आदोलन कर रहे किसानों ने किया रास्ता जाम कलेक्ट्रेट और यूपी बार्डर पर वाहनों की लगी लंबी लाइन
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। संसद सत्र शुरू होते ही। गाजियाबाद के विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलनरत किसानों की गतिविधियों में भी तेज़ी आ गई है। सोमवार को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की ओर से पांच सालों से धरना दे रहे गांव रईसपुर, रजापुर, सिहानी व हरसाँव गांव के किसानों के साथ सैकडो महिलाओं ने पदयात्रा व वाहनों के जरिये जिला मुख्यालय के लिये गाँवो से कूच किया। किसानों ने गाज़ियाबाद-हापुड मार्ग पर कई स्थानों पर जाम लगा दिया फिर घंटों तक जिला कलैक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन कर विरोध जाहिर किया। इसके बाद किसान यूपी गेट की ओर रवाना हो गए।
मेरठ एक्स्प्रेस वे के विरोध में भी हुआ प्रदर्शन।
वही दूसरी ओर किसान कल्याण समिति की ओर से भी सैंकड़ों किसान अर्द्धनग्न अवस्था में निर्माणाधीन दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे पर जिला मुख्यालय के लिये चल दिये। मंडौला के धरनारत किसानों ने भी अपनी मांगो को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया। सोमवार को भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष राजबीर सिंह, हरेंद्र नेहरा मनोज पार्षद आदि के नेतृत्व में सैंकड़ों किसान केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुये जिला मुख्यालय के लिये चल दिये।
आंदोलन के मद्देनजर धरनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस व पीएसी बल की व्यवस्था की गई थी। मौके पर मौजूद एडीएम सिटी शैलेंद्र कुमार सिंह एसपी सिटी अभिषेक वर्मा एसडीएम सदर डी. पी सिंह, सी ओ सदर महीपाल सिंह आदि अधिकारियों ने उनसे वार्ता करनी चाही लेकिन किसान सड़क पर उतर आये और कलैक्ट्रेट की ओर कूच कर सड़क पर ही जाम लगा दिया।
धरनारत किसान नेताओं का कहना था। कि पांच वर्षों से प्रभावित चारों गांवों के किसानों की सीपीडब्ल्यूडी, जीडीए, यूपीएसआईडीसी व जिला प्रशासन उनके गांवों की अधिग्रहित भूमि को लेकर चल रहे विवाद को सुलझा नहीं रहा है बल्कि कोरोना बीमारी को लेकर उनके आंदोलन को कुचलने की रणनीति बना रहा है। उन्होंने इस मौके पर केंद्र सरकार की ओर से लाये गये तीन अध्यादेशों को किसान विरोधी करार दिया।
किसान नेताओं का कहना है ।कि मोदी सरकार में देश की अर्थ व्यवस्था ठप है। कर्ज में डूबा किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। यहां तक कि गत दिनों गांव सदरपुर में मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों के खिलाफ कविनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जब कि कोरोना काल में भी किसानों ने देश के लोगों की मदद की लेकिन सरकार उनके विरोध में अध्यादेश लाकर शोषण कर रही है। किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार से किसान विरोधी अध्यादेश वापस लेकर व्यापारियों की ओर से किसानों के उत्पाद की लूटपाट बंद करने, किसानों को कर्जमुक्त करने। मनरेगा के तहत मजदूरों को सौ के बजाय दो सौ दिन मजदूरी देने और दैनिक मजदूरी छह सौ रुपये करने, युवाओं को रोजगार देने एवं सरकारी उपक्रमों का निजीकरण बंद करने की मांग आदि को प्रमुखता से उठाया। ओर यूपी गेट की ओर से कूच कर दिया। किसान नेता राजबीर सिंह ने बताया कि यूपी गेट से फिर किसान इन मांगो को लेकर संसद भवन पर प्रदर्शन कर विरोध जतायेंगे। प्रदर्शन में शामिल किसान नेताओं में मनोज तेवतिया मनोज पार्षद हरीश पूर्व पार्षद राजेद्र चौधरी धर्मवीर नेता सिंटू नेहरा उर्मिला जगवती, ज्ञानेंद्री साधना पुष्पा आदि शामिल थे।