रविवार, 6 सितंबर 2020

परेशान करने वाली सड़क बनकर तैयार

चीन को परेशान करने वाली सड़क बनकर तैयार।


बीजिंग। लद्धाख में चीन से जारी तनाव के बीच देश ने एक और कामयाबी हासिल की है। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानि की बीआरओ ने लेह को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने के लिए एक नई सड़क का निर्माण तकरीबन पूरा कर लिया है।  यह सड़क मनाली को लेह से जोड़ेगी। इससे सेना के जवानों की आवाजाही और आसान हो जाएगी। इसे नीमो-पदम-दारचा के नाम से जाना जाएगा।
दरअसल, यह सड़क किसी भी सीमा से दूर होगी, जिससे पड़ोसी देशों से इस सड़क पर गुजरने वाले सेना के काफिलों की निगरानी असंभव है। यह सड़क सुरक्षा बलों के लिए इसलिए अहम है क्योंकि दुश्मन की नजर में आए बिना सुरक्षाबल लद्दाख तक अपनी पहुंच बना सकेंगे। दो अन्य सड़कें- श्रीनगर-कारगिल-लेह और मनाली सरचू-लेह मार्ग को आसानी से दुश्मन देख पाता है क्योंकि ये सड़कें अंतर्राष्ट्रीय सीमा के करीब हैं, जिसकी वजह से दुश्मन के लिए उन पर निगरानी रखना आसान हो जाता है।
258 किमी लंबे इस हाइवे से मनाली से लेह जाने में करीब 5-6 घंटे की बचत होगी। हाइवे के निर्माण में सिर्फ 30 किमी का काम ही बाकी है। खास बात ये है कि ये सड़क ऑलवेदर रूट  है, मतलब हर मौसम में इस पर आवाजाही हो सकेगी।
भारत ने दारचा और लेह को जोड़ने वाले हाइवे का काम बहुत जल्दी पूरा कर लिया है। इस रास्ते से सैनिकों के लिए रसद और हथियार पहुंचाने में काफी आसानी होगी। इस हाइवे से कारगिल क्षेत्र में भी पहुंच आसान हो जाएगी। 16 सीमा सड़क कार्यबल के कमांडर और सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर एमके जैन ने बताया कि निम्मू-दारचा-लेह को जोड़ने वाला हाइवे जल्द ही शुरू हो जाएगा।
258 किमी लंबे इस हाइवे से मनाली से लेह जाने में करीब 5-6 घंटे की बचत होगी। वहीं, पहले की दो सड़कों से मनाली से लेह जाने में तकरीबन 12-14 घंटे लगते थे। इस तीसरी सड़क को साल के 10-11 महीने खोला जा सकेगा। हाइवे के निर्माण में सिर्फ 30 किमी का काम ही बाकी है। सूत्रों के मुताबिक हिमाचल से लद्दाख तक एक और वैकल्पिक मार्ग को दोबारा खोलने का काम चल रहा है और यह 2022 तक चालू हो सकता है।             


भारत आने वाली कंपनियों को 'सब्सिडी'

चीन छोड़कर भारत आने वाली कंपनियों को जापान देगा सब्सिडी।


बीजिंग/ नई दिल्ली/ टोक्यों। चीन को एक के बाद एक झटके लगने का सिलसिला लगातार जारी है।भारत के बाद अब जापान भी चीन पर स्ट्राइक करने की तैयारी में है। जापान ने कहा है कि अगर कोई जापानी कंपनी चीन को छोड़कर भारत में आकर मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाती है तो उसे जापान की सरकार वित्तीय मदद देगी। जापान सप्लाई चेन या कच्चे माल के लिए चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है, इसलिए जापान सरकार ने ऐसा फैसला किया है।जापान चीन के बजाय आसियान देशों में अपने सामान तैयार करेगा। साथ ही जापान ने भारत और बांग्लादेश को भी इस सूची में शामिल किया है, जहां जापानी कंपनियां अपने उत्पाद तैयार कर सकती हैं।जापान के इस फैसले से दोनों देशों को लाभ होगा।
सब्सिडी के लिए 1,615 करोड़ रु किए आवंटित
जापान सरकार ने कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी के रूप में अपने 2020 के पूरक बजट में 221 मिलियन डॉलर ( 1,615 करोड़ रुपये) आवंटित किए हैं।जो कंपनियां, चीन से बाहर भारत में और आसियान क्षेत्र में अपनी कंपनी स्थानांतरित करेगी उसे इस सब्लिडी का लाभ मिलेगा। दरअसल सब्सिडी कार्यक्रम के दायरे का विस्तार करके, जापान का लक्ष्य चीन पर अपनी निर्भरता को कम करना है और आपातकाल के दौरान भी चिकित्सा या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की स्थिर आपूर्ति के लिए एक प्रणाली का निर्माण करना है।
3 सितंबर से जापानी कंपनियां कर सकेंगी आवेदन
जापान चाहता है कि विभिन्न देशों में जापानी कंपनियों की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट हो ताकि संकट के समय भी जापान को दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट की आपूर्ति होती रहे।जापान के अखबार में छपी खबर के मुताबिक, 3 सितंबर से इस प्रकार की प्रोत्साहन मदद लेने की इच्छुक जापानी कंपनियां आवेदन कर सकेंगी।             


चावल का ज्यादा सेवन होता है घातक

चावल का ज्यादा सेवन हो सकता है आपके लिए घातक। 


क्या चावल आपका पसंदीदा भोजन है, क्या आप चावल का सेवन रोज़ाना करते हैं ? तो यहां पर हम आपको चावल के बारे में कुछ ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जो दिल से जुड़ी है। चावल एक ऐसा अनाज है, जिसका देश-विदेश में अलग-अलग इस्तेमाल कर डिशेस और पकवान बनाए जाते हैं। चावल का उपयोग लगभग पूरे भारत में किया जाता है। पूर्वी और उत्तरी भारत राज्यों में तो चावल जैसे डेली डायट का हिस्सा बन गया है। लेकिन क्या आज के समय में चावल का प्रतिदिन सेवन करना सेहत के लिए कितना फायदेमंद है। क्या चावल से सेहत पर कोई असर भी पड़ता है ?
अब चावल क्यों करता है नुकसान ? हर किसी के मन में ये सवाल तो जरूर आता है कि पुरानी पीढ़ियां भी लंबे समय से चावल का सेवन करती आ रही हैं, लेकिन उनकी हमसे अधिक जीवन व्यतीत करते थे  और स्वस्थ भी रहते थे। लेकिन, आज के युग में इतनी दिक्कतें क्यों आ रही हैं? बता दें की आज हमारे जीवन से कहीं न कहीं हमारा श्रम गायब हो गया है। पहले की पीढ़ियां खेती के लिए प्रतिदिन कई किलोमीटर पैदल चल कर जाया करते थे क्योंकि उस समय आने-जाने के अधिक साधन नहीं हुआ करते थे। इसलिए उनका शरीर और पाचनतंत्र अच्छे से काम करता था। जबकि पुरानी पीढ़ी की तुलना में आज की जनरेशन अधिक आलसी हो चुकी है। इतना ही नहीं  रहन-सहन, खान-पान का संतुलन भी बिगड़ गया है। कई लोग चावल का सेवन न सिर्फ दोनों समय करते हैं, बल्कि अत्यधिक मात्रा में भी चावल खाते  हैं। ऐसे लोगों चावल के सेवन पर परहेज करने की जरूरत है। चावल का अत्यधिक सेवन करने से आप में हृदय सम्बन्धी रोग होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
आर फैक्टर… खतरा।


यदि डेली रूप से चावलों का सेवन करनेवाले लोगों में मोटापा हो और धूम्रपान की आदत भी हो तो उस व्यक्ति को हृदय रोग होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इसलिए महत्व है कि जिन लोगों को ये आदतें हैं, वो सभी इन पर ध्यान रखते हुए चावलों का कम मात्रा में सेवन करें और खुद को शारीरिक रूप से फिट रखें।               


बंदरगाहों पर सिर्फ 'मेक इन इंडिया' पोत चलेंगे

अब बंदरगाहों पर चलेंगे सिर्फ ‘मेक इन इंडिया’ पोत, सरकार ने दिए निर्देश।


नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत के तहत जहाजरानी मंत्रालय ने सभी प्रमुख बंदरगाहों को सिर्फ भारत में बने पोत खरीदने या किराये पर चलाने का निर्देश दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत आह्वान के तहत जहाजरानी मंत्रालय  ने देश में नौवहन को बढ़ावा देने के लिए सभी प्रमुख बंदरगाहों को सिर्फ भारत में बने पोत खरीदने या किराये पर चलाने का निर्देश दिए हैं। जहाजरानी मंत्रालय ने सभी प्रमुख बंदरगाहों को उन्हीं कर्षण नावों (बड़े जहाजों को खींचने वाली मजबूत नाव) को खरीदने या किराये पर लेने का निर्देश दिया है जो केवल स्वदेशी हैं।जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि नई गाइडलाइन से हमारे प्रमुख बंदरगाहों पर छोटे पोत की जरूरत ‘मेक इन इंडिया’ के तहत पूरी होगी.’ इस नई योजना से देश के 16 प्रमुख बंदरगाहों पर छोटे पोत बनाने में मदद मिलेगी और हमारे बंदरगाह आत्मनिर्भर बनेंगे।
मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा
देश में 23,000 से ज्यादा पोत नियमित रूप से आते हैं और उनकी मरम्मत की भी जरूरत पड़ती है इसे देखते हुए हम यह नीति अपना रहे हैं। जहाजरानी मंत्रालय भारतीय जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने का लक्ष्य लेकर चल रहा है और मेक इन इंडिया जहाज निर्माण के लिए कुछ अग्रणी देशों के साथ चर्चा भी कर रहा है। इस बीच, सरकार का यह निर्णय जहाज निर्माण में ‘मेक इन इंडिया’ को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
आत्म निर्भर भारत में आत्म निर्भर पोत।
केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार पुराने शिपयार्ड को पुनर्जीवित करने और भारत में जहाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। यह भारतीय जहाज निर्माण के पुनरुद्धार और आत्म निर्भर भारत में आत्म निर्भर पोत परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार भारत में जहाज निर्माण, जहाज की मरम्मत, जहाज पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) और झंडी से सूचित करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की कोशिश करेगी। आने वाले समय में आत्म निर्भर पोत परिवहन एक प्रणाली बनने जा रहा है।
किया जाएगा समिति का गठन
भारतीय बंदरगाह संघ के प्रबंध निदेशक के अधीन एक स्थायी विनिर्देश समिति का गठन करने का प्रस्ताव है जिसमें कोचीन शिप यार्ड लिमिटेड (सीएसएल), भारतीय पोत परिवहन निगम, (एससीआई), भारतीय पोत परिवहन पंजीयन (आईआरएस) के प्रतिनिधि और शिपिंग महानिदेशक शामिल होंगे।स्थायी विनिर्देश समिति लगभग पांच रूपों / प्रकार के छोटे नावों की संक्षिप्त सूची बनाएगी और एक स्वीकृत मानकीकृत डिजाइन और विनिर्देश (एएसटीडीएस) तैयार करेगी।
यह एएसटीडीएस विनिर्देश, सामान्य व्यवस्था, बुनियादी गणना, बुनियादी संरचनात्मक चित्र, प्रमुख प्रणाली के चित्र और अन्य निर्माण मानकों आदि की रूपरेखा तैयार करेगा।इन मानकों को स्थायी विनिर्देश समिति अच्छी तरह जांच परख करेगी और इसके बाद आईआरएस इसे सैद्धांतिक तौर पर प्रमाणित करेगी और तब भारतीय बंदरगाह संघ इसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।जहाजरानी मंत्रालय प्रमुख बंदरगाहों को कुछ विंडो भी प्रदान करेगा ताकि निर्माण समय का लाभ उठाया जा सके।
हाल ही में सरकार के स्वामित्व वाली कोचीन शिप यार्ड लिमिटेड नार्वे सरकार से दो स्वचालित जहाजों के लिए ऑर्डर हासिल करने में सफल रही है। यह अपनी तरह के मानव रहित जहाजों में से पहला होगा। जहाजरानी मंत्रालय द्वारा लिए गए विभिन्न फैसले निकट भविष्य में जहाज निर्माण क्षेत्र को पूरी तरह से बदल देंगे।           


झांसी में बनेगा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय

झांसी में बनेगा प्रयागराज बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय।


झांसी। माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक विनय कुमार पांडेय ने कहा कि झांसी में जल्द ही प्रयागराज बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय तैयार होगा। इसके लिए शासन को स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है। बुंदेलखंड की क्षेत्रीय आवश्यकता को देखते हुए यह प्रस्ताव भेजा जाएगा।
शनिवार को माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक ने शिक्षा भवन में निरीक्षण कर अधिकारियों के साथ मंडलीय समीक्षा बैठक की। इस मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय कार्यालय के होने से विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को इलाहाबाद तक नहीं आना पडे़गा। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे अच्छे शिक्षकों का समूह बनाकर बेविनार कराएं। नई शिक्षा नीति का सभी अध्ययन कर नई योजनाएं बनाएं। वर्चुअल स्कूल को लेकर उन्होंने कहा कि विभाग के सभी अधिकारी और शिक्षक लगातार मेहनत कर रहे हैं। शिक्षक नवाचार का प्रयोग अधिक करें। माध्यमिक के विद्यालयों में कर्मचारियों की कमी को लेकर उन्होंने कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती को लेकर प्रस्ताव तैयार हुआ है। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। इसके अलावा जहां शिक्षकों की कमी है, वहां भी चयन आयोग के माध्यम से भर्ती हो रही है। उन्होंने कहा कि सभी विद्यालयों में ड्रॉप बाक्स रखने को कहा गया है। ऐसे मेें जिन विद्यार्थियों के पास मोबाइल नहीं हैं, वे ड्राप बाक्स के माध्यम से शिक्षक से पढ़ाई की सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।           


पुलिस महकमे में बड़े फेरबदल की तैयारी

पुलिस महकमे में बड़े फेरबदल की तैयारी, बदलेंगे यूपी के शीर्ष अफसर, कल जारी हो सकती है तबादला सूची।


लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे में बड़े फेरबदल की तैयारी की जा रही है। इसके लिए गृह विभाग के शीर्ष अफसर पिछले दिनों दो बार सिग्रेचर बिल्डिंग में डीजीपी के साथ मंथन कर चुके हैं। पुलिस व गृह विभाग के शीर्ष अफसर शुक्रवार को भी काफी देर तक बैठे।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री शनिवार की सुबह गोरखपुर चले जाने से इस सूची पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका। वह सोमवार को वह लखनऊ लौटेंगे, जिसके बाद तबादला सूची जारी हो सकेगी।
तीन एडीजी, कम से कम दो आईजी बदलेंगे।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस बार जिन अधिकारियों के तबादले पर मंथन हुआ है उनमें से तीन जोन के एडीजी, दो आईजी प्रमुख रूप से शामिल हैं। ये ऐसे अफसर हैं जो लंबे समय से एक ही जगह पर जमे हुए हैं। इनका कार्यक्षेत्र बदलने की कवायद की जा रही है। इस सूची में प्रमुख रूप से आगरा व गोरखपुर जोन के एडीजी के नाम शामिल हैं।
आधा दर्जन से अधिक पुलिस कप्तान फेहरिस्त में
दो साल से अधिक समय से एक ही जिले में जमे कप्तानों के नाम तबादले की फेहरिस्त में सबसे ऊपर बताई जा रही है। इनमें फिरोजाबाद में सचींद्र पटेल, अमरोहा में विपिन टाडा, कन्नौज के एसपी अमरेंद्र प्रताप सिंह, संभल में यमुना प्रसाद के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो से तीन जिलों के पुलिस कप्तानों के नाम शामिल हैं।           


हत्या से दहला जनपद, बड़ी वारदात

हत्या से दहला गोंडा सरेआम गोंडा शहर में बड़ी वारदात


गोण्डा। सरेशाम गोंडा शहर में बड़ी वारदात। सिरफिरे युवक ने जमकर मचाया तांडव।
अपने ही परिवार पर तलवार से हमला। तलवार से भाभी को उतारा मौत के घाट। मां और एक बच्चा गंभीर रूप से घायल।
बचाने आए पड़ोसी पर भी तलवार से हमला। हमले में घायल 4 लोग अस्पताल में भर्ती। दो की हालत बताई जा रही नाजुक। हत्यारोपी सिरफिरा मौके से फरार
मौके पर एसपी, एएसपी और सीओ।      
नगर और देहात थाने की फोर्स मौके पर पहुंची।
शहर के पॉश इलाके आवास विकास की घटना l


चीन में भूकंप के झटकें महसूस किए गए

चीन में भूकंप के झटकें महसूस किए गए  अखिलेश पांडेय  बीजिंग। उत्तर-पश्चिम चीन के निंग्जिया में भूकंप के झटकें महसूस किए गए है। चीन भूकंप नेटव...