अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। जनपद के सभी कोविड अस्पतालों में ऑक्सिजन की उपलब्धता पर नजर रखने की जिम्मेदारी डीएम डॉ. अजय शंकर पांडेय ने एडीएम सिटी को सौंपी है। वह ऑक्सिजन की स्थिति पर रोजाना शाम सात बजे जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजेंगे। इसके साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि कोविड अस्पतालों में ऑक्सिजन की कमी न होने दें। इसकी जिम्मेदारी जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त बीजेंदर सिंह को सौंपी गयी है। कोविड-19 की समीक्षा बैठक के बाद उन्होंने यह निर्देश दिए।
सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता ने डीएम को बताया कि जनपद के सभी कोविड अस्पतालों में ऑक्सिजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं है। डीएम ने कन्टेनमेंट जोन के प्रभारी जीडीए सचिव संतोष कुमार राय को आदेश दिए कि वह नगर आयुक्त, नगर निगम गाजियाबाद से समन्वय स्थापित कर कन्टेनमेंट जोन में सीलिंग की कार्रवाई सुनिश्चित कराएं। इसके अलावा वह रोजाना सीलिंग और डीसीलिंग की समीक्षा भी करते रहें।
बैठक में सीएमओ को निर्देश दिए गए कि कोविड अस्पतालों में मरीजों से देखभाल हेतु शासन द्वारा निर्धारित दरों का व्यापक प्रचार प्रसार कराया जाए, ताकि आम जनता को शासन द्वारा निर्धारित दरों का संज्ञान रहे और किसी भी कोविड अस्पताल द्वारा निर्धारित दर से अधिक फीस लेने की शिकायत संज्ञान में आती है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि थाना इंदिरापुरम, वैशाली, कौशाम्बी आदि थाना क्षेत्र जहां पर कोरोना पॉजिटिव की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहां पर संबंधित पुलिस अधिकारियों को सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन न करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध सख्ती से कार्रवाई करते हुए चालान काटे जाने की प्रक्रिया सुनिश्चित कराएं।
अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद की ओर से जारी की नई रेट लिस्ट के मुताबिक गाजियाबाद और नोएडा जैसे ए श्रेणी के शहरों में सुपर स्पेशियलिटी सुविधा वाले एनएबीएच से एक्रेडिट अस्पताल सामान्य कोविड मरीजों से दस हजार रूपए प्रतिदिन, आईसीयू में भर्ती करने पर 15,000 और आईसीयू में वेंटीलेटर देने पर 18,000 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज कर सकते हैं।
जबकि एनएबीएच से गैर मान्यता प्राप्त अस्पताल सामान्य मरीजों से प्रतिदिन आठ हजार रूपए, आईसीयू में रखने पर प्रतिदिन 13 हजार रूपए और वेंटीलेटर देने पर प्रतिदिन 15,000 रूपए चार्ज कर सकते हैं। बी श्रेणी के शहरों में 80 प्रतिशत और सी श्रेणी के शहरों में केवल 60 प्रतिशत दरों के हिसाब से भुगतान करना होगा।