बैंकॉक। म्यांमार की सेना छोड़ने वाले दो सैनिकों ने एक वीडियो में अधिकारियों से अगस्त 2017 में यह निर्देश मिलने की बात स्वीकार की है कि जिन भी गांवों में अल्पसंख्यक रोहिंग्या रहते हैं, वहां ‘जितने भी दिखें या जिनके बारे में पता चले उन सभी को गोलियां चला कर मार डालो। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार के दो सैनिकों ने एक वीडियो गवाही में रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार के अपराध को स्वीकार किया है। इस वीडियो में उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों को फांसी देने, सामूहिक तौर पर दफनाने, गांवों को तबाह करने और बलात्कार की बात स्वीकार की है।
यह टिप्पणी बौद्ध-बहुल म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सेना द्वारा निर्देशित नरसंहार, बलात्कार और अन्य अपराधों में संलिप्तता की सैनिकों द्वारा पहली सार्वजनिक स्वीकारोक्ति प्रतीत होती है। रखाइन प्रांत में रोहिंग्या विद्रोहियों के खिलाफ म्यांमार की सेना के अभियान से बचने के लिए अगस्त 2017 के बाद से 700,000 से अधिक रोहिंग्या म्यांमार से भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश चले गए हैं। म्यांमार की सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है कि सुरक्षा बलों ने सामूहिक बलात्कार और हत्याएं कीं और हजारों घर जला दिए।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने म्यांमार से भागने वाले दोनों सैनिकों को सोमवार को हेग (नीदरलैंड) ले जाया गया था, जहां अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने एक मामले की सुनवाई शुरू की, जिसमें इस बात की जांच की जा रही है कि क्या तातमाडोव (म्यांमार सेना) नेताओं ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अपराध किए हैं। मायो विन टुन ने अपनी वीडियो गवाही में कहा कि अगस्त 2017 में 15वें सैन्य ऑपरेशन सेंटर के उसके कमांडिंग अधिकारी कर्नल थान टाइक का साफ आदेश था जिसमें उन्होंने कहा था, ‘जिन्हें भी देखो और सुनो गोली मार दो। सैनिक के अनुसार, उन्होंने 30 रोहिंग्या मुस्लिमों के नरसंहार करने और उन्हें दफनाने में हिस्सा लेने के आदेश का पालन किया था, जिन्हें एक मोबाइल टावर और एक सैन्य कैंप के पास दफनाया गया था। इसमें आठ महिलाएं, सात बच्चे और 15 पुरुष शामिल थे।
उन्होंने आगे कहा कि कर्नल थान ने उनकी टुकड़ी को सभी ‘कलार’ को खत्म करने के लिए कहा। कलार रोहिंग्या मुसलमानों के लिए एक अपमानजनक शब्द है। इसके बाद उन्होंने लोगों के सिर में गोली मारकर उनके शवों को गड्ढे में ढकेल दिया। मायो विन टुन ने एक महिला के साथ बलात्कार करने का अपराध स्वीकार भी किया. उन्होंने कहा कि उनके समूह ने मोबाइल फोन, लैपटॉप के साथ पशुओं को भी जब्त कर लिया था। दूसरे सैनिक जॉ नैंग टुन ने कहा कि ठीक इसी दौरान पड़ोसी कस्बे में दूसरी टुकड़ी में शामिल उन्हें और उनके साथियों को वरिष्ठ अधिकारी से आदेश मिला, जिन्हें भी देखो मार दो, चाहे बच्चे हों या बड़े। शवों को बड़े पैमाने पर दफनाने की बात स्वीकार करते हुए जॉ नैंग ने कहा, ‘हमने करीब 20 गांवों को तबाह कर दिया। जॉ नैंग टुन ने कहा कि महिलाओं और पुरुषों दोनों में बच्चों, बड़ों और वृद्धों सहित करीब 80 लोग मारे गए। इस हत्या का आदेश उनके बटालियन कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल मायो मिंट आंग ने दिया था।
एक बार अधिकारी के आदेश पर इस संदेह पर 10 गांववालों को बांधकर गोली मार दी गई थी कि वे अराकान विद्रोही सैन्य समूह के जुड़े हैं। जॉ नैंग टुन ने कहा कि वे गोली चलाने वालों में से एक थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे उस दौरान भी मौजूद थे जब एक सार्जेंट और एक कॉरपोरल ने घरों की तलाशी के दौरान तीन रोहिंग्या महिलाओं के साथ बलात्कार किया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी का बलात्कार नहीं किया। उनके अनुसार, उन्होंने लूट में हिस्सा लिया था, क्योंकि उनकी टुकड़ी के अधिकारी ने बाजारों की छापेमारी से पहले कहा था कि जो तुम लोगे वही पाओगे।