अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि पर नागर शैली में बनने वाले विशालकाय राजस्थानी लाल पत्थर के मंदिर के निर्माण के लिए शोध और परीक्षण में जुड़े विशेषज्ञों ने हालात के मद्देनजर कार्यक्रम में थोड़ी तब्दीली की है। परीक्षण के लिए 100 फुट गहरा एक कुआं खोदे और इसके नीचे फाउंडेशन बनाये जाने के बाद अब विशेषज्ञों की टीम ने अंतिम रूप से निर्माण शुरू करने के लिए और परीक्षण के लिए तीन और कुओं को गलाने का निर्णय लिया है। चारों के नीचे सीमेंट और कंक्रीट का फाउंडेशन जमाने के बाद इन सभी का परीक्षण किया जाएगा।
राम मंदिर निर्माण को लेकर कार्यदाई संस्था लार्सन एंड टूब्रो के साथ तकनीकी पहलुओं के अध्ययन और परीक्षण में जुटी आईआईटी चेन्नई और सीबीआरआई रुड़की के विशेषज्ञों ने अब जमीन के भीतर एक मीटर व्यास के पिलर खड़े करने के लिए चार फाउंडेशन की भार क्षमता और गुणवत्ता के परीक्षण का निर्णय लिया है। प्राथमिक चरण में तकनीकी विशेषज्ञों के निर्देश पर लार्सन एंड टूब्रो कंपनी के इंजीनियरों की देखरेख में कंपनी के कर्मचारी कानपुर से लाई गई रिग मशीन की मदद से जन्मभूमि परिसर में 100 फुट गहरे एक कुएं की खुदाई पूरी कर चुके हैं। बताया जाता है कि पिलर खड़ा करने के लिए जमीन के 100 फुट नीचे सोनभद्र जनपद के कोन नदी की मोरंग,गिट्टी और सीमेंट का मिश्रण डाला गया है। पहले टीम की योजना इसी एक फाउंडेशन के परीक्षण और शोध के आधार पर फिलहाल प्रस्तावित 1200 पिलर खड़ा करने की थी, लेकिन अब इसमें आंशिक तब्दीली की गई है। मशीन की मदद से ऐसे ही तीन और कुएं खोदे जाएंगे और इसके नीचे फाउंडेशन बनाया जाएगा। भार क्षमता और गुणवत्ता तथा उम्र को लेकर चारों का परीक्षण कराया जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि 1000 साल से ज्यादा उम्र का मंदिर बनाया जाना है। निर्णय लिया गया है कि नींव की उम्र इससे कहीं ज्यादा रखी जाए। इसको लेकर तकनीकी विशेषज्ञों की टीम लगातार काम और शोध कर रही है। विशेषज्ञों को लगा होगा कि और फाउंडेशन बनाकर सभी का परीक्षण कराया जाए जिसके लिए चार कुओं के नीचे फाउंडेशन बनाने की कवायद की जा रही है।