोना का दवाई बताकर अपने बच्चों को पिलाया जहर पड़ोसियों की मदद से पहुंचाया अस्पताल।


श्याम अग्रवाल


खरोरा। ग्राम पंचायत केसला में एक शराबी युवक ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ जहर सेवन कर लिया। लोगों को जानकारी होने के बाद तत्काल घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका इलाज जारी है।


मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत केसला निवासी प्रेम नारायण देवांगन आदतन शराबी है। उसने शराब की पूर्ति के लिए बहुत लोगों से कर्ज लिया था। कर्ज चुकाने उसने घर की जमीन बेच दिया था।आर्थिक रूप से टूट जाने के बाद घर में कुछ भी नहीं बचा था। अवसाद के चलते उसने कीटनाशक का सेवन कर परिवार समेत आत्महत्या करने का प्रयास किया। उसकी एक नाबालिग बच्ची ने बताया कि पिता ने करोना की दवाई है। कहकर हमें गिलास में डालकर पिलाया।सुबह 9 बजे पड़ोसी सरस्वती देवांगन ने दरवाजा खटखटाया लेकिन दरवाजा कोई नहीं खोला।कुछ अनहोनी की आशंका होने पर उसने इसकी जानकारी आस पड़ोस के लोगों को दिया।और उनकी मदद से दरवाजा खुलवाया।
घर के अंदर का नजारा भयानक था। प्रेम नारायण और उनकी पत्नी बेहोशी की हालात में पड़ी थी।इसके बाद तत्काल प्रेम नारायण व पत्नी कामिनी देवांगन (30) निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं बच्चे प्रिया (11), गायत्री (9), तुलेशवर (7) को केसीएच हॉस्पिटल खरोरा में भर्ती किया गया ।डॉक्टर एसपी साहू ने बताया कि सभी गहन चिकित्सा उपचार के लिए भर्ती किया गया।              


तुमको देखा तो यह ख्याल आयाः जन्मदिन

तुमको देखा तो ये ख्याल आया।


ध्रुव गुप्त।
मुंबई। आधुनिक भारतीय सिनेमा की महानतम अभिनेत्रियों में एक शबाना आज़मी ने अपने चार दशक लंबे फिल्म कैरियर में सिनेमा में संवेदनशील और यथार्थवादी अभिनय के जो आयाम जोड़े उसकी मिसाल भारतीय तो क्या, विश्व सिनेमा में भी कम ही मिलती है। उन्होंने बताया कि बिना शारीरिक हावभाव के आंखों और चेहरे से भी अभिनय किया जा सकता है। 
महान शायर कैफ़ी आज़मी और रंगमंच अभिनेत्री शौकत आज़मी की इस बेटी को फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट से ग्रेजुएशन के बाद जो पहली फिल्म मिली थी ख्वाजा अहमद अब्बास की 'फ़ासला', लेकिन उनकी जो पहली फिल्म परदे पर आई, वह थी श्याम बेनेगल की 'अंकुर'। इस फिल्म की सफलता और ख्याति ने उन्हें उस दौर की एक दूसरी महान अभिनेत्री स्मिता पाटिल के साथ तत्कालीन समांतर और कला सिनेमा का अनिवार्य हिस्सा बना दिया। 
सौ से ज्यादा हिंदी और अंग्रेजी फिल्मों में अभिनय कर चुकी शबाना देश की पहली अभिनेत्री हैं जिन्हें अपनी फिल्मों - अंकुर, अर्थ, खंडहर, पार और गॉडमदर में अभिनय के लिए पांच राष्ट्रीय पुरस्कार और अपनी फिल्मों - अंकुर, थोड़ी सी बेवफाई, मासूम, अवतार, मंडी, स्पर्श, मकड़ी और तहज़ीब के लिए आठ फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। 
फिल्मों के अलावा वे अपने सामाजिक सरोकारों और जन मुद्दों पर संघर्ष के लिए भी जानी जाती हैं। बाल कल्याण से जुड़े मसलों, एड्स के प्रति जागरूकता और सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में उनकी सक्रिय भागीदारी ने दिखाया कि एक कलाकार की संवेदनशीलता पर्दे पर ही नहीं, वास्तविक जीवन में भी व्यक्त होती है।
जन्मदिन पर शबाना जी के लंबे, सृजनशील जीवन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।                  


जल, जंगल और जमीन के हक का संघर्ष

बिहार में जल, जंगल और ज़मीन के हक़ों के लिए संघर्ष कर रहे आदिवासियों चलवाई गईं गोलियां।


आवेश तिवारी 
पटना। बिहार के इस चुनावी माहौल में जिला कैमूर के अधौरा प्रखंड़ में अपने जल, जंगल और ज़मीन के हक़ों के लिए संघर्ष कर रहे आदिवासीयों पर बीजेपी जद यू  की गठबंधन सरकार की पुलिस द्वारा बर्बर गोलियां बरसाई गई हैं।
11 सितंबर 2020 को पुलिस और वन विभाग ने निहत्थे आदिवासियों पर गोली चलाई  जिसमें 3 लोग घायल हो गए और कई को चोटें आयी। इतना ही नही  दर्जनों आदिवासीयों को फर्जी मुकदमें में जेल भेज दिया गया।
आदिवासी समुदाय व वनों में रहने वाले वनाश्रित समुदाय अपने बुनियादी अधिकारों वनाधिकार कानून को लागू करने को लेकर दो दिवसीय पूर्व आयोजित कार्यक्रम के अनुसार धरने पर बैठे थे, जो कि 10 और 11 सितंबर को था। 
हजारो की संख्या में बैठे आदिवासियों से जब कोई भी अधिकारी बात करने नही आया तो क्षुब्ध हो कर आदिवासीयों ने पहले दिन शाम को वन विभाग के दफ्तर को घेर कर उसकी सांकेतिक ताला बंदी कर दी थी।                


किसान संगठनों का सरकार पर आरोप

देश के किसान मोदी सरकार के तीन नये विधेयकों का विरोध क्यों कर रहे हैं।


वो दिन दूर नही जब भारत के हिंदू यजीदी बनकर अपनी ही जन्मभूमि पर रहम की भीख मांगते नजर आयेगें।
यूपी में क़ानून का नहीं, अपराधियों से रिश्तों का 'राजधर्म' चलता है।
 जब तुम कहते हो कि भारत पर तुम्हारा बराबर का हक़ है।
कृष्णकांत।
मैंने ये जानना चाहा कि देश के किसान मोदी सरकार के तीन नये विधेयकों का विरोध क्यों कर रहे हैं।किसान संगठनों के विरोध के कारण जायज हैं।
किसान संगठनों का आरोप है।
नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों और कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा।
इन तीनों विधेयक किसानों को बंधुआ मजदूरी में धकेल देंगे।
ये विधेयक मंडी सिस्टम खत्म करने वाले, न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने वाले और कॉरपोरेट ठेका खेती को बढ़ावा देने वाले हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होगा।
बाजार समितियां किसी इलाक़े तक सीमित नहीं रहेंगी।दूसरी जगहों के लोग आकर मंडी में अपना माल डाल देंगे और स्थानीय किसान को उनकी निर्धारित रकम नहीं मिल पाएगी।नये विधेयक से मं​डी समितियों का निजीकरण होगा।
नया विधेयक ठेके पर खेती की बात कहता है।जो कंपनी या व्यक्ति ठेके पर कृषि उत्पाद लेगा, उसे प्राकृतिक आपदा या कृषि में हुआ नुक़सान से कोई लेना देना नहीं होगा।इसका नुकसान सिर्फ किसान उठाएगा।
अब तक किसानों पर खाद्य सामग्री जमा करके रखने पर कोई पाबंदी नहीं थी।ये पाबंदी सिर्फ़ व्यावसायिक कंपनियों पर ही थी।अब संशोधन के बाद जमाख़ोरी रोकने की कोई व्यवस्था नहीं रह जाएगी, जिससे बड़े पूंजीपतियों को तो फ़ायदा होगा, लेकिन किसानों को इसका नुक़सान झेलना पड़ेगा।
किसानों का मानना है कि ये विधेयक "जमाख़ोरी और कालाबाज़ारी की आजादी" का विधेयक है।विधेयक में यह स्पष्ट नहीं है कि किसानों की उपज की खरीद कैसे सुनिश्चित होगी, किसानों की कर्जमाफी का क्या होगा।                  


पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...