गंगाजल में मौजूद बैक्टीरियोफेज करेगा। कोरोना वायरस का खात्मा होगा ह्यूमन ट्रायल ये बड़ी बातें आई सामने।
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस महामारी तेजी से फैल रही है। अबतक 80 हजार से ज्यादा कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है। और संक्रमितों का आंकड़ा पचास लाख के करीब पहुंच गया है। देश में पिछले 24 घंटों में 83,809 नए मामले सामने आए हैं। इससे पहले 11 सितंबर को रिकॉर्ड 97,570 संक्रमण के मामले दर्ज हुए थे. वहीं 24 घंटे में 1054 लोगों की जान चली गई है। देश में दो सितंबर से लगातार हर दिन एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। अच्छी खबर ये है कि 24 घंटे में 79,292 मरीज ठीक भी हुए हैं।
वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के रिसर्च में यह दावा किया गया है कि गंगाजल में मौजूद बैक्टीरियोफॉज कोरोना वायरस को हरा सकता है। गंगाजल से कोरोना के इलाज के ह्यूमन ट्रायल की तैयारी के बीच इस रिसर्च को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के आगामी अंक में जगह मिली है। बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो. रामेश्वर नाथ चौरसिया, न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. वीएन मिश्रा की अगुवाई में डॉक्टरों की टीम ने 490 लोगों पर सर्वे किया। प्रो. वीएन मिश्रा ने बताया कि टीम ने शुरुआती सर्वे में पाया कि नियमित गंगा स्नान और गंगाजल का किसी न किसी रूप में सेवन करने वालों पर कोरोना संक्रमण का तनिक भी असर नहीं है। गंगा के 50 मीटर के दायरे में रहने वाले नियमित गंगा स्नान और गंगाजल का सेवन करने वाले 273 लोगों पर सर्वे किया गया। इसमें 30 से 90 आयुवर्ग के शामिल थे। इसमें से किसी को कोरोना नहीं हुआ। इस सर्वे ने हमारी रिसर्च को बल दिया।
वहीं 50 मीटर के दायरे में रहने वाले 217 लोगों को भी शामिल किया गया जो गंगाजल का किसी रूप में इस्तेमाल नहीं करते थे। इसमें से 20 लोगों को कोरोना हुआ और उसमें से दो की मौत भी हो गई।
बैक्टीरियोफॉज से तैयार किया स्प्रे
प्रो. मिश्र ने बताया कि गोमुख बुलंदशहर कानपुर प्रयागराज वाराणसी सहित 17 स्थानों से बैक्टीरियोफॉज के सैंपल लिए गए। इसमें पाया गया कि जहां गंगा पूरी तरह स्वच्छ हैं। उसमें दूसरे बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। हमारी टीम ने एक स्प्रे तैयार किया है। और इससे कोरोना का मुकाबला किया जा सकता है। हमारी टीम ने बीएचयू की एथिकल कमेटी से क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मांगी है। हम लोग 198 लोगों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल करेंगे। यह शुद्ध गंगाजल है ।तो इसके किसी साइड इफेक्ट का भी कोई प्रश्न नहीं है। टीम में एडवोकेट अरुण गुप्ता, डॉ. अभिषेक पाठक डॉ. वरुण कुमार सिंह, डॉ. आनंद कुमार डॉ. रजनीश चतुर्वेदी, शोध छात्रा निधि शामिल रहे।
स्वीकार हो गया है। शोध
दो सितंबर को ही यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी में स्वीकार हो गया है। उम्मीद है।जल्द ही प्रकाशन भी हो। जाएगा। इसी बीच आइएमएस को स्प्रे से उपचार के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद 198 कोरोना मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल के लिए योजना बनाई गई है। प्रो. मिश्र ने बताया कि अगर सफलता मिलती है। तो मात्र 10 रुपये में ही स्प्रे के रूप में कोरोना की दवा मिल सकती है।