शनिवार, 5 सितंबर 2020

समाज को जीने की कला सिखाता है 'शिक्षक'

शिक्षक इस समाज की रीड होता है जो समाज को जीवन जीने की कला सिखाता है 


अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। विश्व हिंदू परिषद् बंजरंग दल गाजियाबाद के जिला मंत्री  पंडित जय भोलेजी ने शिक्षक दिवस के शुभ अवसर सभी गुरूजनो  को कोटी कोटी नमन करते हुए बताया कि 'गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वराय, गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः' और उन्होने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति शिक्षाविद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में 5 सितंबर को सभी शिक्षको की समाज के प्रति जिम्मेदारी के रूप मे मनाया जाता है। शिक्षक ही एक ऐसा माध्यम है जो  व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। कोरोना के कारण शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा प्रणाली दोनों ही बदल गई है। कोरोना संकट की वजह से कुछ ऐसा ही एक झटके में बदलाव हुआ है। शैक्षिक दुनिया में अब शिक्षा के तरीकों में तकनीकी इतनी हावी हो गई है कि पारंपरिक शिक्षकों पर टेक्नास्मार्ट टीचर बनने का भी दबाव आ गया है। जाहिर है अब शिक्षकों को अपनी भूमिका बदली हुई स्थितियों में निभाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। आज शिक्षको पर तकनीक हावी हो गई है।
हालांकि कोरोना ने न केवल छात्रों को बल्कि शिक्षकों को भी  घरों में कैद कर दिया है। वह अब मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट या डेक्सटॉप कंप्यूटर के साथ व्यस्त हैं। कोरोना ने एक झटके में दुनिया भर के अध्यापकों को वर्चुअल शिक्षक में बदल दिया है। राजधानी दिल्ली में कई हजार शिक्षकों ने सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से यह बात कही है कि उन्होंने कोरोना के पहले भी कभी भी घंटों तो छोड़िए कुछ मिनट तक भी कैमरे सामना नहीं किया था। वह कैमरे की एबीसीडी नहीं जानते थे, लेकिन एक झटके में देश ही नहीं दुनिया के अधिकतर शिक्षको को कैमरे पर मित्रवतहोना पड़ा। इस समय लाखों-करोड़ों अध्यापक दुनिया के किसी ना किसी कोने में हर समय ऑनलाइन रहते हैं। क्योंकि  वर्चुअल दुनिया स्कूल और कॉलेज की कक्षाओं में बदल गई है
सवाल है क्या ...इससे शिक्षकों की भूमिका में भी कुछ बदलाव आया है ? क्या इससे शिक्षकों के प्रति छात्रों की भावनाओं में भी कुछ परिवर्तन हुआ है ? इस सवाल का सटीक जवाब तो आसान नहीं है लेकिन इस बात को तो महसूस कर ही सकते हैं कि अब पढ़ने और पढ़ाने वालों के बीच तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका में आ गई है। भविष्य की पीढ़ियां अब शिक्षकों से कहीं ज्यादा शैक्षिक तकनीक से शिक्षित होंगे। दूसरे शब्दों में अब विज्ञान एक माउस क्लिक प्रक्रिया का हिस्सा है। शिक्षक को बदलना होगा, क्योंकि शिक्षकों के हिस्से की बड़ी भूमिका तकनीकी के खाते में चली गई है। देर सवेर कोरोना खत्म तो होगा ही लेकिन अब पढ़ने पढ़ाने की नई भूमिका आने वाली है।
यह अब एक कड़वा सच है कि भविष्य की पीढ़ियों को शिक्षित करने के लिए मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को बदलना होगा। दरअसल एक दौर था जब छात्रों और शिक्षकों के बीच सिर्फ उम्र का ही अंतराल नहीं होता था, बल्कि शैक्षिक ज्ञान और समझदारी का भी एक अंतराल होता था। इसलिए शिक्षक जो कुछ पढ़ाते थे, जो कुछ बताते थे, या जो कुछ सिखाते थे, छात्र उस पर आंख मूंदकर भरोसा करते थे। क्योंकि उनके पास अपने शिक्षक से ज्यादा कोई प्रभावशाली स्त्रोत ज्ञान का अपनी पढ़ाई के लिए नहीं होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि छात्र तकनीक के इस्तेमाल में उनसे कहीं ज्यादा स्मार्ट हैं।
पिछले दिनों सोशल मीडिया में और पारंपरिक मीडिया में भी सैंकड़ों ऐसी शिकायतें उम्र दराज शिक्षकों और शिक्षिकाओं के सामने आई है कि छात्र उन्हें ऑनलाइन पर आते समय काफी परेशान करते हैं। काफी दबाव में रखते हैं क्योंकि छात्र अपने शिक्षकों के मुकाबले इस माध्यम को समझने के मामले में अपने उम्र दराज अध्यापकों से कहीं ज्यादा स्मार्ट है। यही नहीं शिक्षकों और छात्रों के बीच किसी हद तक अनुभव की समस्या खड़ी हो गई है। जिन शिक्षको के पास अपने छात्रों को पढ़ाने का एक जबरदस्त और लंबा अनुभव है। लेकिन शिक्षकों के पास आज तकनीकी के इस्तेमाल और उसके जरिए बेहतर परफॉर्मेंस करने का अनुभव अपने छात्रों से कम है। इस वजह से भी मौजूदा छात्रों और शिक्षकों की दुनिया काफी हद तक बदल रही है।
सरकारी अध्यापकों की मजबूरी बहुत चिंताजनक है 
शिक्षकों पर बढ़ रहे दबाव पर ऐसा नहीं है कि यह तमाम बदलाव नहीं होने चाहिए। बदलाव तो होने से थे, चाहे कोरोना आया या न आया होता। लेकिन इतनी तेजी से एक झटके में नहीं होना था, जैसा कोरोना के कारण हुआ है। यही वजह है कि आनन-फानन में अध्यापकों ने छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने का जिम्मा तो ले लिया, लेकिन वह इस बात को जान गए कि आज की एक्स वाई जेड और अल्फा बीटा जेनरेशन को उनके लिए पढ़ाना इतना आसान नहीं है। यह अकारण नहीं है कि बहुत सारे प्राइवेट अध्यापकों ने ऑनलाइन टीचिंग से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। सरकारी अध्यापकों की मजबूरी यह है कि वह इस जोखिम को नहीं ले सकते, लेकिन परेशान वह भी हैं। दरअसल इस परेशानी की वजह से छात्र से ज्यादा तेजी से बदलते टेक्नोलॉजी है। इससे मैसेज स्नैपचैट और व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से हर दिन जो संवाद की नई विधियां सामने आ रही है। हमारे भारतीय शिक्षक पद्धति शुरू से ही गुरू और शिष्य के बीच मे समर्पण की रही है जो आज भी इसी प्रकार हमारे देश के हर शिक्षक मे अपने शिष्य के प्रति जागरूकता रही है।


परीक्षा स्थगित करने वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) परीक्षा टालने को लेकर गैर भाजपा शासित 6 राज्यों की तरफ से दायर पुनर्विचार याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।सुप्रीम कोर्ट के पुनर्विचार याचिका खारिज करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अब जेईई और नीट की परीक्षा नहीं टलेगी।


न्यायाधीश अशोक भूषण, न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश कृष्णमुरारी की पीठ ने 6 गैर-भाजपा शासित राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों की तरफ से दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। पुनर्विचार याचिका पश्चिम बंगाल के मलय घटक, झारखंड के रामेश्वर ओरांव, राजस्थान के रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के अमरजीत भगत, पंजाब के बीएस सिद्धू और महाराष्ट्र के उदय रवीन्द्र सावंत की तरफ से दायर की गई थी। गैर-भाजपा शासित 6 राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों ने नीट और जेईई परीक्षा को टालने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। यह याचिका न्यायालय के 17 अगस्त को दिए गए आदेश पर पुनर्विचार करने का आग्रह करने के लिये दायर की गई थी।


17 अगस्त को शीर्ष न्यायालय ने नीट और जेईई परीक्षा स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी। उस दिन पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने कहा था कि परीक्षा स्थगित करने से छात्रों का जीवन संकट में आ जाएगा। जीवन को कोविड-19 में भी आगे बढ़ना चाहिए, क्या हम सिर्फ परीक्षा रोक सकते हैं? हमें आगे बढ़ना चाहिए। अगर परीक्षा नहीं हुई तो क्या यह देश के लिए नुकसान नहीं होगा? छात्र शैक्षणिक वर्ष खो देंगे।


17 अगस्त को याचिका खारिज होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में परीक्षा टालने को लेकर एक बैठक हुई थी। इसमें पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया गया था                 


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण




यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)









 सितंबर 6, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-23 (साल-02)
2. रविवार, अगस्त 6, 2020
3. शक-1943, अश्विन, कृृष्ण-पक्ष, श्राद्ध पक्ष, तिथि- चतुर्थी, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:28, सूर्यास्त 07:10


5. न्‍यूनतम तापमान 21+ डी.सै.,अधिकतम-33+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेगी।


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शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

नवंबर तक अमेरिका में आएगी 'वैक्सीन'

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा है कि अक्टूबर के अंत तक उच्च-जोखिम वाले लोगों को संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन देने के लिए तैयारी करें। बुधवार को एजेंसी की ओर से प्रकाशित दस्तावेज में यह बात सामने आई।


वैक्सीन देने के समय को राजनीतिक महत्व के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने COVID-19 को रोकने के लिए वैक्सीन बनाने का ऐलान किया। उन्होंने अरबों डॉलर का कमिटमेंट करने के बाद लोगों से नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में खुद को जिताने की मांग की।राष्ट्रपति ट्रंप कोरोना वैक्सीन को लेकर शुरू से मुखर रहे हैं क्योंकि इस बीमारी ने अब तक 180,000 से अधिक अमेरिकियों की जान ले ली है।           


अर्थव्यवस्था को उभारना, युद्ध संकट से बचना

पेरिस। फ्रांस की सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए गुरुवार को 100 अरब यूरो (118 अरब डॉलर) की भारी-भरकम आर्थिक योजना पेश की। इसका लक्ष्य रोजगार का सृजन करना, संकट में फंसे व्यवसायों को उबारना और देश को दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकालना है।


पैकेज में चिकित्सा संबंधी सामानों का विनिर्माण वापस फ्रांस लाने, हाइड्रोजन ईंधन विकसित करने, संग्रहालयों व सिनेमा उद्योग की मदद करने, 21वीं सदी के लायक रोजगार के लिये युवाओं को प्रशिक्षित करने और बेरोजगारी कार्यालयों में अधिक लोगों को बहाल करने के लिए पैसे का प्रावधान किया गया है। फ्रांस के प्रधानमंत्री ज्यां कास्ते ने कहा, 'यह फ्रांस के समक्ष उपस्थित संकट के आर्थिक व सामाजिक दुष्परिणामों के खिलाफ हमारे संघर्ष की रणनीति का एक महत्वपूर्ण कदम है। 'उल्लेखनीय है कि महामारी से फ्रांस में अब तक 30,600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यह ब्रिटेन और इटली के बाद किसी भी यूरोपीय देश में हुई सर्वाधिक मौतें हैं। फ्रांस की सरकार अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये पहले ही हजारों अरब यूरो खर्च कर चुकी है।


कास्ते ने कहा, 'फ्रांस ने इस संकट का सामना किया और टिका रहा, लेकिन इसने देश को बहुत कमजोर कर दिया है। अब फ्रांस को बेहद अचानक उपस्थित हुई गंभीर आर्थिक मंदी से भी बाहर निकलना होगा।' फ्रांस की अर्थव्यवस्था में जून तिमाही में 13.8 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।                


चीन अंतरराष्ट्रीय कानून से बाहर हो चुका है

नई दिल्‍ली/ बीजिंग। भारत समेत अन्य पड़ोसियों की भूमि पर नजर गड़ाने वाला भूमाफिया चीन कोरोना संक्रमण की वैश्विक लड़ाई में भी खलनायक के रूप में उभर रहा है। कोरोना वायरस को मात देने के लिए दुनियाभर के देश परस्पर सहयोग व जानकारियों का आदान-प्रदान कर रहे हैं, लेकिन चीन ने बंदरों का निर्यात रोककर अमेरिका में कोरोना वैक्सीन के निर्माण के रास्ते में अड़ंगा खड़ा कर दिया है।


चीन से गत वर्ष मंगाए 60 फीसद बंदर: अमेरिका में बंदरों की कमी के तीन प्रमुख कारण हैं। एक, कोरोना संक्रमण के कारण बंदरों की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। दूसरा, चीन ने आपूर्ति बंद कर दी है, क्योंकि वह खुद भी वैक्सीन का विकास कर रहा है। अमेरिका ने पिछले साल चीन से 60 फीसद यानी करीब 35,000 बंदर आयात किए थे। तीसरा, कोरोना संक्रमण से पहले परीक्षण के लिए बंदरों की कमी पर ध्यान नहीं दिया गया और चीन की तरफ से आपूर्ति बंद किए जाने के बाद स्थिति बदतर हो गई।               


रिकॉर्डः 3,300 अरब डॉलर पहुंचेगा घाटा

वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी सरकार का बजट घाटा रिकार्ड 3,300 अरब डॉलर पहुंच जाने का अनुमान है। कोविड-19 से निपटने के लिए जारी उपायों पर हो रहे खर्च और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 2,000 अरब डॉलर से अधिक के प्रोत्साहन उपायों को देखते हुए बजट घाटा रिकार्ड स्तर पर पहुंचने की आशंका है। कांग्रेस बजट कार्यालय ने यह अनुमान जताया है। घाटे में वृद्धि का मतलब है कि संघीय कर्ज अगले साल सालाना सकल घरेलू उत्पाद को पार कर जाएगा। यह स्थिति ठीक वैसी ही होगी जैसा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुई थी। उस समय संचयी कर्ज अर्थव्यवस्था के आकार से भी अधिक हो गया था। 2019 के घाटे से तीन गुना से भी अधिकः बुधवार को जारी 3,300 अरब डॉलर का अनुमान 2019 के घाटे से तीन गुना से भी अधिक है। वहीं 2008-09 में आयी नरमी के स्तर से दो गुना है। एक तरफ जहां सरकार के खर्च बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मंदी के कारण कर राजस्व कम हुआ है। व्यक्तिगत आयकर संग्रह पिछले साल के मुकाबले 11 प्रतिशत कम है जबकि कंपनी कर संग्रह 34 प्रतिशत कम चल रही है। अर्थव्यवस्था और लोगों के रोजगार पर पड़ी कोरोना की मारः कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अर्थव्यवस्था को बंद किया गया था। इसका असर अर्थव्यवस्था और लोगों के रोजगार पर पड़ा। रोजगार से हाथ धने वालों को राहत देने के लिए 1,200 डॉलर का सीधे भुगतान और प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की गयी। इससे अल्पकाल में अर्थव्यवस्था को राहत मिली।               


डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...